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मुझे बहुत गुस्सा आया, रोना भी इतना कि मेरे आँसू निकल आए और रोते रोते ही मैं उन्हें गालियाँ दे रही थी- मादरचोद, माँ के लौड़े!
यानि मर्दों वाली गालियाँ और उनकी पीठ पर हल्के हाथों से मार दिया था।
वो मुझे चूमते चूमते मुझे चुप करा रहे थे पर मेरा गुस्सा कम नहीं हुआ और गुस्से में उनके गालों पर भी तमाचा जड़ दिया। पर इसका भी उन पर कोई असर नहीं हुआ और मुझे बिस्तर पर लेटाकर मेरे ऊपर ही सो गए।
मैं उनसे छुटने की कोशिश कर रही थी पर असफल रही। 15 मिनट मैं ऐसे ही रोकर आंसू बहाती रही और पता नहीं कब मेरी नींद लग गई।
सुबह लगभग 5:30 बजे जब उठी तो देखा कि पतिदेव मुझसे पहले ही जाग चुके हैं और नंगे ही कमरे में घूम रहे हैं। मैं रात भर से ही नंगी ही थी।
मैं उठकर फ्रेश होकर आई तो पतिदेव चाय लेकर आये। हमने चाय पी पर मेरा गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था।
वो अपना लंड सहलाने लगे और थोड़ी देर में ही उनका लंड तन गया। यह देखकर मैं भी गर्म हो गई और बाथरूम चली गई।
अचानक पतिदेव भी मेरे पीछे आ गये और मुझे झुककर पीछे से मेरी चूत में लंड एक ही झटके में पूरा अंदर तक घुसा दिया।
इस हमले को मैं समझ नहीं पाई और ना ही मुझमें इस हमले को सहने की शक्ति थी, मैं चिल्लाने लगी, और आँसू भी टपकने लगे थे और दर्द का तो पूछो ही मत!
उन्होंने एक हाथ से मेरी कमर को और दूसरे हाथ से मेरे बालों को खींच रखा था इसलिए मेरा उनकी पकड़ से अलग होना असम्भव था।
वो पूरी ताकत और बेरहमी के साथ धक्के लगा रहे थे और मैं दर्द से इतनी ही देर में रोने भी लगी थी और बार बार उनसे छोड़ने की विनती भी कर रही थी। पर कोई भी फायदा नहीं हो रहा था, 3-4 मिनट की ही बेरहमी से चुदाई के बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
इस तरह के हमला मेरे लिए कोई नया नहीं है। पहले भी झेल भी चुकी हूँ, पर बहुत बार मैं उनके मनसूबों को समझ भी नहीं पाती हूँ। उन्होंने मुझसे चलने के लिए कहा पर मुझे ठीक से चला नहीं जा रहा तो वो मेरे बालों से ही मुझे खींचकर बेडरूम तक लाये और इस दौरान मैं इतनी ही दूर 4 बार लड़खड़ा गई थी।
बैडरूम में लाते ही उन्होंने मुझे बिस्तर पर फेंक दिया और मेरी गर्दन पकड़ कर मेरे दोनों गालों पर 6-7 थप्पड़ जोर से जड़ दिए और मुंह पर थूक भी दिया और फिर 4-5 थप्पड़ मारे।
मैं रोती रही और विनती करती रही- प्लीज छोड़ दो, सॉरी, ऐसा मत करो बहुत तेज दर्द हो रहा है, सह नहीं पा रही हूँ।
और भी बहुत कुछ कहती रही पर इन बातों का उन पर कोई भी असर नहीं हो रहा था।
फिर अचानक ही मेरे ऊपर बैठकर उनके लंड को मेरे मुँह की तरफ बढ़ाया।
उनका लंड आधा लटक चुका था, मैं मना कर रही थी पर उन्होंने जबरदस्ती मेरे मुंह में डाल दिया और बेरहमी के मुख को चोदना शुरू कर दिया।
एक मिनट में ही उनका लंड तन कर कड़क हो गया और मेरे मुख भी अब दर्द करने लगा था, मैंने जब निकालने की कोशिश की तो उन्होंने पूरा का पूरा लंड मेरे गले तक उतार दिया। कुछ हिस्सा बाहर था जिसे भी वो अंदर तक उतारना चाहते थे, पहले भी बहुत बार कोशिश कर चुके थे, पर जा नहीं पाया।
मेरी सांस रुक गई थी, मैं उन्हें अलग कर रही थी पर उन्होंने दोनों हाथों से एक साथ दोनों गालों पर फिर तेज थप्पड़ लगा दिए और लंड बाहर निकाल लिया।
मुझे थोड़ी राहत मिली पर, गाल पर जलन हो रही थी और मुख भी दर्द कर रहा था।
अब उन्होंने मेरी चूत पर थप्पड़ मारना शुरू कर दिए थे, दर्द तो पहले से ही हो रहा था अब थप्पड़ की जलन और… मैं उनसे रोते हुए बस ‘नहीं नहीं…’ बोल रही थी।
थप्पड़ मारने के बाद उन्होंने फिर लंड मेरी चूत में फंसाकर एक झटके में ही अंदर डाल दिया और लंड मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। मैं और तेज रो पड़ी और दर्द भी तेज हो गया।
उन्होंने फिर लंड को चूत से बाहर और फिर एक ही झटके में पूरा अंदर डाल दिया।
पता नहीं उन्हें कौन सी ख़ुशी मिल रही थी मुझे इस तरह रुलाने में? यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
लगभग 40-50 धक्कों में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, थोड़ी ठंडक पहुँची पर दर्द बहुत तेज हो रहा था, उनके धक्के से अब मुझे मजा आने लगा था तो उन्होंने मेरे गालों पर बहुत ही तेज थप्पड़ मारने शुरू कर दिए, 12-13 थप्पड़ लगातार दिए, इतने ही थप्पड़ दूसरे गाल पर लगाये।
मुझे अब बहुत तेज रोना आ गया था, मैं रोती रही।
कुछ देर बाद उन्होंने आसन बदला और मेरी दोनों टांगों को उठाकर मेरे कन्धे पर लगा दी और पूरी ताकत से मेरी चूत पर थप्पड़ मारने लगे।
मैं यह सहन नहीं कर पाई और जलन से गांड भी ऊपर कर दी और पतिदेव ने फिर लंड चूत के मुंह पर टिका कर एक ही झटके में अंदर तक डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मैं दर्द से तेज आवाज से ‘आह आह आह… छोड़ो छोड़ो… बहुत दर्द हो रहा है…’ ही कह रही थी। पर वो धक्के लगाये जा रहे थे और मेरा दर्द तेज होता जा रहा था।
इस बीच मैं दूसरी बार झड़ गई।
मेरी चूत बहुत तेज दर्द कर रही थी और सूज भी गई थी तो जलन भी बहुत तेज हो रही थी।
अब उन्होंने मुझे पेट के बल लेटाया और मेरे पेट के नीचे तकिया रख दिया मैं बिलकुल भी लंड झेलने की स्थिति में नहीं थी लेकिन अब पतिदेव ने हमला मेरी गांड पर किया था, 2-3 झटकों में ही पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया।
मुझे बहुत ही असहनीय दर्द हुआ, 8-10 धक्के लगाने के बाद लंड बाहर निकालकर हल्का सा गांड के छेद पर टिकाया और और फिर कूदकर उसे पूरा अंदर डाल दिया, मैं बहुत ही बुरी तरह से छटपटाने लगी और आँखों के सामने अँधेरा भी छाने लगा था, मैं पूरी ताकत से बच्चे की तरह ही चीखती रही- छोड़ो छोड़ो… मत करो प्लीज प्लीज! और भी मिन्नतें कर रही थी।
3-4 मिनट बाद उन्होंने लंड निकालकर फिर से मेरी चूत में घुसा दिया पर इस बार थोड़ा आराम से चोद रहे थे पर जलन और दर्द से मैं बिल्कुल भी इस को झेल नहीं पा रही थी।
अचानक ही उन्होंने गति तेज कर दी, उनका हर धक्का मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था, पर मैं फिर झड़ गई और 2 मिनट बाद पतिदेव भी मेरी चूत में झड़ गए।
मैं बहुत तेज रो रही थी।
अब पतिदेव ने मुझे सीधा किया और मेरे मम्मों को चूसने लगे।
10 मिनट तक मम्मों को चूसने के बाद वे मुझे गोदी में उठाकर बोले- चल जान, तुझे नहला देता हूँ! और बाथरूम में ले गए, फर्श पर लेटाकर मुझे नहलाने लगे, खुद भी नहा रहे थे पर बीच बीच में मेरी चूत पर भी थप्पड़ मार रहे थे। नहलाने के बाद फिर मुझे बेडरूम में लाये और मेरे बाल सुखाये।
फिर 8 बजे खाना बनाने किचन में चले गए।
मुझे गुस्सा आ रहा था, वो धीरे धीरे प्यार में बदल गया। थोड़ी देर बाद वो खाना लेकर आये तो मैंने उनकी टीशर्ट निकालकर पहन ली और वो सिर्फ लोवर और बनयान में थे।
उन्होंने मुझे सॉरी बोलकर एक किस गाल पर दिया, मैंने भी उनसे रात के लिए माफ़ी मांगी तो उन्होंने टॉवल को मेरी चूत पर रखकर मेरी सूजी हुई चूत को हाथों से मसल दिया, मेरी चीख निकल गई और आंसू भी!
मैं उनसे गाली देकर छोड़ने के लिए कह रही थी- छोड़ मादरचोद कहीं के… छोड़ मुझे! पर इससे उन्हें और भी ज्यादा मजा आ रहा था तो मैंने उनकी पीठ पर नाख़ून से खरोंच दिया और रोने लगी और पतिदेव हँसते हुए मुझे सॉरी बोलकर मुझे किस करने लगे, मेरा दूध पीने लगे। थोड़ी देर बाद मैंने ही उन्हें मुझसे अलग किया और खाना खाने के लिए बोला। खाना खाने के बाद मैंने उन्हें कहा- मुझे सोना है, बहुत नींद आ रही है।
तो पतिदेव ने मुझे गोली दी और कहा- दर्द कम हो जाएगा। और मुझे भी बहुत नींद आ रही है।
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