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हैलो दोस्तो.. मैं दीपक.. सोनीपत (हरियाणा) से एक बार फिर से एक कहानी लेकर आपकी सेवा में हाजिर हूँ।
मेरी पिछली कहानी जन्मदिन के तोहफे में मिली कुंवारी चूत को आप लोगों ने बहुत सराहा.. जिसके लिए आप लोगों का धन्यवाद।
मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि कैसे मुझे जन्मदिन पर परी की चूत तोहफे में मिली। उसके बाद तो 2-3 दिन में हम दोनों का मिलना होता रहा।
अब मेरे लंड को उसकी चूत की आदत पड़ गई थी और उसकी चूत को मेरे लण्ड की, अब तो मुझे उसकी चूत मारे बिन रहा नहीं जाता था।
एक दिन उसका फ़ोन आया कि उसके माता-पिता किसी काम से बाहर जा रहे हैं और 4 या 5 घण्टे बाद आएंगे। बस मौका मिल गया और मैं पहुँच गया अपनी जान के घर पर उसकी चुदाई करने।
उसके घर जाने के बाद मैं उससे लपक कर मिला। उसने मुझे बैठाया.. वो गर्म दूध ले आई और अपने लिए कॉफ़ी।
इस सब के बाद मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया और उसके गुलाबी होंठों पर टूट पड़ा। कुछ मिनट में ही मैंने उसके होंठ चूस-चूस कर गुलाबी से लाल कर दिए थे।
चुम्बन करने से ही मेरा लंड बिल्कुल तन गया था और मैंने कपड़ों के ऊपर से ही बिना उसकी सलवार उतारे उसकी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया।
उसके बाद मैंने उसके कपड़े निकालने शुरू कर दिए और कुछ देर बाद हम दोनों एक-दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे पड़े थे। उसके होंठों से चुम्बन करते हुए उसके चूचों पर आ गया और उसके कड़क चूचों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मैं एक हाथ से उसके दूसरे चूचे को मसलने लगा, कभी प्यार से चूसता और दांतों से काट देता।
जैसे उसके चूचों को मैं दांतों से काटता.. वो अपने नाख़ून मेरे कमर में गाड़ देती।
उसके मुँह से ‘आह्ह्ह.. उह्ह्ह..’ की आवाज़ निकल रही थी। कुछ ही देर में उसके चूचे एकदम लाल हो गए और उन पर मेरे दांतों के निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे।
कुछ देर बाद मैं उसके पेट से चुम्बन करता हुआ उसकी गुलाबी चूत पर आ गया। उसकी चूत एकदम पाव रोटी की तरफ फूली हुई थी और उसकी चूत पर हल्के-हल्के भूरे रंग के बाल थे, जो उसकी चूत की सुंदरता बढ़ा रहे थे।
मैं उसकी चूत को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा, कभी उसके दाने को मसलता.. कभी दाँतों से काट देता। उसकी चूत से एक अजीब सी महक आ रही थी.. जो मुझे पागल बनाए जा रही थी।
जीभ से चूत की चुदाई करना उसको सुकून दे रहा था.. क्योंकि जैसे ही मेरी जीभ अन्दर जाती.. तो वो अपनी गाण्ड उठा कर उसको और अन्दर लेने की कोशिश करती।
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और वो मेरा लण्ड गपागप चूसने लगी।
मैंने धीरे-धीरे उंगलियों से उसे चोदना शुरू किया.. वो बस सिसकारियाँ भर रही थी और बड़बड़ा रही थी- आआहह.. उफ्फ़.. सीईईई.. साथ ही वो अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी। मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी.. पर मजा भी आ रहा था।
उसकी चूत से चिकना सफ़ेद सा कामरस बह निकला.. और मैं उसका सारा पानी चाट-चाटकर पी गया।
वो अब भी लगातार मेरे लण्ड को चूस रही थी.. जैसे कि इसको खा ही जाएगी। उसके इसी चुदासपन से थोड़ी ही देर बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया और वो मेरा सारा पानी पी गई।
उसने अपनी जीभ से मेरे लण्ड को चाटकर साफ़ कर दिया। करीब एक घण्टे तक हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे में बाँहों में पड़े रहे।
अब फिर से वो मेरे लण्ड से खेलने लगी और उसके मुँह का स्पर्श पाकर मेरा लण्ड फिर से फुंफकार मारने लगा।
लण्ड को गीला करने के बाद वो मेरे ऊपर आ गई और लण्ड को पकड़कर उस पर बैठ गई और मेरे लण्ड को अपनी चूत से चोदने लगी। उसकी चूत में मेरा लण्ड अन्दर-बाहर होता हुआ दिख रहा था कि कैसे उसकी निगोड़ी चूत मेरे लण्ड को पूरा गप्प से खा जाती। कुछ देर में वो थक गई और मुझे चुदाई करने के लिए कहने लगी।
मैं उसको नीचे लिटाकर उसकी चूत पर अपना लण्ड रगड़ने लगा। ऐसा करने से उसकी चुदास बढ़ रही थी और वो मुझे गालियाँ देकर चोदने के लिए कहने लगी।
फिर एक ही झटके में मैंने पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया.. जिससे वो एकदम से चिहुँक गई। फिर ऐसे ही चुदाई करने के बाद मैंने उसको घोड़ी बनने के लिए कहा और अपना लण्ड पीछे से उसकी चूत में डालकर दनादन चोदने लगा।
मेरे हर झटके के साथ उसके चूचे आगे-पीछे हिल रहे थे। जैसे पूरा लण्ड बाहर निकाल कर अन्दर डालता.. तो उसके मुँह से सिसकारी निकल जाती। पूरे कमरे में उसकी ‘आह्ह्ह्ह.. ओह्ह्ह्ह्ह..’ की आवाज़ गूंज रही थी और साथ में चूत से आती ‘फच्च.. फच्च..’ की चुदर ध्वनि की आवाज़.. जो माहौल को और रोमाँटिक बना रही थी।
‘आहह.. ओफफ्फ़.. सीईई.. मैं मर गईईईई.. अहहूऊ.. ओहुचह..’ मदहोशी के आलम में मादक आवाजें निकल रही थीं।
कुछ देर की चुदाई के बाद चुदाई चरम सीमा पर पहुँच गई थी और वो मुझसे कहने लगी- जानू मेरा पानी निकलने वाला है.. और जोर-जोर से झटके मारो.. फ़क मी हार्ड… जोर से.. आह्ह्ह्ह और जोर से.. फाड़ डालो इसको..
कुछ 8-10 झटकों के बाद वो अपनी गाण्ड उठाकर झड़ने लगी और उसकी चूत के गरम निकलते पानी से मेरे लण्ड ने भी सरेंडर कर दिया और उसकी चूत को पानी से भर दिया।
फिर हम ऐसे ही पड़े रहे और कुछ देर बाद मेरा लण्ड अपने आप उसकी चूत से बाहर निकल आया और उसकी चूत से मेरा पानी निकलने लगा।
फिर हमने एक-दूजे को बाँहों में लेकर लिप किस किया और अपने कपड़े पहनने लगे कि तभी हमने बाहर किसी की आहट सुनी।
मैंने देखा तो उसकी पड़ोस की भाभी हमें देख रही थीं और सलवार के ऊपर से ही अपनी चूत को रगड़ रही थीं।
उनको देखकर तो मैं डर ही गया और मेरा चेहरा उतर गया। परी और उसकी भाभी मेरा उतरा हुआ चेहरा देखकर हँसने लगीं। मैं समझ गया कि यह इन दोनों की मिली-भगत है।
मेरे पूछने पर परी ने बताया कि उनको भी मुझसे चुदाई करवानी है क्योंकि उसका पति नाईट ड्यूटी करता है और बहुत दिनों तक उसकी चुदाई नहीं होती।
मुझे यह सुनकर तो मजा आ गया और मेरा लण्ड भाभी को देखकर फुंफकार मारने लगा।
दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी? अगली कहानी में बताऊँगा कि कैसे मैंने परी की भाभी की चुदाई की और उसको माँ बनाया। मुझे आपकी मेल का इंतज़ार रहेगा। [email protected]
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