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अन्तर्वासना के माध्यम से मिली भाभी की चुदाई करने मैं उसके घर पहुंचा. उसे मैंने दो बार चोदा. लौटने से पहले मैं उसे पूर्ण संतुष्ट करना चाहता था. मैंने क्या किया?
नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त विक्की शर्मा इंदौरी एक बार फिर से आप लोगों के बीच में हाजिर हूं. मेरी कहानियों के बीच में इतना लम्बा अन्तराल आने के लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं.
दरअसल ज़िन्दगी की भागदौड़ में कुछ यूं उलझ गया था कि कहानी लिखने का वक़्त ही नहीं मिला। इस बीच कुछ बहुत अच्छे अनुभव भी हुए और उन सबकी कहानी भी आप सबको सुनाऊंगा।
कहानियों का नया सिलसिला शुरू करने से पहले हम पिछली कहानी को पूरा कर लेते हैं. इससे पहले मेरी कहानी 2017 में प्रकाशित हुई थी जिसका शीर्षक है भाभी की चुदाई की तड़प की हिंदी सेक्सी स्टोरी
अगर आपने यह कहानी नहीं पढ़ी है तो एक बार इस कहानी को अवश्य पढ़ें क्योंकि आज की कहानी भी उससे ही आगे की कहानी ही है. मैं आपको बता दूं कि करिश्मा भाभी ने मुझसे ईमेल के जरिये संपर्क किया था.
मैं उसके घर मिलने गया तो उसका अकेलापन मुझे दिखा. उसके पति व्यवसाय में व्यस्त रहते थे और भाभी काफी खालीपन महसूस करती थी. फिर बातों बातों में हम दोनों गर्म हो गये और करिश्मा भाभी को मैंने नंगी कर लिया.
पहले मैंने उनके बेडरूम में भाभी की चुदाई की और फिर उसको किचन में चूसा और चाटा. उसके बाद भी जब मन नहीं भरा तो मैंने उसको एक बार बाथरूम में भी चोदा.
बाथरूम में चुदाई करने के बाद हम दोनों ही थोड़े थक से गए थे।
हालांकि भाभी की चूत का पानी झड़वाने के चक्कर मे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था मगर उसकी हालत देख मैंने सोचा कि थोड़ा आराम करना ही बेहतर होगा।
फिर हम दोनों वापस बेडरूम में आ गए और टॉवल से खुद को सुखाकर वापस नंगे ही बेड पर लेट गए। इतनी बेहतरीन चुदाई के बाद उनकी आंखों में एक खुशी साफ़ नज़र आ रही थी.
उनकी मुस्कान में एक शरारत भी थी। उसके बाद मैं दोबारा से उसके बदन पर हाथ फिराने लगा. दोस्तो, जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि भाभी ज्यादा सुंदर तो नहीं थी लेकिन उसकी बॉडी बहुत ही आकर्षित करने वाली थी.
मैं उसकी चूचियों की निप्पलों को देख रहा था. उसके चूचे एकदम से गोल गोल थे. उसकी चूचियों के वे काले निप्पल भी एकदम से तने हुए थे. ऐसा लग रहा था जैसे चॉकलेट के केक पर किसी ने टॉपिंग रखी हों.
बातें करते हुए मैं उसके बदन को सहलाने लगा. उसके मखमली बदन को जितना भी सहलाओ उतना कम लगता था. उसका मन भी शायद मुझे पूरी तरह से निचोड़ने का था.
वो भी मेरे सोये हुए लंड को सहला रही थी. उसके कोमल हाथों में जाकर लंड में अजब ही रोमांच पैदा हो रहा था.
अभी अभी चुदाई करके आये थे. लंड पूरा सिकुड़ा हुआ था लेकिन वो ऐसे अंदाज से लंड पर हाथ फिरा रही थी कि लग रहा था जैसे दो मिनट में ही लंड को फिर से खड़ा कर देगी.
करिश्मा भाभी शायद लम्बे समय से मर्द के सुख से वंचित थी. उसके हाथ मेरे बदन के हर हिस्से को छूने की कोशिश कर रहे थे. मैं उसको किसी भी तरह से रोकना नहीं चाहता था.
दोस्तो, भाभी जब प्यासी हो तो वो अपने आप ही इतनी चुदासी रहती है कि अगर उसको ठीक से गर्म कर दो तो वो फिर पूरी शिद्दत के साथ चुदवाती है और पूरा साथ देती है.
मैं भी करिश्मा भाभी के अकेलेपन को कम करने ही आया था इसलिए उसकी इच्छाओं का पूरा ध्यान रख रहा था. वो भी जैसे अपनी आंखों में ही मेरी शुक्रगुजार होने की भावना को दर्शा रही थी.
अब मैंने उसकी चूचियों को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया. उसके निप्पलों को दो उंगलियों के बीच में लेकर मसलने लगा. जैसे ही मैं उसके निप्पलों को भींचता तो वो मेरे लंड को जोर से खींच लेती थी.
फिर मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया. उसने मुझे रोका नहीं लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था. मैं उसकी चूचियों को पी रहा था और जब उसकी तरफ नजर उठाकर देखता तो वो मेरी ही आंखों में देख रही होती थी.
तीन चार मिनट तक मैं उसकी चूचियों को बारी बारी से पीता रहा. वो भी मजा लेती रही. मेरे बालों को सहलाती रही. मैं उसकी चूत को छेड़ता रहा. वो भी मेरे लंड को पकड़ कर सहला देती थी.
फिर मैं उसके पेट पर चूमते हुए उसकी चूत की ओर चला. मैंने उसके झांटों वाली जगह पर किस किया तो उसकी आह्ह निकल गयी. मैंने ऊपर नजर उठाकर देखा तो उसके दो पहाड़नुमा चूचों के पीछे उसके चेहरे पर मादकता आ गयी थी.
उसकी चूचियों के पीछे दिख रहे उसके सुर्ख लाल होंठ अब आनंद में खुलने लगे थे. मैं उसकी चूत पर होंठ रखने ही वाला था कि उसने मेरे सिर को पकड़ कर मुझे ऐसा करने से रोक दिया.
मुझे कुछ समझ नहीं आया लेकिन अगले ही पल उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों से होंठों को मिलाकर मुझे अपनी आगोश में ले लिया.
हम दोनों एक दूसरे के बदनों को सहलाते हुए एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे. मेरी छाती उसकी चूचियों को दबा रही थी और मेरा लंड उसकी चूत पर छूकर इधर उधर रगड़ रहा था.
हमने थोड़ी देर तक चूमा चाटी की. मैं उसकी चूत में उंगली देना चाह रहा था. मगर वो उठ गयी. फिर वो किचन में जाकर पानी की बोतल और कुछ चॉकलेट्स लेकर आई।
पहले हम दोनों ने पानी पीया और फिर उन्होंने चॉकलेट को आधा अपने मुँह में लेकर मुझे पास आने का इशारा किया। बची हुई चॉकलेट को मैंने अपने मुँह में लिया और फिर हम चॉकलेट वाली किस करने लगे।
चॉकलेट से सने उसके रसीले होंठों को चूसने में कुछ मुझे अब ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था। इसके बाद मैंने थोड़ा चॉकलेट उनके मम्मों पर लगाकर उसे चाटा और निप्पलों को चूसा।
फिर थोड़ा चॉकलेट चूत पर लगाकर उसे भी चाटा। वो फिर से गर्म होने लगी तो मैं उन्हें फिर से बाथरूम में ले गया। मैंने उन्हें पूछा कि आपने कभी साबुन लगाकर नहाते हुए चुदाई की है?
उन्होंने कहा- नहीं। मैंने कहा- तो आज करते हैं।
फिर पहले तो शॉवर के नीचे खड़े होकर भीगते हुए हमने दो मिनट चुम्मा-चाटी की। फिर शॉवर बंद करके एक दूसरे पर साबुन मला। मैंने उसके मम्मों पर साबुन मलते हुए उन्हें अच्छे से दबाया.
इतने में ही भाभी की चूचियों के निप्पल दोबारा से खूब कड़क हो गए। फिर उसकी चूत पर मैंने अच्छे से साबुन लगाया और काफ़ी झाग बनाया। फिर अपने लंड पर अच्छे से साबुन लगाया और उसकी झाग से भरी चूत पर मसलने लगा।
उसके मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं। फिर बड़े प्यार से मैंने अपने चिकने लंड को भाभी की झाग भरी चूत में सरका दिया। लंड बड़े आराम से भाभी की चिकनी चूत में फिसल गया।
लंड अंदर जाते ही उसके मुँह से ऊह्ह … की आवाज़ निकली और मैंने उसे स्मूच करते हुए अपनी आगोश में लेकर चुदाई शुरू कर दी। वो भी अपनी कमर हिलाते हुए मज़े से चुदने लगी।
अब वो उसके झाग लगे बोबे मेरी चिकनी छाती पर घिस रही थी और मुझे मिल रहे आनंद में चार चांद लगा रही थी। चुदाई बड़े प्यार से चल रही थी और मैं कभी उसके गाल तो कभी गले पर चूम रहा था और काट भी रहा था।
मैं जोर जोर से उसके चिकने बोबे और निप्पल मसल रहा था और कभी चूत की भगनासा को भी मसल रहा था। उसके मुंह से निकल रही ऊह्ह … आह्ह … सीत्कारें उसकी उत्तेजना को अच्छे से व्यक्त कर रही थीं।
अब मैं जोर जोर से उसकी चूत को फाड़ने लगा था. मेरा लंड पत्थर जैसा कठोर हो गया था. भाभी की चूत में धक्के लगाते हुए उसकी चूचियां तेजी के साथ डोल रही थीं. उसकी सिसकारियां लगातार तेज होती जा रही थीं.
करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा कि साबुन कुछ सूख सा रहा है तो मैंने लंड को बाहर निकाल लिया. अब दोबारा से चिकना करने की जरूरत थी वर्ना साबुन के सूखा होने से त्वचा में जलन हो सकती थी.
लंड को बाहर निकालने के बाद मैंने हम दोनों पर फिर से पानी डाला और मैं दोबारा से फिर साबुन मलने लगा. साबुन को उसकी चूत में मल मलकर मैंने काफी सारे झाग बना लिये.
उसकी चूचियों पर भी काफी सारे झाग बनाये. मैंने अपने लंड पर भी साबुन लगया और मेरे बिना कहे ही उसने मेरे लंड को थाम लिया और मसलने लगी.
मेरे लंड को मसल मसलकर उसने मेरे औजार पर भी काफी सारे झाग बना दिये. उसके हाथ से लंड को सहलाने का मैंने पूरा मजा लिया. अब दोनों के सेक्स अंग पूरी तरह से चिकने हो चुके थे.
मैं अब दोबारा से चुदाई शुरू करने के लिए तैयार था. अबकी बार मैंने उसे उल्टा खड़ा करके आगे की ओर झुकाते हुए उसकी चूत में पीछे से लंड डाला।
अब वो आधी डॉगी स्टाइल में चुदने लगी। मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर पीछे की ओर खींचा. फिर उसे आगे की ओर झुका लिया और झुकाकर फिर से धमाधम चुदाई करने लगा.
इस पोज को सबमिसिव डॉगी स्टाइल भी कहते हैं। इस तरह चुदते हुए उसकी चीखें और भी बढ़ गयीं क्योंकि लंड भी बहुत अंदर तक जा रहा था। मैं भी पूरे जोश में उसकी चूत को फाड़ रहा था.
10-12 ज़ोरदार धक्कों में उसकी चूत से झरना बह निकला. उसकी चूत से साबुन के झागों के साथ ही उसकी चूत का पानी मिलकर बाहर आने लगा. अब चूत में और भी मस्त पच-पच की आवाज हो रही थी.
अगले 4-5 धक्कों में वो झमाझम झड़ती रही। फिर वो थोड़ी शांत हो गयी लेकिन मेरे धक्के जारी रहे. अब मैंने उसके हाथ छोड़ दिये. मैंने उसे खुद से ही सटा लिया और अपने बदन से सटा कर उसकी चूचियों को थाम लिया.
मैं अब उसकी चूचियों को जोर जोर से दबाते हुए उस भाभी की जोरदार चुदाई करने लगा. चोदते हुए मैं उसकी गर्दन, उसके कान की लौ और गालों पर प्यार से जीभ फिरा रहा था.
मेरे ऐसा करने से उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. वो फिर से कामुक हो रही थी. उसने फिर गर्दन पीछे करके मेरे होंठों को चूसने की कोशिश की और मैंने उसकी ये ख्वाहिश पूरी की.
मैंने उसके होंठों से होंठों को सटा दिया और उसने मस्ती में मेरे होंठों को चूसने का पूरा मजा लिया. नीचे से उसको चूत में लंड का मजा भी मिल रहा था और आगे मेरे हाथ उसकी चूचियों का दूध निचोड़ने में लगे हुए थे.
मेरे होंठों को चूसने के बाद उसने फिर से आगे की ओर मुंह घुमा लिया और अब वो आह्ह … आह्ह … की आवाज करते हुए चुदने लगी. अब मेरा जोश सातवें आसमान पर था.
करिश्मा भाभी को मैंने अपनी तरफ कर लिया. अब उसका मुंह मेरी ओर था. मैंने उसकी चूत में नीचे से थोड़ा झुककर लंड को चढ़ाया और फिर उसको अपने सीने से चिपका लिया.
मेरी छाती उसकी चूचियों पर सट गयी थी. अब मैंने उसको कसकर बांहों में भींचा और उसके होंठों को चूसते हुए उसको दोगुने जोश के साथ चोदने लगा.
वो अपनी कमर हिला हिलाकर मजे से चुद रही थी. अब उसके मुंह से निकलने वाली सिसकारियां और भी ज्यादा कामुक हो गयी थीं. उन मादक सिसकारियों के बीच में ही उसके खुले हुए सुर्ख लाल होंठों को चूमते हुए चुदाई का कुछ अलग ही मजा आ रहा था.
दोस्तो, अब भाभी की ताबड़तोड़ चुदाई करते हुए मैं भी अपनी चरम सीमा की ओर बढ़ रहा था. मेरा स्खलन मुझे नजदीक लगने लगा था. अगले कुछ धक्कों के बाद मैं पूरी ताकत के साथ उसकी चूत को ठोकने लगा और फिर मेरे लंड से वीर्य छूट पड़ा.
मैं धक्के देते हुए भाभी की चूत में ही झड़ने लगा. जैसे ही मेरे लंड से पिचकारी लगने लगी उसकी चूत ने भी एक बार फिर से रस की धारा बहा दी. हम दोनों एक दूसरे से लिपटते चले गये.
ऐसा लग रहा था जैसे हमारा जिस्म एक ही हो गया हो. चुदाई में एक साथ स्खलन होने का भी सुख परमानंद दिलाता है. दोनों ही निहाल हो गये थे.
हमने फिर शॉवर चलाकर खुद को साफ किया और एक दूसरे के जिस्मों को तौलिया से पौंछा. साबुन लगाकर उसकी चूत को चोदने से उसकी चूत एकदम से साफ और अधिक कामुक लग रही थी.
उसके बाद हम दोनों बाहर आ गये. घड़ी देखी तो दो बज चुके थे. चुदाई के आनंद में हमें वक्त का पता नही नहीं लगा. भाभी चुदाई के बाद पूरी संतुष्ट लग रही थी.
अब मेरे जाने का समय हो गया था. बाहर आने के बाद मैंने अपने कपड़े पहन लिये. उसने भी अपने कपड़े पहन लिये. फिर मैं उसको अलविदा कहने लगा तो उसने एक बार मुझे गले से लगाकर थैंक्स कहा.
उसके बाद मैं वहां से निकल आया. करिश्मा को सुख देकर मैं भी काफी खुश था. मेरा आना सफल हो गया था और मैं खुशी खुशी अपने घर को लौट चला.
दोस्तो, ये थी भाभी की चुदाई की कहानी. अगर आपको मेरा ये प्रयास अच्छा लगा हो तो जरूर बतायें. आप सभी की प्रतिक्रियाओं का मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा.
अब अन्तर्वसना सेक्स स्टोरीज पर आपसे मुलाकात होती ही रहेगी. मुझे मेरे ईमेल पर आप संपर्क कर सकते हैं. धन्यवाद दोस्तो। मैं आपका विक्की शर्मा इंदौरी आपसे अब अलविदा लेता हूं। [email protected]
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