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अब तक आपने पढ़ा.. मेरी पड़ोसन कामना मेरे साथ सेक्स करने के लिए लगभग राजी हो गई थी.. तब भी मैंने उससे पूछा- सेक्स करेगी? अब आगे..
कहती है- तेरी मर्जी। मैंने कहा- अन्दर क्या-क्या पहने है? वो बोली- क्या-क्या पहनते हैं? मैंने कहा- बता न.. मुझे क्या पता? तो वो बोली- ब्रा एंड पैन्टी।
मैंने उसका साइज़ पूछा तो हँसने लगी, बोली- बेटा बहुत बिगड़ गया है तू। मैं भी हँस दिया- बता न? बोली- ब्रा 34 नम्बर की है और पैन्टी 32 नम्बर की है।
उसके पास जाकर मैंने उसको चूम लिया, मैंने कहा- मेरी गोदी में आ जा। वो उठी और आ गई।
मैं तब सिर्फ बॉक्सर पहने हुए था उसका रंग लाल था और ऊपर सिर्फ टी-शर्ट थी काले रंग की। मेरा सीना उसकी पीठ से चिपका हुआ था और मेरे हाथ उसकी जांघों को केप्री के ऊपर से सहला रहे थे।
पर बेचारा लण्ड उसके चूतड़ों के नीचे दबा हुआ शायद घुटन महसूस कर रहा था.. वो खुले में सांस लेना चाहता था.. इसलिए उसकी गाण्ड में स्पेस ढूँढ रहा था।
अब उसको भी मेरा लण्ड महसूस होने लगा था। मुझे तो पूछो मत इतना मजा आ रहा था। मैंने उसका ग्रीन टॉप और अपनी टी-शर्ट उतार दी।
हे भगवान.. क्या अदभुत अहसास था मेरे नंगे सीने का.. जो उसकी नंगी पीठ से टच हो रहा था। लण्ड पर बैठे-बैठे उसकी पैन्टी का बॉर्डर भी दिखने लगा था.. क्योंकि केप्री और नीचे हो गई थी। वो लाल रंग की ब्रा और लाल रंग की ही पैन्टी पहने हुए थी।
मैंने उसको गोद से उतार दिया। वो साइड में बैठ गई.. मेरा बॉक्सर लण्ड को छुपाने के लिए छोटा पड़ गया था, उसने देखा और उसको ऊपर से दबा दिया।
अब कौन रोक सकता था मेरे को… मैंने उसको धक्का दे कर सोफे पर लिटा दिया, उसके नर्म-नर्म चूचों को दबाने लगा.. उसने आँखें बंद कर लीं। मैंने उसकी लाल ब्रा को ऊपर कर दिया।
वो बोली- रुक, मैं उतार देती हूँ। उसने हाथ ऊपर करे मैंने ब्रा को निकाला।
उसके गुलाबी-गुलाबी निप्पल मेरे होंठों में कैद हो गए.. कभी ये.. कभी वो.. वो ‘आह’ भरने लगी।
धीरे-धीरे मैं उसकी पैन्टी तक पहुँचा.. ऊपर की एक इंच भी जगह ऐसी नहीं छोड़ी.. जो मैंने किस न की हो। उसकी योनि को ऊपर से किस कर दिया, उसने अपनी जांघों में मेरा सर कैद कर लिया।
मैंने कहा- यार पैन्टी उतार न.. तब उसने अपने पैर खोले।
मैंने लाल रंग की पैन्टी को उसके जिस्म से आज़ाद कर दिया। मेरे सामने एक दस में से 8 नम्बर वाली गोरी-चिट्टी लड़की.. जो मेरी दोस्त थी.. अपनी वर्जिन चूत लेकर नंगी पड़ी हुई थी, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, चिकनी चूत थी एकदम!
मैंने कहा- तेरी चूत के बाल कहाँ हैं.. अभी तक निकले नहीं है क्या? वो बोली- यार वो मैंने कल ही हेयर रिमूवर यूज़ लिया था! और उसके बाद वो हँस पड़ी।
उसकी चूत का रंग बाहर से गुलाबी अन्दर से अनार के दाने की तरह लाल हो गया था। मैंने उसकी नंगी चूत को किस करना शुरू किया.. तो इतनी अधिक आवाजें आने लगीं कि कोई घर के अन्दर होता.. तो उसे पता चल जाता कि चुदाई से पहले की ध्वनियाँ निकल रही हैं।
उसकी चूत गीली तो इतनी थी.. कि चाटने के बाद पता लगाना मुश्किल था कि अभी कौन सा हिस्सा चाटा है। करीब-करीब पूरी चूत चाटने के बाद मैं हटा और मैंने उसके गालों पर चुम्बन किया, बोला- कामना, गिव मी अ ब्लो जॉब।
वो उठ खड़ी हुई और घुटनों के बल बैठ गई, मैं सोफे पर पैर नीचे करके बैठ गया, उसने अपनी भोली सी उंगलियों से जैसे ही मेरा बॉक्सर नीचे किया.. मेरा ब्लैक कोबरा जाग गया।
वो हैरत से बोली- कितना काला है तेरा! मैंने कहा- अच्छा.. बड़े लण्ड देख चुकी है तू?
झुंझला कर कहती है- साले थप्पड़ खाएगा तू.. नेट क्या तू ही चलाता है बस? फिर हम दोनों हँस पड़े।
ओह माय गॉड… उसके हाथों में आते ही लण्ड और विकराल होने लगा। वो मेरे बच्चे की ‘हेड स्किन’ को आगे-पीछे करने लगी।
अब मेरा टोपा सुर्ख लाल हो चुका था, वो अपनी उंगलियों से टोपे को छू रही थी.. तो थोड़ा दर्द सा हो रहा था। हालांकि वो गीला था..
पर पता नहीं क्यूँ अचानक उसने हँसना शुरू कर दिया। मैंने कहा- क्या हुआ? कहती है- तेरे इसमें से आँसू निकल रहे हैं। मैं भी हँस दिया।
मैंने कहा- मुँह में कब लेगी? बोली- बड़ी जल्दी है तेरे को.. पहले देख तो लेने दे कैसा होता है ये।
थोड़ी देर में उसने फिर हँसना शुरू कर दिया। फिर मेरे कुछ पूछने से पहले ही बोली- यार ये तो तेरा तीन रंग का है.. नीचे सांवला है.. बीच में काला है और ऊपर लाल है।
मैंने कहा- बेटा इससे पता चलता है कि मैं इंडियन हूँ। हम दोनों फिर से हँसने लगे।
अब जब उसने हँसना बंद किया.. तो मैंने कहा- ले ले यार.. नहीं तो तेरे हाथों से ही पूरा निकल जाएगा। उसने अब मुँह में ले लिया।
भाई मैंने पोर्न देख रखी थी.. तो कहा- यार अच्छे से कर न.. तू तो मुँह में रख कर ही बैठ गई। बोली- कैसे करूँ? मैंने कहा- अपनी जीभ से टोपी की बाउंड्री टच कर.. अन्दर-बाहर कर।
उसके बाद उसके मुँह से जो क़यामत आई.. पूछो मत.. आज तक कोई और वो अहसास दोबारा नहीं जगा पाया। क्या चूस रही थी मेरी कामना.. माय गॉड…
दो-तीन मिनट चूसने के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा। मैंने कहा- मुँह से बाहर निकाल.. नहीं तो तेरे मुँह मैंने सारा माल छोड़ देना है।
मुँह से निकालते-निकालते भी मेरा निकल गया.. वो सुखद अहसास मुझे आज भी है।
थोड़ी देर वो ऐसे ही देखती रही। वो बोली- अब क्या होगा? मैंने कहा- होना क्या है.. फिर से खड़ा होगा.. कोई MLA थोड़ी ही है जो 5 साल लगाएगा।
मैं उठ कर टॉयलेट गया.. लण्ड धोया और नंगा ही आकर सोफे पर बैठ गया। वो मेरे पास आई और मुझे अपनी बांहों में भर लिया। मेरा खड़ा होना शुरू हो गया था। मैं बोला- यार एक मिनट और मुँह में रख ले.. ये खड़ा हो जाएगा।
उसने छोटे बच्चे की तरह मेरा कहना माना, कुछ ही सेकंड में पट्ठा फिर से खड़ा हो गया। मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से बाहर निकाला और उसका हाथ पकड़ कर उसको बिस्तर पर ले आया।
अभी 2.30 बज चुका था। नींद गायब हो चुकी थी.. मेरी कामना बाकी थी।
मैंने कामना को उल्टा लिटाया और उस की गर्दन से लेकर किस करना चालू किया.. पीठ से होता हुआ उसका चूतड़ों के ऊपर किस करता हुआ.. उसकी गाण्ड के सांवले छेद को देखता हुआ उसके पैरों तक को चाट डाला।
मैंने कामना से कहा- यार चूत चाटने का मन कर रहा है। तो वो कुछ नहीं बोली.. सीधे पलटकर अपनी टाँगें खोल कर बोली- तुमको गन्दा नहीं लगता ये चाटते हुए? मैंने कहा- क्यूँ?
बोली- छी:.. पीरियड निकलते हैं यहाँ से। मैंने कहा- तो?
फिर वो कुछ न बोली और भाई जो इस बार चाटी तो कामना सिसकारियों पर सिसकारियाँ भरती रही।
मैंने कहा- यार तू अपनी कमर के नीचे तकिया रख ले.. अब रहा नहीं जा रहा.. चूत मारनी है। उसने तकिया रख लिया। मेरा लण्ड जो लम्बा और मोटा है.. अपने पूरे शवाब पर था।
मैंने उससे कहा- अगर नहीं किया है तो दर्द हो सकता है। वो बोली- ठीक है।
भाई अब तुमसे क्या छुपाना छेद पर खुद सैट किया.. धक्का मारा तो फिसल गया।
मैंने कहा- ओये, इसे डालते कहाँ हैं? बोली- खुद देख लो।
मैंने फिर से सैट किया। इस बार सोचा जोर से धक्का मारूँगा और मारा भी.. पर इस बार जो फिसला तो गाण्ड के छेद में खौफ पैदा कर गया, कामना दर्द के मारे ऊपर सरक गई।
मैंने कहा- ऐसा है.. तू खुद छेद पर रख। उसने अपनी उंगलियों से पकड़ कर छेद पर रखा। मैं बोला- जब अन्दर जाए तो बता दियो। उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
भाई इस बार बड़े प्यार से आहिस्ता से अन्दर किया.. वो ऊपर सरकना चाहती थी.. पर मैंने उसके कंधे पकड़े हुए थे।
वो जैसे ही ऊपर को हुई.. मैंने उसके कंधे नीचे दबा दिए। लण्ड का आधा टोपा अन्दर जा चुका था.. थोड़ा दम और लगाया तो पूरा टोपा अन्दर चला गया। वो दांत कर दबा ‘ओह्ह.. माँ.. ईऊईसी सी सी..’ करने लगी, उसकी आँखों के किनारों से आंसू बह रहे थे।
मैंने कहा- बाहर निकाल लूँ.. अगर ज्यादा दर्द हो रहा है तो? वो कुछ नहीं बोली।
मैं उससे इधर-उधर की बकचोदी काटने लगा.. थोड़ी देर में वो हँस पड़ी। मैंने कहा- अब और भी अन्दर डाल दूँ? तो वो बोली- हाँ।
भाई इस बार ऐसा तान कर धक्का मारा कि वो दर्द के मारे कमानी बन गई।
एक तिहाई कोबरा अभी बाहर था.. इस बार पहले से ज्यादा आँसू थे और होते भी क्यूँ न? लण्ड वहाँ पर फँसा हुआ था.. जहाँ वो सबसे मोटा होता है।
दो मिनट बाद जो धक्का मारा तो पूरा लण्ड चूत के अन्दर था। फिर उसकी हालत को देखते हुए मैं भी थोड़ी देर बिना हिले-डुले लेटा रहा। कुछ देर बाद उसने खुद नीचे से अपनी चूत को लण्ड पर दे मारा।
मैंने उसको देखा तो हम दोनों मुस्करा दिए.. अब क्या था.. धक्के पर धक्के मारने शुरू हो गए।
कुछ मिनट के बाद ऐसा लगा कि मेरा लण्ड सब कुछ उगलना चाहता है। ये तब ज्यादा लग रहा था.. जब वो खुद नीचे से धक्का मारती थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने अब अपने धक्कों की स्पीड जैसे ही तेज की.. उसका सर धाड़ से दीवार में लगा। वो हँस पड़ी..
इसके बाद कुछ धक्के जो भी मैंने मारे वो उसकी सर पर हाथ रख कर मारे। आखिरी धक्का मुझे आज तक याद है जैसे ही उसने नीचे से धक्का मारा और मुझे अपने टांगों में कसा.. मादरचोद लण्ड ख़ुशी बर्दाश्त नहीं कर पाया और उल्टी कर बैठा।
मैं उसके ऊपर ही उसको अपनी बांहों में भर कर गिर गया। कुछ पलों तक ऐसे ही पड़े रहे.. फिर वो उठ कर बाथरूम गई। बाथरूम से आकर कहने लगी- तुमने कंडोम क्यूँ नहीं पहना?
मैंने कहा- तूने बताया ही नहीं। वो बोली- मुझे तो याद ही नहीं रहा! मैंने कहा- मुझे भी याद नहीं रहा!
फिर वो परेशान सी होते हुए हँस पड़ी। मैंने कहा- परेशान मत हो.. कल आईपिल दे दूँगा।
वो मेरे पास ही बांहों में आ गई, मैंने कहा- ऐसा है.. पैन्टी तो पहन ले। मैंने भी बॉक्सर पहन लिया, ऊपर न उसने कुछ पहना न मैंने और लेट गए।
उस रात हमने बस एक बार किया। कब हम दोनों को नींद आई पता नहीं चला.. सुबह उसने मुझे 7.30 पर जगाया और बोली- मैं घर जा रही हूँ।
मैंने लॉक खोला.. उसको भेजा और सो गया।
फिर 11.00 बजे ही उठा.. जब मम्मी ने डोरबेल बजाई।
शाम को जब मैं उसको मिलने के बहाने से उसके घर उसे दवा देने.. गया तो मैंने पूछा- परेशान क्यूँ लग रही है? तो बोली- बुखार आ गया है और चला भी नहीं जा रहा है।
यह था मेरा पहला वासना का खेल और अन्तर्वासना पर पहली कहानी।
इसके बाद ग्रेटर नॉएडा में कुक चोदी..पड़ोस के फ्लैट की आंटी चोदी.. भैय्या के दोस्त की बहन चोदी.. जीबी रोड की रण्डी चोदी.. एक कॉलगर्ल चोदी.. कानपुर की तीन लड़कियां चोदीं.. और भी हैं ब्लैककोबरा के शिकार… बस आप अपने विचार मुझको जरूर मेल करें।
भाई लिखने में इतनी मेहनत की है.. कुछ तो आपको कहना चाहिए।
आपका जंगली बिल्ला [email protected]
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