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जाते समय कामिनी यह कहना नहीं भूली- अब दीपा को जल्दी ले आओ, वो अकेली कब तक चुदेगी। मैं हंस पड़ा।
उनके जाते ही मैंने दीपा को फ़ोन किया कि क्या कोई जोड़ा मैं यहाँ ढूंढूँ जो हमरे साथ चुदाई करे। दीपा ने मजाक में कहा- पहले मुझे ले तो जाओ… कभी तुम ढूंढ लो और मैं यहीं रह जाऊँ और वहाँ वो तुम्हारी इज्जत लूट लें।
मैं हंस पड़ा मगर मुझे यकीन हो गया कि दीपा को अपने ग्रुप में शामिल करने में दिक्कत नहीं आएगी। मुझे यह भी शक हुआ कि कहीं न कहीं दीपा भी कुछ बदमाशी कर रही है अपनी कामाग्नि को शांत करने के लिए।
जब मैंने उसको अपनी कसम देकर पूछा तो उसने बता दिया कि वो और उसकी चचेरी बहन रोज फ़ोन पर बातें करते हैं और उसकी बहन अपने देवर से पूरे मजे लेती है। मैंने दीपा से कहा- अपनी बहन की मुझे भी दिलवाओ! तो दीपा बोली- दिलवा दूँगी… मगर फिर मुझे भी तो एक और चाहिए क्योंकि उसकी बहन कह रही थी कि पति के अलावा दूसरे से करने का मजा कुछ और ही है।
मेरे मन में तो लड्डू फूट गए… यहाँ तो बात बनी बनाई है, बस दस पन्द्रह दिन की ही तो बात है। मैं इन्ही ख्वाबों में खो कर सो गया। अगले दिन 11 बजे कामिनी का फ़ोन आया कि उसकी गांड सूज गई है और चूत से भी ब्लीडिंग हुई है। मैंने उसको सॉरी बोला तो वो बोली- अरे इसमे सॉरी क्यों… कल के मजे के लिए तो मैं कबसे तड़फ रही थी। हाँ बस अब तीन चार दिन मैं छुट्टी पर रहूंगी, मिलना नहीं होगा फ़ोन पर तो दोस्ती निभाएँगे ही। और दीपा के आने के बाद हमारी दोस्ती और पक्की होगी।
दीपा को मनाने की जिम्मेदारी कामिनी ने ली, वो बोली- मैं एक दो दिन में ही उसे प्यार से बांध लूंगी। क्योंकि इस रिलेशनशिप में मन से स्वीकृति जरूरी है।
मैंने भी उससे वादा किया कि हम हमेशा अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे। अब मेरे सामने लक्ष्य था अगले दस दिनों में अपने मकान को नया रूप देने का!
मैं अपने मकान की मरम्मत और पेंट आदि कामों में जुट गया, कामिनी व राजीव ने दिल से मेरी मदद की। कामिनी मेरे साथ जाकर मार्केट से परदे के कपड़े, बेड शीट, आदि दिलवा लाई और दर्जी को परदे सिलने भी दिलवा दिये। वो दिन में एक दो बार पेंटरों का काम भी देख जाती, अगर मैं भी उस समय घर पर होता तो सबकी निगाह बचाकर हम होंठ मिला भी लेते थे।
बढ़ई भी काम कर रहा था।
एक दिन कामिनी और उसकी सास मेरे साथ जाकर रसोई के सामान दिलवा लाई। इसके लिए मैंने उन लोगों की बात अपनी माँ से करवा दी थी। मेरी माँ को भी उनसे बात करके अच्छा लगा कि मेरे पड़ोसी इतने अच्छे हैं।
आखिर पंद्रह दिनों की मेहनत के बाद मकान तैयार हो गया। मैंने कामिनी और राजीव को थैंक्स कहने के लिये रात को खाने पर बुलाया। राजीव ने शर्त रखी कि तुम हमारा स्वागत बिना कपड़ों के करोगे। मैंने कहा- अच्छा आओ तो सही!
मैंने होटल से खाना मंगा लिया था और फ्रिज में बीयर ठंडी होने को रख दी। पूरे घर में मोगरा की खुशबू कर कर नहा कर मैं उनका इंतजार करने लगा पर मैंने लोअर और टी शर्ट पहने थी। आठ बजे घंटी बजी और दरवज़ा खोलते ही मुझे जन्नत का नज़ारा देखने को मिला।
राजीव ने कामिनी को गोदी में उठा रखा था और कामिनी के हाथों में एक फूलों का गुलदस्ता था। राजीव आते ही गुस्सा हुआ- क्यों बे तुससे कहा था कि बिना कपड़ों के दरवाज़ा खोलना… इस बात पर मेरी और कामिनी की शर्त लगी थी। तेरी वजह से मैं शर्त हार गया, शर्त के हिसाब से अब मुझे नंगा होना पड़ेगा।
मैंने और कामिनी ने हँसते हुए राजीव को जुर्माने से माफ़ कर दिया। असल में मुझे कामिनी ने ही दिन में फ़ोन करके कह दिया था कि मैं कपड़े पहन कर ही रहूँ।
मैंने कामिनी और राजीव को मकान के काम में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इस पर कामिनी ने मुझे होठों से भींच लिया। इस अचानक हमले के लिए मैं भी तैयार नहीं था। हम लोग सोफे पर बैठ गए, मैंने बियर निकल ली। राजीव के दिमाग में फिर एक खुराफात आई, बोला- आज हम कामिनी की चूत की बियर पियेंगे।
कामिनी ने शायद पहले भी ऐसा किया होगा और वो घर पर बात करके आये होंगे, इसलिए कामिनी ने तुरंत अपनी सलवार उतार दी और सोफे पर लेट गई। राजीव ने मुझसे एक खाली बियर मग उसकी चूत के नीचे रखकर पकड़ने को कहा।
अब उसने बियर की बोतल को उसकी चूत के ऊपर से लुढ़काना शुरू किया, बियर कामिनी की चूत से होकर मग में गिरने लगी। ऐसा करके उसने तीन गिलास बनवाये, दो गिलास हम दोनों ने लिए और एक कामिनी को दिया।
कामिनी बोली- चलो तुम दोनों भी अपने लंड निकालो! हमें भी अपने लोअर उतारने पड़े। अब कामिनी ने एक एक करके हमारे लंड अपने बियर के गिलास में डुबाये और बियर में हमारे लंड घुमाया।
अब हम कामिनी की चूत में भीगी बियर पी रहे थे और कामिनी हमारे लंड में भीगी बियर पी रही थी। कामिनी को मस्ती चढ़ रही थी वो लंड पर आकर बैठ गई और हाथ से लंड अंदर कर लिया।
यह नजारा देखकर राजीव भी खड़ा हुआ और अपना लंड कामिनी के मुँह में कर दिया। कामिनी ने अपना गिलास बराबर में टेबल पर रख और एक हाथ से राजीव का लंड चूसते हुए दूसरे हाथ को मेरे कंधे का सहारा लेकर ऊपर नीचे होकर मेरी चुदाई करने लगी।
मैंने भी अपना गिलास साइड टेबल पर रखा और कामिनी को कमर से उठा कर ऊपर नीचे करने लगा।
अचानक कामिनी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हांफते हुए बोली- मजा आ गया जान… मजा आ गया… मैं… मैं… हाँ… हाँ… और जोर से करो जानू… मैं आने वाली हूँ… फाड़ दो मेरी चूत… बना दो इसका भुरता… मैं आई… मैं आई! और कहते-कहते उसने अपना पानी छोड़ दिया।
हमने एक ब्रेक लिया और साफ़ करके कपड़े पहने, सोचा चलो खाना खा लें। हमने एक प्लेट में ही खाना लगाया और एक दूसरे को खिलाते हुए खाना खाया।
घर जाते समय कामिनी बोली- अगली बार हम तब करेंगे जब दीपा भी साथ होगी।
दो दिन बाद मैं टैक्सी लेकर दीपा और सामान लेने घर गया। दीपा मुझे देखकर ऐसे खुश हुई जैसे किसी कैदी को रिहाई मिल रही हो।
मैं जैसे ही अपने कमरे में पहुँचा, दीपा चाय लेकर आई और आते ही गले लिपट गई। आज उसके कसाव में वासना की आग झलक रही थी। मैं चाय लेकर बाहर माँ बाबूजी के पास आकर बैठ गया।
वो उदास थे, मैंने उनको समझाया कि दिल छोटा न करें, कभी वो लोग गाजियाबाद आ जाया करें, कभी हम दोनों आते रहा करेंगे।
शाम को हम लोग वापिस हुए। रास्ते में ड्राईव चाय पीने उतरा तो मैंने दीपा को भींच लिया और होठों को मिला लिया। दीपा ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मैंने भी उसके मम्मे दबा दिये। उसका हाथ मेरा लंड टटोल रहा था।
तभी ड्राईवर आता दिखाई दिया, हम ठीक होकर बैठ गए। घर पहुँचते ही राजीव और कामिनी ने हमारे स्वागत किया।
कामिनी ने दीपा को गले लगाया और माथा चूम लिया, राजीव बोला- स्वागत में तो हम भी खड़े हैं। दीपा शर्मा गई और राजीव को हाथ जोड़कर नमस्कार किया। कामिनी ने हंसकर कहा- लो उसने तो तुमसे हाथ जोड़ लिए!
राजीव हार मानने वालों में से नहीं था, उसने आगे बढ़कर दीपा के कंधे पर हाथ रखकर कहा- दीपा, यहाँ तो हम ही लोग तुम्हारे रिश्तेदार और दोस्त हैं। मैंने भी राजीव का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- बिल्कुल… मैं तो उनको अपने परिवार का ही हिस्सा मानता हूँ।
हमने गाड़ी से सामान उतारा, कामिनी अपने घर से चाय नाश्ता लेकर आ गई। हम सबने मिलकर चाय पी। कामिनी जाते समय दीपा के गले में हाथ डालकर बोली- एक अच्छी दोस्त की तरह की चीज की आवश्यकता हो तो बता देना!
और फिर जो उसने किया वो मैं और दीपा सोच भी नहीं सकते थे, उसने दीपा के गले में बाहें डाले डाले कहा कि उसने सोचा भी नहीं था कि दीपा इतनी मिलनसार और प्यारी होगी। और यह कह कर उसने दीपा को होंठ पर चूम लिया।
बस यही शुरुआत थी भविष्य में उन दोनों के बीच बढ़ी नजदीकियों की…
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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