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अन्तर्वासना के सभी पाठक-पाठिकाओं को मैं जी पी ठाकुर हृदय की गहराइयों से प्रणाम करता हूँ!
मैं 25 वर्ष का स्मार्ट गबरू जवान हूँ… बीटेक करने के बाद दो साल जॉब की और फिलहाल सिविल परीक्षा की तैयारी में व्यस्त हूँ. बी.टेक के दौरान बहुत से दोस्त बने और उन्ही दोस्तों में से एक की भाभी ने मुझे चूत-आमंत्रण दे दिया था, यह हिन्दी सेक्स कहानी उन्ही भाभी के बारे में है।
हुआ यूँ कि मेरे बी.टेक वाले मित्र की दीदी की शादी थी। शादी से दो महीने पहले सगाई थी और सगाई पर भी आने के लिए वो मेरी जान खाये जा रहा था तो मैं मना तो कर ही नहीं सकता था और इसी बहाने थोड़ा ब्रेक भी मिल जाता।
खैर मैं इंगेजमेंट वाले दिन सुबह ही पहुँच गया। उसके परिवार में कुल छः लोग हैं, उसके मॉम डैड, भैया भाभी, दीदी और मेरा दोस्त!
उसके मॉम-डैड और दीदी से पहले मिल चुका था क्योंकि वो हमारे कॉलेज हॉस्टल आते रहते थे लेकिन भैया भाभी मुम्बई में रहते हैं।
जब मेरे दोस्त ने अपनी भाभी से मुझे मिलवाया तब मेरे होश उड़ गए… क़यामत… आइटम… टोटा… पीस… या आप कह सकते हैं कि साक्षात् कामदेवी का रूप हैं भाभी… 31-32 साल की मादक जवानी, गोरा बदन, नशीली आँखें, गदराई गांड, न ज्यादा पतली न ज्यादा मोटी, मॉडल जैसी लंबाई, एकदम परफेक्ट माल!
मैं सोच में पड़ गया कि अगर ये भाभी पट जाएं तो मेरे लंड की तो पौ-बारह हो जाये! इसलिए जितना भी मौका मुझे मिल रहा था भाभी के करीब रहने का, मैं छोड़ नहीं रहा था।
शाम को सगाई के तय मुहूर्त पर दोनों पक्ष के लोग लॉन में इकट्ठे हुए। जब भाभी दीदी को लेकर आई, मैं तो उन्हें देखता ही रह गया… कितनी खूबसूरत लग रहीं थीं भाभी…
कार्यक्रम शुरू हुआ तो मैं जाकर भाभीके पीछे खड़ा हो गया। उफ़्फ़्फ़… भाभी की फुटबॉल जैसी गांड… मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भीड़ का फायदा उठा कर भाभी की गांड पर हाथ फेर दिया।
परंतु शायद कुछ ज्यादा हो गया… क्योंकि भाभी चौंक गईं और पीछे मुड़ के मुझे देखने लगीं। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई कि कुछ बोलूं!
कार्यक्रम के बाद कुछ मेहमान चले गए और कुछ रुक गए। सब लोग सोने की तैयारी करने लगे थे।
भैया और भाभी को सुबह की फ्लाइट से मुम्बई वापस जाना था… भैया और उनके साथ दो लोग मेरे दोस्त के कमरे में सेट हो गए। सबकी सोने की व्यवस्था करने के बाद हम तीन लोग बचे थे… मैं, मेरा दोस्त और भाभी…
हमने हाल में रखा सोफे देखा तो सोफा खाली था… मेरा दोस्त वहीं सो गया।
भाभी ने कहा- तुम मेरे साथ आओ! मुझे भाभी अपने कमरे में ले गईं जहाँ पहले से ही दो लोग उनके बेड पर सोये थे… एक थी मेरे दोस्त की दीदी और एक लेडी को मैं पहचान नहीं रहा था।
भाभी ने मेरे सोने के लिए काउच पर एक पिलो और चादर रख दिया और खुद कुछ कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गईं और कुछ देर बाद नाईटी पहन कर निकली जिसमें भाभी का हर अंग उभर कर सामने आ रहा था। बहुत हॉट लग रही थीं भाभी!
भाभी ने लेटने से पहले लाइट ऑफ करके साइड लैंप ऑन कर दिया और बोलीं- ज्ञान कुछ चाहिए होगा तो बोल देना! ओ.के, गुड नाईट… ‘हाँ भाभी आपकी चूत चाहिए, दे दीजिये!’ मैंने मन ही मन कहा लेकिन फिर भाभी से गुड नाईट बोला और सोने की कोशिश करने लगा।
अब आप ही बताइये, एक कमरे में तीन चूतें आँखों के सामने सो रही हों तो मुझको क्या किसी मर्द को नींद आ सकती थी भला?मद्धम रोशनी में ज्यादा कुछ तो नज़र नहीं आ रहा था, जितना आ रहा था मेरे लंड में अकड़न लाने के लिए काफी था।
भाभी मेरी तरफ पीठ करके सो रही थी। आधे घंटे से ज्यादा हो गया था, मुझे भाभी की गांड को दूर से देखकर अपना सामान सहलाते हुए… अब मुझे लगा कि सब सो गए हैं तो मेरे दिमाग में एक ख्याल आया, मैं जाकर भाभी के बेड के पास नीचे फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया।
तसल्ली करने के लिए कि भाभी सो रही हैं या नहीं, पहले उनके हाथ को पकड़ कर हल्के से हिलाया… जब भाभी ने कोई रिस्पांस नहीं किया तो मैंने एक हाथ भाभी की गर्म गांड पर रखकर सहलाने लगा।
एक हाथ भाभी की गांड पर और एक हाथ से अपना लंड सहलाते हुए मैं यह भी देख रहा था कि भाभी या कोई और जाग न जाये। अब मेरा लंड फूल कर फटने को तैयार था, जोश जोश में मैंने भाभी का एक चूतड़ कस कर दबा दिया।
तभी अचानक भाभी पलटी और सीधा लेट गईं।
मैं वहाँ से हिल भी नहीं पाया… मेरा दिल डर के मारे ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा… लेकिन भाभी तो गहरी नींद में मस्त थी।
अब मेरी नज़र भाभी की चूचियों पर गईं… पहले एक हाथ से दबाया फिर दोनों हाथ भाभी की कड़क और भरी भरी चूचियों पर ले जाकर उनको सहलाने और दबाने लगा।
अब तो मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई कि मैंने एक हाथ नाइटी में डाल दिया और चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा। मुझ पर अन्तर्वासना पूरी तरह से हावी हो गई थी, मैं भाभी के हर अंग को अब सहलाने लगा था।
इसी क्रम में मैं भाभी की कमर और बुर को भी कपड़े के ऊपर से सहलाने लगा… भाभी की चूत भट्टी की तरह तप रही थी।
मैं भाभी की चूत देखना चाहता था इसके लिए मुझे भाभी की नाइटी को नीचे पैरों से सरकाकर ऊपर कमर तक खींचना था।
मैंने नाइटी को सरकाना शुरु ही किया था कि दीदी ने करवट बदली और एक टांग उठाकर भाभी के ऊपर लाद दी।
इस बार मुझे डर भी लगा साथ-साथ दीदी के ऊपर गुस्सा भी आया।
बदले की भावना से या अत्यधिक अन्तर्वासना के कारण मैं दीदी के कपड़ों के ऊपर से जांघ सहलाते हुए उनकी चूत को भी सहलाने लगा।
दीदी की चूत सहलाने से मैं इतना रोमांचित हो उठा कि मेरा लंड माल उगलने ही वाला था… मैं दौड़कर बाथरूम की तरफ भागा और जोर जोर से मुठ मारने लगा।
मुठ मारने के बाद मैं काउच पर आकर लेट गया और भाभी को देखते देखते पता नहीं कब सो गया।
सुबह जब मेरे मित्र ने मुझे जगाया तो देखा 9 बज रहे थे। उसने बताया कि भैया और भाभी सुबह ही निकल गए।
नाश्ते के टाइम जब दीदी से मुलाकात हुई तो रात वाली बात मुझे याद आई लेकिन दीदी को देख कर ऐसा लगा नहीं कि उन्हें कुछ भी पता चला है।
इसके बाद मैं भी अपने घर यानि इलाहाबाद वापिस आ गया। मन में बड़ा अफ़सोस था कि भाभी का नंबर भी नहीं ले पाया।
इन दो महीनों में मैंने जब भी मुठ मारी तो बस भाभी नाम की… लेकिन अब तो बस इंतज़ार ही था… इंतज़ार का फल मीठा होता है लेकिन मेरे साथ इसके उलट हो गया।
यह हिन्दी सेक्स कहानी जारी रहेगी। [email protected]
कहानी का अगला भाग: दोस्त की भाभी ने चूत की पेशकश की-2
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