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दोस्तो, मेरी पिछली कहानी मेरे लण्ड की मालकिनमेरे लण्ड की मालकिन आप सबने पढ़ी, और जिस उत्साह के साथ आपने मुझे मेल किये, उसके लिए मैं आप सबका बहुत आभारी हूँ।
एक बार फिर से आपके सामने अपनी नई घटना रखने का प्रयास कर रहा हूँ आशा करता हूँ इस बार भी आप लोग मुझे अपने प्यार की बारिश से सराबोर करेंगे।
आपका ज्यादा समय ना लेते हुए मैं अपनी घटना पर आता हूँ जो हाल फिलहाल की ही है।
आप लोग जानते हैं कि मैं दिल्ली से हूँ, मेरा दवा का काम है तो मेरा आना जाना लगा रहता है, पर मैं जाम से बचने के लिए मेट्रो ही इस्तेमाल करता हूँ। हाल ही में आप लोगों ने सुना होगा कि दिल्ली में बारिश की वजह से जगह जगह जाम लगा हुआ था तो मैंने जाम और बारिश से बचने के लिए एक बार फिर से मेट्रो का सहारा लेना सही समझा।
मैंने मेट्रो में एंट्री की और एक किनारे जगह देख कर खड़ा हो गया, एक दो स्टेशन बाद मेरे पास वाली सीट जो महिलाओं के लिए थी, वहाँ पर एक आदमी बैठा हुआ था। एक महिला अपने बच्चे के साथ आई और महिला सीट पर बैठे हुए आदमी को उठा कर खुद वहाँ बैठ गई। देखने में तो वो महिला किसी अच्छे घर की लग रही थी पर उसका चेहरा देख कर लग रहा था जैसे वो कुछ उदास सी है।
पर अगर उसकी उदासी न देखते हुए उसके शरीर पर नज़र की जाये तो वो उसका शरीर एकदम कसा हुआ या यूँ कहूँ कि ठोस था, मेरे अंदाज़े के मुताबिक उसका फिगर 34-30-36 का था।
कुछ आगे जा कर जब थोड़ी भीड़ कम हुई तो मैं उसके बगल वाली सीट पर बैठ गया और उसके बच्चे को खिलाने के बहाने उसकी तरफ देखने लगा, उसका बेटा करीब 2-3 साल का था देखने में काफी क्यूट था, मैं उसे खिला रहा था।
इतने में उसका फ़ोन आ गया, वो बात कर रही थी और बात करते करते रोने लगी और फ़ोन काट दिया।
मैंने हिम्मत करते हुए उससे पूछा- सब ठीक तो है? तो उसने जवाब नहीं दिया।
उसको देख कर उसका बेटा भी रोने लगा, मैंने उसके बैठे को मोबाइल दिखने के बहाने अपनी गोद में ले लिया और वो मोबाइल देखने लगा।
कुछ देर बाद जब तो नार्मल हुई तो हमारी बात होनी शुरू हो गई। बातों बातों में उसने बताया कि उसके पति से उसकी लड़ाई हो गई है और वो अपने घर जा रही है।
फिर उसने आगे बताया कि उसका पति अक्सर बाहर रहता है और जब भी घर आता है तो शराब पीकर मार पीट करता है।
बात इसी तरह आगे होती रही और उसका बेटा सो गया, मैंने सोचा उसको घर तक छोड़ दूँ, हमने मेट्रो से बाहर निकल कर ऑटो किया, रास्ते में हमने आपस में मोबाइल नम्बर का लेन देन किया, उसको उसके घर तक छोड़ा और अपने काम से चला गया।
एक दो दिन बाद रात के करीब 10 बजे व्टसऐप पर मुझे उसका मैसेज आया, हमने काफी देर तक बात की। उसकी बातों से लग रहा था जैसे वो सेक्स चेट करना चाहती है, धीरे धीरे मैं भी उसकी सोच की तरफ बढ़ता गया जिससे उसको यह ना लगे की मैं भी सेक्स चेट के लिए ही बैठा हूँ।
इस दौरान हमने एक दूसरे के नंगे फोटो भी शेयर करे। उसका नंगा बदन देख कर मुझे तो उसको चोदने की सनक सवार हो गई, उसके बड़े बड़े बूबे देख कर तो मेरा लंड हिचकोले खाने लगा, जैसे तैसे मैंने मुठ मार कर लंड को संभाला और उसकी चूत और बोबे को ज़ूम कर कर के देखता।
खैर उस रात हम दोनों ने मुठ और उंगली कर के ही संतोष किया।
धीरे धीरे हम कॉल कर के सेक्स की बातें करने लगे और फिर हमने मिलने का प्लान बनाया। बताई गई जगह और समय पर मैं पहुँच गया तो वो अब तक नहीं आई थी।
कुछ देर इंतेजार करने के बाद मैंने देखा कि एक टैक्सी आकर वहाँ पर रुकी उसका दरवाजा खुला तो मैंने देखा वो कि वो गुलाबी रंग का टॉप और लॉन्ग स्कर्ट में मेरे सामने थी।
उसको देख के मन किया कि यहीं सबके सामने उसके किस कर दूँ, फिर किसी तरह खुद को कंट्रोल करते हुए उसके पास गया तो उसको देख कर दंग रह गया, उसने अपने साइज से छोटी ब्रा पहन रखी थी जिसकी वजह से उसके बोबे दबे हुए थे और ऊपर की तरफ निकले हुए थे जो की उसके टॉप के गले से साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसके गुलाबी होठ जैसे चूसे जाने के लिए बेताब थे, उसकी पतली कमर जैसे कुतिया बन कर चुदाई करने के लिए ही बनी हो।
हमने कैफेटेरिया में जाकर थोड़ा बहुत खाया पीया पर मैं तो बस उसको देखे जा रहा था, उसको पता था कि मैं क्या देख रहा हूँ फिर भी वो बिना किसी रोक टोक के मुझे देखने की इजाज़त दे रही थी।
मैंने उसको अपने हाथ से खिलाना चाहा तो नहीं मानी फिर एक दो बात कहने पर वो आखिर मान गई, मैंने उसको खिलाया तो उसने भी मुझे अपने हाथों से खिला दिया।
वहाँ से हमने फिल्म देखने का प्लान बनाया जो मेरे लिए बहुत ही मजेदार होने वाला था। हम दोनों अंदर चले गए।
अभी थोड़ा समय बाकी था मूवी शुरू होने में तो लोग आ जा रहे थे जैसे ही आना जाना कम हुआ मैंने उसके हाथों को ज़ोर से पकड़ लिया और दबाने लगा और थोड़ी देर बाद ही मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए।
पहले तो उसने ऐसा न करने का बहाना किया और फिर वो भी जोरों से मेरा साथ देने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे वो कई महीनों से प्यासी हो! होठों के साथ साथ मेरा एक हाथ उसके टॉप में जा चुका था जो अपने काम को अच्छी तरह अंजाम दे रहा था। उसके निप्पल छूने पर वो कभी आआहहह हहहहह कभी आउच जैसी आवाजे,न निकाल कर मेरी कामुकता को और भी बढ़ा रही थी।
अब मेरे होठों ने उसके चूचों को चूसने की इच्छा जताई और मैं झट से उसके फूले हुए चूचे जो अब ब्रा से बाहर आ चुके थे, चूसने लग गया।
उसकी गर्म गर्म सांसों को मैं महसूस कर रहा था, उसकी तेज चलती धड़कनें मुझे साफ़ सुनाई दे रही थी।
मैंने उसका एक हाथ अपनी पैंट में डाल दिया, उसने पता नहीं कब मेरी पैंट पूरी तरह से खोल दी और मेरा एक हाथ उसकी पैंटी के अंदर अपना कमाल दिखा रहा था। ऐसा लग रहा था वो पहले ही पानी छोड़ चुकी है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर भी मैं पूरी मेहनत से लगा हुआ था उसकी जवानी की प्यास बुझाने में! काफी देर तक करने के बाद उससे रहा नहीं गया, अब वो चुदने का मूड बना चुकी थी, पर वहाँ पर चुदाई कर पाना संभव नहीं था तो उसने मुझसे किसी होटल में चलने के लिए कहा।
हमने फिल्म बीच में ही छोड़ दी और होटल की तलाश में निकल पड़े, बाहर आकर टैक्सी की और होटल के लिए निकल पड़े पर कुछ दूर जाने के बाद उसको घर से फ़ोन आया तो उसको घर जाना जरूरी हो गया।
उस दिन तो मेरे लंड पर क्या बीती, मैं शब्दों में नहीं बता सकता पर उसने वादा किया कि वो जल्दी ही दोबारा मिलने आएगी या फिर मुझे अपने घर पर बुलायेगी।
मैंने दिल पर पत्थर रख कर किसी तरह उसको घर के बाहर छोड़ा और घर आकर उसकी भेजी हुई नंगी फोटो को देखता हुआ उसके साथ बिताए हुए पलों को याद करता रहा और एक दो बार मुठ भी मारी।
जैसे है रात हुई, उसने हमेशा को तरह फ़ोन सेक्स के लिए मूड बना लिया। मैं तो दिन से तड़प रहा था पर मैंने उदास होने का नाटक करते हुए उसको मना कर दिया।
उसको एहसास हो गया कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ उसने मुझे बड़े प्यार से समझाया तो मैं मान गया। फिर उसने बताया कि उसके घर वाले एक दो दिन में कहीं बाहर जाने वाले है और वो घर पर अकेले रहेगी तो मुझे मौका मिलेगा जी भर के चुदाई करने का!
अंदर से तो मैं बहुत खुश हुआ पर बातों से उसको पता नहीं चलने दिया।
खैर उस रात भी वीडियो कॉल करके हमने सेक्स का आनन्द लिया। और कर भी क्या सकते थे, अपने ही हाथों से अपनी उम्मीदों का गला घोंटा।
मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतजार था जब वो एकदम नंगी मेरी बाँहों में होगी। उसके लिए मैं इंतजार की घड़ियाँ गिन रहा था।
2-3 दिन तक ऐसे ही चलता रहा हम रोज रात को वीडियो कॉल करके एक दूसरे के अंगों के दर्शन करते।
फिर एक रात मैं उसके कॉल का वेट कर रहा था पर उसका कॉल नहीं आया। काफी देर बाद जब उसने कॉल किया तो पता चला कि घर वाले अभी अभी निकले हैं। समय करीब 11 बजे का रहा होगा, इसी वजह से कॉल करने में देर हो गई।
उसने कहा- कल हम ज़रूर मिलेंगे! पर मेरा लंड और इंतजार करने के लिए राजी ना था तो मैंने उसको बोला- मैं अभी आ रहा हूँ।
वो भी मान गई, आखिर मानती भी कैसे ना… चुदाई की प्यास जितनी मुझे थी उससे कहीं ज्यादा उसको थी।
करीब 12.30 बजे मैं उसके घर के गेट पर था, उसको फोन किया तो वो गेट खोलने के लिये आ गई, मैं तो उसको देखता ही रह गया, उसने एक झीनी सी नाइटी पहन रखी थी जिसमें से उसके टाइट निप्पल जैसे मेरे स्वागत में खड़े हो गए हों।
मन तो किया कि गेट पर ही धर के रगड़ दूँ पर उसने इशारे से अंदर आने को कहा। पूछने पर पता चला कि उसका बेटा सो रहा है और कोई घर पर नहीं है।
बस फिर क्या था, मैं उसके ऊपर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा, उसकी नाइटी उतरी या फटी, मुझे नहीं पता, मैंने तो उसको बाँहों में भरा और वहीं सोफे पर पटक दिया और उसके होठों को चूसने लगा।
वो भी बेताब हुई जा रही थी, उसने भी मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए, पता नहीं कब हम दोनों नंगे हो गये।
कभी मैं उसके गुलाबी होठों को चूसता, कभी कंधों पर काटता तक कभी चूचों को मुँह में भर लेता… क्या रसीले चूचे थे उसके! ऊपर से उसमें मीठा दूध… स्वर्ग जैसा माहौल हो गया था और उस स्वर्ग में उसकी सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी जो हमारे जोश को दो गुना कर रही थी।
जब उसने मेरा लन्ड देखा तो देखती ही रह गई, जैसे किसी बच्चे को उसका मनचाहा खिलौना मिल गया हो, कभी दायें से कभी बायें से देखती और फिर एकदम से लन्ड को मुँह में भर कर चूसने लगी।
क्या बताऊँ दोस्तो, क्या आनन्द आ रहा था! इसका अंदाजा तो वही लगा सकता है जिसने कभी लण्ड चुसवाया हो।
मैं उसके चूचो से खेलता रहा और वो मेरे लन्ड को सुड़प सुड़प कर चूसती रही मानो आज सारा रस पी के ही मानेगी।
अब जब उसका मन लन्ड से भर गया या यूँ कहूँ कि उसकी चूत की आग उसके कंट्रोल से बाहर हो गई तो उसने मुझे सोफे पर लेटने को कहा और खुद मेरा लन्ड पकड़ कर अपनी चूत उस पर टिका कर बैठने लगी पर काफी दिनों से चुदाई न होने की वजह से अंदर जाने में थोड़ा अटक रहा था।
उसकी आँखों में आंसू थे पर दर्द के या ख़ुशी के… मुझे नहीं पता पर वो लगातार लन्ड को अपने अंदर समेटने की कोशिश में लगी हुई थी।
अब मैं एक बार थोड़ा पीछे को हुआ और एक जोर का झटका लगाते हुए आधा लन्ड उसके अंदर घुसा दिया। उसको थोड़ा दर्द हुआ तो उसने रुकने का इशारा किया और फिर गांड हिला हिला कर मजे लेने लगी।
अब मैंने एक और झटका लिया और बचा हुआ लन्ड एक झटके में उसकी कोमल चूत में समा गया। अब की बार उसकी चीख निकल गई पर दर्द में जो मजा उसको मिला उसको बिना एक पल गंवाये उसने एन्जॉय करना शुरू कर दिया। वो नशे में तरह तरह की आवाज़ें निकाल रही थी, कभी वो कहती ‘चोद दे मुझे… कुतिया बना ले अपनी… चूत को फाड़ के बेहाल कर दे आज… आहहह हहहह ओहहह… चोद मुझे फाड़ इस रंडी की चूत को!
उसकी और तरह तरह की गालियाँ इस चुदाई के माहौल को और खूबसूरत बना रही थी।
अब उसको गांड मरवाने को सूझी तो वो कुतिया बन कर मेरे सामने आ गई। मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे लन्ड उसकी गांड में उतार दिया। दर्द तो हुआ उसको पर उस चुदाई की मस्ती के सामने हर दर्द छोटा था।
उसके हिलते हुए चुचो में से कभी कभी तो दूध की बूंदें टपक पड़ती, लन्ड का माल मैं कभी उसके मुंह में निकलता तो कभी उसके रसीली चूचियों पर!
चुदाई का यह खेल पूरी रात चलता रहा! वो कितनी बार चुदी… ना मैंने गिना न उसने! पर उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि वो इस चुदक्कड़ खेल से काफी खुश थी।
दो दिनों में मैंने उसको कई बार चोदा, जब तक उसके घर वाले नहीं आये, मैं उसी के घर पर था और चुदाई के खेल को खेलता रहा। बाद में भी हम कई बार मिले और चुदाई भी की।
आशा करता हूँ इस बार भी आपके लन्ड और चूत को यह सेक्सी चुदाई की घटना पसन्द आई होगी। क्या मैं आपके लन्ड और चूत को सन्तुष्ट करने में सफल रहा? मुझे एक मेल ज़रूर भेजिएगा।
आपके मेल का मुझे इंतजार रहेगा। [email protected]
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