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नमस्कार दोस्तो, आपकी रंजना फिर से अपनी नई चुदाई लेकर हाज़िर है.. जो कि अभी हाल में ही हुई है।
जैसा कि आप सबने पिछली चुदाई में जाना था कि मैंने अपना नम्बर उस शेरा को दे दिया था.. जो कि ट्रक का ड्राइवर था।
कुछ दिनों बाद एक दिन रात में उसका फ़ोन आया। मैं अकेली ही घर में थी.. मेरे पति हमेशा की तरह बाहर गए हुए थे।
मैंने कॉल उठाया कोई अंजाना सा नंबर था- हैलो कौन? शेरा- हैलो मेरी बुलबुल कैसी है जानेमन?
मैं- कौन.. किससे बात करनी है तुझे? शेरा- तुझी से कामिनी रंडी साली कुतिया..
मैं- पहले बोल कौन रहा है तू.. ये तो बोल? शेरा- याद कर छिनाल.. तेरा ट्रक वाला यार बोल रहा हूँ शेरा..
मैं- ओह्ह.. तो तू है इतनी रात में.. बोल कैसा है तू? शेरा- अरे मेरी जान.. तेरी चूत की याद सता रही है.. बोल क्या करूँ?
मैं- आ जा अभी.. अगर आ सकता है तो। शेरा- अरे अभी नहीं आ सकता.. कुत्ती तू आ जा हाईवे पर.. अगर तू बोल.. तो फिर से तुझे ले चलता हूँ।
मैं- लेकिन अभी तो रात हो गई है.. हाईवे भी दूर है। शेरा- आ जा.. तुझे कैसा डर.. मैं हूँ ना ले चलता हूँ जन्नत की सैर कराने को.. आ जा रानी नखरे बंद कर साली मादरचोद। मैं- ओके आती हूँ.. तू कहाँ मिलेगा?
फिर उसने मुझे एक जगह पर बुलाया.. मैंने फिर वही काम किया। थोड़ी सी दारू ली.. साथ में सिगरेट फूँकी। आज मैंने फिर से स्कर्ट और टॉप डाला.. लेकिन अन्दर नई वाली पैंटी पहनी.. ब्रा नहीं डाली।
जल्दी से घर में ही दारू के दो पैग खींचे और चल दी.. बिल्कुल रंडी के जैसे.. सज धज के।
हाईवे पर जाते ही मैंने देखा शेरा का ट्रक किनारे लगा हुआ था। मैंने इधर-उधर देखा और चल दी.. उसी की तरफ।
वहाँ पहुँच कर देखा तो साला चंदू भी दांत फैला कर मुझे देखते हुए बोला- उस्ताद आ गई साली।
नीचे उतर कर उसने मुझे ऊपर की ओर उठते हुए मेरी गाण्ड दबा कर ट्रक के अन्दर धकेल दिया।
अन्दर जाकर मैंने देखा.. साला शेरा देसी दारू में मस्त था, वो मुझे पकड़ कर मेरे होंठ चूसने लगा।
आहहह.. मत पूछो यारो.. साथ ही वो साला चंदू मेरे पीछे से अपना लौड़ा मेरी गाण्ड पर रगड़ने लगा।
फिर शेरा बोला- आज तुझे नई जगह ले जाएंगे हम दोनों। मैंने पूछा- कहाँ? तो बोला- तू उसकी चिंता ना कर.. चल एक पैग बना.. मैं गाड़ी बढ़ाता हूँ।
वो चलाता रहा.. हम सब दारू पीते रहे.. काफी देर बाद उसने एक बड़े से ट्रांसपोर्ट ऑफिस के बाहर गाड़ी रोकी और बोला- चल मेरी बुलबुल रंजना रांड.. आज तू मजे देख।
हम सब अन्दर गए। वहाँ एक बड़ा ही आलीशान सा केबिन वाला ऑफिस था उस ऑफिस के अन्दर एक और केबिन था। शेरा उसमें घुस गया और वो साला चंदू मुझसे बोलने लगा- आज बड़े साहब को और उनके दोस्त को खुश कर दे साली.. बड़े मजे आएंगे तुझे।
मैंने कहा- कौन साहब और कौन दोस्त?
तभी शेरा दो लोगों के साथ बाहर आया। एक बेहद स्मार्ट सा खूब गब्दू सा.. मुस्कुराता हुआ एक आदमी आगे आया और उसके पीछे एक लगभग 45-50 साल का बन्दा था.. जो कि मुँह में पान चबाए जा रहा था।
शेरा ने परिचय करवाया- साहब ये रंजना जी हैं.. इनको नए दोस्तों से मिलना बहुत पसंद है और वही शौक आपको भी है.. सो मैंने सोचा मिलवा दूँ.. दो यारों को।
फिर शेरा मुझसे बोला- सुन.. ये हमारे ट्रांसपोर्ट के मालिक हैं और ये इनके दोस्त हैं.. इनका दिल्ली में कपड़ों का बड़ा बिज़नेस है.. सिर्फ तुझसे मिलने आए हैं.. समझी.. अब आज से जब तक तेरा मूड करे इनसे यारी जमा.. सिर्फ फायदे होंगे नुक्सान कुछ नहीं।
फिर मैंने पूछा- तेरे साहब का कुछ नाम भी है भोसड़ी के..
इतने में वो ही बोल पड़ा- वाह.. तेवर तो देखा गुप्ता जी इस छिनाल के.. यहाँ अपनी माँ चुदवाने आई है या रिश्ता करने आई है और तेवर तो देख साली के.. सुन मेरा नाम सुमेर है और मेरे कहने पर ही ये तुझे यहाँ लाए हैं। तेरी पिछली बार की चुदाई इसने मुझे बताई थी.. तभी से मेरा लण्ड तुझे याद कर रहा था।
फिर उसने अपने हाथ से दो अंगूठी निकाल कर शेरा को दे दीं और बोला- अब तू जा.. मैं इसको जब ये कहेगी इसके ठिकाने पर छोड़ दूंगा। अब मैं और गुप्ता जी और रंजना रानी ही इधर मजे करेंगे।
फिर शेरा और चंदू तो चले गए।
सुमेर ने मुझसे कहा- पहले कुछ रंगीन मौसम तो बन जाए.. क्यों गुप्ता जी? गुप्ता जी- हाँ सुमेर भाई.. लेकिन ये तो कुछ बोले..
मैं- क्यों नहीं.. अब जब मिले ही हैं.. तो अपनी यारी सेलिब्रेट करेंगे। सुमेर मुझसे बोला- सुन.. सब कुछ अन्दर ऑफिस में है.. जाकर लेकर आ और कपड़े उतार दियो। मैं- ओके मेरे हैंडसम यार.. मैं एक चुम्मा उछालती हुई और गुप्ता को आँख मारती हुई चली गई।
जब आई तो सिर्फ पैंटी में थी और हाथ में एक ट्रे थी.. जिसमें दारू की बोतल.. पानी और कुछ चिप्स थे।
वो दोनों सोफे पर थे, मुझसे बोले- जानेमन बीच में आकर बैठ जा और फिर दारू पिला। मैंने बोला- मुझे कौन पिलाएगा? तो दोनों बोल उठे- मैं..
मुझे हँसी आ गई.. सोचा साले मरे जा रहे मेरा नंगा जिस्म टटोलने को। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर मैंने उनका पैग बना कर दिया.. वो सिप लेते हुए मेरे मम्मों को छेड़ने लगे, कभी किस करते.. कभी जीभ फिराते।
अब तो मैंने भी अपना एक पैग बनाया और उठ कर दूर जाकर पीने लगी.. और अपने होंठों पर कामुक अंदाज से जीभ फिराने लगी।
इतने में गुप्ता जी पीछे से आकर मुझे चिपका कर मेरे मम्मों को दबाने लगे।
फिर मैंने सुमेर को एक गन्दा सा इशारा करके पास बुलाया और खुद घुटनों पर बैठ गई। मैंने उन दोनों के लण्ड बाहर निकाले और ध्यान से देखे।
सुमेर का लण्ड मस्त था.. उसका टॉप खुला हुआ था.. लेकिन कसम से गुप्ता ने तो कमाल ही कर दिया, मूसल छाप लौड़ा लिए साला कमीना बुढ़ापे में घूम रहा था।
मैंने देखा तो मुझे उसके लण्ड पर इतना प्यार आया कि सुपारे पर एक चुम्मा ले लिया और जीभ फिराने लगी। फिर बारी-बारी से दोनों का लण्ड चूसती रही।
वो दोनों तो पागल हुए पड़े थे.. कभी उनके टट्टों को भी मुँह में भर के चूस लेती थी।
उनकी झांटों की महक ने मुझे पागल बना दिया था। मैंने सोचा साली रंजना देख तेरी किस्मत एक ट्रक वाले से चुद कर तुझे कितने अमीर लोगों के पास लाई है। ये सब तेरा हुनर ही है.. अब इनसे यारी निभाती रहना और जब भी मौका लगे खूब चुदना।
फिर साला सुमेर बोलने लगा- रंजना यार मैं तेरे मुँह में झडूंगा। मैंने बोला- तो झाड़ दे.. पूछ क्या रहा है।
फिर मैंने गुप्ता को आँख मार के इशारा किया कि तू रुक अभी पहले इसको झाड़ दूँ.. और तभी सुमेर का गरम-गरम माल मेरे मुँह में आ गया। साले ने पूरा मेरे बदन पर.. फेस पर.. बिखेर दिया।
अब गुप्ता अपना लौड़ा लेकर आया और बोला- बेबी मुझे तेरे ऊपर मूतना है। मैंने बोला- साले पहले तुम दोनों घुटनों पर आओ.. मैं अपना रसपान करवाऊँगी। फिर मैंने सोफे पर बैठके खूब सारा मूत पिलाया।
फिर गुप्ता बोला- बेबी अब मुझे तुम्हारी गाण्ड का भोग लगाना है। मैंने कहा- साले गाण्ड मरवाने से पहले दारू तो पिला दे.. सब उतर गई है कमीने। उधर सुमेर फिर से लण्ड हिलाने लगा था।
सब ने दो-दो पैग लिए और मैं घोड़ी बन कर सोफे पर आ गई। पीछे से गुप्ता अपनी बन्दूक लिए आया और गाण्ड पर एक चपत लगाई।
बोला- हो गई मेरी बुलबुल गाण्ड मरवाने को रेडी? मैंने बोला- हाँ डाल दे.. अब मत सोच।
उसने थूक लगाया और दे दिया धक्का… ‘आह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह…’
मेरी तो चीख निकल गई। उधर सुमेर ने मेरे मुँह में अपना लण्ड डाल दिया, मैं उसको चूसने में मस्त हो गई, काफी देर बाद गुप्ता झड़ गया।
अब सुमेर ने कहा- रंजना रानी मैं तेरी चूत मारूंगा.. लेकिन अभी नहीं। फिर उसने किसी से कुछ फ़ोन पर बात की और बोला- अब थोड़ा रुक के.. तेरे मजे लेंगे।
फिर हम तीनों आपस में गंदे मजाक और भद्दे-भद्दे इशारे करते हुए दारु पीने लगे। मुझे तो चूत चुदवाने को जल्दी हो रही थी लेकिन ये साला सुमेर पता नहीं क्या प्लान बना कर बैठा था।
मुझे पता भी नहीं था।
आगे जानने के लिए अगला भाग भेजूंगी कि फिर मेरी चुदाई कैसे हुई.. मेरी चूत की आग कैसे शान्त हुई। गुप्ता सुमेर और शायद कोई और ने भी.. मुझे कैसे चोदा। ये सब जानने के लिए थोड़ा इंतज़ार कीजिएगा।
तब तक चुदक्कड़ रंजना की खुली चूत और गाण्ड से सबको ढेर सारा प्यार
आप सभी के प्यार की प्यासी
आपकी चुदक्कड़ रंजना
कृपया बताइएगा.. आपको मेरी यह चुदाई कैसी लगी।
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