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ऑफिस लेडी सेक्स कहानी में मैंने बताया है कि मैं बदली पर कम्पनी के बैंगलोर ऑफिस में गया तो वहां कई लड़कियां थी. एक लड़की मेरे लंड को अच्छी लगी.
मैं राजेश्वर आपके सामने एक नई कहानी के साथ आया हूँ. मेरी पिछली कहानी कोटा में कोचिंग और चुदाई साथ साथ आपको पसंद आई, इसके लिए शुक्रगुजार हूँ.
मैं अपने निजी अनुभव ही आपसे शेयर करता हूँ. जो दोस्त कहानी पढ़कर कमेंट बॉक्स में तुरन्त काल्पनिक बतायेंगे उनके लिए मैं बताना चाहता हूँ कि वे इस कहानी को काल्पनिक समझ कर ही पढ़ें और मस्ती लें.
ईश्वर ने औरत को इस धरती पर जन्म देने के साथ साथ संसार को रंगीन बनाने के लिए भी भेजा है. यदि औरत नहीं होती तो आदमियों का जीवन बेकार होता, इसलिए मैं औरत की दिल से इज्जत करता हूँ.
मेरा मानना है कि औरत चाहे घमंडी हो, नकचढ़ी हो, बेवफ़ा हो, धोखेबाज हो, झगड़ालू हो या अच्छे स्वभाव की हो … लेकिन उसके पास ईश्वर का दिया हुआ हसीन तोहफा ‘चूत’ होती है जिसे वह किसी न किसी को, कभी न कभी जरूर देती है. अब यह बात लेने वाले पर निर्भर करती है कि वह अच्छी और सुंदर चूत लेने में कितना माहिर है.
मैं अपनी ऑफिस लेडी सेक्स कहानी पर आता हूँ.
मेरी पोस्टिंग बैंगलोर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सिटी हेड के रूप में हुई.
पूरे बैंगलोर में कंपनी के 8 आउटलेट स्टोर थे जो मेरे अंडर थे.
जिस आफिस में मैंने जॉइन किया वह सबका कंट्रोल ऑफिस था और उसमें मेरे नीचे 8 का स्टाफ था जिनमें 2 लड़के और 6 लड़कियां थीं. बाकी बहुत सारा स्टाफ आउटलेट स्टोर्स में था जिनमें अधिकतर लेडीज़ स्टाफ़ था. वहाँ का एचआर हेड भी मैं ही था.
लिली नाम की एक लगभग 28-30 साल की शादीशुदा लेडी थी जो वहाँ उन सबसे सीनियर थी. लड़कियों के लिए सफेद शर्ट और लाल घुटनों तक की स्कर्ट या पैंट ऑफिस की ड्रेस थी, जबकि लड़कों के लिए सफेद शर्ट और ब्लैक पैंट थी.
उनमें एक लेडी पियोन भी थी जो पेपर्स आदि इधर उधर देने का काम करती थी और केवल मेरा चाय आदि बनाने और पानी पिलाने का काम करती थी. उसकी ड्रेस ग्रे कलर की थी, उसकी उम्र लगभग 35-36 साल थी जो देखने से 30 से अधिक नहीं थी.
वह किसी भी तरह से पियोन नहीं लगती थी लेकिन किस्मत की वजह से उस जॉब को करने के लिए मजबूर थी. बाकी की सभी लड़कियाँ लगभग 20 से 25 वर्ष की बहुत ही सुंदर और अल्ट्रा मॉडर्न थीं.
जब मैंने पहले दिन लिली को देखा तो मैं उसे देखता ही रह गया. लिली कयामत की सुन्दर और सेक्सी लेडी थी.
वह एक कश्मीरी लेडी थी जिसके दूध जैसे गोरे रंग पर सेब की तरह लाल गाल थे. सुन्दर गोल चमकता चेहरा. शर्ट को फाड़कर बाहर झांकते 34 साइज के चूचे, गदरायी कमर और बाहर निकली हुई लण्ड खड़ा कर देने वाली 36 साइज की गाँड.
लिली जब स्कर्ट पहनती थी तो उसकी गोरी गुदाज़ मोटी पिंडलियाँ और घुटने के पीछे का चौड़ा सेक्सी भाग दिखाई देता था और जब वह पैंट पहनती थी तो उसमें उसकी सुडौल जाँघें और उनके बीच के ट्रायंगल में उसकी मोटी चूत की दोनों फाँकें इतनी साफ दिखती थीं कि लण्ड तुरंत झटके मारने लगता था.
लेकिन लिली स्वभाव से चिड़चिड़ी, घमण्डी और बेरुखी लेडी थी.
पहले दिन मैंने उससे ऑफिस के बारे में पूछताछ की और हर रोज किसी न किसी बहाने से उसके रूप का रसपान करने के लिए दो तीन बार अपने केबिन में बुला लेता था.
इस तरह 7-8 दिन बीत गए.
एक दिन जब मैंने उसे एक छोटी सी जानकारी के लिए अपने ऑफिस के रूम में बुलाया और चाय पूछी. तो उसने बेरुखी से कहा- सर, मैं यहाँ ऑफिस के काम से आती हूँ न कि चाय पीने! और मुझे ये भी अच्छा नहीं लगता कि मुझे बिना काम के अन्दर बुलाया जाए. जरूरी हो तो आप मुझसे इण्टरकॉम पर बात कर सकते हैं.
जब वह मुझसे यह सब बोल रही थी तो यामिना पियोन भी वहीं थी, दरअसल वह मुझे चाय देने ही आई थी.
उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा तो बहुत आया लेकिन अपने गुस्से को पीते हुए मैंने उसे जाने को बोल दिया. और कुछ बेइज्जत सा महसूस कर अपने सिर को पकड़ कर बैठ गया.
मैंने अपने आप से कहा कि इसकी चूत मारना अब मेरे लिए चैलेंज की बात है.
लिली के जाने के बाद यामिना बोली- साहेब, यह तो बहुत बदतमीजी कर गई, इसको इतनी भी तमीज़ नहीं है कि अपने साहब से कैसे बात करते हैं, आपने चाय पूछकर कोई गलत काम किया है क्या? मैंने कहा- कोई बात नहीं यामिना, मैं नया हूँ, पहले सब कुछ समझ लूँ, फिर देखता हूँ क्या करना है?
यामिना एकदम जोश में आ गई और बोली- साहेब, क्या, … क्या करना है? ऐसी लेडी को तो नीचे लिटाओ और सीधा कर दो. मैं यामिना की नीचे लिटाने की बात सुनकर उसकी ओर देखने लगा. यामिना सहम गई और बोली- सॉरी सर.
मैंने कहा- नहीं, कोई बात नहीं, तुमने कुछ गलत नहीं कहा है, देखते हैं?
मेरे दिमाग ने तुरंत काम किया और लिली को नीचे लिटाने के लिये यामिना को पटाने की सोची.
मैंने यामिना की ओर ध्यान से देखा तो पाया कि यामिना भी पूरा सेक्स बम थी. उसका भी साइज 36-34-36 था, रंग की बिल्कुल गोरी, मोटी सेक्सी आंखें, हाथ की सुंदर नरम उंगलियां, थोड़ा नाटा कद, दरअसल यामिना भी पहाड़ों की ही रहने वाली थी और उसका रंग रूप, चाल ढाल और अदायें लिली की तरह ही थीं.
यामिना बस अपनी पियोन वाली ग्रे यूनिफॉर्म की वजह से मेरा ध्यान आकर्षित नहीं कर सकी थी. हालाँकि उसकी टाइट पैंट होने के कारण उसकी जांघों के बीच का हिस्सा ऊपर को खिंचा होता था और उसकी भी चूत की दोनों फाँकें अलग से दिखाई देती थीं.
दरअसल शर्ट और पैंट साइज में टाइट होने के कारण, और लड़कियों के चूतड़ भारी होने के कारण, पैंट पीछे की ओर खिंच जाती है और सामने की सिलाई चूत के बीच दरार होने के कारण, अंदर की ओर घुस जाती है जिससे चूत की पुट्टीयां दिखाई देने लग जाती हैं. लगभग सभी लड़कियों का यही हाल था जिससे सारे ऑफिस का माहौल सेक्सी बना रहता था.
यामिना मुझसे पूछने लगी- साहेब, उसने जो कहा क्या आपको वह बुरा नहीं लगा? मैं- यामिना, मुझे बुरा तो बहुत लगा, लेकिन मैं अभी नया हूँ, तो सबके बारे में जानता नहीं हूँ.
यामिना- नहीं साहब, आप अपने आपको अकेला न समझें, यह बहुत ही बद्तमीज लेडी है, यह हम सब के साथ भी ऐसे ही बोलती है.
मैंने यामिना से कहा- यामिना, मुझे तुमसे कुछ जानकारी लेनी है लेकिन अब तुम जाओ … मैं थोड़ा अपसेट हो गया हूँ, इसलिए मैं अपने रूम में जाना चाहता हूँ.
यामिना चली गई. मेरे केबिन में सीसीटीवी कैमरा लगा था जिससे मुझे बाहर बैठा स्टाफ लैपटॉप की स्क्रीन पर दिखाई देता रहता था.
वह ऑफिस मैन मार्किट के एक मॉल की 5वीं मंजिल पर था. छटी मंजिल पर एक होटल था जिसके दो कमरे हमारी कंपनी ने अपने गेस्ट हाउस यूज़ के लिए ले रखे थे, मैं वहीं रह रहा था.
मैं उठा और बाहर निकल गया. उस वक्त दोपहर के तीन बजे थे. मैं अपने रूम में चला गया और बेड पर लेट गया.
लगभग आधे घंटे बाद लिली का फोन आया जिसे मैंने नहीं लिया. दरअसल मैंने लिली को इग्नोर करने का प्लान बनाया. कुछ देर बाद उसकी दुबारा रिंग आई तो मैंने वह भी नहीं ली.
थोड़ी देर बाद लिली की जूनियर लड़की रेशमा का फोन आया जिसे मैंने ले लिया.
रेशमा- हेलो सर, मैं रेशमा बोल रही हूँ, आप कहाँ हैं? मैं- क्यों क्या बात है? रेशमा- सर कुछ पेपर हैं जिन पर आपके दस्तखत चाहिए. मैं- मेरी तबियत ठीक नहीं है, कल कर दूँगा.
रेशमा- सर, जरूरी रिपोर्ट है, आज ही जानी है. मैं- ठीक है, आप यामिना को देकर गेस्ट हाउस के रूम नंबर 1 में भेज दें. रेशमा- ओके, सर.
थोड़ी देर में यामिना पेपर्स ले कर आ गई. वह आते ही बोली- सर, तबियत कैसी है? मैं- बस थोड़ा सिर दर्द कर रहा है.
यामिना- सर, आपने लिली का फोन नहीं उठाया और रेशमा का उठा लिया, बहुत अच्छा किया, लिली का मुँह उतर गया था और रेशमा खुश हो गई. मैं- क्यों, क्या बात हुई? यामिना- सर, मैंने लिली मैम से बात की थी, वह आपसे गलत बोलकर बहुत पछता रही है.
मैं समझ गया और चुप रहा. मैंने यामिना से पेपर लिए और साइन कर दिए. यामिना- साहब, थोड़ा सिर दबा दूँ? मैं- नहीं यामिना, रहने दो.
यामिना बैठ गई और मेरा सिर दबाने लगी. सिर दबाते हुए वह मेरी कमर से बिल्कुल सटी हुई थी. उसके हाथों की नरम उंगलियां छूते ही मेरा लण्ड हरकत करने लगा. मुझे बहुत दिनों से औरत का संग नहीं मिला था.
मैंने पूछा- यामिना, कुछ अपने बारे में बताओ? यामिना- साहब, मैं मेरे दो बच्चे हैं, लड़की ने दो महीने पहले प्लस टू पास किया है, लड़का अभी पांचवीं क्लास में पढ़ता है, पति चार साल पहले हमें छोड़कर चला गया और दूसरी शादी कर ली. अब सोचती हूँ लड़की को कहीं जॉब मिल जाये तो अच्छा रहेगा. वर्ना मेरी कमाई से तो गुजारा ही नहीं चलता है.
मैं- क्या तुम्हारी उम्र इतनी है कि तुम्हारी लड़की ने प्लस टू पास कर रखा है? यामिना- सर, छोटी उम्र में शादी हो गई और 9 महीने में ही बेटी हो गई.
मैं- तुम कितना पढ़ी हो? यामिना- सर, मैं भी 12वीं पास हूँ. मैं- पर लड़की को नौकरी के लिए तो ग्रेजुएशन होना चाहिए.
यामिना- सर, अपने यहाँ कुछ लड़कियां प्लस टू भी लगी हुई हैं. मैं- लेकिन उनका एक्सपीरियंस भी तो होता है. यामिना- सर, यह तो जॉब और लगाने वाले पर निर्भर है.
मैंने मौके की नजाकत समझते हुए उससे कहा- लेकिन तुम्हारी लड़की 18 साल की होनी चाहिए? यामिना- हाँ सर, अभी पिछले महीने ही 18 पूरे हुए हैं.
आगे यामिना बोली- साहब, मेरा सपना है कि मेरी बेटी भी अपनी कंपनी की सफेद शर्ट और लाल स्कर्ट पहने. मैं- ठीक है यामिना, भगवान ने चाहा तो जरूर पहनेगी, उसे मैं अपने हाथों से पहनाऊँगा … लेकिन वह स्मार्ट और सुंदर होनी चाहिए, इन लड़कियों की तरह.
यामिना- सर, ये तो कुछ भी नहीं हैं, मेरी लड़की तो हीरोइन जैसी है. यह बोलकर यामिना ने मेरे अंदर हलचल बढ़ा दी. मेरी इच्छायें बढ़ने लगी.
मैंने अपने दोनों हाथों से यामिना के दोनों हाथों को छुआ और उन्हें अपने सिर पर दबा लिया. यामिना की उंगलियाँ और हाथ नर्म और गुदाज़ थे.
उन हाथों पर अपने हाथ फिराते हुए कहा- हेड आफिस से तीन इंटर्न रखने की मंजूरी आई हुई है और उनको मैंने ही रखना है. किसी दिन मैं उसका इंटरव्यू ले लेता हूँ, तुम उसे किसी दिन यहीं, इसी कमरे में ले आना. यामिना- ठीक है.
मैंने यामिना से पूछा- यामिना तुम तो बहुत अच्छा सिर दबाती हो, और क्या क्या खासियत है तुम में? यामिना- साहब, मैंने दो साल एक मसाज पार्लर में काम किया है, लेकिन मैं लेडीज़ की मसाज करती थी. मैं- ठीक है, अब तुम जाओ, कोई जेंट्स की बॉडी मसाज करने वाली हो तो उसे भेज देना.
यामिना कुछ सोच में पड़ गई, उसने जाने के लिए अपने कागज उठा लिए, जाते हुए उसने पूछा- साहेब, आपने मसाज कब करवानी है? मैं- बेशक आज साँय को 6 बजे भेज देना, मेरा मूड भी ठीक नहीं है और शरीर भी कुछ थका सा लग रहा है, वह जो मांगेगी, मैं दे दूँगा. यामिना चली गई.
मुझे पक्का विश्वास था कि यामिना खुद मसाज करने आएगी. ऑफिस 6 बजे बन्द होता था.
साँय 6 बजे ही कमरे की बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो बाहर यामिना खड़ी थी. मैंने आने का कारण पूछा तो वह बोली- अंदर तो आने दें. मैं पीछे हट गया, यामिना अंदर आ गई.
मैंने पूछा तो वह बोली- साहब, आज आपका मूड खराब था तो मैंने सोचा मैं ही मसाज कर देती हूँ. अब मैंने थोड़ा बेरुखी दिखाते हुए कहा- देखो यामिना, कहीं तुम इसलिए तो नहीं आई हो कि मैंने तुम्हारी लड़की की जॉब लगाने की बात कही है, उसका तो मैं वायदा कर चुका हूँ और उसकी जॉब मैं लगवा दूँगा, तुम उसके लिए मेरी मसाज के लिए तैयार मत होना, तुम जा सकती हो.
यामिना- नहीं सर, वो बात नहीं है, औरत आदमी की बातों, उसकी शराफ़त और सच्चाई पर आगे बढ़ती है, मेरी बेटी की जॉब की बात मैं आपसे कभी दुबारा नहीं करूँगी, आप चिंता न करें. मुझे आज आपकी सहनशीलता और बात करने का तरीका बहुत अच्छा लगा, इसलिए आई हूँ, सही बात तो यह है कि मैं पहले ही दिन से आपसे बहुत इम्प्रेस हूँ.
वह आगे कहने लगी- लेकिन साहब … एक तो मैं पैसा नहीं लूँगी, दूसरा मेरी एक रिक्वेस्ट है कि यह बात हम दोनों में ही रहेगी. मैंने कहा- यामिना, मैं किसी को नहीं बताऊँगा और रही बात पेमेंट की तो वह बाद में सोचेंगे.
यामिना- ठीक है, अब कपड़े उतारो. मैं बाथरूम चला गया और सारे कपड़े निकाल कर केवल टॉवल लपेट कर बाहर आ गया.
ऑफिस लेडी सेक्स कहानी का अगला भाग: किस्सा ए दफ्तरी चुदाई- 2
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