सीमा सिंह की जबरदस्त चूत चुदाई मॉल में

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दोस्तो, मैं आपकी अपनी सीमा, जो अब एक पूरी तरह से चुदक्कड़ भाभी बन चुकी है, कैसे? आइये आपको बताती हूँ। सेक्स तो हर कोई करता है और सभी को पसंद है, मुझे भी है। और ऊपर से हूँ भी मैं पतली, सुंदर सेक्सी…

स्कूल टाइम से ही लड़के मुझे पर बहुत मरते थे, स्कूल में फिर कॉलेज में, आस पड़ोस, मोहल्ले से हर जगह से मुझे कुछ मूक तो कुछ मुखर प्रेम निमंत्रण मिलते ही रहते थे। मगर मैंने कभी किसी की परवाह नहीं की, मुझे ये भी था, जितनी मैं सुंदर हूँ, उतना ही सुंदर मेरा बॉय फ्रेंड भी होने चाहिए।

एक एक करके मेरे सभी सहेलियों के बॉय फ्रेंड बन गए, मगर मैं अकेली की अकेली। एक दो ने तो लव मैरिज भी कर ली, मगर मुझे कोई ढंग का बॉय फ्रेंड भी न मिला। चलो जी जब पढ़ाई पूरी हो गई, उम्र हो रही थी तो घर वालों ने एक अच्छा सा लड़का देख कर शादी तय कर दी।

फिर भी मैं सोचूँ, के यार मैंने किया क्या, जिन लड़कियों की न अक्ल न शक्ल वो भी यार लिए घूमती थी, मुझमें क्या कमी थी, इतने लोग मुझ पर लाइन मारते थे, यहाँ तक कि मेरे रिश्तेदार भी मुझे चाहत भरी और कई तो वासना भरी नज़रों से देखते थे, फिर मेरी जवानी ऐसे ही क्यों निकली जा रही थी।

शादी हो गई… सुहागरात को पति ने तोड़ कर रख दिया। पहला अनुभव सेक्स का और वो भी इतना ज़बरदस्त, शायद किसी तो जबर चोदन में इतनी तकलीफ न होती हो, या पति को ही उसके दोस्तों ने कुछ ऐसा समझा बुझा कर या खिला पिला कर भेजा के वो रब का बंदा, आधा पौना घंटा नीचे ही न उतरता, और सुहागरात पर ही उसने मुझे चार बार चोदा, पूरी बेदर्दी से।

मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा था कि ये सब हो क्या रहा था।

खैर अगले दिन मुझसे तो उठा भी नहीं गया। ससुराल वाले सब खुश, अपने लड़के की मर्दानगी पर कि दुल्हन का तो बैंड बजा दिया।

उसके कुछ दिन बाद हनीमून… वहाँ तो लगातार 10 दिन सेक्स, कोई सुबह नहीं देखी कोई शाम नहीं देखी। जब भी वक़्त मिलता, ठोकना पीटना शुरू।

फिर मुझे भी इस सब में मज़ा आने लगा। इसी तरह शादी को एक साल हो गया।

पति देव अब थोड़ा नर्म पड़ गए थे, काम में व्यस्त… मगर मैं घर में बैठी, यही सोचती कि वो पहले वाला दमखम दिखायें। पहले दिन में तीन बार होता था, अब तीन दिन में एक बार।

अपना मन बहलाने को इधर उधर मन लगाती, मगर मन कहाँ काबू में रहता है, वो घूम फिर कर फिर टाँगों के बीच घुस जाता। फिर एक और आदत पड़ गई, अक्सर दोपहर को खाना खा कर मैं बिल्कुल नंगी होकर बेड पे लेट जाती, अपने बदन को सहलाती, फ़ुल साइज़ शीशे के सामने नंगी होकर खड़ी हो जाती, अपना तरह तरह से मेक अप करती, कुछ कुछ बनती, खुद को तड़पाती और फिर हाथ से अपनी चूत को शांत करती। ये तो रोज़ का ही काम हो गया था।

अक्सर सोचती, ये सब्जी वाला, अंदर आकर मुझे पकड़ ले, ये एल पी जी गैस वाला, अपना लंड चुसवा जाए, मगर फिर भी अपने मन को समझा कर अपने पर काबू रखने की कोशिश करती। हस्तमैथुन तो रोज़ की बात थी।

ऐसे ही एक दिन बाद दोपहर कुछ करने को नहीं था, तो उठी, तैयार हुई और पास वाले मॉल में चली गई, बेवजह दुकानों में घूमती रही, एक दो जगह, कुछ ड्रेस पसंद की, मगर ली नहीं। फिर एक और दुकान में घुस गई, एक जीन्स देखी, पसंद की, ट्राई लेने ट्राई रूम में गई। मगर मुझे कुछ भी पसंद नहीं आया तो वापिस आ गई।

जब बेसमेंट में से अपनी गाड़ी में जा कर बैठी तो देखा 4-5 लड़के एक गाड़ी में बैठे कुछ कर रहे थे। मैंने आस पास निगाह मारी, सारी पार्किंग में कोई नहीं था।

कुछ दिमाग में बात आई, और मैं अपनी गाड़ी से उतरी और उनकी गाड़ी की तरफ चल पड़ी। वहाँ पहुँची तो देखा, सब बीयर पी रहे थे और मोबाइल पे कोई पॉर्न विडियो देख रहे थे।

मुझे आती देख वो ठिठक गए। मैंने पास जा कर पूछा- ऐय, क्या हो रहा है यहाँ? मगर जब मैंने कार के अंदर निगाह मारी तो देखा कि सबने अपने अपने लंड निकाल कर हाथ में पकड़ रखे थे।

‘शर्म नहीं आती, ऐसे पब्लिक प्लेस में ऐसी गंदी हरकत करते हुए?’ मैंने जानबूझ कर उनको डांटा।

उन में से एक लड़का गाड़ी से उतरा और बोला- देखिये मैडम, हम जो भी कर रहे हैं, वो अपनी गाड़ी में कर रहे हैं, आप बीच में क्यों आती हैं? और अपना लंड मेरी तरफ हिलाते हुये बोला- और अगर आपको कुछ चाहिए तो बताइये, वरना जाइए।

हल्के भूरे रंग का लंड, लाल रंग का टोपा देख कर तो मेरी चूत में भी गुदगुदी सी हुई, मगर मैं खुलेआम कैसे उसे कह दूँ, मैं चुप रही बस माथे पे त्योरियाँ डाल कर उसको घूरती रही।

उस लड़के ने पहले मुझे देखा, फिर आस पास और फिर आगे बढ़ आया, बिल्कुल मेरे पास, अपना तना हुआ लंड मेरी तरफ करके फिर बोला- मैडम, चाहिए क्या?

मैं फिर चुप, तो उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी गाड़ी के पीछे ले गया और इतने विश्वास से मेरा हाथ पकड़ कर ले गया, जैसे उसे पता ही था कि मैं चुदवाने के लिए ही आई हूँ।

जाते जाते वो बाकी लड़को से बोला- ओए, चूतियो, माहौल बनाओ, चूत मिल गई, आ जाओ, सब मिल कर ठोकेंगे।

गाड़ी और दीवार के बीच में खड़ी करके उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, उसके तने हुये लंड का टोपा मेरे पेट से लग रहा था, मेरी दोनों बाहें उसने अपने गले में डाली और अपने दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ कर पहले दोनों गालों पर और फिर मेरे होंठों को चूमा, जब होंठ से होंठ मिले तो मैंने भी उसका साथ दिया।

एक लड़के ने कार का बोनेट खोला और बाकी लड़के उसके उसके आस पास ऐसे खड़े हो गए, जैसे उनकी कार खराब हो और वो उसे ठीक कर रहे हों।

चूमा चाटी के दौरान ही उस लड़के ने मेरा ब्लाउज़ खोला और मेरे ब्रा सहित दोनों उतार के नीचे रख दिये, फिर साड़ी और पेटीकोट उतार कर मुझको बिल्कुल ही नंगी कर दिया। मैंने उसे रोका भी- अरे सारे कपड़े तो मत उतारो, कोई आ जाएगा।

वो बोला- डर मत मेरी जान, 5 लोग हैं, अगर कोई आ भी गया तो साले की माँ चोद कर रख देंगे, किसी की हिम्मत नहीं जो इस तरफ आँख भी उठा ले, तू बस नीचे बैठ और यार का लौड़ा मुँह में लेकर चूस!

बेशक उसके बोलने के लहजे में बदतमीजी थी, मगर मोटा लंबा लौड़ा देख कर तो मेरे अपने मुँह में पानी आ रहा था, मैं कैसे खुद को रोक पाती, मैंने कोई देर नहीं लगाई, खड़ी खड़ी ही नीचे को झुकी और उसका लंड पकड़ कर मुँह में लिया और चूसने लगी।

जब मैंने अपनी पूरी तसल्ली से उसका लंड चूसा तो उसको भी मज़ा आने लगा, और उसके मुँह से ‘उफ़्फ़, आह, और चूस, मादरचोद, पूरा मुँह में लेकर चूस…’ और ना जाने क्या क्या निकालने लगा।

उसको देख एक और लड़का पीछे आ गया, उसने अपना लंड निकाला, पीछे से मेरी कमर पकड़ी, अपना लंड मेरी चूत पे रखा और अंदर धकेल दिया- ले हारंजादी, साली रंडी, अपने दूसरे यार का भी लंड ले अपने भोंसड़े में! कह कर वो मुझे पीछे से चोदने लगा।

सच में मेरी तो जैसे लाटरी ही लग गई, एक नौजवान लौड़ा मुँह में दूसरा चूत में…

अभी मैं इस सब का मज़ा ले ही रही थी कि बाकी के तीन लड़के भी पीछे आ गए, उन्होंने भी अपने अपने लंड अपनी अपनी पैंट से बाहर निकाले और आकर मेरे आस पास ही खड़े हो गए। कोई मेरे चूचे दबा रहा था, कोई चूस रहा था।

मुझे खुद को नहीं पता, कब मैं किस का लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। जिसका दिल करता वो मेरा मुँह अपनी तरफ घूमता और अपना लंड मेरे मुँह में ठेल देता, और मैं बारी बारी से उनके लंड चूस रही थी।

फिर एक बोला- यार ऐसे तो मज़ा नहीं आ रहा है, क्यों न नीचे कपड़ा बिछा के इसको लेटा लें, और आराम से इसको चोदें!

एक लड़के ने गाड़ी की डिक्की खोली और उसमे से एक कंबल टाइप कपड़ा निकाल कर नीचे बिछा लिया, एक लड़का नीचे लेट गया- आओ, तुम मेरे ऊपर आ जाओ, और मेरा लंड अपनी चूत में ले लो।

मैंने वैसे ही किया, उसके लेटते ही मैं उसकी कमर के ऊपर जा खड़ी हुई, नीचे बैठ के मैंने उसका तना हुआ मजबूत लंड अपनी चूत में ले लिया, जब सारा लंड मेरी चूत में घुस गया, तो मुझे उसने अपने ऊपर लेटा लिया।

फिर एक लड़के ने पीछे से मेरे चूतड़ खोले और मेरी गांड पे थूका, और अपना लंड भी थूक से गीला करके मेरी गांड पे रखा और अंदर धकेला। चाहे मैं पहले भी अपनी गांड मरवा लेती थी, मगर यह मुझे फिर भी थोड़ा तकलीफदेह लगा, मेरे मुँह से ‘आह, दर्द होता है’ निकल गया। एक लड़का बोला- साली रंडी, रोज़ गांड मरवाती हो और हमारे सामने नाटक करती हो। मैंने कहा- ए सुनो, मैं कोई रंडी नहीं हूँ, बस मेरा दिल कर रहा था बहुत… तुम्हें देखा तो सोचा पंगा ले कर देखती हूँ, अगर बात बन गई तो चुदवाने को मिलेगा, और अगर तुम निकले चूतिये तो डर के भाग जाओगे, फिर कोई और जुगाड़ देखती मैं!

एक लड़का बोला- चूतिये नहीं हैं हम, जिस पे दिल आ जाए उसे तो चोद के ही छोड़ते हैं। मैंने पूछा- तो मुझ पे दिल आ गया क्या तुम लोगों का?

जो लड़का नीचे से मेरी चूत मार रहा था, वो बोला- अरे दिल तो तभी आ गया था, जब तुम्हें गाड़ी में बैठते हुये देखा था, पहले जब तुम चल के आ रही थी, तो एक बार तो हमने ये भी सोचा था कि साली को उठा कर ले चलते हैं, अगर मान गई तो ठीक, नहीं तो छोड़ेंगे तो नहीं बिना चोदे।

दो लड़के मुझे चोद रहे थे और तीन बारी बारी अपना लंड मुझे चुसवा रहे थे।

फिर एक बोला- ऐसे मज़ा नहीं आ रहा, तुम लोग चोद रहे हो और हम सिर्फ चुसवा रहे हैं, ऐसा करो इस रंडी को नीचे लेटाओ, और बारी बारी चूत मारो साली की।

मैंने फिर कहा- अरे यार रंडी मत कहो, मैंने कोई रंडी नहीं हूँ।

मगर मेरी बात किसी ने नहीं सुनी, एक लड़का बोला- बात सुन, जो औरत अपना पति छोड़ के यूं बाहर मॉल की पार्किंग में 5-5 लौंडों से चुदवा रही हो, उसे क्या शरीफजादी कहेंगे? तू चाहे कितनी भी शरीफ क्यों न हो हम तो तुझे रंडी ही कहेंगे।

मैंने कहा- ठीक है, माँ चुदवाओ अपनी, जो मर्ज़ी बोलो। सब लड़के हंस पड़े- अरे वह, अब की न हमारे गैंग जैसी बात!

उसके बाद सारे लड़के हट गए, मुझे सीधा करके नीचे लेटा दिया गया और एक लड़का मेरे ऊपर आया- ले मादरचोद अपने बाप का लौड़ा ले अपनी चूत में! मैंने उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत पे रख लिया।

उसके बाद उसने बड़ी धुआँदार चुदाई की मेरी, लगातार एक ही स्पीड से उसने मुझे चोदा और 2-3 मिनट में ही उसने अपना माल मेरी चूत में भर दिया।

वो उतरा ही था कि दूसरा आ चढ़ा, फिर उसने भी वैसे ही चोदा, एक मिनट में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं तड़पी, कसमसाई, मगर किसी ने कोई परवाह नहीं की, कोई मेरे मुँह में लंड दे रहा था, लंड मुँह से निकला तो किसी ने जीभ डाल दी मेरे मुँह में और मेरी चूचियों को इतना निचोड़ा, जैसे इनका रस निकालना हो… लाल सुर्ख कर दी दबा दबा के।

फिर तो एक के बाद एक पांचों लड़कों में मेरी माँ चोद के रख दी। जब पांचवा लड़का उतरा तो मुझे लगा कि चलो अब कुछ आराम मिलेगा, काम खत्म, इस दौरान मेरा भी 3 बार स्खलन हो चुका था।

मगर इतने में ही एक लड़का फिर से आ गया, बोला- रुक, मादरचोद, कहाँ जाती है, अभी एक बार और चोदूँगा तुझे। कह कर उसने धक्का दे कर मुझे नीचे गिरा दिया और फिर से अपना लंड उन पांचों के माल से भरी चूत में डाल दिया और लगा चोदने।

इस बार तो हरामी ने बहुत टाइम लगाया, न मेरा हो रहा था, न उसका! मगर बड़ी मुश्किल से उसने अपना माल गिराया, मगर इतनी देर में सबने अपने लंड फिर से चुसवाए और अब सब के सब दूसरी बारी के लिए तैयार थे, मगर मैं नहीं।

मैंने कहा- सुनो, अभी थोड़ी देर रुको, मैं थक गई हूँ, थोड़ा आराम करने दो, फिर कर लेंगे। मगर वो कहाँ मानने वाले थे, एक बोला- अरे माँ चुदवा तो अपनी, तेरी राय किसी ने पूछी है, बड़ी आई आराम करने वाली, कोई नवाबज़ादी है, रंडी साली चूतिया, चुपचाप लेटी रह!

कह कर वो मेरे ऊपर आ गया, और उसके बाद फिर वही, मेरे सारे बदन को नोचना खसोटना… एक इंच भी मेरे बदन का ऐसा नहीं छोड़ा था कमीनों ने जहाँ उन्होंने अपने हाथों, या दाँतों के निशान न छोड़ें हो। अगला तकरीबन एक घण्टा या कुछ ज़्यादा ही, मेरी लगातार फुल स्पीड पर चुदाई हुई। बीचे में दो जनों ने तो मेरी गांड मारी, पूरी बेदर्दी से… मेरी तो आँखों में आँसू आ गए, मगर किसी को मेरी परवाह नहीं थी।

जब आखरी लड़का मुझे चोद रहा था तो मैंने कहा- देखो अब मेरी बर्दाश्त से बाहर है, और नहीं चुद सकती मैं, मुझे छोड़ दो बस!

तो एक लड़का बोला- कोई बात नहीं, हमारा भी मन तुम से भर चुका है। इसके बाद चली जाना आपने घर!

उसके बाद जब उस लड़के का छूटने वाला हुआ तो वो बोला- ए रंडी सुन, मैं तो तेरे मुँह में छुड़वाऊंगा अपना माल, चल मुँह खोल!

और उसने अपना माल मेरे मुँह में छुड़वाया।

अपने इस ज़बरदस्त गैंग बैंग के बाद तो मुझमें खड़ी होने की भी हिम्मत नहीं थी। उन लड़कों ने ही मुझे कपड़े पहनने में हेल्प की, मुझे अपने मोबाइल नंबर दिये, मेरा भी फोन नंबर लिया कि अगर फिर कभी ऐसे ही गैंग बैंग चुदाई करवानी तो फोन करना।

बड़ी मुश्किल से साड़ी पहन के वापिस गाड़ी चला कर घर आई।

घर आ कर जब बाथरूम में कपड़े बदलने गई और अपने सारे कपड़े उतार के पूरी तरह नंगी हो कर शीशे के सामने अपना बदन देखा,

‘हे भगवान, मेरे बूब्स सूज गए थे, यहाँ वहाँ उनके काटने के निशान थे, जांघों पे, कमर पे, पीठ पे, सब जगह उन लोगों के मसलने से गहरे निशान पड़ चुके थे।

अपने बदन को टकोर देने के लिए, पहले तो गर्म पानी से नहाई, फिर गरम दूध पिया और बैठ कर सोचने लगी- अब कम से कम एक हफ्ता तो मुझे चुदाई की ज़रूरत नहीं, और कम से कम एक हफ्ता मुझे अपना बदन अपनी पति से छुपा कर रखना पड़ेगा ताकि वो मेरी करतूत देख न लें।

मगर तीसरे ही दिन मैं फिर उस माल में थी, और फिर से उस जगह को देख कर आई, जहाँ मेरी ज़बरदस्त चुदाई हुई थी और सोच रही थी ‘क्या मुझे फिर से वो चुदाई चाहिए?’

कुछ देर सोचा के घर तो मेरा सारा दिन खाली ही होता है, और पति भी रात को देर से आते हैं, मैंने मोबाइल अपने पर्स से निकाला। [email protected]

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