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हॉट ऑफिस सेक्स स्टोरी मेरे बॉस से मेरी चुदाई की है. सबसे पहले बॉस ने मेरी चूत मारी और फिर उसके बाद तो मेरी चुदाई का सिलसिला रुका ही नहीं.
दोस्तो, मेरा नाम मनप्रीत है। मेरी उम्र 21 साल है और मैं खूबसूरत हुस्न की मालकिन हूं.
मेरी कहानी मेरी आवाज में सुन कर मजा लीजिए.
ये हॉट ऑफिस सेक्स स्टोरी पिछले साल जुलाई की है जब मैं बरनाला, पंजाब में जॉब के लिए आयी थी. इंटरव्यू पहले ही क्लीयर हो चुका था. अब बस ज्वाइन करना था मुझे.
उन दिनों गर्मी ज्यादा पड़ रही थी और दिन में बहुत तेज़ धूप हो जाती थी इसलिए मैंने सफेद शर्ट और ब्लू जींस पहन रखी थी और अंदर लाल रंग की ब्रा थी.
जब मैं होटल से निकली तब सुबह हो रही थी और गर्मी भी नहीं थी. कंपनी की गाड़ी लेने भी आई थी.
12-13 लोगों के ग्रुप में मैं अकेली लड़की थी. ऊपर से मेरा 34-30-34 का सेक्सी फिगर अगल ही दिख रहा था.
15 मिनट लगे हमें पहुंचने में; एचआर डिपार्टमेंट में हमें ले जाया गया.
इतने सारे लड़कों में मैं अलग ही दिख रही थी और हर कोई घूर कर देख रहा था मुझे. जैसे शेर अपने शिकार को देखता है.
काफी देर तक डॉक्यूमेंट का काम होता रहा. करीब 2 बज रहे थे.
हम सबको कैंटीन खाना खाने के लिए ले जाया गया। हम सबकी तब तक आपस में पहचान हो चुकी थी. सारी कागजी औपचारिकता पूरी होने के बाद हमें कंपनी दिखाने के लिए एक सर हमारे साथ गए.
दोपहर में बहुत तेज़ धूप थी और बादल भी थे. उमस तो पूछो ही मत।
थोड़ी देर ही हुई थी ऑफिस से निकले कि हम सबको पसीना आने लगा.
मुझे तो कुछ ज्यादा ही पसीना आता है. ऊपर से सफेद शर्ट पहनी हुई थी मैंने और पसीना आने के कारण मेरी शर्ट भीगने के बाद मेरी ब्रा को भी उजागर करने लगी थी.
6-7 प्लांट थे जिनमें हमें घूमना था और सब में बहुत गर्मी थी.
धीरे धीरे करके मेरी शर्ट पसीने से गीली हो गई थी और ब्रा की स्ट्रैप भी दिखने लगी थी. बहुत सारे लड़के पीछे से देख रहे थे. लड़कियों को पता चल जाता है कि कौन कहां से देख रहा है.
मैं फिर भी शर्ट एडजस्ट कर रही थी कि किसी की नजर में ना पड़े मेरी चूचियां. मगर मेरी किस्मत और मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहे थे.
आखरी प्लांट आते आते मौसम बिल्कुल बदल गया. बारिश होने लगी थी.
वो बारिश भी बहुत तेज़ थी और प्लांट से हम निकाल चुके थे. वहां से एचआर डिपार्टमेंट तक की दूरी कम से कम 500 मीटर से ज्यादा थी. मैं पूरी भीग चुकी थी. यहां तक कि मेरी पैंटी तक भीग गई थी बारिश से।
हालांकि मुझे बारिश बहुत पसंद है मगर अभी तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी बाज़ार में नंगी खड़ी हूं और बाकी सारे मेरा मुआयना कर रहे हैं कि चूची कैसी हैं इसकी, चूत कैसी होगी इसकी.
ये सब देखकर मुझे बहुत शर्म आ रही थी. मगर मैं कर भी क्या सकती थी. बारिश की वजह से सफेद शर्ट पूरी पारदर्शी हो गई थी और लाल ब्रा साफ़ साफ़ दिख रही थी और मेरा फिगर भी।
लडकों की पैंट में उनका खड़ा लंड साफ़ दिख रहा था। तेज़ तेज़ चलने की वजह से मेरे बूब्स और ज्यादा ऊपर नीचे हिल रहे थे।
ऑफिस पहुंचते ही मैं बाथरूम में चली गई. वहां जाकर मैंने अपनी शर्ट उतार दी और ब्रा भी। मैंने खुद को रुमाल से सुखाया और शर्ट का पानी निचौड़ा. पता नहीं क्यों … मुझे हंसी आने लगी अपनी किस्मत पर कि देखो … मेरा पहला ही दिन कैसा गया है. इसके आगे पता नहीं अभी क्या क्या होगा.
मैं अपने बूब्स को दबाने लगी ताकि थोड़ी गर्मी आ जाए. गर्मी तो आई नहीं मगर मज़ा बहुत आने लगा।
फिर मैं जल्दी से कपड़े हल्के सुखाकर बाहर आ गई।
हम सब भीग गए थे तो सर ने हमें वापस होटल ले जाने के लिए गाड़ी बुलाई और ड्राइवर से बोला- तुम यहीं रुको मैं छोड़कर आता हूं. लड़कों का होटल पहले ही आ गया था और हमको पीजी भी देखना था.
तो सर ने बोला- लड़कों को रूम दिखा देंगे. आपका होटल में ऐसे रहना ठीक नहीं है. आप जल्दी से चेंज कर के आ जाओ, मैं यहीं इंतजार कर रहा हूं.
मैंने कहा- सर नीचे क्या करेंगे आप? ऊपर ही आ जाओ, वहीं इंतजार कर लेना। वैसे वो सर देखने में भी बहुत स्मार्ट थे. मैं थोड़ी मुस्करा दी तो वो मना नहीं कर पाए और साथ साथ चल दिए।
रूम काफी बड़ा था. एक गेस्ट रूम था और एक बेड रूम। तो सर बाहर बैठे और मैं बेड रूम में आ गई.
मैंने 2 चाय के लिए बोल दिया और मैं टॉवल लेकर बॉथरूम में चली गई और सारे के सारे कपड़े उतार दिए.
मैं घर पर भी सिर्फ टॉवल लेकर ही जाती थी. रूम में आकर पहनती थी. मैंने जल्दी से शॉवर लिया और खुद को आईने में देखने लगी कि कितनी सेक्सी लगती हूं मैं और अपनी चूत को छूने लगी.
तभी आवाज आई- रूम सर्विस! मैंने तुरंत टॉवल लपेटा और गेट पर चली गई। मैंने ट्रे ली और कमरा अंदर से बंद कर दिया.
सर बाहर रूम में बैठे थे और मैं सिर्फ टॉवल में थी. न जाने मुझे क्या मस्ती चढ़ी कि मैं ऐसे ही सर के सामने चली गई.
मेरी टॉवल थोड़ी छोटी पड़ रही थी. मैंने सर के लिए चाय टेबल पर रखी और झुकते ही मेरे बड़े बड़े चूचे उनके सामने आ गये. टॉवल छोटी थी तो मेरी मुयालम गांड भी दिखने लगी।
तभी सर को हल्का ठसका सा लगा और मैं हड़बड़ा कर उनको जग में से पानी देने लगी.
इसी आपाधापी में मेरा टॉवल सरकने लगा. मुझे पता तो चल रहा था लेकिन जब तक मैंने सर को जाकर पानी गिलास थमाया तब तक मेरा टॉवल सर के सामने खुल कर नीचे गिर गया. अब मैं सर के सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी.
हालांकि सर का लन्ड भी तब तक खड़ा हो चुका था. मेरे हाथ से पानी का गिलास सर की पैंट पर गिर गया था और उनका लंड उस गीली पैंट में साफ दिख रहा था.
वो खड़े हो गये और जल्दी से पैंट को पौंछने लगे. मैंने कहा- सर उतार ही दो, नहीं तो सारे कपड़े ही गीले हो जायेंगे. उन्होंने एकदम से मेरी तरफ देखा और फिर पैंट खोलने लगे.
मैं भी तब तक बहुत गर्म हो चुकी थी और सर भी। उन्होंने जो शर्ट ऊपर की तो वो नजारा देखकर मैं तो चुदासी सी होने लगी. क्या मस्त बॉडी बना रखी थी उन्होंने! मैं तो जैसे पागल ही हो गई थी।
फिर मैं अपनी टॉवल छोड़ कर उनकी पैंट उतारने लगी और उन्होंने भी अपने हाथ हटा लिए। सर भी बहुत पक्के खिलाड़ी थे. मैंने जैसे ही उनकी पैंट नीचे की तो उनका 7 इंच का लन्ड मेरे मुंह पर आकर लगा.
उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए जो सीधा ऑर्डर था लंड को चूसने का। मुझे भी हवस चढ़ी हुई थी तो मैंने भी बिना देरी किये उनका लंड चूसना शुरू कर दिया. मैं अपनी जीभ से लंड को चाटने लगी. सर की आह्ह निकलने लगी.
उन्होंने मुझे गोदी में उठाया और बेड पर ले जाकर लिटा दिया. बिना देरी करते हुए मैंने उनकी शर्ट उतारी और उनकी बॉडी को चाटने लगी. कभी काट भी देती थी.
उन्होंने मुझे दोबारा लिटाया और मेरे बूब्स मुंह में लेकर जोर जोर से चूसने लगे. मेरी आवाज कमरे में गूंजने लगी और मेरे नाखून उनकी पीठ पर खरोंचने लगे जिसकी वजह से उनमें और जोश आने लगा.
वो धीरे धीरे मेरी चूत पर पहुंच ही गए और चाटने लगे. उससे मन नहीं भरा तो वो मेरी चूत को उंगलियों से खोलकर अपनी जीभ अंदर डालने लगे और अपनी जीभ से मेरी चूत को चोदने लगे.
मैं तो तड़प ही उठी थी. मैंने सर का सिर पकड़ा और अपनी चूत पर दबाने लगी.
पास में ही एक चॉकलेट रखी थी जो होटल की तरफ से थी और गर्मी की वजह से पिघल गई थी.
उन्होंने उसे खोला और अपनी बीच वाली उंगली उसमें डाली और मेरे मुंह में दे दी. मैं उसे पूरी तरह एक बार में ही चूस गयी.
उन्होंने दोबारा उंगली चॉकलेट में डुबोयी और मुस्कराने लगे. मैं समझ पाती तब तक तो उन्होंने वो उंगली मेरी चूत के अंदर डाल दी.
जब बाहर निकाली तो वो साफ़ निकली. सारी चॉकलेट मेरी चूत में ही रह गई थी और उन्होंने वो खुद चाट के खा ली और मेरे पैर फैला दिए.
वो फिर से मेरी चूत चाटने लगे.
मैं पूरी तरह से मचल उठी. उनकी जीभ मेरी चूत को किसी और ही दुनिया में ले जा रही थी.
थोड़ी देर में ही मेरी चूत से चॉकलेट और मेरा रस मिल कर बाहर आने लगा. सर ने उसे इतने अच्छे से चाट कर साफ़ किया कि एक बूंद भी खराब ना हो।
उन्होंने ऐसा ही अपने लंड के साथ भी किया. अपने लन्ड पर चॉकलेट गिराई और मेरे मुंह में अपना लंड दे दिया. मैंने बड़े मजे से उसे चाटकर साफ़ किया और उन्होंने मेरे मुंह में ही अपनी गर्मा गर्म माल गिरा दिया.
मैंने लंड के माल की एक एक बूंद अमृत समझ कर पी ली. चूस चूस कर दोबारा उनका लंड खड़ा कर दिया. जो अब पहले से ज्यादा बड़ा और चमकदार लग रहा था.
फिर सर बिना देर किए मेरे ऊपर चढ़ गये. उन्होनें मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया और फिर अपना लंड भी मेरे मुंह मे दे दिया. मैं चूसने लगी और कुछ ही देर में सर का लंड फिर से पूरा कड़ा हो गया.
अब वो उठे और मेरी टांगें फैलाकर मेरी चूत में लंड दे दिया और चोदने लगे. मैं मस्ती में चुदने लगी और सर भी जैसे घोड़े बन गये थे. लंड उनका रुक ही नहीं रहा था.
वे मुझे काफी देर तक लगातार चोदते रहे और फिर एकदम से मेरे ऊपर निढाल हो गये. मैं चुद कर खुश हो गयी. वो मेरे ऊपर पड़े रहे और मैं उनको सहलाती रही.
मेरी हालत अब किसी रूम को देखने की नहीं थी। मैंने सर से कह दिया कि मैं अब रूम देखने की हालत में नहीं हूं. इससे अच्छा आप मुझे यहीं पर एक बार फिर से चोद लो.
वो बोले- तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारा रूम अपने रूम के पास ही लूंगा ताकि जब मन करे तुम्हारी चूत को प्यार कर सकूं.
मैं बोली- अब तो आपकी रखैल है ये चूत, जब मन करे चोद देना इसे. इतना मस्त लंड मिल गया है इसे कि ये अब किसी और का नहीं लेगी. मैंने सर को आंख मारी और एक जोरदार चुम्मा दिया.
वो बोले- आप अभी आराम करो, मैं सुबह आपको कॉल करूंगा. मेरे साथ ही चलना। मैं रात को आऊंगा आपके पास। तब तक आप आराम करो।
शाम को सर आए, मेरा सारा सामान लिया और अपने रूम के सामने वाली बिल्डिंग में रूम दिलवा दिया और साथ ही साथ मेरी एक बार और चुदायी की।
मैं बहुत खुश थी.
अगले दिन सर ने मुझे कॉल किया और हमने थोड़ी हवस भरी बातें की और हम गाड़ी से कंपनी चले गए.
धीरे धीरे हम दोनों में प्यार भी हो गया। हमने एक ही रूम में शिफ्ट कर लिया और अच्छे से रहने लगे. मैं अब उन्हें सर बोलने की बजाय नाम लेकर बुलाने लगी थी.
एक दिन मैं उनके ऑफिस काम से गई तो उन्होंने मुझे वहीं कमर में हाथ डालकर किस करना शुरू कर दिया. मैंने उनको टोका भी लेकिन वो माने नहीं कि तभी हमारे कंपनी के मुख्य अधिकारी भी आ गये.
उन्होंने हमें हॉट ऑफिस सेक्स करते रंगे हाथ पकड़ लिया और हम दोनों ने उनसे सॉरी कहा और बोला कि आगे से कभी ऐसा नहीं होगा। मगर वो माने नहीं. उन्होंने सर को बाहर भेज दिया.
उनके जाने के बाद वो बोले- अगर मैं चाहूं तो तुम दोनों को अभी निकाल दूं लेकिन एक मौका देता हूं. अगर तुम चाहो तो दोनों की नौकरी बचा सकती हो.
मैं बोली- वो कैसे सर? वो बोले- अभी कंपनी के सीनियर अधिकारी आयेंगे. मेरे से एक गलती हो गई है. अगर तुम उन्हें खुश कर दो तो मैं तुम दोनों को नहीं निकालूंगा बल्कि तुम दोनों की तनख्वाह और बढ़ा दूंगा. अब फैसला तुम्हारे हाथ में है.
मरता क्या नहीं करता … मुझे भी जवाब में हां कहना ही पड़ा। वो बोले- ठीक है, जल्दी से जाकर तैयार हो लो, जैसे सजना है सज लो लेकिन वो सर खुश हो जायें ऐसा कुछ कर दो।
मैं बोली- सर कल ही पार्लर गयी थी. सब तैयारी पूरी है. वो भी इस बात पर हंस दिये और फिर मुझे अपने साथ ले गये.
कुछ देर में बड़े अधिकारी आ गए और हमारे हेड को डांटने लगे.
थोड़ी देर तक ये सब चला फिर मुझे अन्दर बुलाया गया. वहां 4-5 लोग बैठे थे. सबकी उम्र 45-50 की थी.
मैं देख कर डर गई कि क्या इतने लोगों से चुदना पड़ेगा?
मगर मैं कुछ बोल नहीं सकती थी क्योंकि मेरे बॉस करन की नौकरी का सवाल था. उन्होंने मुझे बोला- टेबल पर खड़ी हो जाओ.
मैं टेबल पर खड़ी हो गई। वो बोले- सारे कपड़े उतारो। मैं चुपचाप सारे कपड़े उतारने लगी. अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी.
वो बोले- ये ब्रा और पैंटी तुम्हारी अपनी कमाई से है ना? मैं- हां सर! वो बोले- और वो रूपये कंपनी ने ही दिये हैं तुम्हें, है ना? मैं- हां सर।
उन्होंने कहा- तो इनको भी उतारो. अपने मुंह में दबाकर लाओ और मुझे दो। मैं टेबल पर खड़ी थी तो मुझे एक जानवर की तरह चलकर उनके पास जाना पड़ा और मुंह आगे कर दिया.
वो हंसते हुए मेरे बूब्स का मुआयना करने लगे और बोले- ये पैंटी जब तक मैं ना कहूं बाहर ना आ जाये. मैंने हां में सिर हिला दिया.
धीरे धीरे सब मेरे ऊपर हाथ फेरने लगे.
कोई मेरी चूत में उंगली करता कोई गांड में। कोई बूब्स दबाता तो कोई चूतड़।
इतने में उन अधिकारी ने अपना लन्ड मेरे मुंह में दे दिया और मुझे वो गंदा सा लंड चूसना ही पड़ा.
कोई मेरी चूत चाटने लगा. कोई मेरे निप्पल मसलने लगा.
मुझे दर्द हो रहा था. मगर मजबूरी थी मेरी और मैं मना नहीं कर सकती थी.
उन सब ने मेरी बारी बारी से चूत मारी, गांड मारी, मुंह चोदा और साथ ही मेरी रिकॉर्डिंग भी कर ली.
जब सब थक गए तो मुझसे कहा- अब हमें नाच के दिखाओ.
मैं नंगी ही टेबल पर नाचने लगी. सब मेरी वीडियो बनाने लगे. मेरी चूत से और गांड से पानी निकाल रहा था. अब सब मजे ले रहे थे. मेरे पैरों में बिल्कुल जान बाकी नहीं थी।
फिर उन्होंने बोला कि अगर तुम रुकी तो हम सब तुम्हें एक बार और चोदेंगे, वो भी अच्छे से।
मैं डर गई और वो एक के बाद एक गाना लगाते ही जा रहे थे.
अंत में आकर में बैठ ही गई। वो सब मुझे देख कर हंसने लगे. मैं अपना चेहरा नीचे झुकाए बैठी रही और सोचने लगी कि कहां फस गई हूं, मगर चुदाई में मुझे भी मजा आता था.
फिर उन्होंने मुझे गोदी में उठाया और मेरी चूत अपने लंड पर सेट की और वो मेरे वज़न से अंदर चला गया और मेरी जान निकल गयी।
वो मुझे ऐसे ही लेकर सोफे पर लेट गए और जोर जोर से चोदने लगे.
तभी अचानक किसी ने मेरी गांड में लंड दिया और मैं तड़प उठी. मैं कुछ आवाज़ कर पाती तब तक एक ने मेरे मुंह में अपना पूरा लंड दे दिया. मेरे तीनों छेद चुद रहे थे. मैं करीब ऐसे ही 2 घंटे तक चुदती रही और मेरी पूरी जान निकल गई।
फिर सब ने कपड़े पहने। जब मैं पहनने लगी तो एक ने मेरी ब्रा और एक ने पैंटी रख ली और उसे सूंघने लगे। मैंने मजबूरी में जींस और शर्ट पहनी जिसकी वजह मेरे बूब्स बहुत हिल रहे थे.
तो हेड ने बोला- चलो आज का काम हो गया, तुम्हें मैं घर छोड़ देता हूं. आराम कर लेना. रास्ते में जाते जाते उन्होंने मुझे एक दर्द कम करने की दवाई और दी, और जैसे ही हम घर पहुंचे उन्होंने बोला- तुम्हारी तनख्वाह बढ़ा दी जाएगी और करन की भी।
मैं बहुत खुश थी मगर दर्द के मारे मेरा शरीर टूट रहा था तो मैं चुपचाप रूम में गई और बेहोशी की हालत में गिर कर सो गयी.
रात को करन ने मुझे उठाया और बताया कि हेड ने उसे सब बता दिया है कि आज क्या क्या हुआ।
उसने बोला- हम दोनों ये नौकरी छोड़ देंगे, अब यहां नहीं रहेंगे. मैं बोली- इतना दर्द झेलने के बाद क्यों जाना, अब तो हमारी तनख्वाह भी बढ़ जाएगी. उसके बाद ही चलेंगे हम दोनों! उसने भी समझदारी दिखाते हुए हां कह दिया.
मगर हेड ने चुदाई का खेल और ज्यादा बढ़ा दिया. जब भी हेड से कुछ गलत होता तो वो मुझे चुदवाने के लिए भेज देता था.
ऐसे ही करते करते मैं अपने सारे अधिकारियों से चुद गई थी। वो सब भी मेरी चूत के दीवाने हो गए थे. लगभग हर कोई मुझे बहुत सारे रुपए देकर जाता था.
मुझे भी अब हॉट ऑफिस सेक्स की आदत हो गयी लेकिन करन को ये बात पसंद नहीं आयी. वो नौकरी छोड़कर चला गया. मगर उसके जाने के बाद भी मैं चुदती ही रही.
धीरे धीरे साल भर में मेरे पास बहुत पैसा इकट्ठा हो गया.
मुझे चोदने वाले सब अमीर लोग थे. उनके तोहफे भी महंगे होते थे. चुदने के कारण मेरे बूब्स 38 के हो गये और गांड भी काफी भारी हो गयी और मैं जैसे रंडी ही लगने लगी.
उसके कुछ समय बाद मैंने नौकरी छोड़ी और अपना रेस्तरां खोल लिया. मैं शहर चली गयी और मेरा काम चल निकला. अभी भी मैं कभी कभी किसी अमीर क्लाइंट के पास चुदने चली जाती हूं.
तो आपको मेरी हॉट ऑफिस सेक्स स्टोरी कैसी लगी मुझे जरूर बताना. मेरी ईमेल पर मैसेज करें और कमेंट्स में भी बतायें. [email protected]
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