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मेरा नाम समीर है, मेरी उम्र 22 साल है। मैं बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला हूँ। मैंने जयपुर से इसी साल बीटेक पूरा किया है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं आप लोगों को एक बहुत ही मधुर घटना बताने जा रहा हूँ जो मेरे साथ अजीबोगरीब तरीके से घटी थी। यह मेरी पहली कहानी है, अगर शब्दों में कोई गलती हो गई हो.. तो उसके लिए क्षमा करें।
बात उन दिनों की है.. जब मैं बीटेक कर रहा था। एक बार मैं और अनन्या घर से जयपुर जा रहे थे। मैं और अनन्या अक्सर साथ ही आया-जाया करते थे। अनन्या मेरी बहुत अच्छी दोस्त है दरअसल मेरी और अनन्या की दोस्ती किसी और के कारण हुई थी.. वो कारण थी.. इशिता।
मैं इशिता से बहुत प्यार करता था, वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी। अनन्या मेरी क्लासमेट होने के साथ-साथ इशिता की रूम-मेट भी थी। पर मेरी बदकिस्मती थी कि इशिता किसी और से प्यार करती थी। इसके बारे में कभी और बात करेंगें। अभी बात करते हैं अनन्या की.. वो मेरे क्लास की सबसे खूबसूरत लड़की थी। उस पर कालेज के बहुत सारे लड़के मरते थे.. पर वो किसी को भाव नहीं देती थी। मेरी बात उससे हो जाती थी.. क्योंकि उसे लगता था कि मैं इशिता के कारण उससे बात करता हूँ.. और यह सच भी था। इसी कारण वो मेरे साथ खुद को सहज पाती थी.. क्योंकि उसे लगता था ये तो मुझ पर लाइन नहीं मारेगा।
फिर वो मेरी क्लासमेट भी थी.. तो कुछ और कारणों से भी हमारी बात होने लगी। धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बन गए, पर अब भी मैं इशिता को ही पसन्द करता था।
अनन्या ने मुझे काफ़ी बार समझाया भी.. पर मैं तो प्यार इश्क़ और मोहब्बत में कुछ ज्यादा ही मसरूफ था। शायद शाहरुख की फिल्मों का कुछ ज्यादा ही असर था मुझ पर.. या इशिता थी ही ऐसी.. कि उससे कोई भी प्यार करने लगे। उसका बिल्कुल मासूम चेहरा हल्के भूरे बाल.. दूध सा गोरा रंग.. उसकी हाईट होगी यही कोई 5 फ़ुट 2″ और फ़िगर होगा 34″26″34″। उसके स्तन बिल्कुल सुडौल दिखते हैं। उसके लंबे बाल उसकी कमर तक आते हैं। वो मुझे बिल्कुल परी की तरह लगती थी। उसे तो कई लोग कैटरीना भी कहते थे.. पर मेरे लिए वो परी ही थी। जब भी उसके बड़े-बड़े चूतड़ों को लेफ़्ट-राइट करते देखता.. तो मानो मेरा तो बैंड ही बज जाता था.. पर यहाँ मैं इशिता की बात नहीं करना चाहता हूँ.. इसको बाद में करेंगें..
अभी हम लोग सिर्फ बात करते हैं अनन्या की.. वो भी कुछ कम नहीं है। वो भी सच में बहुत खूबसूरत है। उसकी हाईट होगी लगभग 5 फुट 5″ और फिगर तो लाजवाब 36-28-36 का.. बिलकुल गोरा रंग। उसके मम्मे भी एकदम तने हुए हैं। ऐसे तने हुए मम्मों को देखकर किसी का भी लंड सलामी देने लगे, पूरा छरहरा बदन.. जैसे काफ़ी फ़ुरसत में तराशा गया हो।
जब भी जीन्स और टॉप पहनती थी.. क्या कमाल की पटाखा दिखती थी। अनन्या पटना की है.. उसका पटना में ही अपना मकान है। इसलिए हम साथ ही पटना तक आते और उसके बाद फिर मैं बस पकड़ कर निकल जाता।
बात है 31 जनवरी 2013 की.. हम जियारत एक्सप्रेस से पटना से जयपुर जा रहे थे। वो 30 तारीख की रात थी.. जब हम सोने जा रहे थे तब मैंने देखा वो एक डायरी में कुछ लिख रही है। मैंने पूछा.. तो उसने टाल दिया। फिर हम सो गए।
सुबह जब मैं जगा.. तो वो पहले ही जग चुकी थी और अब भी कुछ लिख रही थी। फिर वो उठकर फ़्रेश होने चली गई। मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने डायरी उठा ली.. पर फिर लगा किसी की डायरी पढ़ना अच्छी बात नहीं है.. सो मैंने रख दी। पर दिल मान ही नहीं रहा था। मैंने फिर से डायरी उठा ली.. और सोचा कि जो होगा.. सो देखा जाएगा। मैंने डायरी को खोला.. उसमें लिखा था 26 दिसम्बर 2011 (अनन्या एक्सप्रेस)।
मैंने याद करने की कोशिश की.. तो मुझे याद आया इस सफर में तो वो मेरे साथ ही थी। अब मुझे और आगे पढ़ने की उत्सुकता होने लगी। अब आगे की कहानी अनन्या की डायरी की जुबानी।
26 दिसम्बर 2011
आज मैं बहुत खुश हूँ। कल मैं पूरे दो साल बाद अपने घर पर होऊँगी.. अपने बर्थडे के दिन.. पर यह दिन और भी खास है मेरे लिए.. क्योंकि यहीं से शुरूआत हुई मेरे पहले मीठे एहसास की।
27 दिसम्बर 2011
रात में अचानक मुझे लगा कि कोई मेरे बहुत नजदीक खड़ा है.. इतना नजदीक कि मैं उसकी सासों को महसूस कर सकती हूँ। अचानक से मेरी आखँ खुल गईं, मैंने देखा समीर मेरे सामने खड़ा है, मुझे अजीब लगा।
अचानक से वो मुस्कराया.. और मेरे सामने एक प्लेट बढ़ाकर मुझे विश किया। ‘हैपी बर्थडे..’
मैंने देखा कि प्लेट में एक मोमबत्ती जल रही है और उसमें चाकलेट को केक की तरह सजाया हुआ है। मैं आश्चर्यचकित रह गई कि इसने यहाँ पर कैसे सब अरेंज कर लिया। मुझे समीर की यही बातें अच्छी लगती हैं वो सबको खुश कर देता है। वो हमेशा कहता है कि हमें छोटे-छोटे मौकों को भी अच्छे से एंजाय करना चाहिए.. क्योंकि छोटे मौके रोज आते हैं इससे हम हर दिन खुश रहेंगे।
सुबह लगभग 6 बजे हम पटना पहुँचे। समीर को वहाँ से बस लेना था.. पर बस 11 बजे की थी तो मैंने कहा कि तुम भी घर चलो.. सबसे मिल भी लेना। वो इससे पहले भी मेरे यहाँ आ चुका है।
हम दोनों घर पहुँचे तो पापा स्कूल के लिए निकल रहे थे, फिर मैं फ़्रेश होकर नहा-धोकर तैयार हो गई। मैं और मम्मी मंदिर जाने वाले थे, मैं अपने हर बर्थडे की शुरूआत मन्दिर में जाया करके करती हूँ.. पर शायद इस बार ये किस्मत को मंजूर न था।
तभी मामाजी का फोन आया कि नानी की तबियत बहुत खराब हो रही है। हमारे घर से नानी का घर काफ़ी नजदीक है.. तो मम्मी तुरंत निकल पड़ीं। मैं मम्मी को दरवाजे तक छोड़ कर आई.. पर मेरा मन उदास हो गया। मैं अपने हर बर्थडे पर मन्दिर जरूर जाती हूँ। पर इस बार.. मुझे लग रहा था पता नहीं मम्मी कब तक आएंगी। इस बार मुझे अपने बर्थडे के दिन अकेला रहना पड़ेगा। मेरी ये बर्थडे सबसे खराब बर्थडे होने वाली है।
तभी अचानक से मेरा पैर फिसल गया और मैं धड़ाम से गिर पड़ी, मेरी कमर और कन्धे में बहुत तेज चोट लग गई। मुझे लगा कि लो बस अब इसी की कमी थी। अब अकेले ही नहीं.. बल्कि बिस्तर पर अकेले बर्थडे मनेगी।
तभी समीर दौड़ता हुआ आया और मुझे उठाने लगा, उसने मुझे बाँहों में उठा लिया और उठा कर मुझे मेरे कमरे में बिस्तर पर लिटा दिया।
मैं पेट के बल लेट गई.. पर मुझे बहुत दर्द हो रहा था, शायद समीर को भी एहसास हो गया। उसने मुझसे पूछा- मूव है? मैंने इशारे से बताया। वो मूव लेकर आया और धीरे से मेरी टी-शर्ट ऊपर खिसका दी।
फिर उसने धीरे से मेरी स्कर्ट को थोड़ा नीचे किया.. जिससे मेरी पैंटी दिखने लगी, फिर वो मूव लगाने लगा। पहली बार कोई मुझे वहाँ छू रहा था.. मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। मैंने समीर से कहा- तुम रहने दो.. मैं लगा लूँगी। समीर ने कहा- तुम दर्द में कैसे लगा पाओगी। मैंने कहा- नहीं.. तुम जाओ मैं लगा लूँगी।
वो चला गया। थोड़ी देर मैं यूँ ही लेटी रही.. पर दर्द कम ही नहीं हो रहा था। फिर मैंने खुद से लगाने की कोशिश की.. पर दर्द से मैं अपना हाथ हिला ही नहीं पाई। अब मुझे लग रहा था मैंने समीर को बेकार ही भेज दिया।
फिर मैंने हिम्मत जुड़ा कर मूव लेने की कोशिश की.. पर इस कोशिश मैं फिर से गिर पड़ी। इस बार मेरी कमर के निचले हिस्से में बहुत तेज दर्द हुआ, मैं चीख पड़ी। समीर दौड़ता हुआ आया, उसने सिर्फ तौलिया बांध रखा था, शायद वो नहा कर आया ही था।
उसने मुझे उठाकर बिस्तर पर लिटाया और मूव लेकर पूछा- कहाँ पर दर्द हो रहा है। मैंने बताया- कमर पर और कन्धे पर। उसने मुझे उल्टा किया और मेरे बगल में बैठ गया, उसके बाद उसने कमर से मेरी स्कर्ट पकड़ी और वो सरकती हुई नीचे मेरे कूल्हों पर जाकर रुकी, मेरी काली पैंटी साफ़ दिखने लगी, मुझे बहुत शर्म आ रही थी.. क्योंकि पहली बार कोई लड़का मुझे इतने करीब से इस हालत में देख रहा था।
फिर मेरी पैंटी भी सरक कर वहीं पहुँच गई। अब मेरे आधे कूल्हे नग्न अवस्था में उसके सामने थे। मैं शर्म से पानी-पानी हुई जा रही थी। फिर वो मूव लेकर मेरे कमर पर मालिश करने लगा। पहले तो मुझे बहुत शर्म आ रही थी.. पर फिर अच्छा लगने लगा, अब मेरे दर्द में भी कमी आ रही थी। पता नहीं यह मूव का असर था या पहली बार किसी मर्द के हाथों से छुए जाने का एहसास।
वो इसी तरह धीरे धीरे मेरी मालिश करता रहा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। लगभग 10 मिनट बाद उसने पूछा- कैसा लग रहा है। मैंने सिर्फ़ ‘ह्म्म..’ कहा। उसने पूछा- अब कन्धे पर मूव लगा दूँ.. मैंने फिर ‘हम्म..’ कहा।
वो टी-शर्ट ऊपर सरकाने लगा.. पर मैं पेट के बल लेटी थी.. तो टी-शर्ट ज्यादा ऊपर नहीं गई। अचानक से मुझे मेरे पेट पर कुछ महसूस हुआ। समीर की गर्म हथेली मेरे पेट के ऊपरी हिस्से में थी.. और जैसे ही उसने मुझे वहाँ पकड़ा.. मैं चिहुँक उठी और मेरे हाथ अनायास ही हवा में उठ गए.. जैसे कुछ पकड़ने के लिए उठे हों और मैंने समीर का लंड तौलिया के ऊपर से पकड़ लिया।
आपको यह घटना कैसी लग रही है, मुझे जरूर बताईए। मेरी ईमेल आइडी है [email protected] कहानी जारी है।
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