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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार। मैं रोमा, फिर से एक कहानी लेकर आई हूँ। आज की यह कहानी मेरी और मेरे जीजू की है। आशा करती हूँ आपको पसंद आएगी।
मैंने सेकंड ईयर की परीक्षा दे दी थी.. और परीक्षा के बाद मैं घर पर ही रहती थी। मेरी एक बड़ी बहन जिसकी शादी को एक साल हो गया था और वो प्रेगनेंट थी। मेरी दीदी का नाम वसुधा है और जीजू का नाम मनीष है। उनकी ये लव-मैरिज थी।
मेरी दीदी और जीजू दोनों अकेले रहते हैं। जीजू एक बड़ी कम्पनी में काम करते हैं.. जिसकी वजह से वो दीदी को प्रेगनेंसी की हालत में टाइम नहीं दे पा रहे थे।
एक दिन दीदी का मम्मी के पास फ़ोन आया और दीदी ने मम्मी से कहा- रोमा की परीक्षा खत्म हो गई हैं और वो अब घर में ही है.. तो आप उसे कुछ दिन के लिए मेरे पास भिजवा दो। मनीष ऑफिस के काम में बिजी रहते हैं और मैं सारा दिन घर में अकेली रहती हूँ। घर के कुछ काम भी नहीं कर पाती हूँ। अगर रोमा आ जाएगी.. तो मुझे कुछ आराम हो जाएगा।
मैंने यह बात सुनी तो मैं भी जाने के लिए तैयार हो गई।
रविवार को जीजू मुझे लेने के लिए आए, रात में ही हमारा ट्रेन से रिजर्वेशन था.. क्योंकि गर्मी की छुट्टियाँ थीं.. तो ट्रेन में हमें एक ही सीट मिली थी और एक सीट RAC में थी। रात का टाइम था और सीट एक ही थी। मैं और जीजू सीट पर काफी देर तक बैठे रहे
फिर मुझे नींद आने लगी.. तो जीजू बोले- रोमा जब तक कोई और सीट नहीं मिल जाती.. तुम मेरी गोदी में सर रख कर सो जाओ।
मैं अपना सर उनकी गोदी में रख कर लेट गई और आँखें बंद कर लीं। मेरा चेहरा उनके पेट की तरफ था। थोड़ी देर में मुझे अपने सर के नीचे उनके लण्ड का एहसास हुआ। मैंने नींद की एक्टिंग करते हुए अपना सर थोड़ा हिलाया और हल्की सी ‘ऊँह’ करके फिर सोने लगी।
मुझे लगा कि लण्ड में कुछ हलचल हुई। कुछ मिनट बाद मैंने फिर से ऐसा किया। अब मुझे यकीन हो गया कि उन्हें भी अहसास हो रहा है।
उन्होंने बैग से एक चादर निकाली और मुझ पर डाल दी और मेरा सर भी ढक दिया। उन्होंने अपना हाथ मेरी कमर पर रख दिया।
मैंने फिर हल्के-हल्के अपना सर उनके लण्ड पर रगड़ना शुरू कर दिया। उनका लण्ड खड़ा हो गया था और पैंट से निकलने को मचल रहा था। उनका हाथ हल्के-हल्के मेरी कमर को सहला रहा था, मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।
जीजू से अब कंट्रोल नहीं हो रहा था, उनका हाथ अब धीरे-धीरे मेरे मम्मों पर आ गया था और वो मेरे मम्मों को सहलाने लगे थे। मैं भी इसके मजे ले रही थी।
तभी TC आ गया और उसने हम दोनों एक सीट और दे दी। तब जीजू ने कहा- रोमा तुम यहाँ अब आराम से सो जाओ.. मैं दूसरी सीट पर चला जाता हूँ।
रात बीत गई और सुबह हम घर पहुँच गए। घर पहुँच कर दीदी से मिल कर मुझे बहुत अच्छा लगा।
घर पहुँच कर जीजू तो सो गए और मैं दीदी से बातें करने लगी। दोपहर हो गई.. तो मैं खाना बनाने लगी। दीदी ने जीजू को जगाया कि खाना खा लो।
तब जीजू आए और उन्होंने मुझे खाना बनाते देखा तो बोले- क्या बात है.. रोमा तो बड़ी हो गई है.. अब खाना भी बना लेती है। मैंने हँस कर कहा- और क्या.. आप मुझे स्टुपिड समझते हो?
अगले दिन मैं नहाने जाने लगी.. तो जीजू ने कहा- रोमा गेस्ट-रूम के बाथरूम का शावर नहीं चल रहा है.. तुम हमारे कमरे के बाथरूम में नहा लेना।
यह कह कर जीजू ऑफिस चले गए। मैंने उनके कमरे के बाथरूम में जाके नहाने के बाद अपनी ब्रा और पैन्टी को वहीं पर धोने के लिए डाल दिया। शाम को जीजू के ऑफिस से आने के बाद एक और अजीब वाकिया हुआ।
मैं अचानक दीदी के कमरे में गई तो देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला था और अन्दर जीजू सिर्फ जॉकी की छोटी अंडरवियर में थे और मेरी पैन्टी को अपने अंडरवियर के ऊपर रगड़ रहे थे.. कभी पैन्टी को सूंघ रहे थे।
मैं वहाँ से भाग कर अपने कमरे में आ गई।
कुछ दिन बीते मेरी और जीजू की दोस्ती और बढ़ गई। वो मुझे घूर-घूर कर देखते थे.. तो मुझे भी अच्छा लगता था।
फिर जीजू ने मेरे साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया, कई बार मेरे गालों को चूम भी लिया। एकाध बार तो उन्होंने दीदी के सामने ही मेरे मम्मे भी दबा दिए.. इस पर दीदी भी कुछ नहीं कहती थीं।
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हमारी मस्ती ऐसे ही चलने लगी, मुझे भी इसमें बड़ा मजा आता था।
एक दिन दीदी के सामने ही जीजू ने कहा- रोमा अब तो तुम्हारी भी शादी होगी.. शादी के बाद क्या होना है.. तुझे पता है.. कोई एक्सपीरिएंस है तुझे? नहीं तो मुझ से सीख ले कुछ.. मेरा भी कुछ काम बन जाएगा.. क्योंकि तेरी दीदी तो इस हालत में मुझे हाथ भी लगाने नहीं देती.. तू ही कुछ मदद कर दे मेरी।
इस पर दीदी भी जीजू को प्रोत्साहित करते हुए बोलीं- हाँ हाँ.. इसे भी सिखा दो। जीजू ने उसी वक्त मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और यहाँ-वहाँ छूने लगे। मैं ऊपरी मन से उनकी इन हरकतों का विरोध करती रही।
इसके बाद तो धीरे-धीरे जीजू की हरकतें बढ़ने लगीं। अब तो वो दीदी के सामने ही मेरे होंठ चूम लेते और मेरे मम्मों को भी अच्छी तरह से दबा देते।
एक दिन में जीजू के कमरे की सफाई कर रही थी कि तभी मुझे उनकी डायरी मिली। मैंने जब डायरी पड़ी तो मेरी चूत में एक अजीब से गुदगुदी सी होने लगी। जीजू ने वो सारी बातें उसमें लिखी थीं.. जो वो इतने दिनों से मेरे साथ कर रहे थे। मेरी ख़ूबसूरती की ऐसी-ऐसी बातें लिखी थीं.. कि मुझे पढ़ कर शर्म आ गई। जीजू ने तो यह तक लिखा था कि जब उन्होंने मेरी पैन्टी अपने लण्ड के ऊपर रगड़ी और सूंघी थी.. तभी उन्होंने फैसला कर लिया कि मेरे वापस घर जाने से पहले मुझे एक बार सर से पैरों तक चूमेंगे.. चाटेंगे.. सहलाएंगे और प्यार करेंगे।
यह पढ़ कर तो मैं घबरा गई.. फिर बाद में मुझे अच्छा लगा क्योंकि पहली बार लाइफ में किसी मर्द से अपनी तारीफ़ सुनी थी। शाम को ऑफिस से आने के बाद वो मेरे लिए आइसक्रीम लेकर आए। मैंने पूछा- ये किस खुशी में?
तो वो बोले- जो खुशी मुझे तुम्हारे आने से हुई है.. उस खुशी में।
उस रात जब मैं सोने के लिए अपने कमरे में आई.. तो करीब एक घंटे बाद जीजू मेरे कमरे में आए और बोले- वसु सो गई है (जीजू दीदी को प्यार से वसु बोलते हैं) और मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो तुम्हारे पास चला आया। तुम भी सो गई थीं क्या?
मैंने बोला- नहीं.. अभी नहीं सोई। जीजू मेरे बिस्तर पर बैठ गए और हम बातें करने लगे।
जीजू बोले- चलो एक गेम खेलते हैं। मैंने भी ‘हाँ’ कर दी.. तो जीजू मेरे करीब आकर लेट गए और मेरे पेट पर हाथ रख लिया। जीजू बोले- तूने कभी गुदगुदी-गुदगुदी खेला है? मैंने कहा- नहीं..
उस वक़्त जीजू ने एक बनियान और निक्कर पहने हुए थे और मैंने नाइटी पहनी थी। जीजू बोले- मैं तुझे गुदगुदी करूँगा.. अगर तूने सह लिया और हँसी भी नहीं.. तो मैं तुझे इनाम दूँगा। मैंने कहा- ठीक है।
जीजू ने मेरे हाथ सर के ऊपर कर दिए और बोले- अगर गुदगुदी हो तो जोर से तकिया पकड़ लेना.. पर हाथ मत रोकना।
यह कह कर जीजू ने धीरे से मेरे गालों.. मेरे होंठों पर हाथ फेरा और बोले- तुम बहुत सुन्दर हो रोमा.. एकदम गोरी और चिकनी.. फिर जीजू ने मेरे कानों के पीछे हाथ फेरा.. मुझे अच्छा लगने लगा।
फिर एकदम से जीजू ने मेरे मम्मों को अपने हाथ में ले लिया.. तो मेरे पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई। मैंने कहा- जीजू बड़ा अजीब फील हो रहा है।
जीजू बोले- होगा ही.. यह तो सबसे ज्यादा मजेदार गेम है.. पता है तेरी दीदी के साथ इस खेल को खेले हुए मुझे पूरे 5 महीने हो गए हैं और मैं बेहद भूखा हूँ।
फिर जीजू ने मेरे निप्पलों को हल्के-हल्के मसला.. तो मैं तकिया दबा कर पैर पटकने लगी।
फिर उन्होंने धीरे से मेरे पेट की नाभि में उंगली डाल दी.. मुझे मज़ा आ रहा था। फिर जीजू मेरे पैरों के पास आकर लेट गए और मेरे पैरों पर गुदगुदी करके चूमने लगे।
तभी मैंने अपनी चूत में से कुछ निकलता हुआ महसूस किया और जीजू को ये बताया.. तो उन्होंने कहा- ये नार्मल बात है और इसका मतलब ये है कि तुम चुदने के लिए तैयार हो रही हो।
जीजू के मुँह से ‘चुदने’ का शब्द सुन कर मैं तो और ज्यादा मदहोश हो गई।
अब जीजू ने बनियान और निक्कर उतार दी.. वो केवल जॉकी की छोटी अंडरवियर में थे। उनकी मोटी-मोटी जांघें और तगड़ा जिस्म देख कर मैं हैरान रह गई।
वो मेरे पैरों के साइड में लेट गए। उन्होंने मेरी नाइटी ऊपर तक उठा दी और पेट पर इकट्ठी कर दी। मेरी गोरी-गोरी जांघें देख कर वे खुश हो गए और उन्हें जी भर के चूमने और चाटने लगे।
मैंने भी अपना हाथ बढ़ा कर उनकी अंडरवियर को उतार दिया और उनके लण्ड को हाथ में लेकर खेलने लगी। तभी जीजू ने मेरी जाँघें फैला दीं और आकर मेरे ऊपर लेट गए।
अब वे मेरे होंठों को चूमने लगे.. कभी मेरे होंठ चूमते.. तो कभी मेरी गर्दन को.. तो कभी मेरे मम्मों को.. मेरे निप्पल को मुँह में लेकर काटते।
मैंने जीजू से कहा- एक बार जोर से मेरे मम्मों को दबाओ न..
तो उन्होंने अपने सख्त हाथों से मेरे निप्पलों और मम्मों को जोर से दबा दिया.. मुझे मजा आने लगा। फिर वे मेरे चूचों को दबाते-दबाते उन्हें नाइटी के ऊपर से ही चूमने लगे और कहने लगे- रोमा तू तो एकदम चिकनी आइटम है।
फिर जीजू ने मेरी नाइटी उतार दी.. और मुझे ब्रा उतारने को कहा। जब मैं ब्रा उतारने लगी.. तो जीजू ने मेरी पैन्टी पकड़ कर खींच दी और मेरी चूत पर उंगली फिराने लगे। फिर एक उंगली अन्दर मेरी रसीली चूत में डाल दी।
मुझे सिहरन सी हो उठी.. उन्होंने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटना चालू कर दिया। मेरा बुरा हाल हो उठा था.. पर मज़ा भी बहुत आ रहा था।
मैं जीजू को कहने लगी- आह्ह.. और करो जीजू.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.. मेरी चूत में कुछ-कुछ हो रहा है.. मैं तड़प रही हूँ।
कुछ देर बाद जीजू ने कहा- अब मुझे नीचे लेटने दो.. तुम ऊपर आकर मेरे लण्ड से खेलो।
तो मैंने घुटनों पर बैठ कर उनके लण्ड से खेलना शुरू दिया।
जीजू ने इशारा किया मैंने समझते हुए अपना सर नीचे किया और जीजू ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और उसे चूसने को बोले। मैं भी मज़ा लेकर लण्ड चूसने लगी।
काफी देर चूसने के बाद जीजू ने मुझे लिटा दिया। मेरी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया और मेरी चूत में उंगली डाल कर आगे-पीछे करने लगे।
मैंने अपने पैर उनकी कमर में लपेट लिए और जोर से चिल्लाई- जीजू प्लीज़ धीरे-धीरे करो ना.. आाह्ह्ह्ह्.. ऊऊह्ह्ह.. बहुत मज़ा आ रहा है।
मैं अपना सब कुछ जीजू पर लुटा रही थी, हर तरह से उन्हें खुश कर देना चाहती थी, जीजू भी मुझे पूरी तरह खुश कर रहे थे।
जब मेरी चूत एकदम चिकनी हो गई.. तब जीजू ने अपना लण्ड मेरी चूत के ऊपर रखा.. तो ऐसा लगा जैसे किसी न गरम सरिया रख दिया हो। मैंने आँख बंद कर ली और मज़ा लेने लगी।
जीजू ने हल्के-हल्के से धक्का मारना शुरू किया और अपना लण्ड मेरी चूत में डालने लगे। मेरा दर्द से बुरा हाल होने लगा.. मैं चिल्लाने लगी- धीरे-धीरे करो जीजू.. बहुत दर्द हो रहा है..
जीजू कहाँ मानने वाले थे.. उनके अन्दर का सांड जाग चुका था। उन्होंने जानवरों की तरह मुझे चोदना शुरू कर दिया। उन्होंने अब अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया था और जोर-जोर से मुझे चोदने लगे। वे साथ में मेरे मम्मों को भी मसल रहे थे और उंगली से निप्पल को भी मींज रहे थे।
जीजू ने मुझे लाइफ टाइम का आनन्द दे दिया था। काफी देर तक जीजू मुझे जानवरों की तरह चोदते रहे। मुझे भी मज़ा आ रहा था.. इसलिए मैं उनकी इन हरकतों का विरोध भी नहीं कर रही थी.. बल्कि मज़ा ले रही थी।
फिर कुछ देर बाद जीजू भी जोर से ‘आआह्ह्ह.. आआह्ह्ह..’ करने लगे। तभी मैं एकदम से पिंघल गई तो उन्होंने भी लण्ड को चूत से निकाल लिया.. और मेरी चूत के ऊपर अपना सारा पानी छोड़ दिया।
हम दोनों बुरी तरह थक चुके थे। कुछ देर आराम करने के बाद वे मुझे 69 की पोजीशन में ले आए। मैं जीजू का लण्ड जो कि अब छोटा हो चुका था.. उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और जीजू ने अपने अंडरवियर को उठाया और मेरी चूत को साफ करने के बाद चूत को चूमने लगे।
कुछ देर के बाद जीजू ने मुझे घोड़ी बनने को कहा.. तो मैं झट से बन गई।
तब जीजू ने एक जोर का थप्पड़ मेरे चूतड़ पर मारा.. मैं जोर से चिल्लाई और बोली- ये क्या कर रहे हो जीजू.. मार क्यों रहे हो? तब जीजू ने कहा- इसमें भी तुमको मजा आएगा.. मैं तुम्हारी दीदी को भी इसी तरह मारता हूँ.. उसे बहुत मजा आता है।
मैंने उनका लण्ड चूस लिया था.. तो उनका लण्ड फिर से खड़ा हो गया था। जीजू ने मेरी कमर को पकड़ा और अपना लण्ड एक बार फिर से मेरी चूत में घुसा दिया।
फिर उन्होंने मेरे बाल पकड़े और जोर-जोर से मुझे चोदने लगे। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती।
यह लिखते हुए भी मेरी चूत बिल्कुल भीग चुकी है और मैं अपनी चूत को सहला रही हूँ। उधर मेरी चूत ने भी अब जवाब दे दिया था.. और जीजू भी झड़ने वाले थे।
अबकी बार उन्होंने अपना सारा पानी मेरी कमर के ऊपर निकाल दिया और मैं औंधी ही लेट गई। जीजू भी मेरे पास लेट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगे।
फिर अपनी अंडरवियर से मेरी कमर पर गिरे उनके वीर्य को साफ किया और चूत को चूमा.. चाटा.. सहलाया और बोले- तुम अब तुम सो जाओ।
मैं करवट लेकर सो गई.. पर मुझे लगातार जीजू के होंठ अपनी चिकनी पिंडलियों महसूस हो रहे थे।
तो यह थी दोस्तो, मेरी आज की कहानी। आप सभी को कैसी लगी.. मुझे मेल कर के जरूर बताना। मैं आप सभी के मेल का इंतजार करूँगी।
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