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अब तक आपने पढ़ा था कि मैं मौसी के जिस्म से छेड़खानी करने लगा था और यह कारस्तानी अभी चल ही रही थी।
अब आगे..
मैंने उनके ब्लाउज के हुक थोड़ी मेहनत के बाद खोल दिए.. और उनकी ब्रा के स्टेप चूंकि पीछे थे.. तो उसे नहीं खोल पाया। अब मैं अपने हल्के हाथों से चूचियों को दबाने लगा.. जिससे वो उठ ना जाएं। लेकिन थोड़ी देर बाद मेरा लंड खड़ा हो गया और अब वो फटने को तैयार हो चुका था.. तो मैंने सोचा कि कुछ किया जाए।
ये सोचकर मैंने उनकी ब्रा को ऊपर करनी चाही.. वो बहुत कसी हुई थी और बहुत मेहनत के बाद उनकी दोनों चूचियां नंगी कर पाया।
अब बिना किसी शर्म और डर के मैंने एक चूचे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हल्के-हल्के दबाने लगा।
कुछ मिनटों के बाद मेरी तो हालत खराब हो गई और मेरा लंड लोहे सा होकर झड़ने को तैयार हो गया। मैंने कुछ सोचे बिना मौसी की चूचियों पर अपने लंड से निकलते वीर्य को गिरा दिया। फिर मैंने सोचा कि अगर मौसी उठीं और मौसा को यहाँ ना देखकर और मुझे यहाँ देखेंगी.. तो वो सब समझ जाएँगी।
यही सोचकर मैं भी नीचे जाकर अपने कमरे में सो गया।
इस घटना के बाद मौसी अब मुझे बहुत ही अच्छी और खूबसूरत लगने लगी थीं। मौसी मुझसे उम्र में बड़ी थीं पर वो बहुत मस्त कटीली हसीना थीं।
मैंने अभी जवानी में कदम ही रखा था.. गाँवों में ये उम्र शादी के लिए काफ़ी मानी जाती है और यही मौसी के साथ भी हुआ था। उनकी शादी छोटी उम्र में ही हो गई थी और मौसा उस समय कम उम्र के थे.. तो उन्होंने भी मौसी के शरीर पर पूरी खेती की थी और उनके यौवन से खूब रस निचोड़ा था। अब समय के साथ वे थोड़े सुस्त हो गए थे.. शायद महीने में 2-3 बार ही चुदाई करते थे।
मौसी सुबह सोकर उठीं.. तो उन्होंने अपनी हालत देखी.. उनकी चूचियों पर मेरा पानी सूख चुका था और उनकी वाइट रंग की ब्रा पर भी बड़ा सा धब्बा था और चूचियां नंगी थीं। इस समय सुबह के 4.30 बज रहे थे। उन्होंने देखा कि वहाँ कोई भी नहीं है। उन्हें थोड़ा आश्चर्य हुआ और उन्होंने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए और नीचे आ गईं।
मौसा जी को उठाया और मेरे कमरे में आकर मुझे सोया देखकर.. रसोई में नाश्ता बनाने चली गईं। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
मौसा तैयार हो चुके थे.. मौसी ने कहा- आप नीचे कब आए थे?
तो उन्होंने कहा- सोने के 10 मिनट बाद ही आ गया था.. मुझे ज़ोर से पेशाब लगी थी.. तो मैं नीचे आ गया था और थका होने के कारण ऊपर चढ़ने की हिम्मत नहीं हुई और नीचे ही सो गया। हाँ.. रात में करीब 3 बजे मेरी नींद खुली थी.. तो मुझे किसी के बाथरूम जाने की आवाज़ आई थी। शायद आशीष होगा और फिर मैं सो गया था।
ये सुनते ही मौसी की आँखें फटी की फटी रह गईं। मौसा जाने लगे.. पता नहीं उन्हें आज क्या हुआ कि उन्होंने मौसी को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और उनके होंठों को चूसने लगे।
फिर मौसा ने उनकी चूचियों को दबाना चालू कर दिया और मौसी सिसकारियाँ लेते हुए बोलीं- आज तुम्हें क्या हो गया है.. 15 साल पहले जैसे रोमाँटिक हो रहे हो?
मौसा उनके होंठों को पूरी शिद्दत से चूसते हुए बोले- कल तुम्हें छत पर चोदने का मूड बनाया था.. लेकिन थकावट ने पूरा प्लान चौपट कर दिया। लेकिन मेरा ‘ये’ कल से ही खड़ा होकर अपनी रानी की चूत को सलामी देना चाहता है। तो मौसी बोलीं- आज रात दे देना सलामी..
तब तक मौसा ने मौसी को बिस्तर पर पटक दिया और उनकी चूत को चाटने लगे। पूरा कमरा सिसकारियों से गूँज रहा था.. तभी मौसा को ध्यान आया कि उन्हें जाना भी है.. तो वो तुरंत उठकर खड़े हो गए और मौसी तो नीचे बैठाकर लंड उनके मुँह के पास लेकर खड़े हो गए। मौसी भी समझ गईं कि वो क्या चाह रहे हैं.. और वो बिना कुछ बोले उनके लंड को चूसने लगीं।
कुछ ही पलों में मौसा उनके मुँह में झड़ गए और मौसी ने उनके रस तो थूक दिया और कहा- सुबह-सुबह पीने में अच्छा नहीं लगता। इस तरह मौसा उनकी चूत को दहकता छोड़ गए और कहा- आज रात लड़ाई होगी.. तैयार रहना।
मौसी तड़फ उठीं.. अगर उस समय कोई भी आदमी उनके सामने अपना लौड़ा निकाल कर खड़ा हो जाता.. तो वो उससे चुदवा लेतीं। मौसा का लण्ड चूसने के बाद उन्होंने अपने कपड़े ठीक किए और मेरे कमरे के दरवाजे पर खड़ी होकर मुझे बड़े गौर से देखकर शायद ये सोचने लगीं कि आख़िर रात को उनके साथ ये सब किसने किया और उनके शरीर पर मुठ्ठ भी मारी।
उनका ध्यान बार-बार मेरी ओर जा रहा था.. क्योंकि मौसा बोल चुके थे कि वो नीचे सो गए थे।
खैर.. मौसी ने उसके बाद मेरे ऊपर कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगीं और शायद सोच रही होंगी कि क्या मैं इतना बड़ा हो गया हूँ और इस तरह की हरकत कर सकता हूँ।
इसके बाद शाम को मौसा के आने के पहले मौसी नहाने चली गईं.. क्योंकि आज रात को चूत लंड की लड़ाई होने वाली थी। उसके बाद वो पूरी शिद्दत से चुदने के हिसाब से तैयार हुईं और नेट की हल्की और पारदर्शी साड़ी पहनकर मौसा का लंड लेने के लिए तैयार हो गईं।
मौसा उस दिन और देर से आए.. उन्हें आते-आते 9.30 बज गए थे। फिर वो फ्रेश होकर हॉल में आए.. तो हम सभी ने खाना खा लिया और जब सोने की बारी आई तो चूंकि मैं तो ये जानता था कि आज चूत-लंड का खेल होगा.. सो जानबूझ कर मैंने कहा- आज मैं नीचे सोऊँगा.. क्योंकि मुझे थोड़ी देर पढ़ाई करनी है।
यह सुनकर मौसी के चेहरे पर अनोखी चमक आ गई और वो दोनों ऊपर चले गए।
मैं भी चुपके से ऊपर पहुँच गया था.. क्योंकि मुझे आज उनकी चूत की चुदाई देखनी थी।
मौसी ने मौसा से फुसफुसाकर कहा- तुम्हें याद है कि सुबह जाते समय तुमने रात में लड़ाई की बात की थी। मौसा ने कहा- मुझे याद है जान.. पहले तुम मुझे तैयार तो करो.. क्योंकि आज मैं बहुत ज्यादा ही थक गया हूँ।
ये कहकर मौसा नीचे सो गए.. मौसी ने उनकी लुंगी खोली और लंड चूसने लगीं। लेकिन करीब 10 मिनट चूसने के बाद भी जब लंड खड़ा नहीं हुआ तो मौसी ने मौसा को हिलाते हुए कहा- आज इसे क्या हो गया है.. ये तो जाग ही नहीं रहा है? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वे मौसा की ओर देखने लगी.. तो उन्होंने देखा कि मौसा सो चुके थे। तब मौसी निराश होकर उनके बगल में लेट गईं। उनका एक हाथ अपनी चूचियों पर आ गया था और वे दूसरे हाथ से अपनी साड़ी को कमर तक उठा कर अपनी चूत को ऊपर से सहला रही थीं।
आधे घंटे के बाद मौसा नीचे आए और पेशाब की और नीचे ही अपने कमरे में सो गए। मैंने नीचे आकर ये देखा.. तो मेरा मन मचलने लगा। फिर मैं आधे घंटे के बाद उठा और मौसा को देखा.. वो बहुत ही गहरी नींद में सो चुके थे।
तब मैंने नीचे केवल लोवर पहना और ऊपर हल्की से बनियान पहनी और ऊपर जाकर सोने का फ़ैसला कर लिया। अब मैं ऊपर चला गया और मौसी के बगल में चादर बिछा कर लेट गया।
तब तक मौसी भी गहरी नींद के आगोश में जा चुकी थीं। मैंने भी दो बार मौसी को आवाज़ लगाई और कन्फर्म हो गया कि वो नींद के आगोश में जा चुकी हैं।
तब आज मैंने सीधा अपना काम करने का मन बना लिया। आज यह आसान भी था क्योंकि मौसी का ब्लाउज और ब्रा ऊपर थे और उनकी दोनों चूचियों नंगी मेरे हाथों की राह देख रही थीं.. साड़ी तो मौसी ने पहले ही कमर तक उठा रखी थी।
मैंने आज देर ना करते हुए नंगा हो गया और मौसी की चूचियों तो चाटने और चूसने लगा। काफ़ी देर के बाद मैं उनकी चूचियों को चूसते हुए अलग हुआ और मैं सोने ही जा रहा था कि उनकी नंगी चूत ने मुझे अपने पास बुला लिया और मैं चूत के नजदीक जाकर डरते हुए कि कहीं मौसी उठ ना जाएं।
लेकिन फिर भी मैं उनकी चूत को ऊपर से चाटने लगा और 15 मिनट के बाद मेरे लंड ने कहा कि मैं आ रहा हूँ। फिर मैं सीधा होकर लंड हिलाने लगा और मैंने अपना पानी मौसी की नाभि में भर दिया। उसके बाद कुछ पानी उनकी ब्रा पर और आखिरी में कुछ बूँदें उनके होंठों पर गिरा दीं।
सुबह जब लाली मौसी मेरे वीर्य का स्वाद लेते हुए उठीं.. तो उन्हें अपने मुँह में कुछ अजीब सा महसूस हुआ और जब वो अपने को ठीक करने लगीं.. तो उन्हें अपनी नाभि पर कुछ गिरकर सूखा हुआ सा महसूस हुआ और उन्हें अपनी ब्रा पर भी माल के धब्बे दिखाई दिए।
उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वो उठकर चादर समेटने लगीं.. तो उन्हें ध्यान आया कि रात में एक चादर बिछी थी और यहाँ दो चादरें बिछी हैं.. वो कुछ सोचने लगीं और सोचते-सोचते नीचे आ गईं। मैं और मौसा दोनों अपने कमरे में सो रहे थे।
वो मौसा को जगाकर नाश्ता बनाने लगीं और जब मौसा जाने लगे.. तो कल की तरह मौसा आज फिर से लंड चुसवाकर उन्हें अपना पानी पिलाना चाहते थे.. लेकिन मौसी से उनका पानी थूक दिया। वो बोलीं- रात को तो मेरे शरीर में आग लगा कर छोड़ देते हो और सुबह बहुत जोश दिखाते हो।
मौसा बोले- क्या करूँ डार्लिंग थका होने के कारण नींद आ जाती है। यह बोलकर वो चले गए।
मौसा के चले जाने के बाद जब मैं उठकर फ्रेश हो गया.. तो मौसी मुझे चाय देने आईं.. उन्होंने आज वो ही पारदर्शी नेट की साड़ी अपनी नाभि से 3-4 इंच नीचे पहनी हुई थी।
मौसी के साथ मेरे शारीरिक सम्बन्ध बन भी पाएंगे या नहीं.. यह अगले भाग में लिखूँगा। आपके ईमेल मिले हैं धन्यवाद.. और भी भेजिए मैं इन्तजार करूँगा। [email protected]
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