This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
दोस्तो मेरा नाम रिया है, इस वक़्त मेरी उम्र 26 साल है, शादी को 2 साल हो चुके हैं, पति अच्छे हैं, और मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मैं अक्सर अन्तर्वासना डॉट कॉम लोगों की कहानियाँ पढ़ती थी और सोचती थी कि मैं भी अपनी कहानी लिख कर भेजूँ।
फिर एक दिन मैंने ऐसे ही एक कहानी पढ़ने के बाद उस कहानी के लेखक से ई मेल भेज कर बात की और अपनी कहानी लिखने के लिए सहायता मांगी।
और लीजिये वरिन्द्र सिंह जी की मदद से मेरी कहानी आपके सामने है।
कोई 8 साल पहले की बात है, हम लोग पंजाब के मंडी गोबिंद गढ़ के समीप अपने गाँव में रहते थे, तब मैं स्कूल में ही पढ़ती थी।
ऐसे ही गर्मियों के मौसम में मेरे नानाजी का स्वर्गवास हो गया, माँ पिताजी दोनों को जाना पड़ा, मेरी भी क्लास बड़ी थी तो स्कूल से छुट्टी नहीं करवाई जा सकती थी।
हमारे पड़ोस में ही मेरे चाचाजी का घर था, तो माँ जाने से पहले चाची को कह गई कि हम दोनों भाई बहन का पीछे से ख्याल रखे।
रात को चाची ने खाना खिलाने के बाद अपने ही घर सोने को रोक लिया। मैं अपने घर जा कर सब ताला चाबी लगा कर आई।
गाँव से बाहर बड़ी सड़क के अड्डे पर चाचा की दुकान थी, ठंडे, नमकीन, बिस्कुट की। रात को मैं और चाची सो गए।
काफी देर बाद चाचा आए, उन्होंने बहुत शराब पी रखी थी। चाची ने उठ कर उनको रोटी दी, रोटी खाने के थोड़ी देर बाद चाचा फिर से आए, और चाची को बुलाने लगे, मगर चाची नहीं गई, दोनों में कहा सुनी भी हुई।
पहले तो चाचा चले गए, मगर आधी रात को फिर से वापिस आए और हमारे बेड पे लेट गए, चाची फिर से उनको जाने को कह रही थी, मगर वो नहीं माने और वहीं सो गए।
काफी देर उनके खर्राटे सुनती रही मैं, इसी वजह से मुझे नींद नहीं आ रही थी। कुछ देर देखने के बाद के चाचा सो गए, चाची भी सो गई और उधर से उनके खर्राटे भी बजने लगे।
दोनों तरफ से खर्राटों का शोर होने की वजह से मैं तो परेशान हो गई, मैंने अपने सर के दोनों तरफ तकिया लपेट लिया, मगर फिर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी।
फिर सोते सोते चाचा ने करवट ली और मेरे पीछे से मुझे अपनी आगोश में ले लिया, उनका पेट मेरी पीठ से सट गया, एक टांग उन्होंने मेरे ऊपर रख दी और एक हाथ में मेरी चूची पकड़ ली।
मुझे बड़ी हैरानी हुई कि चाचा यह क्या कर रहे हैं, मैंने उनकी गिरफ्त से खुद को आज़ाद करना चाहा मगर मैं तो हिल भी नहीं पा रही थी।
फिर मुझे लगा जैसे कोई मोटा डंडा मेरे पिछवाड़े से सट गया हो और चाचा अपनी कमर हिला हिला कर उस डंडे को मेरे चूतड़ों से रगड़ रहे थे।
अब इतनी बच्ची तो मैं भी नहीं थी, मैं समझ गई कि चाची ने मना कर दिया तो चाचा अब मुझसे अपनी ठर्क मिटा रहे हैं।
मैं खुद असमंजस में थी कि इस गंदे काम को रोकने के लिए चाची को जगाऊँ या जो चाचा कर रहे हैं, उन्हें करने दूँ क्योंकि इस सब में मज़ा तो मुझे भी आ रहा था।
घिसते घिसते चाचा ने अपने पाजामे का नाड़ा खोला, मेरी स्कर्ट ऊपर उठाई और मेरी एक टांग ऊपर उठा कर अपना लंड मेरी दोनों टाँगों के बीच में रखा और मेरी टांग नीचे रख दी, इस तरह से उनका मोटा लंबा लंड मेरी दोनों जांघों के बीच में फंस गया।
फिर चाचा ने धीरे धीरे अपनी कमर हिलाई और अपना लंड मेरी जांघों के बीच में चलाने लगे, और उन्होने मेरी पीठ पर मेरी स्कर्ट के सारे बटन खोल दिये और मेरे एक कंधे से मेरी बाजू आस्तीन से बाहर निकाल दी।
वो ये सब काम ऐसे कर रहे थे जैसे वो रोज़ ये सब मेरे साथ करते हों और मेरी पूरी मंजूरी उनको हो।
आस्तीन निकालने के बाद उन्होंने मेरी एक चूची भी बाहर निकाल ली और मेरी चूची का निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसने लगे।
सच में, अब तो मैं भी पूरी मस्त हो गई थी, अब सच में मेरी पूरी मंजूरी चाचा को थी, चाहे तो वो मुझे चोद भी दें तो मुझे कोई ऐतराज नहीं था।
मगर चाचा मुझे वैसे ही चूसते रहे, मेरे होंठ गाल सब चूमे, चाटे! फिर उन्होने दुबारा मेरी टांग ऊपर उठाई और अपना लंड मेरी दोनों टाँगों से निकाल लिया।
मैं करवट ले कर लेटी थी, मुझे सीधा करके लेटाया, अपना पाजामा और कच्छा दोनों उतार दिये और मेरे सर के पास आकर बैठ गए, मेरे सर को अपनी तरफ घुमाया, अपना अंगूठा मेरी ठोड़ी पे रख कर मेरा मुँह थोड़ा सा खोला और अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।
बहुत ही गंदा सा मगर नमकीन सा स्वाद मेरे मुँह में लगा।
मैंने झट से अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया, मगर चाचा ने फिर से मेरा मुँह अपनी तरफ घुमा लिया और अपना लंड पकड़ कर मेरे होंठों पर रगड़ने लगे, फिर दोबारा से मेरा मुँह खोला अपना लंड फिर से मेरे मुँह में डाल कर, अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरा पकड़ लिया।
मैं क्या करती, मैं अपने मुँह में उनका लंड लिए लेटी रही, वो अपनी कमर हिलाने लगे, उनका लंड मेरे मुँह में आगे पीछे होने लगा, और धीरे धीरे मैं खुद अपना मुँह खोलने लगी और उनका लंड अपने मुँह में लेने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
करीब आधा लंड उनका मेरे मुँह में था, जिसे मैं चूस तो नहीं रही थी, मगर मुँह में लेकर लेटी थी।
फिर चाचा ने मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर मेरी चड्डी उतार दी। मुझे लगा, क्या चाचा अब मुझे चोदेंगे, मैंने तो आज तक अपनी चूत में कुछ नहीं लिया, इनका इतना मोटा लंड तो मेरी जान निकाल देगा।
मगर मेरी चड्डी उतार कर चाचा उल्टा घूम गए, वो नीचे लेट गए और मुझे अपने पेट पर लेटा लिया और मेरी दोनों टाँगें खोल कर अपना मुँह मेरी कुँवारी चूत से लगा दिया।
मैं तो एकदम से तड़प उठी, इतनी गुदगुदी हुई मुझे, चूत चटवाने में इतना मज़ा आता है, मुझे तो पता ही नहीं था।
मगर चाचा ने मुझे संभाला और फिर से अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया और अपनी जीभ से चाटने लगे। न सिर्फ चूत को ही चाटा, बल्कि पोट्टी वाली जगह भी चाट गए, ऊपर से नीचे तक उन्होने मेरे पूरी जगह पर अपनी जीभ फिराई।
मैं तो जैसे पागल हुई जा रही थी, कब मैंने चाचा का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और कब उसे खुद ही चूसने लगी… मुझे याद नहीं। चाचा चाटते रहे और मैं चूसती रही।
और फिर मेरा बदन अकड़ गया, मैंने चाचा का लंड अपनी पूरी ताकत से अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया और शायद दाँत से काट भी खाया, मगर मुँह से नहीं निकाला।
जब थोड़ा शांत हुई तो मैंने चाचा का लंड अपने मुँह से निकाला, मगर चाचा ने फिर से मेरा मुँह अपने लंड से लगा दिया, और मैं फिर से चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद चाचा ने एकदम से मेरा मुँह अपने लंड से हटवा दिया और उनके लंड से वीर्य की धारें बह निकली, मैं देख तो नहीं सकी, मगर मुझे अपने हाथ पर गर्म गर्म और गीला गीला महसूस हुआ। उसके बाद चाचा भी शांत हो गए।
थोड़ी देर बाद फिर से चाचा के खर्राटे सुनाई देने लगे, मैंने भी अपने कपड़े ठीक किए मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी, रह रह कर मुझे चाचा का लंड याद आ रहा था, पता नहीं क्यों मगर मेरा फिर से दिल कर रहा था कि मैं एक बार और चाचा का लंड चूसूँ। मगर यह संभव न हो सका।
उसके बाद तो कभी भी नहीं।
मगर चाचा की इस हरकत ने मेरी जवानी की कली को फूल बना दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि कुछ दिनों बाद ही मेरी ही क्लास का एक लड़का मेरा बॉय फ्रेंड बन गया। जिसके साथ मैंने सबसे पहला काम जो किया, वो था उसका लंड चूसना, बल्कि उसने अपना वीर्य भी मेरे मुँह के अंदर ही छुड़वाया, कुछ तो मैंने पी भी लिया।
और उसके बाद के सात आठ साल तो मेरे बहुत ही रंगीन निकले, मुझे खुद याद नहीं कि मेरे कितने लड़कों से संबंध रहे, बहुत लंड चूसे मैंने, बहुत वीर्य पिया। लंड का स्वाद ऐसा लगा मेरे मुँह को के आज भी मैं हर वक़्त किसी का भी लंड चूसने को तैयार रहती हूँ।
[email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000