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हमारी आवाज़ जब आना बंद हो गई थी तभी ये लोग समझ गए थे कि चुदाई खत्म हो चुकी है इसलिए कपड़े पहने हुए ही एक दूसरे के बदन से खिलवाड़ कर रहे थे। मेरे आते ही बोले- क्यों, बड़ी ज़बरदस्त चुदाई मचाई तुमने… इतनी आवाज़ें? इतनी बेचैनी चुदाई में? मैंने कहा- चल नीलेश, कुछ खाने को लाते हैं, बड़ी भूख लगी है। सभी लोग शरारती मुस्कान में बोले- हाँ मेहनत की है तो भूख तो लगेगी ही।
मैं और नीलेश फटाफट गाड़ी में बैठे और चल पड़े करीबी ढाबे की तलाश में। नीलेश बोला- कैसी लगी शिखा? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने कहा- यार वो तो कमाल ही है। उसकी चुदाई तो बनती है, कुछ नहीं तो कम से कम उसे एक बार नंगी कर के देख, इतनी खूबसूरती अंदर छुपा के रखी है उसने, मस्त एकदम!
नीलेश बोला- उसका पानी तो होगा अभी तेरे लंड पर? मैंने कहा- नहीं यार, मुझे लंड धोना पड़ा क्योंकि खून बहुत निकला उसका!
नीलेश बोला- कोई नहीं, तू कुछ तो सोच ही रहा होगा जिससे ये दोनों ऑलमोस्ट कुंवारी चूत मुझे भी मिल जाएँ। मैंने कहा- हाँ रे गांडू, तेरे लिए भी सोच रहा हूँ, तू पहले सिगरेट जला!
नीलेश सिगरेट जलाता रहा और मैं सोच रहा था कि अब ऐसा क्या करूँ कि हम सब एक साथ चुदाई कर सकें। चार लड़कियाँ और दो लड़के, कैसे करूँ क्या करूँ?
तभी मैंने एक ठेके पर गाड़ी रोकी, वहाँ से मैंने सस्ती शराब की एक पूरी क्रेट और अच्छी व्हिस्की की दो बोतल ले ली। उसी के बाजू में एक ढाबा भी था, वहाँ से खाने के लिए मुर्गा और रोटियाँ चावल पैक करा लिया और वापस फार्म हाउस पर आ गये।
जब हम वापस लौटे तो सभी लेडीज साथ में बैठी हुई गपशप में मशरूफ थी। अभी शाम के 4 बजे थे, मैंने कहा- चलो सभी लोग आ जाओ, थोड़ा थोड़ा खा लेते हैं।
मैंने आते ही टेबल पर पूरा खाना रख दिया, व्हिस्की की बॉटल्स भी टेबल पर रख दी। कोई किसी से कुछ नहीं बोला। सभी ने थोड़ा थोड़ा कुछ खाने के बाद सोचा कि चलो पास के जंगल और गाँव के सैर कर लें।
नेहा बोली- चलो, आस पास जो भी कुछ देखने लायक हो घूम कर आते हैं। मैंने कहा- चलो सब लोग तैयार हो जाओ, थोड़ा घूम कर आते हैं।
कुछ ही देर में सभी लड़कियाँ तैयार होकर गाड़ी में सवार हो गई। मैं और नीलेश आगे बैठे और बाकी सभी लड़कियाँ पीछे बैठ गई।
अब लंड की खुमारी कुछ हद तक मिट गई थी इसलिए हम दोनों आगे बैठे थे।
घूमना तो बहाना था, अपने लंड को थोड़ा आराम देना था जिससे अगली चुदाई चाहे किसी की भी हो, मजा लूट सकें। घूमते हुए हम लोग एक कुएं के पास पहुँचे, उसके ऊपर एक बहुत बड़ा और घना बरगद का पेड़ लगा था। उससे थोड़ी ही दूरी पर दो तालाब दिखाई पड़ रहे थे।
एक तालाब का पानी काफी साफ़ और स्वच्छ था, वहीं दूसरे तालाब का पानी काला और गन्दा दिख रहा था। दूर दूर तक कोई कुत्ता भी नजर नहीं आ रहा था, सिर्फ हम 6 लोग ही वहाँ पर अपनी अपनी बातों में मशरूफ इधर उधर करके फोटो क्लिक कर रहे थे।
नेहा और शिखा दोनों के चेहरे पर असीम शान्ति का भाव था, वहीं उनकी चाल थोड़ी डगमगा रही थी। जब भी उन्हें लगता कि कोई समझ न जाए कि उनकी चाल गड़बड़ा रही है, वो अपनी ऊँची हील की सेंडल को दोष दे देती और कहती यहाँ काफी गड्डे हैं। बाकी तो सभी जानते थे कि चाल क्यों ख़राब है इसलिए कोई भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था और वो दोनों इस बात से काफी खुश थी।
मैं मौका देखकर चारों ही लड़कियों के साथ थोड़ी बदमाशी कर देता। उसे भी सभी नजरअंदाज कर देते मुझे सिर्फ शिखा के सामने नेहा से और नेहा के सामने शिखा से ही पर्दा रखना था जो आसानी से कर पा रहा था।
शिखा बोली- चलो न उस अच्छे तालाब के करीब चलते हैं। मैंने और नीलेश ने यह सुनते ही 15 साल के लड़कों की तरह दौड़ लगाना शुरू कर दी। दौड़ लगाते लगाते हमने अपने टी-शर्ट तो उतार ही फेंकी और सबसे पहले तालाब के करीब पहुँच गए थे।
शिखा और नेहा दौड़ नहीं सकती थी इसलिए आराम आराम से ही आ रही थी और मधु और नीता भी उनके साथ धीरे धीरे चलकर आती दिखाई पड़ी।
मैंने सिगरेट जलाई और नीलेश को दी। नीलेश बोला- यार राहुल, आज रात सोना नहीं है। चार चार लड़कियाँ हैं, इनको बजाएंगे। मैंने कहा- बात तो तेरी ठीक है, पर साला कोई खुराफात ही नहीं आ रही दिमाग में जिससे ये सारी की सारी लड़कियाँ एक बिस्तर पर नंगी लिटा सकूँ। तेरे दिमाग में कोई झनझनाता विचार हो तो बता?
नीलेश बोला- यार दिमाग तो तुझे ही चलाना पड़ेगा, तेरी चुदाई की आवाज़ें सुन सुन के मेरा सारा खून टांगों के बीच आ चूका है। अब दिमाग नहीं चल रहा। रात तक अगर तू कुछ कर पाया तो ठीक वर्ना मैं तो चोदन कर दूँगा दोनों नई चूतों का।
तब तक सभी लड़कियाँ भी आ गई थी। नीलेश ने नीता को धक्का दिया और पानी में गिरा दिया। मधु बोली- अरे आप कैसे करते हो, उसके लग जाती तो? नीलेश बोला- सॉरी भाभी! बोलते बोलते थोड़ा करीब आया और हँसते हुए मधु को भी पानी के अंदर धक्का दे दिया।
इधर नेहा और शिखा अपने आप ही पानी में उतर गई। नीलेश और मैं भी अब पानी में थे। नीलेश का भी खून काफी गर्म था इसलिए वो बार बार अपने बदन से सभी लड़कियों को छूने की कोशिश करता रहता। ठन्डे पानी में डुबकी लगाकर कभी किसी की गांड में ऊँगली कर आता तो कभी किसी की चूत में।
मस्ती करते हुए काफी देर हो गई और अब अँधेरा होने लगा था, हम लोग पानी से बाहर निकले पर बिना तैयारी के आये थे हम लोग तो किसी के भी पास कोई टॉवल या बदलने के लिए कपड़े नहीं थे तो बस अब ठिरठिराते हुए हम लोग वापस जाने लगे। गाड़ी तक वापस आकर हमने जल्दी ही वापस फार्म हाउस की और रुख कर लिया, हम जल्दी ही फार्म हाउस पहुंच गए।
अंदर जाकर सभी अपने अपने कमरों में चले गए। सभी लोग शावर लेकर चेंज करके बाहर आ गये। हम सभी लोग बाहर के कमरे में बैठकर टीवी देख रहे थे।
शिखा आई और उसने टीवी बंद कर दिया, इससे पहले कि वो कुछ बोले, मैंने कहा- तू न बचपना बंद कर ले, अभी तुझे बचाने वाला भी कोई नहीं है। बचपन में सभी भाई बहन टीवी और रिमोट के लिए तो लड़ते ही है। बस वही याद आया था मुझे कि शायद वो लड़ने का बहाना ढूंढ रही है।
पर वो बोली- अरे यार, टीवी तो घरों में देखते ही हैं। यहाँ सब लोग हैं तो बातें शातें करते हैं, टीवी घर जाकर देख लेंगे।
सभी को बात ठीक लगी तो मधु बोली- यार वो सही कह रही है, चलो न सब लोग मिलकर कुछ बातें करें, कुछ गेम्स (आँख मारते हुए) वगैरह खेलें। नीता बोली- हाँ चलो आप सब लोग अपने बचपन के किस्से सुनाओ।
मैंने कहा- अच्छा ठीक है चलो बातें करते हैं।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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