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ऑफिस गर्ल Xxx कहानी मेरे दफ़्तर में एक पंजाबी लड़की की है. वो बला की खूबसूरत थी. उसको मेरी मदद की जरूरत पड़ी और उससे दोस्ती हो गयी.
अन्तर्वासना के सभी पाठको को मेरा नमस्कार. मेरा नाम व्योम है और मैं बेहद ही हैंडसम युवक हूं. ये मैं अपनी तारीफ में खुद नहीं बोल रहा मगर लड़कियों के कमेंट्स और मिली प्रशंसा के आधार पर बता रहा हूं. मेरी महिला दोस्त अक्सर मेरे नैन-नक्श और डील-डौल की तारीफ करती रहती हैं.
मेरी हाइट 5.11 फीट है और रंग गोरा है. अपनी स्टाइलिश दाढ़ी की वजह से मैं और भी हैंडसम लगता हूँ. मैं एक इंटरनेशनल लेवल की कंपनी के ऑफिस में काम करता हूं. मैं बहुत ही अच्छे से लाइफ जीता हूँ.
और अब अपनी कहानी पर आता हूँ. यह मेरी पहली कहानी है, उम्मीद करता हूं कि आपको यह ऑफिस गर्ल Xxx कहानी पसंद आएगी.
जब मैंने ऑफिस ज्वाइन किया तो शुरूआत में मुझे थोड़ी दिक्क़तें हुईं क्यूंकि मैंने कभी नाईट शिफ्ट में काम नहीं किया था. फिर धीरे धीरे आदत बन गयी.
समय के साथ मैं अपने काम में माहिर हो गया और इस वजह से टीम का काम भी आसान हो गया. जो नये लोग ज्वाइन करते थे तो मेरा टीम लीडर मुझसे पूछता था तो मैं बता देता था किसमें क्या क्षमता है. उसे काम पर रखना चाहिए कि नहीं रखना चाहिए.
ऐसे ही एक दिन एक पंजाबी लड़की इंटरव्यू देने आयी. वो देखने में सांवली थी मगर उसके नैन नक्श एकदम तीखे थे. जब वो देखती थी तो लगता था कि अपनी मादकता में अपनी ओर खींच रही है, अपने पास बुला रही है।
वो सूट पहनकर आयी थी मगर उसके वक्ष बहुत भारी थे. लगभग 38 साइज के थे. उसकी कमर 32 इंच की और चूतड़ 36 के एकदम गोल और सुडौल थे. उसको देखते ही मेरे मन में लड्डू से फूट रहे थे.
मैंने उसे दूर से देख कर ही अपने लीडर को कह दिया कि इसे ले लो अपनी टीम में और वो मान गए.
जब वो हमारी टीम में आयी तो पूछने पर मालूम हुआ कि वो लुधियाना से है और उसका नाम परमजीत कौर है. वो यहाँ दिल्ली में 2 साल से रह रही थी. वो पढ़ाई के बाद यहीं जॉब करना चाहती थी क्योंकि उसके घरवाले उसकी शादी के पीछे पड़े थे.
फिर मेरी उससे दोस्ती हो गयी. मैं उसके साथ काफी घुलमिल कर रहने लगा. वो मेरी बहुत तारीफ करती थी.
बातों बातों में पता चला कि उसका बॉयफ्रेंड भी है. मन भारी हुआ थोड़ा लेकिन मैंने सोचा कि जो भी हो, मैं किसी तरह इसके साथ एन्जॉय जरूर करूंगा.
ट्रेनिंग के बाद जब वो काम करने लगी तो उसको थोड़ी दिक्कतें आने लगीं.
उसे अगर कुछ समझ नहीं आता तो मैं उसकी मदद के लिए हमेशा उसके साथ बैठा करता था. मैं उसकी हेल्प का बहाना लेकर उससे चिपका रहता; कभी उसके कंधों पर तो कभी उसकी कमर पर हाथ रख देता था.
उसकी ख़ूबसूरती और आकर्षण से दूसरी लड़कियां उससे जलती थीं और टीम लीडर के कान भर देती थीं. इसलिए टीम लीडर उसको ढेर सारा काम दे देता था. वो परेशान हो जाती और फिर से मुझे बुलाती।
तब मैं उसकी मदद करता और धीरे धीरे उसको मुझ पर भरोसा हो गया.
एक दिन जब हम बाहर टहल रहे थे तो वो ऑफिस की चुगलियों की बातें बताते हुए रोने ही लगी.
सारी लड़कियां उसको नीचा दिखाने की कोशिश किया करती थीं. वो परेशान हो गयी थी. उन दिनों उसकी अपने बॉयफ्रेंड से भी लड़ाई चल रही थी. वो उसके साथ ढंग से पेश नहीं आता था.
मैंने उसको संभाला मगर वो अनायास ही मेरे सीने पर सिर रख कर रोने लगी इसलिए मैंने उसे कस कर गले से लगा कर उसको चुप कराया और उसके साथ कहीं बाहर घूमने का प्रस्ताव रखा.
वो बोली- यहीं ठीक है, यहीं बैठकर बातें करते हैं. मुझे तुम्हारे साथ बात करके अच्छा लगता है. मैंने कहा- ठीक है. ऐसा करो कि एक दिन अपने हाथ के बने हुए परांठे मुझे खिलाओ.
वो खुश होकर मान गयी.
उसने मुझे अपने फ्लैट पर इन्वाइट किया. चूंकि उसके पास उसके बॉयफ्रेंड का भी आना जाना था तो वो फ्लैट में अकेली ही रहती थी.
मैं उसके फ्लैट पर पहुंचा. मैंने जाकर दरवाजे की घंटी बजाई.
उसने दरवाजा खोला. उसने शॉर्ट्स और डीप गले का टॉप पहना था. उसमें उसका क्लीवेज दिख रहा था. उसकी चूचियां सच में बहुत भारी थीं.
मुझे तो लगता था कि उसने अपने बॉयफ्रेंड से अपनी चूचियां खूब दबवायी हैं.
मैंने भी मौका नहीं छोड़ा और घर में घुसते ही उसको अपने गले से लगा लिया. मुझे उसकी चूचियां मेरे सीने पर महसूस हुईं और मैंने उसको कस कर अपनी बांहों में भींच लिया.
फिर हम अलग हुए और वो मुझे अंदर ले गयी. उसने मुझे बैठाया और फिर मेरे लिये चाय लेकर आई. हम दोनों ने साथ में चाय पी.
फिर वो मुझे अपना फ्लैट दिखाने लगी. घूम फिरकर हम फिर से आ बैठे.
फ्लैट में हम दोनों ही अकेले थे तो मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने कामुकता में उसके हाथ को अपने हाथ में ले लिया और सहलाते हुए बोला- तो क्या खिला रही हो आज?
पहले तो वो थोड़ा सकपकायी और फिर मेरी आंखों में देखते हुए बोली- तुम बताओ, क्या खाना है? जो कहोगे वही खिला दूंगी, बस मेरे पास सामान होना चाहिए.
मैंने कहा- सामान तो है तुम्हारे पास. वो बोली- क्या? मैंने उसके होंठों पर उंगली रख दी.
उसने मेरे हाथ को हटा दिया और बोली- तुम बहुत बदमाश हो गये हो. ये अच्छी बात नहीं है. मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लिये रखा और बोला- देख लो, तुमने वादा किया था. अब तुम मुकर रही हो.
अब वो शर्माने लगी थी. फिर मैंने उसको थोड़ा अपनी तरफ खींच लिया तो वो थोड़ी असहज हो गयी. उसकी सांसें तेज चलने लगीं.
मैंने कहा- अगर तुम्हें बुरा लग रहा है तो मैं तुम्हें टच नहीं करूंगा.
मैं जानता था कि वो भी मुझे पसंद करती है. इसलिए मैं उसके जवाब के लिए काफी आश्वस्त था. वो बोली- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, मैंने कभी तुम्हारे बारे में ऐसे सोचा नहीं.
फिर मैंने उसकी कमर में हाथ डालते हुए कहा- इतना सोचने की जरूरत ही नहीं है. मैं तो तुम्हें पहले दिन से ही पसंद करता हूं. तुम्हारे लिये हर वक्त हाजिर हूं. जान मांगोगी तो वो भी दे दूंगा.
वो मेरे प्यार की भावनाओं में बह गयी और मेरे सीने से लग गयी. शायद उसका बॉयफ्रेंड उसको प्यार नहीं दे रहा था.
मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर उठाया और उसके होंठों पर होंठ रखकर उसको चूमने लगा.
अब वो भी मेरा साथ देने लगी. मैंने उसकी कमर पकड़ ली और मेरे हाथ फिर उसके बूब्स पर आ गये. चूचियों पर हाथ जाते ही वो एकदम से पलट गयी और अपनी पीठ मेरी तरफ कर ली.
मैंने पीछे से हाथ ले जाकर उसकी चूचियों को फिर से पकड़ लिया. उसकी कमर को अपने सीने से सटाते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगा. एकदम से मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिये और मैं उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके बूब्स को जोर जोर से भींचने लगा.
उसकी चूचियों को दबाते हुए मुझे महसूस हुआ कि उसके निप्पल कठोर होने लगे थे. उसकी गांड मेरे लंड पर आकर सट गयी थी और लग रहा था कि जैसे वो कह रही हो- निचोड़ लो मेरे बूब्स को।
वो एकदम से काफी गर्म हो गयी थी और उसके मुंह से आईई … स्स … आह्ह … जैसी आवाजें निकल रही थीं. मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और उसके टॉप को उतार फेंका.
एकदम से उसकी चूचियां मेरे सामने नंगी होकर झूल गयीं. उसने नीचे से ब्रा भी नहीं पहनी थी और मेरी उत्तेजना एकदम से सातवें आसमान पर पहुंच गयी.
मैं छोटे बालक की तरह उसकी चूचियों से लिपट गया. उसके बड़े बड़े बूब्स मेरे हाथों में समा भी नहीं पा रहे थे.
वो मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबा रही थी.
तभी मैंने अचानक उसके होंठों पर हमला कर दिया. बेतहाशा मैं उसके होंठों को चूमने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी और उसने अपने होंठ खोल दिये जिससे मेरी जीभ उसके मुंह के अंदर जा घुसी.
मैं उसकी जीभ को चूसने की कोशिश करने लगा. उसने फिर मेरे मुंह में जीभ घुसा दी और जोर जोर से मैंने उसकी लार को अपने मुंह में खींचना शुरू कर दिया.
उसके होंठ बहुत ही रसीले थे और उसकी लार पीने में मुझे बहुत मजा आ रहा था.
फिर मैंने उसकी ठुड्डी व गालों को भी काटा और चुम्मा किया. अब उसकी गर्दन को चूमते हुए और काटते हुए मैंने उस पर हर जगह लाल निशान बना दिये. मैंने उसके बदन के ऊपर वाले हिस्से पर उसको हर जगह से चूस डाला.
उसकी नजर मेरे लंड पर गयी जो मेरी पैंट में तोप की तरह मुंह उठाकर खड़ा था. उसे देखकर वो मुस्करा गयी और फिर उसने मेरी गर्दन पर चुम्बन करना शुरू कर दिया.
अब वो भी मेरे पूरे बदन पर हाथ फिराने लगी. अब परमजीत की शर्म खत्म हो चुकी थी और वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड की ओर ले गयी. वो जाकर बेड पर मेरे सामने लेट गयी और अपनी बांहें फैलाकर मुझे बुलाने लगी.
मैं तो खुद उस पर चढ़ने के लिए कितने दिन से बेताब था. मैंने जल्दी से अपनी टीशर्ट उतारी और बेड पर उसके ऊपर कूद गया. मैं एक बार फिर से उसकी चूचियों को एक नवजात के जैसे चूसने लगा.
एक चूची को मैं मुंह लगाकर चूस रहा था और दूसरी को अपने हाथ से भींच रहा था. उसके निप्पल को मलील रहा था. फिर मैं निप्पल को हल्के हल्के खींचता, फिर अपने होंठों से निप्पल को जोर से दबाता और खींचता.
होंठों से निप्पल के खिंचाव की वजह से वो पागल हुई जा रही थी और जोर से मुझे अपने सीने में दबा रही थी. मैंने जी भर कर उसकी चूची पी. उसकी चूचियों पर मेरी नजर पहले दिन से ही थी और मैंने आज मन की तमन्ना अच्छे से पूरी की.
उसके बोबे बिल्कुल लाल हो गये थे. अब मैं उसकी गद्देदार नाभि को चाटने लगा. मैंने उसमें अपना थूक भरा और चाटने लगा. वो सिहर जाती थी और मेरे सिर को हटाने लगती.
मैं भी उसकी कमर को कसकर पकड़े हुए थे. दोनों हाथों से कमर के कोनों को अच्छे से सहलाये जा रहा था.
अब मैंने नीचे आकर उसके शार्ट्स को उतार फेंका. मैं देखकर हैरान रह गया कि उसने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी. लग रहा था जैसे कि पहले से ही चुदने का अंदाजा लगाकर बैठी थी और उसके लिये पहले से ही पूरी तैयारी करके बैठी थी.
उसके झांटों के बाल बढ़े हुए थे. उसने बताया कि वो वैक्स नहीं करवा पायी. तो मैंने बोला कि कोई बात नहीं, मुझे ऐसे ही अच्छा लगेगा.
फिर मैंने उसकी जांघों को फैलाया और उसकी चूत पर टूट पड़ा. मेरी जुबान के प्रहार और उसके जी स्पॉट पर दांतों से हल्के दबाव को वो सह नहीं पा रही थी.
उसकी चूत पहले से ही पूरी गीली हुई पड़ी थी. मैंने दो मिनट ही चाटा होगा कि उसकी चूत एकदम से झड़ गयी. उसकी चूत का पानी उसकी जांघों पर बहने लगा.
मगर मैं उसको इतनी जल्दी छोड़ने वाला नहीं था.
मैं नीचे की ओर गया और उसके पैर के अंगूठे को मुंह में लेकर चूसने लगा. पैर के अंगूठे को चूसने से उसको गुदगुदी हो रही थी लेकिन मैं उसकी जांघों को पकड़े हुए था इसलिए वो छुड़ा नहीं पा रही थी.
कुछ देर तक उसको तड़पाने के बाद मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी. वो थोड़ी देर में फिर से तैयार हो चुकी थी.
अब मैंने अपनी पैंट उतारी और अंडरवियर में आ गया. वो मेरे तने हुए लंड को मेरी फ्रेंची के ऊपर से ही सहलाने लगी.
मैं यहां पर कुछ भी झूठ नहीं बोलूंगा. मेरा लंड 6 इंच के करीब का है. उसकी मोटाई 2.5 या इंच के लगभग है। मेरे लंड का सुपारा काफी मोटा है जिसको शुरू में अंदर चूत या गांड में घुसाने में बहुत परेशानी होती है लेकिन बाद में बहुत मजा आता है.
परमजीत मेरे लंड को सहलाये जा रही थी. उसने फिर झट से मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और उसको जोर जोर से हिलाने लगी. मैंने उसको लंड को मुंह में लेने के लिए कहा. लेकिन वो मना करने लगी.
मैंने कहा- एक बार मुंह में ले लो. चूसने से लंड और ज्यादा फूल जाता है जिससे आकार भी बढ़ जाता है और लंड अधिक ज्यादा कठोर हो जाता है. मेरे रिक्वेस्ट करने पर वो मान गयी.
वो मेरे लंड के टोपे को मुंह में भरकर चूसने लगी. उसके होंठों का आकार भी बहुत सुंदर था. उसके मुंह में लंड देने में अलग ही उत्तेजना महसूस हो रही थी.
मैं बीच बीच में उसके मुंह में एक दो जोर के झटके भी मार देता था और उसको उल्टी होने लग जाती तो फिर से ढीली छोड़ देता. कभी उसकी गांड पर चपत भी लगा देता था.
दो चार मिनट तक मैंने लंड चुसवाने का मजा लिया. उसके बाद उसने मेरे लंड को मुंह से निकाल दिया और अंदर डालने का इशारा किया. मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रख लीं; लण्ड को चूत पर टिकाया और घुसाने का प्रयास किया तो लंड फिसल गया.
इस बार मैंने लण्ड पर थूक लगाया और दोबारा से सटीक प्रहार किया जिससे लंड उसकी चूत में जा घुसा. उसकी चूत की दीवार टाइट थी और मेरे लंड का सुपारा मोटा था. इसलिए उसकी जोर से आह्ह निकल गयी.
वो दर्द में एकदम से चिल्लाई- ओह्ह … नहीं बेबी … निकालो … प्लीज! मैंने सिसकारते हुए कहा- आह्ह … बाबू … अभी तो शुरू हुआ है. मैं फिर धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत की गहराई में ले जाने का प्रयास करने लगा.
परमजीत अपने हाथों से मेरी जांघों को रोकते हुए मेरे लंड को रोकने का प्रयास करने लगी. जब मेरा पूरा लंड अंदर चला गया तो मैंने उसके पैरों को अपने कंधों से उतार दिया और मोड़ दिया.
मैं उसकी चूत पर लंड को दबाकर बैठ गया. फिर उसकी चूत पर उछल उछल कर लंड के धक्के देने लगा; पूरे जोर के साथ मैं उसकी चूत का मर्दन करने लगा.
उसकी चूत अब मुझे गीली और गर्म लगने लगी थी. मैंने उसको उठाया और घोड़ी बना दिया. अब उसको पूरी तरह से नीचे झुका कर मैंने फिर से लंड डाल दिया.
वो चुदते हुए सिसकारने लगी- आह्ह … व्योम … मैं कब से ये चाहती थी. मैं बहुत अकेली थी. तुम्हें मैंने बहुत इशारे किये लेकिन तुम नहीं समझ पा रहे थे.
मैंने कहा- हां जान … लेकिन अब तो मैं तुम्हारे इशारे समझ गया. अब से मैं तुम्हारा कु्त्ता हूं जो तुम्हारी मुनिया को चोदेगा. तुम अब कभी मुझे चूत देने से मना मत करना.
दोस्तो, सेक्स के बीच में बातें करते रहने से प्यार और सहयोग मिलता है. वो बोली- हां व्योम … मेरा सब तुम्हारा है जान … जैसे चाहो वैसे कर लो.
जैसे ही उसने ये बोला तो मैंने उसकी गांड के छेद में उंगली डाल दी. दूसरे हाथ से दो चार थप्पड़ मैंने उसकी गांड पर लगाये. अचानक उंगली जाने से वो छटपटा गयी और बोली- नहीं नहीं … वहां नहीं.
मैंने समझाया- मैं ध्यान से करूंगा, घबराओ नहीं. वो बोली- नहीं. आज नहीं, किसी और दिन कर लेना. फिर मैं उसको सही पोजीशन में लाकर जोर जोर से चोदने लगा.
अब दोनों के ही अंगों से काफी मात्रा में कामरस निकल रहा था और थोड़ी ही देर में उसकी चूत से पच पच … की आवाज आने लगी थी. मैं पूरे जोश में उसको चोद रहा था जैसे उसकी चूत में आज गड्ढा खोद दूंगा.
उसकी झूलती हुई चूचियों को मैं थप्पड़ भी मार रहा था. उसकी पीठ पर दांत भी गड़ा रहा था. उसकी गर्दन को पीछे से काट भी रहा था.
फिर मैंने उसके बालों को अपने हाथ में भरकर एक जगह इकट्ठे कर लिया और उनको पीछे खींचकर उसकी चूत को तेज तेज ठोकने लगा.
मेरे हर धक्के के साथ अब वो कांप रही थी. उसके चूतड़ों को मैं नाखून से खरोंच कर उसे चोदे जा रहा था. फिर मुझे लगने लगा कि मेरा अब होने वाला है.
मैंने उसे बोला कि नीचे झुक जाओ, मैं तुम्हारी गांड पर बैठकर तुम्हें चोदूंगा. वो चुदासी रंडी की तरह मेरा सारा कहना मान रही थी. मैं उसकी चूत में लंड घुसाये हुए ही उसकी गांड के ऊपर आ गया और जोर जोर से चोदने लगा.
मेरा पूरा मन था कि आज उसकी चूत को फाड़ दूं. फिर वो कहने लगी कि उसका भी होने वाला है. ऐसे कहते ही उसका हल्का सा मूत भी निकल आया.
मैंने कहा- भिगा दे मेरे लंड को. ये कहकर मैंने जैसे ही दो धक्के मारे तो मेरे लंड से वीर्य का शॉट निकला और मैंने उसकी चूत को अपने माल से भर दिया.
वो मेरे माल को चूत में गिरवाने के बाद एकदम से उठी और बाथरूम की ओर भागी. जैसे ही वो बैठी उसकी चूत से श्शर्र …. श्शर्र … करके मूत गिरने की आवाज आने लगी.
फिर वो दो मिनट बाद आयी और मेरे लंड को अपनी टॉवल से आकर पौंछ दिया.
वो मुझे फिर से चुम्बन देने लगी. वो बोली- आज यहीं रुक जाओ, बहुत मजा आया.
मैं मान गया और फिर उसने प्यार से मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया.
हमने पूरे दिन हर पोजीशन में चुदाई की. हम सिर्फ खाने पीने और बाथरूम जाने के लिए उठते थे.
रात तक चुदाई करते करते फिर जब हमारा पानी निकलना बंद हो गया तो मैं उसकी चूत में ही लंड डालकर सो गया.
अब उसकी शादी होने वाली है लेकिन कहती है कि उसको बच्चा मेरे से ही चाहिए. देखते हैं कि उसको बच्चा देने का मौका वो कब निकालती है.
दोस्तो, ये पहली कहानी थी. अगर गलती हुई हो तो बताइयेगा. ऑफिस गर्ल Xxx कहानी पसंद आई या नहीं? अपना प्यार भी दीजियेगा. मेरा ईमेल है [email protected]
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