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मेरा नाम लव है, मैं अन्तर्वासना का एक लंबे समय से पाठक हूँ। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरे साथ भी ऐसा होगा और मैं भी कभी कोई कहानी पोस्ट करूँगा।
दोस्तो यह बिल्कुल सच्ची कहानी है। बात आज से 6 महीने पहले की है जब मैं एक एग्जाम देने उज्जैन से भोपाल जा रहा था। मेरा ट्रेन में थर्ड एसी में रिज़र्वेशन था.. रात का सफ़र था।
मैं एक बहुत ही प्रसिद्ध जगह पर काम करता हूँ.. उधर का नाम नहीं लेना चाहता हूँ। काम के चलते मैं हमेशा अपने साथ लैपटॉप रखता हूँ।
चूंकि शाम की ट्रेन थी.. इन दिनों जनवरी की सर्दी भी थी। ट्रेन चली और अभी थोड़ी दूर चली ही थी कि एक लड़की जिसका नाम श्रेया (बदला हुआ नाम) था.. वो मेरे डब्बे में आई। उस वक्त मैं लैपटॉप पर अपने ऑफिस से संबधित कुछ काम कर रहा था।
वो बोली- क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ। मैंने कहा- ये थर्ड एसी है.. आगे चलकर कहीं आपको दिक्कत न हो। उसने कहा- वो मैं मैनेज कर लूँगी।
मैंने उसे ‘हाँ’ किया.. तो वो मेरे पास आकर बैठ गई। फिर हम दोनों ने बात करना शुरू कर दिया, एक-दूसरे ने परिचय दिया। उससे पता चला कि हम दोनों एक ही परीक्षा देने जा रहे हैं। हमारी बातें होती रहीं.. हम दोनों ने बातों में दोस्ती भी कर ली.. एक-दूसरे के नंबर भी ले लिए।
फिर उसने मुझसे पूछा- क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने हँस कर कहा- हाँ अभी-अभी बनाई है। उसने कहा- कौन? मैंने कहा- आप..
तो वो हँसने लगी और फिर हमने साथ ख़ाना खाया और बातें करने लगे।
फिर मैंने चादर ओढ़ ली.. रात हो चुकी थी। सब लाइटें भी बंद हो चुकी थीं और सब सो गए थे।
फिर उसने कहा- सही बताओ ना.. है या नहीं। मैंने कहा- थी.. पर हम अब साथ नहीं हैं.. हमारा ब्रेकअप हो गया है। फिर वो धीरे से मेरे पास आई और बोली- लैपटॉप पर कुछ और लगाओ ना यार.. मूवी या सॉंग.. मैंने ‘1920 ईविल रिटर्न’ मूवी लगा दी।
इतने में टीटी आ गया। वो हँस कर बोली- अब हमारे ब्रेकअप का समय आ गया। मैंने कहा- चिंता मत करो.. इसे मैं संभालता हूँ.. बस तुम ग़लत मत समझना। टीटी आया और कहा- इनका टिकट कहाँ है? मैंने कहा- ये मेरी पत्नी हैं और जल्दी में इनका टिकट हो नहीं पाया था.. तो कृपया आप एडजस्ट कर लीजिए।
मैंने उससे निवेदन किया और अपना परिचय पत्र दिखाया.. साथ ही उसको पटा लिया। वो मान गया और चला गया।
वो बोली- तुम तो बहुत चालाक हो.. एक पल में उसे बेवकूफ़ बना दिया। अब वो थोड़ा और पास आकर बैठ गई और मुझसे चिपक कर मूवी देखने लगी।
मैंने चादर ओढ़ रखी थी, मैंने कहा- आप बुरा ना माने.. तो आप भी थोड़ा चादर अपने ऊपर डाल सकती हैं। वो मान गई और उसने कहा- ओके.. ठंड सी तो लग रही है।
फिर हम दोनों मूवी देखने लगे.. तभी एक सॉंग में चुम्बन का सीन आया तो मैं उसे आगे बढ़ाने लगा।
उसने कहा- चलने दो यार..
मैं मान गया.. हम दोनों चुम्बन का सीन देखने लगे। मेरा लंड तन गया था.. ऊपर से वो भी मेरे साथ चादर में थी।
तभी उसका हाथ अचानक मेरे लंड से टकरा गया, मेरे सारे बदन में बिजली दौड़ गई।
उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराने लगी। फिर मुझे लगा कि शायद वो भी यही चाहती है। मैं चैक करने के लिए उससे थोड़ा और सट गया और धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया।
उसने ऐतराज नहीं किया और वो भी मुझसे सट गई। फिर क्या था मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने धीरे से उसके गाल पर चुम्बन कर दिया।
उसने भी उसी अंदाज में मुझे किस करके उसका जवाब दिया। फिर मैंने उसके होंठों को चूम लिया, वो भी मेरा साथ देने लगी।
हम एक-दूसरे को चूसने लगे। क्या मस्त रसीले होंठ थे यार उसके.. बिल्कुल शहद की तरह मीठे..
फिर हम एक-दूसरे को जुबान चूसने लगे और मैंने अपना एक हाथ उसके बोबों पर रख दिया और दबाने लगा। उसने भी चूचे उठा दिए।
अब तो मैं उसकी कुरती में हाथ डालकर उसके बोबे दबाने लगा। वो भी अपने हाथों से मेरे गालों को सहला रही थी।
पूरे दस मिनट हम दोनों ने किस किया। इतने में ही उसकी चूत गीली हो चुकी थी। अब वो मेरे लंड को दबा रही थी.. मेरा भी पानी आ गया था।
फिर मैं उसके बोबे चादर के अन्दर से मसलने लगा.. वो मेरे सीने पर अपना सिर रखकर लेट गई और अपनी लाइफ के बारे में बताने लगी कि कैसे उसके ब्वॉयफ्रेंड ने उसे प्यार किया.. उसके सात सेक्स किया और छोड़ दिया।
तभी मैंने उससे प्यार का इज़हार किया और उसने भी ‘हाँ’ कर दी।
यूं ही प्रेमालाप चलता रहा.. समय का पता ही नहीं चला।
फिर थोड़ी देर में भोपाल आ गया। हम एक-दूसरे का हाथ पकड़कर स्टेशन से बाहर आए और ऑटो में बैठे और ऑटो वाले से जहाँ हमारा परीक्षा केंद्र था.. वहाँ पास में कोई होटल में ले चलने को कहा।
हमे पिपलानी जाना था। ऑटो वाले ने हमें एक होटल के सामने छोड़ दिया।
यह होटल काफी बड़ा था। हम वहाँ गए और एक डीलक्स रूम बुक कराया। हम दोनों ने परिचय में एक-दूसरे को पति-पत्नी बताया और कमरे में दाखिल हुए।
फिर वहाँ हमने एक-दूसरे को गले से लगाया और किस किया, मैंने उसे अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर लेटाया।
वो बोली- ओह लव.. थोड़ा सब्र करो.. मैं कहाँ भागी जा रही हूँ.. तुम बहुत फास्ट हो यार.. पहले मुझे फ्रेश होने दो।
वो मुझे धक्का देकर बाथरूम में चली गई और पाँच मिनट में सिर्फ़ समीज़ में मेरे सामने आई।
मैंने कहा- जान.. अब मत सताओ.. अभी आओ ना।
वो मेरे पास आई.. मैंने उसे खींच लिया और चूमने लगा। मुझे होंठों को चूमना बहुत पसंद है। हम एक-दूसरे को पूरे जोश से चूम रहे थे।
उसने मेरे बदन से मेरा लोवर और मेरी टी-शर्ट अलग की। अब मैं बस चड्डी में था।
वो मेरे ऊपर आकर मुझे चूम रही थी, तभी मैंने उसकी समीज़ उतार दी।
अब वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में मेरे ऊपर थी। मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी भी उतार दी। वो मुझे ‘लव मेरी जान’ कह रही थी। मैंने अपनी चड्डी उतार दी। मैं यह तो नहीं कहूँगा कि मेरा लंड बहुत लम्बा और मोटा है बस इतना बड़ा है जो सेक्स के लिए आवश्यक होना चाहिए।
फिर मैंने उसे नीचे किया और उसके बोबे चूसने लगा और दबाने लगा। वो मस्त होने लगी तो इसी तरह मैं उसके पेट को चूमने लगा.. फिर उसकी नाभि को चूमा। फिर धीरे से उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। उसकी चूत साँवली सी थी।
मैं फ़ोरप्ले करने में एक बार झड़ चुका था और वो भी अपना पानी छोड़ चुकी थी। इसका एहसास हम दोनों को तब हुआ जब मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाया।
वो ‘ओह मेरी जान.. ओह ओह..’ की आवाज़ निकाल रही थी। वो मेरे ऊपर आई और मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी और वो अपनी जुबान मेरे मुँह में घुमाने लगी। मेरा लंड उसके हाथ का स्पर्श पाकर फिर से खड़ा हो गया।
मैंने वक्त को जाया ना करते हुए उसको अपने नीचे किया और उसकी टांगों को खोल दिया। वो बोलने लगी- ओह लव मेरी जान.. कम ऑन..
मैंने अपने लंड के टॉप को उसकी चूत पर रखा। वो पहले से ही चुद चुकी थी.. इसलिए मुझे ज़्यादा दिक्कत नहीं हुई। ऊपर से उसकी चूत गीली भी थी तो ‘सर्रर..’ से मेरा लंड उसकी चूत में एक ही धक्के में आधे से ज़्यादा घुस गया। उसके मुँह से ‘आह..’ की आवाज़ निकली और दूसरे धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया।
फिर वो थोड़ा ‘आऊच’ करके चिल्लाई और ‘आह.. आह..’ करने लगी।
मैंने उसे चोदने के लिए इशारे में पूछा.. तो उसने सिर हिला कर अपना ‘हाँ’ में जवाब दे दिया। अब मैं धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा। वो वो ‘इसस्स्स्स..’ की आवाज़ निकालने लगी।
फिर क्या था.. मैंने अपने स्पीड तेज कर दी.. वो ‘आ आ.. इस्स.. ओह..’ मादक आवाजें निकाल रही थी। ‘फक मी.. हार्ड.. फक मी जानू.. ओह.. मजा आ गया।’
कुछ मिनट चोदने के बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गए, उसकी चूत मेरे पानी से भर गई। थोड़ी देर हम ऐसे ही एक-दूसरे को बांहों में लेकर पड़े रहे।
वो मुझसे कहने लगी- लव सब कुछ कितना जल्दी हो गया ना.. जैसे सपने में होता है.. प्लीज़ मेरी लाइफ से चले मत जाना।
मैंने कहा- जानू अभी तो हम मिले हो.. जुदाई की बात मत कहो।
मैंने उसे चूम लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। साथ ही मैं उसकी ज़ीभ को भी चूसने लगा।
वो अपने हाथों से मेरी पीठ और मेरे बाल सहलाने लगी और मुझे ‘आई लव यू’ बोलने लगी।
कुछ पल उसकी चूत को सहलाने में मेरा लंड फिर से कड़क हो गया और वो उस को और हिलाने लगी।
मैंने फिर से लण्ड को उसकी चूत में पेल दिया। इस बार हमने लंबी चुदाई की और फिर से निढाल होकर बेड पर गिर गए। एसी रूम था और हम दोनों पसीने में तर होकर हाँफ़ रहे थे और एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
अब मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया। वो मेरी छाती को सहलाने लगी और ‘लव यू लव’ कहने लगी। फिर पता ही नहीं चला.. कब हमारी नींद लग गई और जब नींद खुली तो सुबह के दस बज चुके थे।
जैसे ही टाइम देखा तो हम दोनों जोरों से हँसने लगे और मैं कहने लगा- परीक्षा देने आए थे और यहाँ पड़े हैं। फिर हमने साथ में नहाया.. नाश्ता और चाय ली।
अब परीक्षा का समय तो निकल गया था तो हमने भोपाल में घूमने का प्रोग्राम बनाया। हम झील घूमे.. माल में घूमे मूवी देखी.. और मूवी में एक-दूसरे के साथ चूमाचाटी की।
मैंने उससे कहा- अब क्या प्रोग्राम है? उसने कहा- जो आप कहो जान। मैंने कहा- कहीं बाहर चलें मस्ती करने..
वो मान गई.. क्योंकि वो उज्जैन में हॉस्टल में रहती थी। उसने वहाँ फोन किया और बोली- मेरी तबियत खराब हो गई है.. तो भोपाल में अपने एक रिश्तेदार के यहाँ रुकूँगी।
मैंने भी अपने ऑफिस में फ़ोन पर अपनी छुट्टी आगे 4 दिन और बढ़वा ली।
फिर हम यहाँ से पचमढ़ी के लिए चले गए.. वहाँ मस्ती की। आगे क्या-क्या हुआ.. वो मैं आगे के भाग में बताऊँगा।
दोस्तो मेरी यह पहली कहानी है.. अगर कुछ ग़लती लगी हो.. तो माफ़ करना और अपने विचार मुझे मेरे मेल पर जरूर भेजना।
आपका लव कुमार [email protected]
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