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नमस्ते दोस्तो.. मैं शुभम एक 21 वर्ष का लड़का हूँ, आप लोगों को अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
पिछले साल से ही मैं दिल्ली में एक आर्मी ऑफिसर के घर में किराये पर रहता हूँ। आर्मी वाले भैया साल में करीब 10 महीने घर पर नहीं रहते, उनकी नई-नवेली दुल्हन बेचारी अकेली ही एक नौकरानी के साथ रहती है। मैं जब यहाँ आया तो दिसम्बर का महीना था। एक तो मैं पहली बार घर से दूर रहने आया था और ऊपर से दिसम्बर में मेरा जन्मदिन होता है.. तो मुझे घर वालों की काफी याद आ रही थी।
इस शहर में नए दोस्तों के अलावा जान-पहचान का कोई न था। यहाँ शिफ्ट होते ही मैंने पाया कि दिल्ली के लोगों की बोलने की टोन थोड़ी अलग है। मैं ठहरा बिहार का लड़का… थोड़ा अजीब तो लग रहा था.. पर क्या करता।
दिन भर पढ़ाई और दोस्तों के बीच ही बीत जाता था। किराए इस घर में सिर्फ रात में सोने जाया करता था और अगली सुबह 10:30 बजे घर से निकल भी जाता था। मेरे वहाँ पहुँचने के दो दिनों बाद आर्मी वाले भैया ड्यूटी पर चले गए।
अगले महीने जब मैं रेंट देने गया तो उनकी बीवी तान्या आई। उसका नाम सुन के ही दिल में कुछ कुछ होने लगता है। गोरा रंग.. पतली कमर.. दुपट्टा कर रखा था.. इसलिए वक्ष का पता नहीं चल रहा था कि कैसे थे.. पर पूरा बदन एकदम मस्त था।
मैंने सोचा कि वक्ष भी ज़रूर मस्त ही होंगे। वो किराए के पैसों का हिसाब एक डायरी में रखती हैं। तो उन्होंने डायरी निकाली और मुझे दे दी।
उन्होंने मुझसे कहा- तुम ही इसमें नोट लिख दो।
मैंने भी लिख दिया.. पर सिग्नेचर तो उनको ही करना था। सिग्नेचर करते वक्त उनका दुपट्टा थोड़ा सा गिर गया। अय.. हय.. क्या बताऊँ.. कमीज के ऊपर से मम्मों के दीदार हो गए.. बस दिमाग कहीं और ही पहुँच गया था। मैंने किसी तरह खुद को संभाला।
उस दिन मैं सिर्फ यही सोचता रहा कि काश कोई गर्ल-फ्रेंड मिल जाती तो मज़ा आ जाता.. अकेलापन भी दूर हो जाता और मेरे लिंग की भी ज़रूरत पूरी हो जाती। पर अपने को कहाँ इतना समय था। बाहर पढ़ने आया था.. लड़की पटाने नहीं। दिल में बस एक इच्छा थी.. सो क्या कर सकता था.. मन मसोस कर रह गया।
फिर अगला महीना आया.. रेंट देने गया। इस बार फिर मैंने डायरी में सब कुछ नोट किया.. उसने सिग्नेचर किए।
जैसे ही मैं जाने लगा.. तान्या ने मुझे रोका- तुम करते क्या हो? ‘जी पढ़ता हूँ.. और थोड़ी मस्ती..’ ‘कैसी मस्ती करते हो?’ ‘बस कुछ दोस्त हैं उन्हीं के साथ..’ ‘कोई गर्ल फ्रेंड?’ ‘अभी तक तो नहीं..’
उसने कहा- मुझे देखो शादी हो गई फिर भी अकेली हूँ। मेरे लिए भी यह शहर नया है.. दिल नहीं लगता। मेरा मन तो कर रहा था कि बोल दूँ कि एक बार बोल तो जान.. सारा दिन तेरे साथ बिताऊँगा। उसने कहा- मुझसे दोस्ती करोगे? मैंने झट से ‘हाँ’ कर दी।
फिर तो दिन पर दिन हमारी दोस्ती बढ़ती गई और हम अपनी बातें एक-दूसरे से शेयर करने लगे। एक दिन उसने मुझे बताया कि वो अभी तक वर्जिन है।
मैं नहीं माना.. तो उसने बताया- सुहागरात को तुम्हारे शेखर भैया ने सेक्स के लिए बहुत कहा था पर मैं डर के मारे मानी ही नहीं थी, मेरी सहेलियों ने मुझे बहुत डरा रखा था कि खून निकलेगा, बहुत दर्द होगा, चीखें निकलेंगी। पर अब मुझे भी सेक्स की इच्छा होने लगी है, जो भी होगा देखा जाएगा। मैंने बताया- आज तक मुझे भी उस सुख की प्राप्ति नहीं हुई है।
यह सुन कर मानो उसका चेहरा खिल उठा। उस रात मैं ठीक से सो नहीं पाया, उसके बदन को छूने की चाह बहुत तेज़ थी।
उसके दो दिन बाद उसने नौकरानी से बोल कर मुझे अपने घर बुलवाया, नौकरानी चली गई। अब घर में हम दोनों अकेले थे।
उसने मुझे बैठने को कहा और अन्दर चली गई। वापिस लौटी तो नाइटी में थी। मैं हैरान हो गया.. मैंने सोचा कि यह आज क्या करने वाली है।
वो मेरे पास आई और मुझे चूमने लगी। मैंने धक्का देकर उसे हटाया तो उसने कहा- मैं पागल हो चुकी हूँ सेक्स के लिए.. ब्लू फ़िमें देख देख कर मेरा दिमाग खराब हो गया है और तुम्हारे अलावा कोई उसे यह सुख नहीं दे सकता।
मैंने भी सोचा कि आज तो इसे अपना कमाल दिखा ही दूँ। बस फिर क्या था.. मैंने अपने कपड़े उतारे और उसे बेड पर ले गया। वहाँ मैंने उसकी नाइटी उतार दी।
अय हय.. क्या हुस्न था.. अन्दर ब्रा और पैन्टी भी नहीं पहनी थी उसने!
मैंने उसे सीधा लेटाया और उसकी चूत चाटने लगा.. बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने तुरंत ही उसे उल्टा होकर लेटने को कहा। वो 69 की स्थिति में घूम गई.. मैंने उसकी चूत में अपना मुँह घुसाया वो सीत्कार करने लगी.. उधर उसने मेरा लौड़ा हाथ में ले लिया और हिलाने लगी।
क्या मस्त मजा आ रहा था।
काफी देर तक उसकी चूत चूसने के बाद वो किलक कर झड़ गई कुछ देर बाद मेरा पानी भी निकल गया।
हम दोनों निढाल हो कर बिस्तर पर पड़े रहे। वो बहुत खुश थी मुझसे आकर लिपट गई। हम दोनों चिपक हुए एक-दूसरे को चूमते रहे। कुछ ही समय में हम दोनों फिर से तैयार हो गए।
अब समय था असली काम चूत चोदने का। मैंने अपना लंड उसकी कुंवारी चूत पर रखा.. तो वो सिहर गई। फिर आराम से धीरे-धीरे लंड अन्दर डालने लगा। उसने मुझे कसके पकड़ लिया और उसकी चीख निकल गई.. पर अभी तो काम शुरू हुआ था।
मैंने चोदना शुरू किया।
‘आह.. आह..’ की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज गया। कुछ मिनट बीतने के बाद भी मैं झड़ नहीं रहा था।
मैंने सोचा कि आज एक बार झड़ जाने के यह चुदाई का काम देर तक चलेगा। कुंवारी चूत से थोड़ा खून भी निकला था.. पर उसे जैसे दर्द ही नहीं हो रहा था। वो और तेज़ चोदने के लिए बोल रही थी। वो तो बहुत खुश थी।
वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी। मैंने गति बढ़ाई तो उसको और मज़ा आने लगा। उसकी एकदम कसी हुई चूत में लंड को काफी मज़ा आ रहा था।
काफी देर की चुदाई के बाद आखिरकार मैं चरम सुख पर पहुँचा और मैंने अपना गर्म वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया।
उसके बाद से हम आए दिन चुदाई करने लगे और मैं अक्सर उसके साथ ही सोने लगा। वो भी खुश रहती है और मैं भी मजा कर रहा हूँ।
आज तक हम लोग कुल 79 बार चुदाई कर चुके हैं और यह सिलसिला अभी यूं ही जारी रहेगा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी ज़रूर बताईएगा। अगली कहानी तक के लिए नमस्ते। [email protected]
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