This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
मेरा नाम अमित है, मैं बिहार का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 साल है.. हाइट 6 फीट.. थोडा सांवला सा दिखता हूँ। मैं बहुत सीधा-सादा लड़का हूँ.. और गाँव में ही रहता हूँ। मैं पिछले चार साल से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी की एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। यह मेरी पहली कहानी है, आशा करता हूँ कि आपको पसंद आएगी।
मेरे घर के बगल में मेरे चचेरे चाचाजी का घर है। यह कहानी मेरे और मेरी चचेरी भाभी के बारे में है।
मेरे चचेरे भाई की नई-नई शादी हुई थी। मैं अक्सर उनके घर जाया करता था। नई वाली भाभी मुझसे बहुत मजाक करती थीं। मैं भी उनसे मजाक करता था.. पर मैंने उन्हें कभी गलत नजर से नहीं देखा था, मैं कभी भी उनके घर चला जाता था।
उनके पति बाहर काम करते थे और वो 6 महीने में एक बार ही घर आया करते थे। कभी-कभी जब मैं सुबह उनके घर जाता.. तो वो आँगन में नहा रही होतीं.. तो मैं शर्मा कर वापस चला आता.. पर मेरे इस तरह आने और शर्मा कर जाने पर भी वो बिल्कुल नहीं शर्माती थीं।
बाद में उनके घर जाकर मैं बोलता- मैंने ‘आपके’ देख लिए हैं.. तो वो बिल्कुल नहीं शर्माती थीं.. उल्टे मुझसे पूछ लेतीं- क्या-क्या देखा है? मैं शर्मा कर वहाँ से चला आता।
मैं रोज शाम को जाता और देर रात को आता। कई बार तो देर रात तक उनके यहाँ ही बैठता था। चाचीजी मुझे बहुत मानती थीं।
एक बार मैं शाम को भाभी के यहाँ गया.. तो उनके पति का फ़ोन आया हुआ था। फोन पर उनकी सास बात कर रही थीं और वो पीछे से सुन रही थीं।
थोड़ा अँधेरा हो गया था। उस समय हल्की ठंड सी हो रही थी.. तो सभी चादर ओढ़ कर बैठे हुए थे। मैं भी उनके पीछे जाकर बैठ गया।
तभी अचानक भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और सहलाने लगीं। मैंने जब उनकी तरफ देखा तो वो मुझे चिढ़ाने के अंदाज में जीभ निकाल कर दिखाने लगीं। मैंने भी उन्हें चिढ़ाने के लिए पीछे से ही उनकी कमर में हाथ डाल कर चूचियों की तरफ बढ़ाने लगा।
अचानक उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया। मुझे तो लगा.. मैं तो गया.. वो पक्का अब अपनी सास को बोल देंगी.. पर उन्होंने मेरा सिर्फ हाथ पकड़े रखा.. कुछ कहा नहीं.. तो मैंने उनका हाथ छुड़ा कर उनके चूचों पर रख दिया और सहलाने लगा।
वो कुछ नहीं बोलीं.. तो मुझे समझ में आ गया कि ये भी चुदना चाहती हैं.. सिर्फ कह नहीं पाती हैं।
उनकी सास आगे को बैठ कर फोन पर बात कर रही थीं। मुझे डर भी लग रहा था.. पर साथ में मजा भी बहुत आ रहा था। भाभी की चूची सहलाते-सहलाते कभी-कभी मैं जोर से भी दबा देता.. जिससे वो पकड़ लेतीं.. पर दूर नहीं करती थीं।
तभी उनकी सास ने फ़ोन पर ही कहा- अच्छा अब फ़ोन रखती हूँ। मैंने झट से हाथ खींच लिया और भाभी की तरफ देखने लगा, वो मंद-मंद मुस्कुरा रही थीं। मैंने घर आकर मुठ्ठ मारी तब ही शांति मिली।
अब मैंने सोच लिया था कि जब भी मौका मिलेगा.. मैं भौजाई की चूत को ठोक डालूँगा.. पर मुझे मौका ही नहीं मिल रहा था। वो रोज रात के खाने के बाद सास के पैर दबाती थीं.. तो रात में मैं भी वहीं बैठने लगा।
मैं उनके पीछे से चूची दबाता रहता था। इससे ज्यादा कुछ नहीं हो पाता था। वो भी बहुत चाहती थीं.. पर कोई जुगाड़ नहीं लग रहा था।
दो-तीन दिन में उनके पति भी आ गए क्योंकि छठ पूजा आने वाली थी.. तो अब सोचा कि अब तो काम नहीं बनेगा।
पर कहते हैं न कि जब ऊपर वाला सोच लेता है.. तो कोई कुछ नहीं कर सकता। छट के दिन ‘संध्या अर्घ्य’ के बाद गाँव में नाटक होने वाला था.. जिससे सभी जल्दी से आकर रात में नाच देखने जाने वाले थे।
भाभी का पति दारू पीकर सो गया.. तो चाचीजी ने मुझसे कहा- तुम बाद में आ जाना.. अभी मैं जा रही हूँ.. अकेले भाभी को डर लगेगा। तो मैंने कहा- ठीक है.. आप जाओ.. वैसे भी मुझे नाटक में उतना मजा नहीं आता है।
वो चली गईं.. तो भाभी और मैं वहीं पलंग पर बैठ कर बातें करने लगे। भाभी ने मुझे पूछा- खाना खाओगे? तो मैंने कहा- ठीक है ले आओ।
वो खाना लेने चली गईं.. तब मैं सोचने लगा कि आज रात यदि मैं चूका.. तो फिर कभी इनकी चूत नहीं चोद पाऊँगा। उसके पति के जागने का कोई सवाल ही नहीं था.. क्योंकि वो तो दारू पी कर टल्ली था। मैं वहीं बाहर ही इन्तजार करने लगा।
थोड़ी देर में भाभी खाना लेकर आईं, उन्होंने साड़ी पहन रखी थी, उन्होंने मेरे सामने थाली रख दी और बोलीं- खा लीजिए। मैंने कहा- ऐसे खाने के लिए तो मेरे भी घर पर खाना बना है.. आज मैं किसी दूसरे तरह से खाऊँगा। तो उन्होंने पूछा- कैसे खाओगे? मैंने कहा- आप खिलाओ..
वो मना करने लगीं.. तो मैं उठ कर जाने लगा.. वो मेरा हाथ पकड़ कर बोलीं- ठीक है.. मैं खिलाती हूँ। मैं बैठ गया.. तो वो उठ कर यह देखने चली गईं कि उसका पति सोया है या नहीं।
वो देख कर आ गईं और मुझे खिलाने लगीं।
मैं फिर से उनकी चूची दबाने लगा.. वो कुछ नहीं बोलीं.. तो मेरा हौसला बढ़ता चला गया और फिर मैंने उनके ब्लाउज के सभी बटन खोल दिए। उन्होंने अपने ऊपर शाल को ठीक से ओढ़ लिया ताकि अगर कोई आए भी तो पता नहीं चल सके कि हम वह क्या कर रहे थे।
फिर मैं अपना हाथ उनके साये में घुसा कर बुर को सहलाने लगा.. वो पूरी तरह गर्म हो गईं। फिर वो बोलीं- पहले खाना तो खा लो.. फिर जो करना होगा.. कर लेना।
तो मैंने जल्दी-जल्दी से खाया और उनको चूमने लगा.. तो वो बोलीं- यहाँ बाहर कोई देख लेगा.. अन्दर चलो। हम दोनों अन्दर चले गए और दूसरे कमरे में जाते ही मैं उनको दीवार से सटा कर चूमने लगा.. तो वो भी मेरा साथ देने लगीं।
मैंने उन्हें पलंग पर गिरा दिया और उनके चूचे दबाते हुए चूमने लगा.. तो वो बोलीं- जल्दी से कर लो वरना कोई आ जाएगा। मैंने भी देर करना ठीक नहीं समझा और अपनी पैंट की चैन खोल कर अपना लंड उनके हाथ में थमा दिया। वो लंड को सहलाने लगीं।
मैंने उनसे कहा- मेरे लंड को मुँह में ले लो। तो वो ‘न’ करने लगीं। मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया।
फिर उसकी साड़ी उतार दी और ज्यों ही साया खोलने के लिए हाथ बढ़ाया.. उन्होंने मना कर दिया और बोलीं- ये मत खोलो.. अगर मेरी सास आ जाएगी.. तो गड़बड़ हो जाएगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तो मैंने देर न करते हुए पेटीकोट को उठा कर अपना लंड उनकी बुर में घुसा दिया, बस चुदाई चालू हो गई।
आगे तो सभी को पता है कि क्या होता है। भाभी मुझे चुद चुकी थीं और आगे जब भी मौका मिलता.. मैं भाभी की बुर को भोसड़ा बनाने में जुट जाता।
यह थी मेरी पहली चुदाई की कहानी जरूर बताइएगा.. कैसी लगी.. आगे बताऊंगा कि कैसे मैंने उनकी सास के पीछे और उनके मायके में उन्हें हचक कर चोदा।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000