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कमरे में आने के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लेटने का इशारा किया, दरवाज़ा बंद किया और कुण्डी लगा दी। नेहा बिस्तर पर लेट चुकी थी।
मैंने नेहा को छुआ तो पाया कि वो कामाग्नि में पूरी तरह जल रही है। मैंने नेहा को खड़ा किया और धीरे से कान में बोला- मैं लाइट जलाता हूँ, तुम अपने कपड़े उतारो! मैंने लाइट जलाई पर नेहा ज्यों की त्यों ही खड़ी रही।
मैं उसके करीब आया तो एक एक करके उसके कपड़े उतारे, बिस्तर पर धक्का मार कर उसकी केप्री और पैंटी को भी उसके बदन से अलग कर दिया। अब नेहा मेरे सामने पूरी तरह नंगी पड़ी थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, पूरी जीभ को नेहा की झुलसती हुई चूत से अंदर बाहर करने लगा, बीच बीच में नेहा की चूत का दाना भी अपनी जीभ से छेड़ देता था।
मैं बिस्तर के नीचे बैठा था और नेहा बिस्तर के ऊपर अपनी टाँगें पलंग के नीचे लटका कर मेरे सामने अपनी चूत खोले पड़ी थी। मैं अपनी जगह से उठा और नेहा के कान के पास जाकर बोला- कैसा लग रहा है? नेहा बोली- आज तक इतना आनन्द नहीं आया… वाकयी ओरल सेक्स में बहुत अच्छा लगता है।
मैंने कहा- तुम चिंता मत करना, तुम अपना पानी मेरे ऊपर छोड़ सकती हो। मुझे अच्छा लगेगा अगर मैं तुम्हारे यौवन का पहला कतरा चख सकूँ। नेहा बोली- इतनी सीधी भी नहीं हूँ मैं, ऊँगली तो मैं एक हफ्ते में दो बार कर ही लेती हूँ। मैंने कहा- तूने मेरे पूरे डायलाग की माँ चोद दी।
नेहा हंसने लगी और बोली- मैं सच में आपके चाटते हुए अपना पानी छोड़ सकती हूँ क्या? मैंने कहा- हाँ, यही बताने ऊपर आया था। नेहा बोली- राहुल मुझे और मजा दो न! मैंने कहा- देख नेहा मेरा तेरे से ज्यादा मन है चाहे तो मेरे लंड को हाथ लगा के देख ले, पर मैं सिर्फ इसलिए कंट्रोल कर रहा हूँ कि तुम्हारी पहली चुदाई इतनी यादगार हो कि तुम जब भी कहीं भी चुदो तो तुम्हें वही ख्याल आये और तुम उत्तेजित हो जाओ।
नेहा ने मेरे लंड को हाथ लगाया और आँखें बड़ी बड़ी कर ली। मैंने कहा- अब यह मत बोलना कि तुम आज से पहले कड़क लंड भी नहीं देखा है। नेहा सिर्फ न में गर्दन हिला रही थी।
मैंने कहा- तो यह भी उसी दिन देखना जब तुम्हारी पहली चुदाई होगी। क्योंकि अभी तुम्हारी भाभी को छत पर लेकर चोद लूँगा पर नई नवेली लौंडिया पर यूँ ही अपनी मलाई नहीं निकालूंगा। निकालूंगा तो उसी दिन जब सील खुलेगी।
अब मैं फिर से नेहा की चूत चाटने लगा। नेहा की चूत में से धीरे धीरे निकलता हुआ सफ़ेद लावा उसकी गांड के छेद तक जा रहा था। मैंने साथ ही अपनी ऊँगली का जादू भी दिखा ही दिया। बीच की दो उँगलियाँ उसकी चूत में डाल दी और अंगूठे से चूत के दाने के थोड़ा नीचे सहलाता रहा और जीभ से दाने को छेड़ता कभी चूस लेता था।
एक हाथ जो नेहा के वक्ष तक पहुँच तो नहीं रहा था आसानी से, पर फिर भी कोशिश कर कर के बीच बीच में नेहा के बूब्स को भी दबा रहा था। वो पड़ी पड़ी अपनी चूत से पानी निकाल रही थी, नेहा अब तक 3 बार झड़ चुकी थी पर उसने मेरा हाथ एक भी बार नहीं पकड़ा था रोकने के लिए। जब वो चौथी बार झड़ी तब मैंने ही ऊँगली उसकी चूत से बाहर निकाल के अच्छे से चाट कर उसकी चूत को साफ़ कर दिया।
मैं उसके अटैच बाथरूम से मुंह धोकर आया और बाहर जाने लगा। नेहा ने अब तक कपड़े नहीं पहने थे और बिस्तर में ही इधर उधर पलट रही थी। मुझे जाता देख फुर्ती से उठकर आई और मुझे पकड़ लिया और मुझे चूमने लगी, फिर बोली- राहुल, मुझे अपनी यादगार पहली चुदाई का इंतज़ार रहेगा। चाहे वो आज हो या कल या 30 साल बाद मेरी पहली चुदाई तुम्हारे साथ ही होगी।
नेहा अब बहुत खुल गई थी, अब वो आराम से मेरे सामने नंगी और चूत चुदाई की बातें कर पा रही थी। मैंने कहा- नेहा तुम बला की खूबसूरत हो, तुम्हारा पूरा बदन एकदम शिल्पकार की नक्काशी की तरह पैना और सुन्दर है। तुम्हारी चूत में लंड डालने वाला खुशकिस्मत ही होगा। मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ कि तुम यह पहला मौका मुझे देना चाहती हो।
मैंने नेहा को पूरा बाँहों में भरा, उसके होंठों को चूमा, उसके स्तनों को सहलाया, कूल्हों को दबाया और दरवाज़ा खोल कर जल्दी से भाग गया। कमरे से बाहर निकलने के बाद मैंने सबसे पहले कोने से झाँक कर यह देखा कि नेहा ने दरवाज़ा बंद कर लिया या नहीं।
फिर जब देख लिया कि दरवाज़ा बंद हो चुका है तो छत पर जाकर फिर एक बार अंदर रोशनदान से अंदर झाँका पर लाइट बंद होने के कारण कुछ नहीं दिखा।
तब फिर छत पर आकर मैंने मधु को कॉल लगाया, मधु के कुछ बोलने से पहले ही मैं बोला- मधु मुझे तुम्हारी चुदाई करनी है, मेरे लंड को शांत कर दो और छत पर आ जाओ। वहाँ से बिना कुछ बोले ही कॉल कट गया, मैं समझ गया था कि वहाँ आस पास काफी लोग होंगे इसलिए बिना कुछ बोले फ़ोन काट दिया है।
थोड़ी देर इंतज़ार के बाद मैंने एक सिगरेट जलाई और छत के एक कोने में जाकर बैठ गया। थोड़ी देर में मेरे पीछे से छाती पर हाथ घूमने लगे। मैंने कहा- थैंक्स यार, देख मेरा लंड कितना कड़क हो गया है। हाथ से मुठ भी मार लेता पर बिना चूत के यह आज मानने वाला नहीं था इसलिए कॉल कर दिया।
पीछे से आवाज़ आई- अच्छा किया जो कॉल कर दिया, मेरी भी चूत में आग लगी हुई थी। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो आँखें फटी की फटी रह गई।
मेरे पीछे शिखा थी। मैंने कहा- तू यहाँ क्या कर रही है और ये कैसी बातें कर रही है तू मुझसे?
वो बोली- भैया, कुछ दिनों में मेरी शादी हो जाएगी। तब भी तो मुझे लंड चूत सब बोलना ही होगा। तो क्यूँ न अभी से कुछ सीखा जाए। मैंने कहा- ये सब तू अपने पति के साथ करना! और मैंने एक धक्का मार के उसे अपने आप से दूर हटाया।
शिखा बोली- देखो आपको चूत चाहिए और जब मैं छोटी थी, तब से ही आप मेरे पसंदीदा मर्द रहे हो। आप मेरे हीरो हो, मैं बचपन से ही आपकी बनना चाहती थी। जब बड़ी हुई तो पता चला कि आप भाई हो और मैं आपसे शादी नहीं कर सकती। मैंने अपने आपको बहुत समझाया बहुत मनाया और भूलने की कोशिश की पर आप मेरे पहले प्यार हो आपको भूल पाना मेरे लिए संभव ही नहीं है। मैं आपके साथ बस एक, बस एक बार सोना चाहती हूँ। फिर दुनिया का कोई भी मर्द मेरे बदन को नोचे मुझे कोई परवाह नहीं। पर एक बार आप मेरे बदन को छू लो मेरी आत्मा को तृप्त कर दो।
मैंने सोचा- साला आज का दिन लगता है शायद सील तोड़ने का ही दिन है, अभी एक सील छोड़ कर आया तो दूसरी सील आ गई।
मैं सोच ही रहा था कि शिखा फिर बोली- मैं बहुत सोच समझ कर ही छत पर आई हूँ, जब आपने कॉल किया तो भाभी नहीं उठी सिर्फ मेरी ही नींद खुली जबकि मैं बहुत थकी हुई थी। उस पर आपने ऐसा कहा कि आपको चूत की ज़रूरत है। तो बस मैंने सोचा कि आज शायद मेरी मन की मुराद पूरी हो सकती है। मैं तो आपके पास भीख मांगने आई हूँ, आप चाहो तो भिखारी समझ कर भगा दो और चाहो तो मुझे सिर्फ एक रात के लिए अपना लो।
मैं अभी भी कुछ कुछ सोचे ही जा रहा था। शिखा पूरी ड्रामा कंपनी है, वो मेरे पैरों में लेट गई।
मैंने उसे उठाया और गले से लगा लिया और कहा- अभी तुम अपनी भाभी को भेज दो, तुम्हारी पहली चुदाई ऐसे करूँगा कि तुम हमेशा याद रखो। ऐसे छत पर छुप कर नहीं, कही बड़े से फूलों के बिस्तर पर उजाले में, पूरी शिद्दत के साथ। शिखा बोली- आप मुझे गोली तो नहीं दे रहे न? मैंने कहा- नहीं!
और मैंने उसके बूब्स दबा दिए और बोला- देखा ऐसे तो नहीं छेड़ता न अगर मेरे मन में कोई और ख्याल होता तो! मैंने उसको फिर से गले लगाया और उसके पूरे बदन को सहलाया और चूमा, फिर अपने आप से दूर करके बोला- अब तू जा और तेरी भाभी को भेज अब मुझसे सहन नहीं हो रहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
शिखा बोली- क्यों भाभी को परेशान करते हो, आप मेरे मुंह में अपना माल निकाल दो। मैं सपनों में कई बार आपके लंड का पानी पी चुकी हूँ, वही सोच सोच के मैंने कई बार अपनी चूत में उंगली की है। मैंने कहा- माँ की लौड़ी, यही फर्श पर चुदना चाह रही है तू, मैं तेरे को अच्छे से चोदने की सोच रहा हूँ।
वो बोली- राहुल भैया, आप कितनी अच्छी गालियाँ देते हो। ठीक है, मैं भाभी को ही भेजती हूँ। पर मैं भेजूंगी तो शक होगा आप 3-4 मिनट में दुबारा कॉल करके बुलाना, मैं जाकर ऐसे लेटूंगी कि उनकी नींद खुल जाए। पर हाँ, छत पर खुले में चोदोगे तो मैं भी देखूंगी आपको चुदाई करते हुए।
मैंने कहा- भाग यहाँ से, चल जो तेरी मर्जी देख लेना, पर अभी जा और जगा उसे। मैंने लगभग 5 मिनट बाद कॉल लगाया तो धीरे से आवाज़ आई- हेलो! मैंने सीधे कहा- छत पर आ जाओ।
मधु छत पर आई मैंने उसे एक कोने में लेकर गया और उसकी सलवार उतार कर लंड अंदर डाल दिया और मैं बैठ गया और उसको अपने ऊपर बैठा लिया। उसके बाद मैं बोला- बहुत ठरक मची हुई थी। अगर तुम अभी नहीं आती तो तुम्हें उसी कमरे में आकर सबके सामने चोद डालता। मधु बोली- आज तो शाम से मुझे भी लंड की याद आ रही थी। अच्छा किया जो आपने बुला लिया।
मधु मेरे लंड पर उछलती रही। फिर मैंने मधु को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और घोड़ी बनाकर खड़ा होकर धक्के मारने लगा।
मुझे पता था ही था कि शिखा भी कहीं न कहीं से छुप कर यह सब नज़ारा देख ही रही होगी। मधु ने भी अपनी चूत में मेरे लंड को काफी दिनों बाद लिया था तो बड़े मजे से चुदवा रही थी।
काफ़ी देर बाद हम दोनों ने अपना अपना पानी छोड़ा और जाकर अपने अपने कमरों में सो गए।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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