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सलोनी ने कलुआ का लंड चूसते हुए आधे से अधिक लण्ड अपने मुँह के अंदर ले लिया और कलुआ भी अपनी कमर हिलाते हुये सलोनी के मुँह की चुदाई कर रहा था। उस के पीछे बैठे पप्पू ने अपने थूक और लार से सलोनी के चूतड़ों से लेकर गांड चूत सब गीले कर दिये।
तभी पप्पू सलोनी के पीछे अपने घुटनों पर खड़ा हुआ, उसने सलोनी के चूतड़ों को ऊपर को किया, सलोनी ने आराम से अपनी कमर को उसके खड़े लंड से सटा दिया, पप्पू ने अपनी पोज़िशन ठीक की और लंड को नीचे चूत पर सेट किया और धक्का मार दिया। इसके साथ ही उसने अपना लौड़ा सलोनी की चूत में प्रवेश करा दिया।
सलोनी ने एक सिसकारी भरी और उसने आराम से पप्पू के लंड को अपनी चिकनी चूत में स्थान दे दिया।
2-3 धक्कों में ही पप्पू ने अपना पूरा लंड सलोनी की चूत में घुसेड़ दिया और वो अब आराम से उसके चूतड़ों को पकड़ कर लयबद्ध तरीके से सलोनी की चूत को चोदने लगा।
इधर मैं अपने लंड को अपने हाथ से हिला रहा था और उधर वो पप्पू मेरी जानम सलोनी को चोद रहा था, सलोनी के मुख में अभी भी कलुआ का लंड था, जिसको कलुआ ने सिर्फ़ मुंह में डाल रखा था, सलोनी के आगे पीछे होने से कलुआ का लंड अपने आप ही सलोनी के मुँह में आगे पीछे हो रहा था।
और एकदम अचानक कलुआ ने अपना लंड सलोनी के मुँह से बाहर निकाल लिया, सलोनी उसको देख ही रही थी कि वो पप्पू को हटाकर बोला- हट बे… अब तू आगे जा… मेरा तो इसके मुँह में ही निकल जाता… तू हट… मैं भी 2-5 घस्से मार लूँ… फिर तू चोद लियो…
उसने पप्पू को धक्का देकर हटा दिया। स्पष्ट दिख रहा था कि यह ना तो पप्पू को अच्छा लगा.. और ना ही सलोनी को पसन्द आया।
और कलुआ ने सलोनी के चूतड़ों को कुछ ज्यादा ही खोल कर ढेर सारा थूक सलोनी की गांड के छेद पर डाला और उसको अपने लंड से मल दिया।
सलोनी या मैं कुछ समझता, उससे पहले ही उसने अपना मूसल सा लंड सलोनी की गांड में घुसा दिया।
ऊउह… हहह… उछल सी गई सलोनी…
सलोनी- ओह्ह पागल है क्या? बिना बताए कहाँ घुसा रहा है? निकाल इसे वहाँ से! और वो आगे को सरक गई।
कलुआ- क्या हुआ मैडमजी… गांड में ही तो डाल रहा था। सलोनी- बिल्कुल नहीं… चुपचाप नीचे डाल… वहाँ नहीं.. मरना नहीं है मुझे…
पता नहीं क्यों और कैसे, कलुआ एकदम मान गया, शायद उसे मेरे आ जाने डर होगा, इससे उसने कोई ज्यादा बहस नहीं की। सलोनी को शायद डर भी था कि ये दो जने हैं जबर्दस्ती भी कर सकते हैं… या फिर कलुआ ही हरामपंथी पर उतर आये और गांड में डाल दे?
इसलिए वो अब सीधी होकर लेट गई और अपने पाँव फैला कर बोली- चल आ… अब यहाँ से डाल… और जल्दी कर… कोई भी आ सकता है। और कलुआ बिना कुछ कहे उसकी जांघों के बीच में आया और उसने उसी हालत में अपना लंड सलोनी की चूत पर टिकाया और 2-3 झटकों में आराम से सलोनी की चूत अन्दर प्रवेश करा दिया।
अब कलुआ सलोनी पर अधलेटा उसे चोद रहा था, पप्पू अब सलोनी के सिर के पास बैठा था, कुछ नहीं कर रहा था.. वो शायद डर गया था.. सलोनी ने उसे प्यार से देखा तो वह सलोनी के चेहरे के पास आकर उसकी चूचियों को मसलने लगा।
उसका लंड इतनी देर में हल्का सा मुरझा गया था, सलोनी ने हाथ से उसके लंड को पकड़ा तो सलोनी के हाथ लगते ही दोबारा से पूरा सख्त हो गया।
सलोनी ने अपना मुँह उसकी ओर करके पप्पू के लंड को अपने होंठों में ले लिया। पप्पू ने जोर से सिसकारी भरी- अह्हहाआ आआआहआ… पप्पू और कलुआ दोनों जोर जोर से सिसकारियाँ ले रहे थे, दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था।
कमरे में काफ़ी आवाजें गूंज रही थी जिनका सम्बन्ध सिर्फ़ चुदाई से था- सिसकारियाँ… जांघें पटकने की आवाज… चप चप… लंड के अन्दर बाहर होने की आवाज़ें… और चुस चस्प… लंड चूसने की आवाज़ें… बहुत ही सेक्सी नजारा था।
और तभी कलुआ ने सलोनी को तेजी से चोदना शुरू कर दिया- अह्ह्ह्हाआ आआआ… ओह… उम्म… अम्म… आह… सलोनी को तुरन्त पता चल गया कि अब कलुआ का पानी निकलने को है, वो एकदम पीछे को हुई और गप्प… की आवाज के साथ कलुआ का लंड चूत से बाहर!
सलोनी पप्पू के लंड को छोड़ जल्दी से उठी और कलुआ के लंड को पकड़ कर हिलाने लगी और कलुआ ने जोर से पिचकारी मारी, बहुत सारा वीर्य सलोनी के वक्ष पर गिर गया। फिर उसके बाद काफ़ी छोटी छोटी पिचकारियाँ निकली और सलोनी का पूरा पेट गीला हो गया।
काफ़ी ज्यादा पानी निकला था कलुआ का… उसका लंड अभी भी सलोनी के हाथ में था… पता नहीं कलुआ को अचानक क्या हुआ, वह एक ओर बैठा और उसने सलोनी को अपने लंड की तरफ झुकाया।
सलोनी फिर से घुटनों पर आ गई और उसने कलुआ का लंड पहले तो साफ़ किया और फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
अब पप्पू को कुछ होश आया, यह सब देख कर वो बहुत उत्तेजित हो चुका था, उसका लंड उसके हाथ में था जिसे वह मसले जा रहा था। वो तुरंत सलोनी के पीछे आया और एक बार फिर से उसने सलोनी के मोटे चूतड़ों और फ़ुद्दी का निरीक्षण किया… सलोनी की चूत अभी अभी कलुआ की चुदाई के कारण कुछ लाल लग रही थी।
पप्पू ने सलोनी के गांड के छेद पर उंगली फिराई, सलोनी तुरन्त उठी और वो कुछ कहती, इससे पहले ही कलुआ ने उसका मुँह दबा लिया और पप्पू को इशारा किया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मेरे या सलोनी के कुछ करने से पहले ही पप्पू ने अपना लंड सलोनी की गांड में घुसा दिया और सलोनी विवश सी लेटी रही। वो तो शुक्र था कि पप्पू का लंड ज्यादा मोटा नहीं था और सलोनी भी गांड से कुंवारी नहीं थी।
3-4 धक्कों के साथ ही पप्पू का पूरा लंड सलोनी की गांड के अंदर था और पप्पू सलोनी की गांड को मजे से चोदने लगा था।
कलुआ ने सलोनी का चेहरा पकड़ रखा था पर जब सलोनी को मज आने लगा तो उसने सलोनी के मुँह में फिर से अपना लंड घुसा दिया।
सलोनी और पप्पू दोनों ही इस चुदाई का आनन्द उठा रहे थे- आः ह्हाआआ म्म्माआ आअम्म्म्म आअह्हाआआ बहुत कसी है गांड आपकी… आआह्हआ मजा आ गया… मदम्म जी आअह्ह्हाआआ कितना कसा हुआ जा रहा है… आआह्ह्हा आआ ऊऊओ
दोनों बस इस चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे।
पता नहीं सलोनी को क्या हुआ, वो क्या करना चाहती थी, उसने आगे होकर पप्पू का लंड अपनी गांड से बाहर निकाल दिया। बेचारा पप्पू… एक तो उसका निकल नहीं रहा था, हर बार बीच में कोई रुकावट आ जाती थी।
पहले कलुआ ने उसको हटाया और अबा सलोनी ने उसके मज़े को ख़राब कर दिया, वह आँखें फाड़े देखे जा रहा था।
तभी सलोनी पूरी नंगी उठकर बिस्तर पर खड़ी हो गई!
उफ़्फ़ ज़ालिम… इतनी सेक्सी लग रही थी! अब यह क्या करेगी?
कहानी जारी रहेगी।
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