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मेरा नाम अमित स्वामी है.. मैं सोनीपत हरियाणा का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैंने भी सोचा कि मैं भी अपनी कहानी दोस्तों के साथ शेयर करूँ.. पर टाइम की कमी की वजह से नहीं लिख पाया था.. पर आज आपके सामने ये कहानी शेयर करने जा रहा हूँ।
यह घटना उस समय की है.. जब मैं यूआईडी (आधार कार्ड) में काम करता था। मेरी उम्र उस समय 20 वर्ष थी। तो मैं एक गाँव में काम करने गया। वहाँ हम स्कूल में बैठ कर काम करते थे। हम 2 दोस्त थे.. पर मेरा दोस्त कुछ ज़्यादा ही सीधा था.. तो वो ज़्यादा मतलब नहीं रखता था। हम प्रिन्सिपल के रूम के साथ वाले कमरे में बैठते थे और रात को स्कूल में ही एक कमरे में रुकने का इंतजाम हो गया था।
वहाँ 2 खाना पकाने वाली महिलाएं भी काम करती थीं, वो रोज हमारे लिए भी खाना बनाती थीं। उनमें से एक मस्त माल किस्म की लुगाई थी.. जिसकी कहानी मैं इधर लिखने जा रहा हूँ। उसका नाम पिंकी है.. उसका आधार कार्ड बनाते समय मैं उसका हाथ पकड़े रहा और उसकी तरफ देखता रहा।
क्या गर्मी थी उसके हाथों में.. जब वो मेरी तरफ देखने लगी.. तो मैंने नज़र नीचे कर ली.. यह देख कर वो हँसने लगी।
यह मेरा उस गाँव में दूसरा दिन था.. इस तरह लंच के टाइम वो मुझे अपना फोन दिखाने लगी कि उसकी एक सिम से फोन नहीं मिल रहा है। मैंने सारी सैटिंग चैक की.. पर सब ठीक था। मैंने कस्टमरकेयर में पता किया.. तो वहाँ से उसकी आउटगोइंग बंद थी। उसने मेरा मोबाइल लेकर अपना नंबर डायल किया.. तो उसके फोन पर कॉल आ गई।
मैंने ध्यान नहीं दिया कि मेरा नम्बर उसके पास आ गया है। उससे अगले दिन मैं दोपहर तक खाना खाने नहीं गया.. तो उसने मेरे पास कॉल की.. कि कब आओगे।
मैं एक घंटे बाद आया, मैंने पूछा- किसने कॉल की थी? तो उसने बताया कि उसने कॉल की थी।
इसके बाद एक दिन अपना काम करने के बाद मैं स्कूल में क्रिकेट खेल रहा था तो मेरे पास उसकी कॉल आई। इस तरह से उसके साथ मेरी बातें शुरू हो गईं। फिर कमरे पर आने के बाद उस दिन देर रात तक उससे बात की। अगले दिन भी ऐसे ही खेलते समय कई बार कॉल की।
मैंने फोन बंद कर दिया.. उसने अपनी जवान लड़की को मेरे पास भेजा.. वो बोली- मेरी मम्मी ने फोन चालू करने को कहा है.. चाचा देखो.. बंद हो गया होगा.. मैं- ठीक है.. देखता हूँ।
मैंने फोन चालू कर लिया।
कुछ देर बाद उसने फोन किया- घर पर लैपटॉप ले आना.. ‘तुम्हारा घर किधर है?’
उसने मुझे अपने घर का पता बता दिया। मैं अपने दोस्त के साथ उसके घर पास पहुँचा.. उसने बालकनी में से हम दोनों को देखा और ऊपर से बोला.. तो हम उसके घर में गए।
कुछ देर में दोस्त ने जाने को कहा.. तो मैंने उसे भेज दिया। वो पूछने लगा- तू? ‘मैं अभी आऊँगा.. काम है थोड़ा..’ मैंने कहा।
मेरा दोस्त चला गया।
अब पिंकी मेरा फोन लेकर कहीं बात करने लगी। उसके घर में 3 लोग ही थे। वो उसकी लड़की और उसकी सास.. सास नीचे बाहरी कमरे में रहती थी.. और वो खुद ऊपर के हिस्से में रहती थी।
उसके फोन पर बात करते समय मैं उसके पैरों पर अधलेटा सा हो गया। वो फोन पर लगभग 30 मिनट तक बात करती रही। मैं धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहलाने लगा.. उसने विरोध नहीं किया। मेरी हिम्मत बढ़ी.. तो मैंने सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। उसने अब भी कुछ नहीं कहा और फोन पर बात करती रही।
मैंने सलवार के अन्दर हाथ डाला तो उसने हाथ पकड़ कर हटा दिया। मैंने फिर सूट के ऊपर से ही उसके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया.. उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसके सूट के अन्दर हाथ डाला.. तो उसने नहीं डालने दिया।
तो मैं बोला- प्लीज़ दर्शन तो करा दो.. आगे नहीं बढूँगा.. वो नखरे करने लगी।
मैंने अपनी टेक्निक से उसे पटा कर उसके मम्मे देख ही लिए.. हाय क्या मम्मे थे.. बिल्कुल गुलाबी। अब वो कुरता नीचे करने लगी.. तो मैं बोला- रुक न.. अभी देखने तो दे। फिर मैं उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा.. तो वो फिर कपड़े नीचे करने लगी।
मैंने उसे फुसला कर मना लिया और लगातर दूध चूसने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
क्या मजा आया दोस्तो.. उसके मम्मे वैसे छोटे आकार के थे.. क्योंकि काफ़ी समय से किसी से चूत नहीं मरवाई थी उसने क्योंकि उसका पति शादी के कुछ साल बाद ही दुनिया छोड़ कर चला गया था।
मैंने पूछा- तुम्हारे गुब्बारे इतने छोटे कैसे हैं? उसने बताया- काफ़ी समय हो गया किसी ने दबाए नहीं न.. इसलिए..
दस मिनट के बाद मैं उसे किस करने लगा। उसने कहा- चल अब छोड़ दे.. रात को करेंगे। मैंने कहा- मैं रात को इधर नहीं रुक सकता। उसने कहा- तू दोस्त को फोन करके कोई बहाना बना दे।
मैंने फोन करके बोल दिया.. कुछ देर बाद उसकी लड़की आई और खाना बनाया। हम सभी ने साथ बैठ कर खाना खाया फिर वो लड़की टीवी देखने लगी।
वो बोली- मुझे लैपटॉप चलाना सिखा दे.. मैंने कहा- ठीक है.. फिर बोली- चल.. दूसरे कमरे में चल कर सिखा।
मैं समझ गया कि इसे क्या सीखना है।
दूसरे कमरे में आकर वो बोली- ब्लू फिल्म चला न। मैंने कहा- मैं नहीं रखता.. अगर देखनी है तो एक या दो दिन में ले आऊँगा.. आज तो ब्लू फिल्म जैसा करके दिखा सकता हूँ। उसने कहा- अच्छा इसमें कुछ गाने चला ले। मैंने चला दिए।
फिर शुरू हुई हमारी लव स्टोरी… मैंने उसे अपनी बाँहों में भर के गोद में बिठा लिया और मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया और बालों को सहलाता रहा।
कुछ देर बाद मैंने उसके सूट के ऊपर से ही उसके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया, उसने सिसकारी लेनी शुरू कर दी ‘आहह.. उहा.. एमेम..’
कुछ देर बाद मैंने हाथ ब्रा के अन्दर डाल दिया। क्या मस्त मजा आया.. मैं तो स्वर्ग में था।
मैंने उसका कुरता उतार दिया.. और उसकी सलवार में हाथ डाल दिया।
सहलाने के बाद उसकी चूत के उंगली डाल दी.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मेरी डेट आई हुई है.. अभी रहने दो। मैं चटक गया.. बोला- तुमने ही तो रुकने के लिए बोला था.. मैं अब नहीं रुकूँगा.. वो बोली- चूत मारने में प्राब्लम हो जाएगी.. चल तू गाण्ड मार ले.. चूत फिर कभी मार लेना।
पर मुझे तो चूत चोदने का खुमार चढ़ा हुआ था.. फिर भी मैंने गाण्ड मारने के लिए हामी भर दी।
अब मैंने उसकी सलवार निकाल दी.. वो केवल ब्रा और पैंटी में थी।
मैंने उसे खड़ी कर दिया.. नंगी देसी लुगाई वाह्ह.. क्या माल लग रही थी। मैं बोला- मेरे सामने तू केवल यही कपड़े पहना कर.. बहुत मस्त लग रही है।
उसने हँस कर मुझे धक्का दे दिया और बोली- चल हट.. मैं- सच यार बहुत ही हॉट लग रही हो..
अब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिए और किस करने लगा। दस मिनट तक किस करने के बाद मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसके चूचों को अपने हाथों से मसलने लगा और कुछ देर बाद एक चूचे को मुँह में लेकर पीने लगा।
आह्ह.. क्या मजा आया..
वो भी मजा लेते हुए मेरे लण्ड को सहला रही थी। मैंने पीछे से उसकी पैंटी को नीचे सरका दिया और निकाल दी, उसने जल्दी से भागकर लाइट बंद कर दी। मैं बोला- ये क्या है? तो पिंकी बोली- मुझे अंधेरे में ही पसंद है।
मैंने लाइट ऑन करके उसे पीछे से पकड़ लिया.. ताकि वो लाइट बंद ना करे। अब मैंने उसे लण्ड चूसने को कहा.. तो उसने मना कर दिया और बोली- मैं ऐसे काम नहीं करती। मैं बोला- बस गाण्ड मराती हो? वो चुप रही।
मैं- या तो चूस ले.. या फिर चूत मरवानी पड़ेगी। वो लौड़ा चूसने लगी। एक मिनट से पहले ही उसने मुँह हटा लिया। मैंने उसे लिटा कर ताक़त से उसके मुँह में लण्ड डाल दिया और अन्दर तक ठूंस दिया। उसने मुझे हटाया और आराम से चूसने लगी। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।
बस 3-4 मिनट के बाद मैंने उसके मुँह में ही सारा रस छोड़ दिया। उसने सारा नीचे थूक दिया और बोली- ये क्या किया.. बता नहीं सकता था? मैंने बोला- सॉरी यार।
मैंने उसे नीचे खड़ी करके घोड़ी बनने को कहा.. वो घोड़ी बन गई। मेरा तो चूत मारने को मन कर रहा था, मैं बोला- अब भी देख ले.. गाण्ड में बहुत दर्द होगा.. चूत मरवा ले.. उसने मना कर दिया।
मैंने अपने लण्ड की टोपी उसकी गाण्ड के छेद पर लगा कर ज़ोर के झटके के साथ अन्दर घुसेड़ दिया। वो जोर से चिल्लाई और बोली- निकाल ले.. बहुत दर्द हो रहा है। मैं बोला- मैंने कहा था ना.. चूत मरवा ले.. गाण्ड में बहुत दर्द होगा। वो बोली- ठीक है गाण्ड में से निकाल.. और चूत मार ले।
मैं बोला- ठीक है.. जरूर मारूँगा.. पर किसी काम को मैं अधूरा नहीं छोड़ता.. मैं लगातार उसकी गाण्ड मारता रहा। मैंने उसे चूतड़ नीचे करने को कहा। उसने चूतड़ नीचे कर लिए। मैंने नीचे होकर जोरदार झटका दिया.. वो फिर चिल्लाई।
मैंने उसकी इसी तरह नीचे गाण्ड करवा कर दस मिनट तक गाण्ड मारी.. वो रोती रही।
दस मिनट बाद मैंने सारा वीर्य उसकी गाण्ड में ही छोड़ दिया और बिस्तर पर उसके ऊपर पड़ा रहा।
कुछ देर बाद हम अलग हुए.. वो बोली- आगे से तुझे गाण्ड नहीं मारने दूँगी.. तू नीचे कर-करके बहुत दर्द देता है। मैं- अभी तो रात बाकी है.. एक ही तो ट्रिप हुई है।
मैं उसे किस करने लगा.. आधे घन्टे बाद ही मेरा लण्ड फिर से सलामी देने लगा। मैं उसके ऊपर आकर किस करने लगा और मम्मों को सहलाता रहा।
अब मैं नीचे आया और उसकी चूत को पीने लगा। वो बोली- चूत मारने की मत सोच.. मैंने कहा- मैंने देख लिया है.. तेरी डेट-वेट कुछ नहीं आई है.. मैं तो बस चूत पीऊंगा.. मत देना चूत.. तेरी मर्ज़ी।
मैंने चूत फिर से पीनी शुरू की.. क्या बताऊँ दोस्तो.. क्या मजा आया।
आज तक मैंने किसी खाने-पीने की चीज़ में भी ऐसा मजा नहीं पाया होगा। कुछ देर बाद वो मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगी.. और थोड़ी देर बाद वो बोली- बस कर.. मैं नहीं रुका.. मुझे पता था वो गरम हो रही है।
कुछ देर बाद वो बोली- स्वामी जी.. अब नहीं रुका जा रहा। पर मैं लगातार चूत पीता रहा।
मुझे उसकी तड़प पर मजा आ रहा था। अब हम 69 की अवस्था में थे, वो मेरा लण्ड पी रही थी और मैं उसकी चूत। अब वो बोली- प्लीज़ मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दे.. अब नहीं रुका जा रहा।
मैं बोला- तू तो चूत मरवाने से मना कर रही थी.. अब क्या हुआ? वो बोली- बस यार अब मत तड़पा..
उसने टाँगें फैला दीं.. मैंने उसकी चूत की दरार पर लण्ड रख कर.. वैसे ही फेरता रहा.. ताकि वो ज़्यादा तड़पे और ज़्यादा मजा दे।
अब मैंने उसकी चूत की दरार पर लण्ड रख कर जोरदार झटका दिया, मेरा आधा लण्ड चूत के अन्दर चला गया। उसकी चूत कसी हुई थी.. वो उछल पड़ी और थोड़ी रोने लगी।
मैं बोला- साली क्यों नखरे कर रही है। वो बोली- काफ़ी दिन हो गए हैं.. इसलिए दर्द हो रहा है। मैं बोला- कितने दिन? पिंकी- पिछले कई महीनों से नहीं चुदी हूँ। मैं- अच्छा।
फिर से मैंने एक और झटका दिया और पूरा लण्ड अन्दर चला गया। उसे अब भी काफ़ी दर्द हुआ.. पर वो सारा दर्द सह गई।
मैंने उसके होंठों पर होंठों रख दिए.. कुछ शांत होने पर मैंने धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू किए। कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी और नीचे से चूतड़ उठा कर चुदने लगी।
अब वो बोली- अहह.. तेज़ी से झटके लगा.. जैसे गाण्ड मारते समय मार रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई और 5 मिनट तक ऐसे ही चोदता रहा।
अब मैं पलटी खा कर नीचे आ गया और उसे अपने ऊपर ले लिया। मैंने उसके कूल्हे पकड़ कर उसे अपने लण्ड पर उछालने लगा.. कुछ देर बाद वो खुद उछलने लगी।
मैंने उसके चूचे पकड़ लिए और मसलता रहा.. मुझे बहुत मजा आ रहा था.. क्योंकि वो खुद उछल रही थी और मैं उसके चूचों को मसल रहा था।
करीब 20 मिनट बाद मेरा वीर्य उसकी चूत में ही निकल गया। मैं उसके ऊपर आकर ऐसे ही लेटा रहा।
मैंने 4 बजे तक उसे अलग-अलग आसनों में चोदा। उसने तब अपनी लड़की को उठाया और मुझे बाहर तक छोड़ आने को कहा। मैं पैदल ही अपने ठिकाने पर 5 बजे तक पहुँच गया।
मैंने उसके बाद भी उसको बहुत बार चोदा.. और अब भी उधर जा कर उसको चोदता रहता हूँ। मैंने उसकी लड़की को भी चोदा.. कैसे चोदा.. उस कहानी को मैं अपनी अगली कहानी में लिखूँगा।
दोस्तो, मेरी कहानी आपको कैसी लगी.. मुझे जरूर ईमेल कीजिए। [email protected] पर आप मुझे ईमेल कर सकते हैं।
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