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अब तक आपने पढ़ा..
मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी तो उसके मुँह से एक आवाज़ निकली ‘हाईई..’ मैंने दो उंगलियाँ डाल दीं.. तो वो और बेचैन हो गई। मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी और अब 3 फिंगर उसकी चूत में पेल कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दीं।
थोड़ी देर बाद ही उसने अपनी दोनों टाँगों के बीच मेरे हाथ को जोर से दबाया तो मैं समझ गया कि इसका काम हो गया है।
अब आगे..
जब उसने अपनी टांगें खोलीं.. तो उसकी चूत से पानी निकलने लगा। अब उसने उठ कर मेरी पैंट उतारी और अंडरवियर भी उतार दी और मेरे लंबे लण्ड को पकड़ कर मुठ्ठ मारने लग गई, कुछ देर के बाद लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और आहिस्ता-आहिस्ता चूसने लगी। अब मुझे भी मज़ा आने लगा, मैंने ज़ोर से अपना लण्ड उसके मुँह के अन्दर पूरा पेल दिया.. जो उसके हलक में घुसता चला गया। उसके मुँह की गर्मी से अब मुझ और भी ज्यादा मज़ा आने लगा और उसको भी वो मेरा लण्ड पूरा मुँह में लेकर ज़बान के नीचे दबा कर चूस रही थी।
तकरीबन दस मिनट तक ऐसे ही लण्ड चूसने के बाद मैं भी आउट ऑफ कंट्रोल हो गया, मेरा पानी भी अब नोक तक आ गया था.. तो मैंने एक ज़ोर लगा कर अपना लण्ड पूरा उसके मुँह में गले तक डाला और मेरा पानी निकलना शुरू हो गया। मेरा लण्ड उसके हलक के नज़दीक होने की वजह से सारा पानी उसके पेट में चला गया।
पानी निकलते वक़्त उसने मेरे लण्ड को और ज़ोर लगा कर चूसा.. जिससे मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आया।
अब मेरा लण्ड छोटा होना शुरू हो गया था.. तो मैंने उसके मुँह से अपना लण्ड निकाला और उसके होंठों पर किस कर दी। अब हम दोनों ही बिस्तर पर नंगे एक-दूसरे से चिपक कर लेट गए।
कुछ देर के बाद हम उठ कर बाथरूम गए.. वहाँ मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और उसकी चूत को भी साफ़ किया और वापस आकर बिस्तर पर बैठ गए, हम दोनों बातें करने लगे।
मैंने उसको पलंग पर उल्टा करके लिटा दिया और उसके जिस्म पर किस करने लगा। किस करते-करते मैं उसकी गाण्ड की तरफ आया और उसको भी किस किया। उसके चूतड़ भी चिकने नज़र आ रहे थे। मैंने अपनी ज़ुबान उसके कूल्हों पर फेरनी शुरू कर दी और उसके सुराख में अपनी ज़ुबान डाल दी.. तो वो भी अपनी गाण्ड को चुसवाने का मज़ा लेने लगी।
काफ़ी देर तक उसकी गाण्ड चूसने के बाद मैंने उसको बोला- मैं तुम्हारी गाण्ड मारना चाहता हूँ। वो बोली- नहीं.. मैंने कभी गाण्ड नहीं मरवाई है.. और तुम्हारा लण्ड तो मोटा भी बहुत है और लंबा भी बहुत है। तो मैंने कहा- एक दफ़ा अपनी गाण्ड मरवा कर तो देखो.. बड़ा मज़ा आएगा.. गाण्ड मरवाने के मज़े में अपनी चूत चुदवाना भूल जाओगी..
वो बोली- हाँ मुझे पता है.. मेरी एक सहेली भी अपने पति से गाण्ड मरवाती है.. उसको भी बड़ा मज़ा आता है.. लेकिन मैं तो तुम्हारे लण्ड से डर रही हूँ इतना बड़ा लण्ड और मोटा भी.. मेरी गाण्ड में कैसे जाएगा.. अगर चला भी गया.. तो दर्द बहुत होगा.. ना बाबा ना.. मैं गाण्ड नहीं मरवाऊँगी। मैंने उसको बोला- तुम्हारी सहेली भी तो गाण्ड में लण्ड लेती है.. उसको दर्द नहीं होता क्या? कहने लगी- उसको तो अब आदत हो गई है वो 3 साल से गाण्ड मरवा रही हे। मैं बोला- तुमको भी सिर्फ़ एक बार ही दर्द होगा बस.. फिर तुम भी मज़े लेने लगोगी.. अपनी सहेली की तरह।
इन बातों के दौरान मैंने उसकी गाण्ड में अपनी बीच वाली उंगली डाली हुई थी.. जिसे वो मज़े से अपनी गाण्ड में लिए हुई थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने बोला- अभी मैंने अपनी उंगली तुम्हारी गाण्ड में डाली हुई है.. तुमको दर्द हो रहा है क्या? तो वो बोली- उंगली से तो दर्द नहीं हो रहा है.. पर तुम्हारे लौड़े से होगा.. मैं बोला- बस इससे थोड़ा ज्यादा दर्द होगा.. वो भी थोड़ी देर के लिए.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं..
मेरे बहुत ज्यादा इसरार करने पर वो राज़ी हो गई और कहने लगी- अगर दर्द ज्यादा हुआ तो मैं गाण्ड नहीं मरवाऊँगी। मैंने बोला- मंजूर है..
अब मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड में से निकाली और अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया.. ताकि यह कुछ उसके थूक से नरम हो ज़ाए। दस मिनट तक लण्ड चुसवाने के बाद मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गाण्ड को अपनी ज़बान से चाटने लगा.. जिससे वो नरम हो जाए। कुछ देर चाटने के बाद मैंने थोड़ा सा थूक उसकी गाण्ड के सुराख में और थोड़ा अपने लण्ड पर लगाया और अपने लण्ड की टोपी उसके सुराख पर रख दी।
फिर मैंने हल्के-हल्के आगे की तरफ ज़ोर लगाना शुरू किया.. तो मेरी टोपी उसकी गाण्ड के अन्दर घुस गई.. वो दर्द के मारे थोड़ा चिल्लाई- दर्द हो रहा है बहुत.. मैंने इसी दौरान एक ज़ोर और लगाया तो मेरा लण्ड 4 इंच अन्दर उसकी गाण्ड में चला गया।
अब वो रोने लगी- छोड़ दो मुझे.. मेरी गाण्ड नहीं मारो.. छोड़ दो मेरी गाण्ड में दर्द हो रहा है.. अब और अन्दर नहीं डालना.. बस करो..। मैं वहीं रुक गया ताकि उसका दर्द कुछ कम हो ज़ाए, मेरा लण्ड आधा अन्दर आधा बाहर था।
कुछ देर बाद उसको दर्द कम हुआ तो मैंने अचानक एक ज़ोरदार धक्का मार कर पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में डाल दिया। अब वो फिर दोबारा चिल्लाई- बस करो.. अब मत डालो और अन्दर.. मेरी गाण्ड फट गई है.. बहुत दर्द हो रहा है.. बस करो। मैं अब ऐसे ही एक जगह रुका रहा। थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- अब दर्द तो नहीं हो रहा है? तो वो बोली- अब ज़रा कम है..
अब मैंने आहिस्ता-आहिस्ता हिलना शुरू किया.. अब वो चिल्लाई नहीं.. खामोशी से गाण्ड मरवाने लगी थी। कुछ देर बाद उसने भी हिलना शुरू कर दिया.. जिससे मुझे अंदाज़ा हुआ कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है।
मैंने अब उसकी गाण्ड मारने की रफ़्तार और तेज़ कर दी। अब उसके मुँह से आवाजें निकलनी शुरू हो गईं ‘आहा.. अयईई.. उईई.. मैं मर गइई.. ज़रा और ज़ोर से चोदो मेरी गाण्ड..’
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ाई। अब मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने नीचे से हाथ डाल कर उसकी चूत में उंगली डाल दी तो उसकी चूत में से पानी निकलने लगा।
मैं अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में चला रहा था.. और उसकी गाण्ड भी मार रहा था। कुछ ही देर में वो झड़ गई और उसकी चूत से पानी का झरना निकलने लगा। मैंने अपनी उंगली निकाल कर एक अपने मुँह में ले ली.. और सारा पानी चाट लिया और दूसरी फिंगर उसके मुँह में दे दी वो भी फिंगर में लगा सारा पानी चाट गई। मैंने उसको बिस्तर से नीचे उतार कर दीवार के साथ उल्टा खड़ा किया और अपना लण्ड फिर से उसकी गाण्ड में ठोक दिया। इस बार उसको दर्द भी नहीं हुआ.. में खड़े होकर उसकी गाण्ड मार रहा था। अब इस स्टाइल में हम दोनों को ही बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मेरे दोनों हाथों में उसकी चूचियाँ थीं और उसकी गाण्ड में मेरा लण्ड घुसा था। इस तरह से मैंने खड़ा करके उसको काफ़ी देर तक चोदा, इस दौरान भी वो झड़ी। अब मैं भी झड़ने के नज़दीक ही था, मैंने उससे पूछा- अपना पानी कहाँ निकालूँ? तो वो बोली- मेरी गाण्ड में ही निकाल दो.. सिकाई हो जाएगी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दो मिनट में ही मेरे लण्ड ने एक ज़ोरदार धार उसकी गाण्ड में छोड़ दी।
मैं बुरी तरह थक गया था। मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से निकाला और बिस्तर पर आ गया, वो भी मेरे पास ही आकर लेट गई, हम दोनों की साँसें फूल रही थीं।
कुछ देर बाद हम नॉर्मल हुए तो उसने मेरे से कहा- मुझे आज पता चला कि गाण्ड मरवाने में भी मज़ा आता है..
मैंने उसको बोला- अब मैं कभी तुम्हारी गाण्ड नहीं मारूँगा। तो वो बोली- क्यों नहीं मारोगे? मैं बोला- तुमको दर्द होता है ना इसलिए.. तो वो कहने लगी- अब तो मैं रोज़ ही तुम से गाण्ड मराऊंगी.. क्योंकि गाण्ड मरवाने में ज्यादा मज़ा आता है। मैंने बोला- एक शर्त पर तुम्हारी गाण्ड मारूँगा.. ‘बताओ क्या.. मैं अपनी गाण्ड मरवाने के लिए हर बात मानूँगी..’ मैं बोला- जिस सहेली का तुमने थोड़ी देर पहले ज़िक्र किया था.. तुम उसकी भी गाण्ड मरवाओगी मुझसे। तो वो बोली- काम तो मुश्किल है.. लेकिन मैं तुम्हारी शर्त पूरी करूँगी।
यह कह कर वो मेरे से लिपट गई और उस दिन मैंने एक दफ़ा और उसकी गाण्ड मारी और वो गाण्ड मरवाते हुए वो 3 बार डिस्चार्ज भी हुई।
उसकी सहेली की चुदाई की कहानी अगली बार लिखूंगा। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे ईमेल करके जरूर बताना। [email protected]
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