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मैं हिमाचल का रहने वाला हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी भाभी की है।
जब भाभी मेरे चचेरे भाई से शादी करके हमारे घर आई थीं.. तब मैं 18 का था। मेरी भाभी एकदम हसीन माल थीं.. उनका 26-36-34 का फिगर था। यूं लगता था कि भगवान ने भी फुर्सत में बनाया है।
मुझ पर नई-नई जवानी आई थी और लंड था कि बैठने का नाम ही नहीं लेता था। मैंने भाभी को याद करके बहुत बार मुठ मारी थी।
मेरे चचेरे भाई सरकारी जॉब करते हैं.. तो उनका 8 से 5 का टाइम था परन्तु काम ज्यादा होने की वजह से देर रात घर आते थे। मेरा और उनका घर बगल-बगल में ही था।
मैंने बहुत कोशिश की.. परंतु भाभी थीं कि मुझे घास ही नहीं डालती थीं। भाभी को देख देख कर मुठ मारते हुए 4 साल बीत गए। उनके 2 बच्चे भी हो गए.. परन्तु मेरा दिल उनको चोदने के लिए बेताब था। मेरी भाभी उस समय 28 साल की थीं और मैं 22 का था।
एक दिन क्या हुआ कि मैं कॉलेज से वापिस आया.. तो भाभी के घर चला गया। वो उस समय अपने बेटे को अपने चूचों से दूध पिला रही थीं।
जैसे ही मैं भाभी के कमरे में अन्दर गया.. मैंने देखा कि उनका बेटा सो गया है।
मुझे देखते ही भाभी मुस्कुरा कर बोलीं- आ गए कॉलेज से.. और उन्होंने ज़ोर की एक अंगड़ाई ली और अपनी ब्रा को ऊपर करते हुए अपने चूचे दिखा दिए।
भाभी के तने हुए चूचे देख कर मेरा तो लंड तन कर खड़ा हो गया।
मैं सोच रहा था कि अभी पकड़ कर साली को चोद दूँ परन्तु उस वक्त उनके ससुर घर पर थे.. तो मेरी हिम्मत नहीं हुई।
एक दिन की बात है भाभी को कहीं जाने के लिए तैयार होना था। मुझे पता था कि वो शॉपिंग के लिए जा रही हैं।
पहले उन्होंने बाहर से अपने कपड़े उठाए.. जो धोने के बाद सूखने के लिए डाले थे और अन्दर चली गईं। मुझे ये सही मौका लगा क्योंकि उस दिन उनके घर में कोई नहीं था।
मुझे एक उपाय सूझा। हमारे घर पर उनका एक गिलास रह गया था। मैं उसको देने के बहाने जल्दी-जल्दी भाभी के घर गया और बिना नॉक किए उनके कमरे में घुस गया।
उस समय भाभी ब्रा पहन रही थीं, मुझे देख कर उनके होश उड़ गए। मैं दरवाजे पर खड़ा होकर उनके नंगे जिस्म को देख रहा था। शायद भगवान भी होते तो नज़र ना हटा पाते।
तभी भाभी ने कहा- बाहर जाओ। वो उस समय सलवार और ब्रा में थीं। परन्तु मैं नहीं माना और उनके पास जाकर उनके चूचे पकड़ कर दबा दिए।
भाभी एकदम से घबरा गईं।
मेरा लण्ड खड़ा-खड़ा फटा जा रहा था।
दोस्तो, जिसने पहली बार चुदाई ऐसे की होगी.. उनको मेरी हालत का अंदाजा हो रहा होगा।
मैंने कुछ नहीं सुना और उनके चूचे बहुत ज़ोर से दबा दिए.. जिससे भाभी की चीख निकल गई।
उसके बाद मैंने उनको वैसे ही बिस्तर पर गिरा दिया। भाभी मेरा विरोध कर रही थीं.. परंतु मैं माना नहीं। मैंने उनकी ब्रा फाड़ दी।
तभी अचानक भाभी ने नाटक करना खत्म कर दिया और हँस कर बोलीं- साले.. आराम से कर.. लूट का माल समझ रखा है क्या..
मेरी जान में जान आई कि चलो साली हाथ में तो आई.. अब इसकी चूत की चुदाई करने का मजा आएगा।
तब भाभी ने कहा- ठीक है.. मैं सिर्फ़ एक बार तुमसे चुदवाऊँगी.. और आज के बाद कभी तुम मुझे हाथ नहीं लगाओगे। मैंने कहा- ठीक है.. आज तो चुदो मेरी भाभी जान!
भाभी ने अपनी फटी ब्रा चूचों से हटा ली और बोलीं- ले साले अब चूस.. जितना चूस सकता है। साथ ही अपनी सलवार खोल दी और बोलीं- आज मैं भी देखती हूँ.. तेरी गाण्ड में कितना दम है।
मैंने बोला- भाभी साली, अगर तेरी चीखें ना निकलवा दीं.. तो मेरा नाम बदल देना।
मैंने भाभी के चूचे चूसने शुरू किए और उनकी रस भरी आवाजों से मुझे समझ में आ गया कि साली की जान इसके चूचों में है।
भाभी बार-बार बोले जा रही थी- आह्ह.. और चूस.. आज पी ले मेरा दूध.. बहुत देखता है तू इनको. ले.. चूस हरामी।
उसके बाद मैंने भाभी की पैन्टी उतारी और चूत को चूसने लगा।
चूत पर मेरी जीभ लगते ही वो साली ऐसे उछली.. जैसे बिन पानी मछली हो। तब उन्होंने कहा- मेरे राजा.. जरा हम भी तो देखें तुम्हारा आइटम।
ये कहते हुए उन्होंने मेरी पैन्ट और अंडरवियर को उतार दिया। मेरा कड़क लौड़ा देख कर तो उनको पहले तो कुछ नहीं हुआ लेकिन लौड़े की मोटाई देख कर उनकी फट गई।
भाभी ने झट से लंड को मुँह में ले लिया। ये मेरा पहला अवसर था जब कोई पहली बार लौड़ा मुँह में ले रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
अब हम दोनों 69 की स्थिति में हो गए थे। थोड़ी देर बाद वो मेरे मुँह में झड़ गईं और मेरा भी होने वाला था। मैंने उनको बोला.. उन्होंने मेरा लंड बाहर पकड़ कर मुठ मारी और अपनी चूचियों में सारा रस निचोड़ लिया।
उसके बाद हम दोनों चिपक कर एक हो गए। थोड़ी देर की चूमा-चाटी के बाद मेरा हथियार फिर से खड़ा हो गया।
उन्होंने अपनी चूत फैला दी और बोलीं- आ जा देख.. तू अपनी भाभी चोद.. तेरी तो आज मैं माँ चोद दूँगी। मैंने भी बोला- देखते हैं किसकी माँ चुदती है।
मैंने उनकी चूत में पूरा लंड एक ही बार ठोक दिया, भाभी की फट के हाथ में आ गई।
वो दर्द से भर के बोलीं- ओह्ह.. तेरे भाई का लंबा तो है.. लेकिन तेरे जैसा मोटा नहीं है.. तू प्लीज़ आराम से कर।
मैंने भाभी के होंठ चूमे और धीरे-धीरे डालने लगा। कुछ देर बाद वो बोलीं- अब ज़ोर-ज़ोर से चोद।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और उन्होंने उछल-उछल कर मेरा लंड अपनी मस्त चूत में लिया।
उस दिन भाभी मेरे से चुदवाते हुए 3 बार झड़ी थीं।
चुदाई के बाद हम एक-दूसरे को ऐसे ही लिपटे हुए पड़े रहे। उन्होंने कहा- अब तुम अपने घर जाओ।
मैं उनको दूसरी बार चोदना चाहता था परंतु उनको किसी के साथ शॉपिंग पर जाना था.. तो मैं चला गया।
उसके बाद मैंने उनको कई बार पकड़ने की ओर चोदने की कोशिश की.. परंतु उन्होंने कहा- मैंने पहले ही कहा था, मैं तेरे से एक बार ही चुदना चाहती हूँ।
मैंने भी ज्यादा ज़ोर नहीं दिया क्योंकि सेक्स में तभी मजा आता है, जब आग दोनों तरफ से लगी हो।
मैं तो आज भी प्यासा हूँ। मुझे मेल करें.. मेरी यह पहली कहानी थी.. आपको कैसे लगी.. मेल करके बताइएगा। [email protected]
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