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सेक्सी लड़कियों और प्यारी भाभियों व मेरे सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा नमस्कार!
मेरी पहली सेक्स कहानी कुँवारी पिंकी की सील तोड़ चुदाई को आप सबने बहुत पसन्द किया.. मुझे ख़ुशी है और बहुत लोगों के मेल भी आए, उसके लिए आप सभी को.. भाभियों और लड़कियों को बहुत-बहुत शुक्रिया।
मैं अपने नए दोस्तों को अपने बारे में बता दूँ… मेरा नाम यश है.. मैं दिल्ली से हूँ और बी.ए 2nd ईयर में हूँ। मेरी हाइट 5.6 इन्च है.. सावला रंग है। मेरे लन्ड का साइज़ 6 इंच और ये 2.8 इंच मोटा है।
दोनों बहनों की चुदाई के बाद मैंने पिंकी और सोनी की सहेलियों को चोदने के अलावा बहुत सी लड़कियों और भाभियों को भी चोदा.. जिसमें से एक प्यारी पंजाबन भाभी की चुदाई की कहानी बता रहा हूँ।
यह बात पिंकी और सोनी की चुदाई करने के भी 4 से 5 महीने बाद की है। मैंने एग्जाम दिए थे और अभी रिजल्ट आने में 2 महीने का टाइम था.. तो मैंने सोचा क्यों न वाराणसी ही चला जाऊँ वहाँ मेरे सभी रिश्तेदार रहते हैं। वहाँ मस्त-मस्त लड़कियाँ भी हैं और भाभियाँ भी बहुत हैं।
वहाँ भी मैंने 4 लड़कियों और 6 भाभियों की चुदाई भी की है.. वो सब किसी और कहानी में फिर कभी बताऊंगा।
अभी इस घटना को लिख रहा हूँ..
एक दिन मैंने मम्मी से कहा- मुझे वाराणसी जाना है। तो मम्मी ने कहा- अकेले कैसे जाएगा? मैंने कहा- मैं चला जाऊँगा.. थोड़ा मनाने पर मम्मी मान भी गईं।
अभी उसने बात कर ही रहा था कि इतने में उनका फ़ोन बजा और मम्मी बात करने लगीं। फ़ोन के कटने पर मम्मी ने बताया कि मुझे मौसी ने बुलाया है। मैंने मम्मी से पूछा- क्यों कोई काम है क्या? मम्मी बोलीं- हाँ.. वो तेरे भय्या और भाभी वाराणसी गए हैं.. किसी रिश्तेदार की शादी में.. और 2 हफ्ते में आएंगे.. इसलिए तुझे वहाँ रहने के लिए बुलाया है।
अब मेरा मूड ख़राब हुआ कि मन मेरा था और चले गए भैय्या-भाभी.. पर क्या कर सकते हैं। मैं अगले दिन मौसी के घर चला गया। अप्रैल का महीना था तो ज्यादा गर्मी नहीं थी।
आपको बता दूँ कि मेरी मौसी एक फ्लैट में रहती थीं, मौसी के घर में मौसा-मौसी और भय्या-भाभी और उनका एक बेबी था।
मैं भुनभुनाता हुआ जा रहा था.. ऊपर से मम्मी ने पता नहीं मौसी को देने के लिए कोई बॉक्स सा दे दिया था। एक हाथ में बैग और दूसरे हाथ में बॉक्स पकड़ रखा था। सीढ़ी से चढ़ कर जाना था क्योंकि मौसी का घर तीसरे फ्लोर पर था।
जैसे ही में तीसरे फ्लोर पर पहुँचने वाला था.. तो मेरी टक्कर हो गई.. और मेरा बॉक्स जमीन पर गिर गया।
मैं बस इतना बोलने जा रहा था कि ‘दिखाई नहीं देता..’ तभी मैंने सामने देखा.. तो जो बोलने जा रहा था.. वो ही भूल गया।
सामने देखा.. एक पंजाबी भाभी थी जिसने काले रंग की जीन्स पहनी हुई थी.. लाल रंग का टॉप पहना हुआ था और खुले बालों को एक साईड कर रखा था। जब चेहरे पर नजर गई.. तो देखता ही रह गया।
वो मुझे ‘सॉरी’ बोल रही थी और मैंने तो उसको देखते ही अपने होश खो दिया था। वो मुझसे करीब 1 या 2 इंच ही बड़ी होगी.. यानि उसकी 5.8 हाइट होगी। उसके प्यारे कोमल होंठों पर गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगी हुई थी.. देख कर मन किया कि अभी इन होंठों को अपने होंठों में दबा लूँ और सारा रस पी जाऊँ। उसके चूचे ना ज्यादा बड़े ना छोटे थे.. एकदम गोल से थे.. चाँद सा चेहरा और गुलाबी गाल और एकदम गोरी-चिट्टी यारो, मैं तो एक नजर में ही उस पर फ़िदा हो गया था।
इतने में भाभी ने मुझे पकड़ कर हिला कर बोला- सॉरी.. गलती हो गई। मैंने कहा- कोई बात नहीं जी।
और फिर मौसी भी उसी वक्त अपने कमरे से बाहर निकलीं और बोलीं- अरे बेटा यश.. क्या हुआ? मैंने कहा- कुछ नहीं.. मैं नीचे से आ रहा था और हाथ में सामान था.. तो जैसे ही मैं ऊपर पहुँचने वाला था.. तो इनसे टक्कर हो गई।
मौसी बोलीं- कोई बात नहीं.. तुम दोनों को दोनों को कहीं लगी तो नहीं? मैं मन में बोला- लगी तो है दिल में.. और इलाज तो बस ये ही कर सकती है। प्रत्यक्षत: मैं बोला- नहीं.. मुझे नहीं लगी.. इतने में मौसी बोलीं- प्रीत.. तुमको तो कहीं नहीं लगी न..
तो उनका नाम प्रीत था.. वो बोली- नहीं आंटी जी। प्रीत की आवाज भी उसके जैसे ही मीठी थी।
फिर मैं घर में गया.. मौसा का आशीर्वाद लिया और फिर कमरे में आराम करने चला गया। मेरे सामने तो अब बस प्रीत ही दिख रही थी और अब ये मन कर रहा था कि कैसे प्रीत को चोदूँ। ऐसे ही सोचते में सो गया।
करीब 3 बजे मौसी ने उठाया- बेटा खाना खा लो। मैंने मुँह धोया और मौसी खाना लेकर आईं। खाना खाकर मैं थोड़ी देर मौसा-मौसी के पास बैठा.. तो मौसा घर के बारे में पूछने लगे- सब घर में कैसे हैं? मैंने कहा- सब ठीक हैं।
फिर ऐसे ही बात करते-करते 6 बज गए और इस बीच यह भी पता चला, मौसी ने बताया- पांचवीं मंजिल पर भी एक फ्लैट अपना है.. अगर तुमको वहाँ सोना है.. तो तुम वहाँ भी सो सकते हो। मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैं बालकोनी में जाकर खड़ा हो गया। देखा कि घर के सामने एक पार्क था.. तो सारे बच्चे.. लड़कियाँ और भाभियाँ.. आंटीयाँ आदि नीचे ही दिख रहे थे।
मैंने देखा कि यार यहाँ तो जन्नत बरस रही है.. इतने मस्त-मस्त माल हैं।
तभी मेरी नजर प्रीत भाभी पर पड़ी.. वो कुछ भाभियों के साथ बात कर रही थी। उसे देख कर मैं सीधा नीचे पार्क में गया और उनके सामने वाले बैंच पर जा कर बैठ गया।
दोस्तो, जो उसके साथ भाभियाँ थीं.. वो भी मस्त माल थीं.. पर मेरी नजर तो प्रीत भाभी पर ही थी। मैं तो उसको ही देख रखा था। अचानक प्रीत भाभी की नजर मुझ से टकराई.. तो मैंने एक स्माइल दी.. तो वहाँ से कोई जवाब नहीं आया.. पर प्रीत अभी भी मुझको देख रही थी।
अब ऐसे ही करते आधा घंटा बीता.. मैंने मन में कहा कि अब चलना चाहिए। तो जैसे ही मैं पार्क के गेट पर गया मैंने सोचा एक बार फिर देख लेता हूँ।
इस बार प्रीत ने नीचे हाथ करके एक उंगली को हिलाते हुए इशारा किया.. ये ना जाने का इशारा किया, मैं वापस जा कर बैंच पर बैठ गया.. फिर 15 मिनट बाद सब जाने लगे.. तो जैसे ही गेट पर प्रीत पहुँची.. तो उसने नीचे हाथ करके मुझे पीछे आने को इशारा किया।
जैसे ही वो पार्क से बाहर निकल कर सीढ़ी के पास पहुँची.. उनके साथ भी एक मस्त भाभी और थीं.. तो वो भाभी जैसे ही गई.. मैंने देखा कि प्रीत भाभी अभी रुक गई.. तो मैं भी जल्दी से उनके पास पहुँच गया।
मैं जैसे ही उनके पास गया तो बोली- हैलो यश.. मैंने अपने होश को सम्भाला और बोला- हैलो प्रीत जी। तो प्रीत बोली- पहले तो ये ‘प्रीत जी’ मत बोलो.. या प्रीत बोलो या भाभी।
मैंने कहा- अगर दोनों बोलूँ तो नहीं चलेगा। प्रीत बोली- ओके.. चलेगा पर ‘जी’ नहीं.. फिर मैंने बोला- कैसे हो आप? तो प्रीत बोली- मैं बिल्कुल ठीक हूँ।
इस तरह 15 मिनट बात करने के बाद जब वो जाने लगी.. तो मैंने कहा- हैलो प्रीत.. आपका घर कौन से फ्लोर पर है? प्रीत बोली- ऊपर 5th फ्लोर पर..
मैंने मन में कहा फिर तो मजा ही मजा है।
अब हम दोनों ऊपर गए और प्रीत ‘बाय’ बोल कर चली गई। मैं भी कमरे में चला गया।
मौसी ने चिकेन बनाया हुआ था.. तो सब साथ में ही खाना खा रहे थे। अचानक प्रीत की बात होने लगी.. तो मौसी बोलीं- प्रीत और यश ना सुबह ही अपने दरवाजे के सामने टकरा गए थे। तो मौसा बोले- अरे.. चोट तो नहीं लगी ना.. मैंने कहा- नहीं! फिर मौसी बोलीं- तेरी भाभी और प्रीत की बहुत बनती है.. प्रीत यहाँ तो आती-जाती रहती है.. अभी कल भी आई थी और हम दोनों के लिए उसने आकर चाय भी बनाई और कुछ देर बात करके चली गई। ‘हम्म..’
मौसी बोली- वो तो अब आना-जाना कम कर दिया है.. एक तो तेरी भाभी नहीं है और ऊपर से उसका पति एक महीने के लिए बाहर गया हुआ है। मेरे मन में बात आई कि वाह बेटा यश क्या किस्मत है तेरी यार। तभी तो भाभी बात कर रही है.. ग्रीन सिग्नल है भाई।
इतने में मैं बोला- मौसी क्या मैं ऊपर वाले कमरे में सो जाऊँ.. क्योंकि मुझे ना रात में मूवी देखना होता है। तो मौसी बोलीं- ठीक है।
उन्होंने मुझे चाभी दी.. उस समय कोई 9:30 या 9:45 हो रहा था।
तो जैसे ही मैं ऊपर जाने लगा तो चौथे फ्लोर पर ही उन भाभी को देखा.. जो प्रीत के साथ थीं.. तो मुझे देख कर वो बोलीं- आप किसके पास आए हो? तो मैंने उनको बताया कि मैं यहाँ पर मौसी के घर आया हूँ। उन भाभी ने मेरी भाभी का नाम लिया और बोलीं- अच्छा तो तुम अंजलि के घर पर आए हो.. मैंने कहा- हाँ।
भाभी बोलीं- ओके गुड नाईट.. फिर अचानक बोलीं- तुम्हारा नाम क्या है? मैंने कहा- मेरा नाम यश है और आपका? भाभी बोली- मेरा नाम नेहा है। उन्होंने बस इतना बोला.. और मैं ऊपर चला गया।
मेरे मौसा जिस अपार्टमेंट में रह रहे थे.. वो बस 5 वें फ्लोर तक ही था।
प्रीत और अंजलि भाभी का फ्लैट आमने सामने था.. तो जैसे ही मैंने दरवाजा खोला.. तो दरवाजे की थोड़ी तेज आवाज हुई.. आवाज सुन कर प्रीत ने अपना दरवाजा खोल कर देखा.. मैं था। तो प्रीत बोली- तुम यहाँ? मैंने कहा- हाँ जी.. मैं यहाँ.. तो प्रीत बोली- आओ.. कॉफ़ी पियोगे। मैंने कहा- इतनी प्यारी और सुन्दर भाभी पूछ रही है.. तो मना कैसे कर सकता हूँ।
फिर मैं पहली बार प्रीत के घर में गया। क्या घर को सजा रखा था.. मैंने कहा- प्रीत आपका घर तो बहुत सुन्दर है.. आपकी तरह.. तो प्रीत बोली- थैंक्स!
प्रीत ने अभी तक अपने कपड़े नहीं बदले थे तो वो मुझसे बोली- यश तुम यहीं बैठो.. मैं कॉफ़ी लाती हूँ। फिर 15 मिनट बाद देखा.. तो मैं देखता ही रह गया। वो लाल रंग का नाईट ड्रेस पहन कर आई.. उसके बाल खुले हुए थे.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
दोस्तो.. अपने आप पर काबू करना मुश्किल हो रहा था। मेरा लंड एकदम फूल कर बहुत ही टाइट हो गया था। मेरे उठते हुए लौड़े को प्रीत ने देख लिया था। वो हाथ में कॉफ़ी लेकर आई और मेरे साथ सट कर बैठ गई।
दोस्तो.. मेरी इस कहानी में पंजाबन भाभी की चूत चुदाई की दास्तान काफी रसीले अंदाज में लिखा गया है.. कि आपको अपने गुप्तांगों को हिलाना ही पड़ेगा।
मेरी इस आपबीती का आनन्द लीजिएगा और मुझे ईमेल से अपने कमेंट्स जरूर भेजिएगा। कहानी जारी है। [email protected]
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