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मेरे मित्र भार्गव की शादी थी और हम सभी दोस्त शादी के लिए उसके गाँव हालियापुर गए हुए थे।
दिल्ली की हॉस्टल में रंगीन मिजाज से रहने वाले लड़के गाँव की लड़कियों को देख के तो जैसे पगला से ही गए थे।
लेकिन उन सब लड़कियों में सबसे भारी पीस था भावना… भावना की उम्र कुछ 21 की थी.. लेकिन उसके बड़े चूचे और खुली और फैली हुई गांड देख कर लगता था कि वो एक बच्चे की माँ है। शादी के मौके में वो लड़की वालों की तरफ से थी।
हालांकि यहाँ लड़की वाले और लड़के वाले के घर में एक मिनट का भी अंतर नहीं था।
गाँव के उटपटांग रिवाजों से मुझे भी काफी फायदा पहुँच रहा था। यहाँ पर लड़की वाले लड़के को मेहंदी लगाने आते हैं और लड़के के दोस्त लड़के को मेहंदी लगाने से रोकते हैं।
इसी खींचा-तानी में मैं अपने हाथ जानबूझ के दो बार भावना के चूचों के ऊपर रख दिए। उसने पहली बार मुझे नहीं देखा.. लेकिन दूसरी बार उसने मेरी ओर देखा, उसे पता चल गया कि मैं क्या कर रहा हूँ।
तीसरी बार तो मेरी हिम्मत कम ही थी.. लेकिन मैं कामदेव का नाम ले कर उसके चूचे पर हाथ रख ही दिया। भावना ने इस बार हँसी से मेरी तरफ देखा। मैं समझ गया कि भाई दाल काली है यहाँ पर.. माल तैयार है।
शादी की रस्में चलती रहीं और इसके साथ ही मेरी और भावना की सैटिंग भी होती रही। पहले तो उसने मुझे अपना मोबाइल नम्बर देने से मना किया लेकिन आखिर उसने मुझे अपना नम्बर दे ही दिया। उसने मुझे बताया कि वो हर महीने अपनी बुआ के यहाँ दिल्ली में आती है।
मैंने उससे कहा- अगली बार जब तुम आओगी.. तो मैं तुमको दिल्ली घुमाऊँगा। उस वक्त तो तो वो हँस कर वहाँ से भाग गई।
मैंने अन्दर भावना के नाम की मुठ मारी और गीली पैन्ट के साथ ही सो गया।
मैं इस देसी लड़की की चूत लेने के लिए बस एक मौके की राह देख रहा था। मौका गाँव में तो मिला नहीं इसलिए मैं अपना बिस्तर पोटला और लाचार लंड ले कर दिल्ली निकल गया।
एक आस बची थी.. क्यूंकि उसका मोबाइल नम्बर अभी भी मेरे पास था।
दिल्ली आकर वही अपनी सिगरेट, किताब और पोर्न मैगज़ीन वाली जिन्दगी में मैं भावना को कब भूल गया.. पता ही नहीं चला।
उसकी पहली याद मुझे तब आई जब उस दिन दोपहर को मेरे मोबाईल के ऊपर उसका नाम आया। जी हाँ.. उसने मुझे कॉल करके बताया कि वो दिल्ली आई है.. अपनी बुआ के वहाँ।
मैंने सोचा कि बेटा कुलदीप चूत सामने से कह रही है.. कि आ लंड मुझे चोद। मैंने उससे पूछा- क्या मुझसे मिलोगी? उसने ‘हाँ’ नहीं कहा.. बल्कि यही कहा- अगर मुमकिन हुआ तो मैं मिलूँगी।
मैंने फट से अपने दोस्त राकेश को फोन लगाया और उसके मयूरगंज वाले कमरे की चाभी मांगी। लड़की ‘मुमकिन हुआ’ कहे.. तो इसका मतलब होता है कि चूत मिलने की सम्भावना ज्यादा है।
भावना को शाम को फोन किया और उसने दूसरे दिन सुबह मुझे अपनी बुआ के घर से दूर बुलाया। जब मैं वहाँ गया तो देखा कि उसके साथ और एक लड़की भी थी।
भावना ने मुझे बताया कि वो उसकी बुआ की बेटी है.. जिसका नाम रूपाली था। रूपाली को अलविदा करके हम लोग पहले तो दिल्ली में खूब घूमे। मैंने उसे चाट खिलाई और मूवी के लिए पूछा। लेकिन शायद वो भी आज स्पेशियल लंड के लिए ही आई थी.. क्यूंकि उसने मुझे मूवी के लिए मना कर दिया।
मैंने उससे कहा- चलो मेरे दोस्त के रूम पर चलते हैं। अगर उसने मना किया होता तो मैं समझ जाता कि उसे नहीं चुदवाना.. लेकिन उसने एक बार झूठ भी ‘ना’ नहीं कहा।
मैं उसे अपनी बाइक पर लेकर कमरे पर आया। राकेश को पहले ही रिक्वेस्ट करके मैंने उसके कमरे से शराब की बोतलें और सिगरेट के बट्स हटा दिए थे।
भावना ने कमरे में बैठते हुए मुझे पूछा- तुम्हारी तो दिल्ली में काफी लड़कियों से सैटिंग होगी? मैंने हँस कर कहा- नहीं.. अब तक तो सिर्फ तुम पर ही दिल आया है।
वो हँस कर मुझे कंधे पर मारने लगी। मैंने भी मौका देख कर उसके साथ मस्ती चालू कर दी।
मैंने उसे कंधे से पकड़ा और पूरा झंझोड़ दिया, उसके भारी चूचे जैसे की हवा में लहरा गए।
उसने मस्ती में तकिया उठा कर मेरे मुँह में दे मारा.. मैंने उठ कर उसे कमर से पकड़ कर बिस्तर पर डाल दिया.. और देखते ही देखते मैंने उसके सेक्सी चूचे अपने हाथ में पकड़ लिए।
एक ‘आह..’ के साथ वो हँस पड़ी। उसने हथियार डाल दिए जैसे कि उसका मकसद मुझसे चूचे पकड़वाने का ही था। उसने बिना हिले हुए चूचों को पकड़वाना जारी रखा।
मेरा लंड इधर मेरी हालत ख़राब किए हुआ था.. मैंने उसके गले पर किस किया और फिर उसके होंठों को अपने होंठ का स्पर्श किया।
मैं कुछ आगे करता.. उसके पहले तो भावना का हाथ मेरे माथे के पीछे आया और इस देसी लड़की ने अपने होंठ से मेरे होंठ लगा दिए। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर में देते हुए उसे बिल्कुल जकड़ लिया और उसे और भी जोर से चूमने लगा।
भावना की साँसें लंबी हो गईं और वो मुझे चूमते चूमते मेरी गर्दन वाले हिस्से में नाख़ून मारने लगी। मैंने उसे कमर के ऊपर से पकड़ा और खड़ा कर दिया।
भावना हल्के रंग की टी-शर्ट और लाल जीन्स पहन कर आई थी। मैंने उसकी टी-शर्ट के गले वाले हिस्से से उसके चूचे दबाये और फिर टी-शर्ट को पूरा ही खोल दिया।
बॉलीवुड की फिल्म की तरह उसने अपने चूचे जो काली ब्रा में छिपे थे.. उन्हें अपने हाथ से ढकने की कोशिश की। मैं उसके दोनों हाथ हटा कर उसकी ब्रा के ऊपर से उसके चूचे दबाने लगा।
भावना भी अब चुदाई के रंग में रंग चुकी थी। मेरे लंड ने भी अब चूत की खुश्बू जैसे की सूंघ ली थी और वो भी बस चूत फाड़ने के लिए बेताब था।
भावना के बड़े चूचे मेरे हाथ में जैसे कि समां ही नहीं रहे थे। भावना अपने चूचे दबवा कर बिस्तर में लेटी हुई थी और मैंने अपने दिमाग में उसकी चूत से अपना बच्चा भी निकाल लिया था।
इस देसी लड़की के कड़े हुए भारी चूचे दबाते हुए मुझे जन्नत की अनुभूति होने लगी थी, अब मेरे से जरा भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने अपना खड़ा लंड निकाल कर उसके सामने रख दिया और उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया।
मेरा लंड बड़ा और मोटा है। मैं यह नहीं कहता कि वो सबसे मोटा है.. लेकिन वो औसत लंड से तो काफी तगड़ा और मोटा है। देसी लड़की ने अपना हाथ आगे करके मेरे लंड को छू लिया।
आह.. मुझे मजा आ गया।
भावना ने फिर से लंड को छुआ और अबकी बार तो उसने लंड के गोलियों को भी अपने हाथ में पकड़ कर खींचा।
वाह.. क्या मजा दे रही थी मुझे यह देसी लड़की..
मैंने अब उसके कपड़े पूरे निकाल दिए और उसे पलंग के ऊपर लिटा दिया। उसने भी अपनी टाँगें फैला कर जैसे मुझे चूत में हस्तक्षेप करने की इजाजत दे दी। मैंने अपना हाथ उसकी कमर के ऊपर से ले कर उसके चूचों तक फेर लिया और फिर चूचों से ले कर चूत की दरार तक जैसे कि एक लकीर सी बना दी।
वाह.. भावना की चूत तो पानी निकाल बैठी थी। उसकी चूत की चिकनाहट मेरे हाथों के ऊपर महसूस हो रही थी। मुझे भावना की चूत का चूसने का बेहद मन हो गया और साथ ही मुझे यह भी इच्छा हो चली कि भावना मेरे लंड को अपने मुँह में भर ले, इसलिए मैंने उसके साथ 69 पोजीशन बना ली।
यह देसी लड़की जैसे कि मेरे लंड को चूसने में थोड़ा कतरा सी रही थी.. लेकिन फिर उसने लंड के ऊपर किस कर दी और हल्के से सुपारा अपने मुँह में ले लिया।
मेरे तनबदन में आग सी दौड़ गई, मैंने भी अपना मुँह चूत की दरार पर लगाया और चूत के होंठों को अपनी दो उंगलियों से खोल दिया। भावना की चूत मस्त लाल लाल थी और क्यूंकि उसके अन्दर से पानी निकल रहा था.. तो ऐसे लग रहा था कि सेब के ऊपर शबनम गिरी हुई है।
मैंने अपनी जबान को जैसे ही चूत के होंठों के ऊपर लगाया देसी लड़की की चूत में 1000 बोल्ट का झटका लगा। उसने जोर से ‘आह..’ कर दी।
मैंने अब जुबान को चूत के अन्दर डाला और उसके होंठों को साइड में धकेलने लगा। भावना ने मेरे लंड को मुँह में आधा ले लिया.. उसकी उंगलियाँ उस वक्त मेरी गोलियों के ऊपर थीं और वो उन्हें हिलाते हुए लंड को चूस रही थी।
यह देसी लड़की मुझे बड़ा सुख दे रही थी.. और मैं भी अपनी तरफ से उसे भरपूर मजा दे देना चाहता था।
भावना ने अब लंड को थोड़ा और अन्दर लिया और अब उसके मुँह में करीब तीन चौथाई लंड घुस चुका था। वो लंड के ऊपर हिल कर उसे अपने मुँह से अन्दर-बाहर कर रही थी जैसे कि वो कैडबरी की केंडी अपने मुँह में ले रही हो।
मैंने अब अपनी जुबान उसकी चूत के पूरे अन्दर तक दे दी और मेरी उंगली से चूत के दाने को मसलने लगा।
जब मैंने चूत के दाने को हाथ लगा कर उसे सहलाया तो इस देसी लड़की से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ। वो छटपटा रही थी और उसने मेरे लौड़े को भी अपने मुँह से बाहर निकाल लिया था।
मैंने अपनी उंगली को चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।
भावना ‘आह.. आह.. ओह..’ करने लगी, वो बोली- आज.. चोद दो मुझे.. प्लीज़ मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है.. आह आह आह.. जल्दी अपना लौड़ा मेरी चूत के अन्दर डालो प्लीज़..
मैं भी तो इसी पॉइंट की तलाश में था.. जब वो अपनी चूत मरवाने के लिए बेताब हो। मैं उठा और उसकी दो टांगों के बीच में जाकर बैठ गया।
भावना ने लौड़े के स्वागत के लिए चूत और भी फैला दी। मैंने अपने लौड़े को हाथ में पकड़ा और भावना की चूत के सुपाड़े के ऊपर सटा दिया।
वो फिर बोली- अब इतना भी ना तड़पाओ प्लीज़.. जल्दी इसे अन्दर डालो.. कब से मेरी चूत इसे मांग रही है। मैंने लौड़े को छेद के ऊपर सैट किया और एक हल्का झटका दे दिया।
देसी लड़की के छेद के अन्दर लंड जाने में इतनी दिक्कत नहीं हुई.. जितना मैंने सोचा था। उसकी योनि शायद पहले से गीली थी इसलिए मेरा लंड फट से करीब आधा उसकी चूत में घुस गया।
भावना की आँखें बंद हो गईं और वो बोली- चोद मुझे.. जोर-जोर से.. फाड़ दो मेरी चूत को आज अपने लौड़े से.. आह्ह..
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और लौड़े की ट्रेन को चूत की पटरी के ऊपर दौड़ाना चालू कर दिया।
भावना भी अपनी गांड को उठा-उठा कर चुदाई का बड़ा मजा ले रही थी। वो अपने मुँह से ‘आह.. ओह.. यस्स्स्स..’ की आवाजें निकाल रही थी और मुझे चोदने के लिए और भी उकसा रही थी।
मैंने भी उसकी चूत का फालूदा बनाने के लिए जैसे कि लंड को उसकी चूत के अन्दर और भी जोर-जोर से पटका। यह देसी लड़की लंड को सही तरह से चूत के अन्दर लेती गई।
ब मेरी इच्छा हो गई कि भावना को कुतिया बना कर पेल दूँ। मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और अभी तो उसकी कमर पे हाथ रखा ही था कि वह अपने आप ही पलट गई। यह होता है अनुभवी लड़की को चोदने का फायदा.. आप को बोलना कम और करना ज्यादा होता है।
मैंने भावना की गांड के पास से अपने लंड को अन्दर की तरफ किया और चूत के छेद में लंड डाल दिया। भावना ‘आह’ कर गई.. क्यूंकि इस पोजीशन में चूत के छेद में लंड सही तरह अन्दर जो जाता है।
अब वो अपनी गांड वापिस हिलाने लगी और मैं भी अपनी कमर हिला-हिला कर उसकी चूत लेने लगा।
दो मिनट की चुदाई के बाद अब भावना के मुँह से झाग जैसा थूक निकलने लगा और वैसा ही झाग उसकी चूत के ऊपर भी जमा हुआ था। मैं जब अपना लंड उसकी चूत से निकालता था.. तो वो सफ़ेद गाढ़ा झाग मुझे साफ़ नजर आ रहा था। मैं समझ गया कि यह देसी लड़की झड़ चुकी थी इसलिए मैंने भी उसकी चूत के अन्दर अपना वीर्य निकालने की योजना बना ली।
सेक्स के नशे में हम दोनों भी कंडोम की अहमियत जैसे भूल ही गए थे। फिर मैंने सोचा कि कहीं पेट फुला लिया इसने.. तो गाँव की बस्ती मेरी गांड मार देगी। यह सोच कर मैंने उसकी चूत से अपना लंड बाहर निकाल लिया।
मैंने अपना लौड़ा अब उसके मुँह के आगे रख दिया और हाथ से उसका मुँह खोल दिया। भावना ने मुँह खोल कर लंड को मुँह में ले लिया।
आह.. वाऊ.. क्या मजा था ऐसा करने में..
भावना अपना मुँह चलाने लगी और मेरा वीर्य 2 मिनट में ही बाहर आ गया।
बेसिन के पास जाकर भावना ने वीर्य में तैर रहे मेरे बच्चों को गटर में बहा दिया। वो नंगी वापस आई और मुझे किस करने लगी।
हमने कपड़े पहने और मैं उसे लेकर पिज्जा खिलाने चला गया। पिज्जा के बाद मैं इस देसी लड़की को वापिस कमरे पर ले कर आ गया।
अभी तो चुदाई का एक और राउंड बाकी था।
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