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अब तक आपने पढ़ा..
मैं उठा और किसी तरह उसकी एक टांग अपने एक हाथ से उठाकर और दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड के पीछे ले जाकर उसकी चूत में अपना लण्ड धकेलने लगा.. और झटके मारने लगा.. जो ज्यादा तेज नहीं लग पा रहे थे।
फिर प्रियंका बोली- रुको जीजू.. ऐसे मजा नहीं आ रहा.. और उसने बाल्टी का सारा पानी गिराकर.. बाल्टी उलटी करके अपने एक टांग के नीचे रख लिया.. जिससे मेरा संतुलन सही हो गया.. और मैं अब दोनों हाथ से.. पीछे से उसकी गाण्ड पकड़ कर सीधे तेज-तेज झटके मारने लगा।
प्रियंका ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे के ऊपर से डाल लिए.. जिससे उसको और मुझको दोनों को आसानी हो गई.. अब मैं अब उसकी तेजी से चुदाई करने लगा।
लण्ड के अन्दर-बाहर जाने की आवाज.. ‘चट.. चट.. चटाक..’ इतनी मनमोहक और तेज हो रही थी कि बाहर डिनर तैयार कर रही सुरभि के कानों तक पहुँच रही थी।
अब आगे..
वो एक थाली में बेंगन.. आलू.. मिर्ची.. वगैरह लिए खड़ी हुए दरवाजा खोलते हुए बोली। सुरभि- चुदक्कड़ों.. बाथरूम में भी चालू हो गए.. वो भी अकेले-अकेले.. हम्म्म?
प्रियंका गर्म आवाज में बोली- साली जा ना.. अपना काम कर कुतिया.. डिनर तैयार कर.. तेरी भी गाण्ड मारेगा बाद में.. तेरा जीजू.. काहे चिंता कर रही है रंडी.. चल भाग कुतिया.. और मुझे चुदने दे.. सुरभि दरवाजा खुला छोड़ कर सामने ही दीवान पर बैठ कर.. सब्जी काटने लगी.. और हमको देख कर.. धीरे-धीरे गर्म हो रही थी।
मैं यहाँ प्रियंका की चूत में लण्ड तेजी से अन्दर-बाहर पेल रहा था। प्रियंका ने मुझे जोश दिलाते हुए कहा- आह जीजू.. चोदो अपनी साली को.. आह चोदो.. चोदो अपनी कुतिया रंडी को.. मैं जोश में धक्के पे धक्के मारने लगा.. बाथरूम में ‘चपक.. चटाक.. चट.. चट..’ की आवाज गूंजने लगी।
बाहर बैठी सुरभि को चुदाई की मधुर सरगम सुनाई दे रही थी। प्रियंका की नजर सुरभि पर पड़ी.. सुरभि मदहोशी में.. अपने लम्बे टॉप के ऊपर से.. एक चूचा दबा रही थी.. और अपने निप्पल्स को चाकू से सहला रही थी.. शायद उसे भी नहीं पता था कि वो चाक़ू से चूचुक रगड़ रही थी.. वो बड़ी मदहोश थी।
प्रियंका- ओ कमीनी.. क्या कर रही है.. कट जाएंगे तेरे निप्पल.. रंडी.. साली कुतिया.. फिर क्या चूसेगा तेरा जीजा.. साली कुतिया.. इतना ही है तो बेंगन पेल ले अपनी चूत में मादरचोदी..
मेरी नजर भी उस पर पड़ी, सुरभि को भी जैसे होश आया.. उसने अचानक से चाकू थाली में रख दिया और एक काला बैंगन थोड़े छोटे और पतले साइज का अपने मुँह में डाल लिया और गीला कर लिया.. फिर थाली अपने पीछे रख कर.. अपनी दोनों टाँगें फैला लिए.. और हमको देखते हुए.. वो बैंगन अपनी चूत में डालने लगी, फिर धीरे-धीरे आगे-पीछे आगे-पीछे… बैंगन से चूत की चुदाई करने लगी।
यह देख कर.. मेरा जोश बढ़ गया और मैं तेजी से प्रियंका की चुदाई करने लगा।
प्रियंका- आह.. जीजू.. देख उस कुतिया को.. मादरचोदी कैसे चूत में बैंगन डाल रही रांड.. साली का मुँह देखो तो.. भाव तो देखो चेहरे के.. हरामिन के.. आह्ह.. मैं उसके चेहरे को देखते हुए मजा लेने लगा।
सुरभि हमारी तरफ देखते हुए बैंगन अन्दर-बाहर कर रही थी.. और उसका मुँह गोल में खुला हुआ था.. और उसके माथे की शिकन तीन लाइन बनाए.. ऊपर को थीं.. भौंहें ऊपर को उठी थीं। उसका चेहरा इन भावों में बहुत ही मादक लग रहा था।
यह देखते ही.. मैंने उसके चूतड़ों को कसके पकड़ कर.. तेज-तेज.. अपना लण्ड उसकी चूत में पेलने लगा। उसने मेरे लण्ड को पकड़ कर बाहर निकाल कर खुद अपनी गाण्ड के छेद में लगा दिया और एक हाथ से मेरे पीछे से गाण्ड को अपनी और धकेलने लगी.. जिससे मेरा लण्ड उसकी गाण्ड सरसराता सा चला गया। बस उसकी चूत के लिसलिसे पानी की वजह से ‘चप.. चप.. छपक..’ की आवाज आने लगी।
वहाँ सुरभि एक हाथ से टॉप के अन्दर हाथ डाल कर अपने ही निप्पल मसल रही थी और एक हाथ से अपनी चूत बैंगन से मार रही थी। प्रियंका एक हाथ से मेरे निप्पल मसल रही थी और उसका दूसरा हाथ मेरे कंधे पर था। मैं तेजी से उसकी चुदाई करने लगा, करीब 15 से 20 झटके मारने के बाद प्रियंका बोली- आह.. जीजू.. पैर दर्द हो रहा है।
उसने पैर नीचे कर लिया.. और कहा- अब उंगली से चोदो.. मैंने अपनी दो उंगलियां पेल दीं.. और उसकी क्लिट को सहलाने लगा।
अब मैं उंगली से उसके जी-स्पॉट को रगड़ने लगा.. जिससे वो मचल गई और मेरा हाथ जो उसकी क्लिट को रगड़ रहा था.. उसे हटाकर मेरा सर अपनी चूत में दबा लिया।
मैं उसका इशारा समझ कर उसकी क्लिट को अपनी जीभ से सहलाने लगा और कभी-कभी होंठों से दाने को दबा कर घसीट लेता था.. और नीचे से दो उंगली से उसके जी-स्पॉट को नीचे से ऊपर की ओर रगड़ रहा था।
वो इतनी अधिक जंगली सी हो उठी थी कि जैसे मेरे सर के बाल नोंच ही लेगी। फिर अचानक से उसने अकड़ते हुए अपना पानी निकाल दिया.. जो काफी गर्म था।
उसने तुरंत मुझको ऊपर उठाकर.. मेरा लण्ड गप्प से अपने मुँह के अन्दर कर लिया.. और मुझे मस्त ब्लो-जॉब देने लगी। मैंने उसका सर पकड़ कर अपने लण्ड में धसा लिया.. जिससे उसकी सांसें अटक सी गईं.. और उसकी आँखों से आंसू छलक आए। फिर भी वो मेरे लण्ड को चूसती रही.. और कभी-कभी.. हाथ-गाड़ी भी चला रही थी।
उसका मुँह दर्द करने लगा.. तो वो तेज-तेज.. मेरा लण्ड हिलाने लगी।
प्रियंका- आह जीजू.. मेरी गाण्ड मारने में मजा आया.. कैसी लगी आपकी साली की गुदगुदी गाण्ड.. और दूसरी साली की मखमली गाण्ड.. और उसकी चूत का उद्घाटन भी कर दिया.. आज तो आप जन्नत में हो जीजू. उस कुतिया को क्या चोदा है आपने.. साली रंडी याद रखेगी.. कि किस हलब्बी लण्ड से पाला पड़ा है उसका.. आह.. जीजू.. आप देखते जाओ.. मैं आपके इस लौड़े के लिए.. चूत की लाइन लगा दूँगी। अपने इस हब्शी लौड़े से जीजू सबकी चूत मारना.. गाण्ड पेलना.. इतनी लड़की औरतों को पटाऊंगी आपके लिए कि आप हर रोज नई चूत मारोगे.. नई गाण्ड मारोगे.. जीजू तेरे लण्ड के बहुत से दीवाने बनेंगे.. और तू जो कुत्तों जैसा चोदता है न.. उसका क्या कहना.. सब की चूतों का बेड़ा पार लग जाएगा.. हाय यह साला आपका लण्ड.. आह्ह.. बड़े मम्मे पसंद है न आपको.. देखते जाओ सबके मम्मे चुसवाऊंगी.. सब बड़े मम्मों वालियों को आपके इस लौड़े से चुदवाऊंगी.. आह.. जीजू आपका यह लण्ड क्या चोदता है.. सबकी ठरक निकाल दे.. आह्ह.. सबकी गाण्ड बजाना आप… आपकी इतनी सालियाँ बनवाऊंगी कि हर रोज साली की गाण्ड बजाते रहना.. आह्ह..
वो चुदास में इतनी गरम हो चुकी थी कि अंट-शंट बकते हुए तेज-तेज झटके मारने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अचानक ही यह सब सुनते हुए मेरे लण्ड से एक तेज धार निकली.. जो प्रियंका के चेहरे पर पड़ी.. जो बहता हुआ.. उसके होंठ तक चला गया। शावर के पानी के साथ मेरे लण्ड का पानी मिक्स होता हुआ उसके होंठों तक पहुँच गया.. जिसे प्रियंका ने पहली बार अपने मुँह में ले लिया.. और शायद उसको अच्छा लगा.. तो उसने मेरा लण्ड फिर से अपने मुँह में लेकर मेरा सारा माल चाट लिया.. और थोड़ी देर चूसने के बाद मेरा लण्ड छोड़ दिया।
अब हम दोनों फिर से नहाकर बाहर निकल आए। बाहर हमने देखा कि सुरभि अपनी आँखें बंद करे हुए.. अपने दोनों मम्मों को मसल रही थी.. साथ ही अपनी चूत में बैंगन डाल रही थी।
प्रियंका यह देख कर उसके पीछे से दीवान पर बैठ गई.. और उसने पीछे से सुरभि के मम्मों को पकड़ लिया.. जिससे उसकी आँखें खुल गईं.. सुरभि हल्की सी गर्दन पीछे करके प्रियंका को स्मूच करने लगी।
मैंने भी जाकर उसके हाथ से बैंगन ले लिया.. और उसकी चूत को तेजी से चोदने लगा। मैं बैंगन का डंठल पकड़ कर.. एक बार में पूरा अन्दर.. फिर बाहर..फिर अचानक से बाहर.. फिर तेजी से उसकी चूत में बैंगन घुसेड़-निकाल रहा था।
तभी प्रियंका बोली- जीजू.. यह लो कुतिया के मम्मे पियो.. चूस लो इनको। उसने खुद ही उसके दोनों मम्मों को मेरे मुँह में लगा दिया.. जिसे मैं बेताबी से चूसने लगा।
मैं बैंगन को लगातार अन्दर-बाहर कर रहा था.. कि पीछे से प्रियंका.. सुरभि की गाण्ड में उंगली को ठेल दिया और मैं सुरभि के निप्पल काटने चूसने लगा.. जिन्हें प्रियंका अपने हाथों से मसलते हुए मेरे मुँह में दे रही थी.. और नीचे तेजी से उसकी चूत में बैंगन पेल रहा था।
प्रियंका- आह जीजू.. फाड़ दो चूत.. इस कुतिया की.. पेलो बैंगन.. खा जाओ निप्पल्स.. रंडी है यह.. कुतिया.. देखो कैसे आँखें बंद करके चुदवा रही है कुतिया साली आपकी..
प्रियंका ने तेज-तेज उसके मम्मे मसलते हुए अपनी दो उंगलियां उसकी गाण्ड में घुसेड़ दीं। मैंने सुरभि की चूत में पूरी दम से तेज धक्का मारना शुरू कर दिया। पूरा बैंगन अन्दर.. फिर अचानक से बाहर.. फिर तेज झटके के साथ पूरा बैंगन फिर अन्दर.. और इसी के साथ निप्पल्स को दांतों से खाये जा रहा था।
प्रियंका उसके कन्धों पर काट रही थी.. चूसती है.. और उसके मम्मों को मेरे मुँह पर मसल रही थी। मेरे झटके इतने तेज थे कि कुछ 10 से 20 झटकों में वो अकड़ सी गई.. और उसकी चूत का पानी निकल गया.. जिसने बैंगन को पूरा गीला कर दिया।
मैंने चूतरस से सने बैंगन को बाहर निकाला.. जिससे बैंगन के बाहर निकलते ही.. कुछ उसके कामरस की बूंदें बाहर गिर गईं.. और सुरभि ने चैन की सांस लेकर अपना आंखें बंद करे हुए ही.. अपना मुँह खोलते हुए तेज-तेज सांस लेना आरम्भ कर दिया।
प्रियंका ने अचानक ही मेरे हाथ से वो बैंगन लेकर.. तुरंत ही उसके मुँह में घुसेड़ दिया। सुरभि ने आँख खोलते हुए कहा- रानी मत कर.. लेकिन प्रियंका ने जबरदस्ती उसके मुँह में बैंगन घुसेड़ कर दो-तीन बार अन्दर-बाहर कर दिया.. जिससे सुरभि का कामरस.. सुरभि खुद ही चाट गई।
प्रियंका और मैंने उसको छोड़ कर कपड़े पहन लिए।
मैंने बिना चड्डी के सिर्फ लोअर पहन लिया.. और प्रियंका ने बिना ब्रा और पैंटी के सुरभि का ही ढीला टॉप पहन लिया.. जो उसकी गाण्ड को मुश्किल से छुपा पा रहे थे।
अब तक सुरभि ने भी उठ कर हाथ धोकर.. प्रियंका के साथ डिनर तैयार करने लगी।
दोस्तो, इस कहानी में रस भरा है, इसे मैं पूरी सत्यता से आपके लिए लिख रहा हूँ.. आप अन्तर्वासना से जुड़े रह कर इस कहानी का आनन्द लीजिए और मुझे अपने ईमेल भेजते रहिए। आपका विवान [email protected]
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