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दोस्तो, मैं आपकी सहेली पूर्वा जैन, मेरी ब्रा साइज़ 38 है.. इतने मस्त चूचे हैं कि किसी की भी पैन्ट फाड़ सकते हैं। मैं एक बार फिर आप लोगों के सामने आई हूँ एक नई कहानी लेकर.. जो एक सच्ची घटना पर आधारित है।
बात उन दिनों की है.. जब मैं बारहवीं क्लास में पढ़ती थी। मेरा एक क्लासमेट था.. जिसका नाम था राज.. वो रोज मेरी तरफ देख कर गंदे-गंदे इशारे करता था, जैसे बाहें फ़ैलाना, होंठों को गोल करके चुम्बन का इशारा करना, चूतड़ आगे पीछे करके चुदाई के इशारे करना… लेकिन मुझे इन सब का ज्यादा मतलब पता नहीन था पर समझती थी कि यह अच्छी बात नहीं है।
ये सब देख कर मैं परेशान हो गई और एक दिन मैंने उससे बोल दिया- ये किस टाइप के इशारे करते हो तुम.. मुझे पसंद नहीं इस टाइप की हरकत? तो उसने बोला- मैं जानता हूँ कि तू अब बड़ी हो गई है.. इसलिए तुझे उकसाने के लिए ये इशारे करता हूँ।
यह बोल कर वो वहाँ से चला गया। मुझे उसकी बात समझ में नहीं आई.. फिर एक दिन क्लास में मैं और राज दोनों अकेले थे.. तब राज ने मेरे पास आकर अपने हाथों में मेरा हाथ ले कर कहा- पूर्वा, तुमको मैं लव करता हूँ।
मैंने एक स्माइल दी और उससे दूर हो गई। वो मेरे पास आता.. इसके पहले क्लास में दूसरे स्टूडेंट आ गए। फिर उस रोज के बाद वो मुझे अलग नज़रिए से देखने लगा।
एक दिन वो और मैं घर जा रहे थे.. तभी बीच में बहुत तेज बारिश शुरू हो गई, हम लोग पूरी तरह भीग गए थे। मेरा घर वहाँ से पास में ही था और उसका घर थोड़ा दूर था, मैंने उससे बोला- तुम मेरे घर पर आ कर थोड़ी देर के लिए रुक जाओ।
उस वक्त मेरे घर पर अभी कोई नहीं था.. मेरी माँ मामा के यहाँ गई थीं.. और पापा अपने काम से बाहर गए थे.. तो वो तो रात को ही वापस आते थे। उसने मुझे ‘हाँ’ बोल दिया और हम लोग घर घर आ गए।
वो बहुत ज्यादा भीग गया था.. तो मैंने उससे बोला- तू कपड़े चेंज कर ले.. मैं तेरे लिए तौलिया लाती हूँ। पर उसने मेरा हाथ पकड़ कर बोला- आज कपड़े नहीं बदलने.. पहले ये बता तुम मुझसे लव करती हो.. या नहीं? तो मैंने शर्मा कर बोला- पहले कपड़े चेंज कर लेते हैं, उसके बाद बात करते हैं। पर उसने मुझे नहीं छोड़ा.. मैंने बहुत कोशिश की.. पर उसने बोला- जब तक जवाब नहीं देगी.. तब तक मैं तुझे नहीं छोडूँगा।
तो मैंने ‘हाँ’ बोल दिया.. मेरे ‘हाँ’ बोलते ही उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया। मुझे ठंड लग रही थी.. तो उसकी बाँहों में मुझे बहुत अच्छा लगा। थोड़ी देर बाद मेरा फोन बजा.. देखा तो पापा का कॉल था।
वो बोल रहे थे- आज रात इधर बारिश बहुत तेज हो रही है.. सो मैं घर पर नहीं आ पाऊँगा.. तू किसी फ्रेंड के यहाँ पर जा कर सो जाना। पापा को मैंने बोल दिया- जी पापा, ठीक है! ये बात मैंने राज को बताई तो बोला- आज तू मेरे साथ सोएगी।
अब हम दोनों ने कपड़े बदली किए.. थोड़ी बात की.. चाय पी और प्यार की बातें करने लगे। बातें करते-करते हम लोग एक-दूसरे में खो गए.. और उसने मुझे गाल पर एक चुम्मा कर दिया। मैंने भी उसको गाल पर एक चुम्बन दे दिया।
बस फिर क्या था.. उसने मुझे पकड़ा और मेरे होंठों को चूमने लगा। मेरी सांस ही नहीं निकल रही थी.. बड़ी मुश्किल से वो मेरे से दूर हुआ। मैंने पहली बार होंठों पर किस किया था.. तो थोड़ा अजीब लगा.. लेकिन मजा बहुत आया था।
फिर उसने बोला- तुझे पता है सेक्स क्या होता है? मैंने कहा- मुझे नहीं मालूम है? उसने मुझे बोला- जब लड़का-लड़की एक-दूसरे के साथ बिना कपड़ों के जिस्मानी सम्बन्ध बनाते हैं उसे सेक्स कहते हैं। मैंने बोला- अच्छा.. उसने बोला- तेरी माँ और पापा करते होगे ना सेक्स?
मैंने शर्मा कर ये कहते हुए मना कर दिया- मुझे नहीं मालूम। पर जब उसने थोड़ा ज़ोर दिया- बता तूने कभी देखा है अपने पापा को करते हुए? तो मैंने उसे बताया- हाँ देखा तो है! ‘तो कुछ बता न?’
मैंने उसे बताया- एक दिन मैं सो रही थी तभी माँ की ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ आई.. मैंने खिड़की से झाँक कर देखा कि पापा माँ के ऊपर हैं और दोनों एकदम नंगे थे। मुझे ये सब अजीब सा लगा और मैं वहाँ से चली गई।
यह सुनकर उसने मेरे पास आकर बोला- चल आज हम माँ-पापा वाला खेल खेलते हैं।
मैंने भी जोश-जोश में ‘हाँ’ बोल दिया.. उसने मेरे कपड़े उतारना शुरू कर दिए.. मैं कभी किसी के सामने इस हालत में नहीं हुई थी.. तो मुझे शरम लग रही थी।
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. फिर पता ही नहीं चला कि कब उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया।
उसने मुझसे आँखें खोलने को कहा.. तो मैंने देखा कि मैं और राज दोनों नंगे हैं। राज का लण्ड देख कर मैं तो एकदम से घबरा गई। राज बोला- इसे मैं तेरे अन्द्र फ़िट करूँगा। मैंने राज से बोला- तेरा इतना बड़ा और मोटा कैसे है.. कैसे इसे मेरे अन्दर फिट करोगे?
तो उसने सब समझाया.. तब जाकर मैंने सोचा कि चलो ठीक है.. ले ही लेते हैं। उसने अपना लण्ड मेरे हाथ में थमा दिया.. मुझे अजीब सा लगा.. पर बहुत प्यारा सा लग रहा था।
उसने मुझसे बोला- इसको थोड़ा हिलाओ तो.. मैंने उसका लौड़ा हिलाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद उसने बोला- अब तू लेट जा.. मैं आज तुझे बताऊँगा कि सेक्स कैसे करते हैं।
मैं लेट गई.. वो मेरे ऊपर आकर चढ़ गया। अब उसने ऊपर से लेकर नीचे तक मुझे किस करना स्टार्ट किया। मैं तो अपने होश खो बैठी थी.. बस वो जो कर रहा था.. मैं उसका साथ देती जा रही थी।
मैं पूरी तरह से अब गरम हो चुकी थी तो मैंने उससे बोला- मेरी सूसू की जगह पर कुछ हो रहा है। तो उसने बोला- इसको अब सूसू की जगह नहीं बोलना.. इसको बुर या चूत बोलते हैं। मैंने कहा- बुर क्यों कहते है क्या ये बुरी होती है और चूत कब कहते हैं?
उसने बोला- बुर जब तक रहती है जब तक किसी ने अपना लण्ड उसमें नहीं डाला हो.. फिर ये चूत बन जाती है और जब इसमें से बच्चा निकलता है तो ये भोसड़ा बन जाती है। आज मैं तेरी बुर को चोद कर इसकी खुजली अभी दूर किए देता हूँ।
मैं मन्त्र मुग्ध सी उसकी ज्ञानपूर्ण बातों को सुन रही थी।
मैंने बोला- हाँ ठीक है.. खुजली दूर कर दे.. पर कैसे करेगा? उसने बोला- मैं अपना लण्ड तेरी बुर में पेल कर इसकी खाज दूर कर दूँगा।
मैं घबरा गई कि इतना बड़ा लण्ड मेरे इतने से छेद में कैसे जाएगा.. मैंने मना कर दिया।
उसने बोला- मेरी जान कुछ नहीं होगा भरोसा रख.. मैंने बोला- ठीक है कुछ होना नहीं चाहिए..
उसने अपने लण्ड पर और मेरी बुर पर थोड़ा सा तेल लगाया और अपना लण्ड बुर के अन्दर करने लगा.. पर फर्स्ट टाइम होने के कारण उसका लौड़ा मेरी बुर के अन्दर जा ही नहीं रहा था.. तो उसने थोड़ा और तेल लगा कर डालना चाहा।
इस बार उसके लण्ड का सुपारा मेरी कुँवारी बुर में फंस गया, मैं बहुत ज़ोर से चिल्लाई- ऊउह्ह.. मर गई मैं तो.. निकालो इसे..
वो थोड़ी देर रूका और बाद में एक ज़ोर के झटके में अपना आधे से ज़्यादा लण्ड अन्दर कर दिया।
मेरी तो मानो जान ही निकल गई.. अब मैं बहुत जोर से चिल्ला रही थी- एयेए.. मार डाला तूने.. राज.. ये क्या किया उ..म्माआ.. उ.. माआआ.. ये क्या कर रहा है.. निकाल बाहर..
पर वो मेरी कहाँ सुनने वाला था। फिर एक और झटके के साथ उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में पूरी तरह समा गया। मानो मैं तो अब मर ही गई थी। इस बीच मुझे लगा मेरी सूसू निकल आई है। मैंने हाथ लगा कर देखा तो वहाँ पर बहुत सारा खून था। मैंने उससे डरते हुए पूछा- ये सब क्या है? मुझे घबराहट हो रही है। उसने बोला- फर्स्ट टाइम में होता है।
फिर वो धीरे-धीरे मुझे चोदता रहा। कुछ देर बाद मुझे मजा आने लगा और कुछ ही देर में मैंने अपना पानी छोड़ दिया था.. पर उसने अभी नहीं छोड़ा था।
उसने कुछ रुक कर मेरे रस से अपने लौड़े को नहलाया.. और फिर से मुझे चोदना स्टार्ट कर दिया। 10-15 मिनट की चुदाई के बाद वो भी झड़ गया और मेरे ऊपर ही ढेर हो गया।
हम लोग अब तक थक चुके थे.. तो नींद कब लग गई पता ही नहीं चला। जब उठे तो देखा सुबह के 4 बज चुके थे.. बारिश भी रुक गई थी। मुझे डर लगा कि कहीं पापा ना आ जाएं।
तो मैंने राज से जाने का बोला.. वो उठा और एक प्यारी किस देकर पाँच बजे से पहले ही अपने घर चला गया।
दोस्तो, यह थी आपकी अपनी पूर्वा जैन की अनचुदी बुर की पहली चुदाई.. आपको कहानी कैसी लगी प्लीज़ ईमेल जरूर कीजिएगा। [email protected]
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