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अब तक आपने पढ़ा..
उधर पायल बाथरूम में गर्म पानी से चूत की सिकाई के बाद नहाकर बाहर निकली.. उसकी चाल में थोड़ा फरक था.. यानि देखने वाला समझ सकता था कि कुछ ना कुछ गड़बड़ तो जरूर है। पायल- ओ माय गॉड.. मेरे पैर ठीक से ज़मीन पर नहीं टिक रहे.. कहीं किसी को पता ना लग जाए कि रात को क्या हुआ था.. अब क्या करूँ.. क्या करूँ.. पायल सोच में डूबी थी.. तभी उसको आइडिया आया, उसने जल्दी से एक टी-शर्ट और बरमूडा पहना.. बाथरूम के पास जाकर ज़मीन पर पैर पकड़ कर बैठ गई और ज़ोर से चिल्लाई। रॉनी- ये तो पायल की आवाज़ है.. क्या हुआ उसको.. चलो भाई..
अब आगे..
दोनों लगभग भागते हुए उसके कमरे में पहुँचे.. तब तक पायल झूटमूट के आँसू निकाल चुकी थी।
रॉनी- क्या हुआ पायल.. ऐसे क्यों बैठी हो.. और चिल्लाई क्यों? सब ठीक तो है ना? पायल- व्व..वो भाई.. मैं फिसल गई.. आह्ह.. मेरा पैर बहुत दर्द कर रहा है.. उफ मॉम.. लगता है.. मोच आ गई है आह्ह.. पुनीत- अरे तुम्हारी तबियत ठीक नहीं थी तो बिस्तर पर आराम करती.. अब देखो डबल प्राब्लम हो गई ना.. रॉनी- भाई आप कैसी बातें कर रहे हो.. पायल तकलीफ़ में है और आप उसे डांट रहे हो। चलो इसे सहारा देकर बिस्तर तक ले जाने में मेरी हेल्प करो और जल्दी से डॉक्टर को फ़ोन लगाओ आप..
पुनीत ने आगे कुछ नहीं कहा और पायल को बिस्तर पर लेटा दिया। उसके बाद वो रॉनी की ओर देख कर बोला- नीचे से डायरी लेकर आओ.. उसमें डॉक्टर का नंबर है। रॉनी- ओके मैं अभी लाता हूँ.. तब तक आप पायल का ख्याल रखो। रॉनी जल्दी से वहाँ से निकल गया।
पुनीत- अरे क्या पायल.. ऐसे-कैसे फिसल गई.. हम तो तुम्हारे बीमार होने का नाटक कर रहे थे और तुम सच में बिस्तर पर आ गई? पायल- अपने जैसा बुद्धू समझा है क्या आपने मुझे… ये भी एक नाटक ही है भाई.. हा हा हा.. पुनीत- अरे लेकिन क्यों यार.. ये कोई तरीका है मजाक करने का? पायल- धीरे बोलो भाई.. कोई सुन लेगा.. मेरे पैर रात को आपने घुमा दिए.. अब ऐसे चलती.. तो किसी को भी शक हो जाता.. इसलिए गिरने का नाटक किया। अब कैसे भी चलूँ.. कोई दिक्कत नहीं है.. पुनीत- वाह.. पायल.. मान गया तुम वाकयी में मेरी बहन हो.. क्या दिमाग़ लगाया तुमने..
वो दोनों बातें कर रहे थे.. तभी वहाँ रॉनी आ गया।
रॉनी- ये लो भाई.. मैं यहाँ परेशान हूँ और आप दोनों गप्पें लड़ा रहे हो.. मैंने डॉक्टर को फ़ोन कर दिया है.. वो कुछ देर में आ जाएगा। पुनीत- तुमने बहुत अच्छा किया जो डॉक्टर को यहीं बुला लिया। इस हालत में पायल को ले जाते तो इसे चलने में ज़्यादा तकलीफ़ होती। रॉनी- हाँ मुझे पता है.. पैर की मोच बड़ी तकलीफ़ देती है। एक बार मेरे साथ भी ऐसा हुआ था.. नहाकर निकल रहा था कि पाँव फिसल गया.. बहुत दर्द हुआ था। पुनीत- हाँ याद है.. कैसे बच्चों की तरह तू रोने लगा था.. रॉनी- तो क्या हँसता.. उस वक्त? पायल- भाई जिसको लगती है दर्द का अहसास उसी को होता है..
रॉनी- बिल्कुल सही कहा तुमने पायल.. भाई तो उस वक्त बस मजाक बना रहे थे मेरा.. पायल- अब आप दोनों झगड़ा मत करो.. एक तो मेरे पैर में बहुत दर्द है.. ऊपर से आप बहस करने लगे। रॉनी- अच्छा बाबा सॉरी.. अब नहीं करेंगे.. वैसे मुझे देखने तो दो ज़्यादा चोट तो नहीं आई ना.. पायल- अरे भाई क्या देखोगे.. कोई चोट नहीं आई है.. बस पैर मुड़ गया था मेरा.. अब डॉक्टर ही बताएगा कि असल में हुआ क्या है.. कोई मोच है या बस पैर मुड़ने से दर्द हुआ है।
रॉनी- ये भी सही बात है.. अच्छा ये बताओ मैं जब आया तो भाई आप पायल को क्या ‘दिमाग़ लगाया’ बोल रहे थे? पुनीत- कब कहा मैंने.. ऐसा नहीं.. मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा.. पायल- अरे कहा था ना.. इतनी जल्दी भूल गए.. वो दरअसल जब मैं फिसली तो मेरा सर दीवार से टकराने वाला था। मैंने जल्दी से दरवाजा पकड़ लिया.. इसी बात पर आपने कहा था कि अच्छा दिमाग़ लगाया और तभी रॉनी भाई आ गए तो शायद आप भूल गए।
रॉनी के अचानक हमले से पुनीत घबरा गया.. मगर पायल ने बात को संभाल दिया।
रॉनी- ओह अच्छा ये बात थी.. थैंक गॉड.. तुम्हें ज़्यादा चोट नहीं आई.. नहीं तो बड़े पापा बहुत गुस्सा होते। पुनीत- भाई पापा तक ये बात जानी भी नहीं चाहिए। रॉनी- टेंशन नॉट.. बड़े पापा को कुछ पता नहीं चलेगा.. इसी लिए मैंने अपने फैमिली डॉक्टर को नहीं बल्कि दूसरे डॉक्टर को बुलाया है। पुनीत- वाह.. यार तुम तो बड़े समझदार हो।
पुनीत आगे कुछ बोलता.. तभी काका अपने साथ डॉक्टर को ले आया और वो पायल के पैर की जाँच करने लगा।
डॉक्टर- डरने वाली कोई बात नहीं है बस मांस-पेशियों में थोड़ा खिंचाव आ गया है.. अक्सर उल्टी साइड पैर मुड़ने से ऐसा होता है.. मैं दर्द की दवा और ट्यूब लिख देता हूँ.. शाम तक आराम मिल जाएगा। डॉक्टर के जाने के बाद रॉनी और पुनीत ने सोचा कि वो दवा ले आएं.. तब तक पायल रेस्ट कर लेगी।
रॉनी- पायल तुम रेस्ट करो.. हम दवा लेकर आ जाते हैं। पायल- ओके भाई.. मगर जल्दी आ जाना मैं अकेले बोर हो जाऊँगी।
दोनों के जाने के बाद काका ने पूछा- बिटिया तुम्हारा नाश्ता और जूस यहीं ले आऊँ.? तो पायल ने मना कर दिया कि अभी मूड नहीं है।स काका के जाने के बाद पायल कमरे में टहलने लगी ताकि उसकी चाल ठीक हो जाए और किसी को पता ना लगे।
पायल के सर से सारा नशा उतर चुका था, अब उसके अन्दर की बहन जाग गई थी, चलते-चलते अचानक वो रुक गई.. और बिस्तर पर बैठ कर सोचने लगी कि ये उसने क्या कर दिया? अपने ही भाई के साथ उसने सेक्स किया। ये सब सोच कर उसकी आँखों में आँसू आ गए, वो काफ़ी देर तक वहाँ बैठी रोती रही। उसके बाद उसने फैसला किया कि जो हुआ वो गलत हुआ.. अब बस इस बात को यहीं ख़त्म कर देगी.. और आगे से ऐसी कोई हरकत नहीं करेगी।
यही सोचते हुए वो काफ़ी देर बैठी रही.. उसके बाद उसने काका को आवाज़ देकर ऊपर बुलाया और नाश्ते के लिए उनसे कहा कि ले आए।
काका- अभी लो बिटिया.. मैंने तो आपको पहले ही कहा था। अब बस 5 मिनट में नाश्ता बना देता हूँ।
काका ने जल्दी से नाश्ता तैयार किया और पायल का स्पेशल जूस भी उसको दे दिया। वो कहाँ जानती थी कि अभी कुछ देर पहले जो वो सोच रही थी कि अब ऐसा नहीं करेगी। ये जूस पीते ही उसकी सारी सोच धरी की धरी रह जाएगी और वो वासना के जाल में दोबारा फँस जाएगी।
उधर रॉनी और पुनीत मेडिकल स्टोर से कुछ दूर थे कि तभी सन्नी वहाँ सामने से आ गया।
सन्नी- अरे क्या बात है.. सुबह-सुबह मेरे दोनों शेर कहाँ शिकार पर जा रहे हैं। पुनीत- अरे कहीं नहीं यार.. सुबह-सुबह गड़बड़ हो गई। पायल फिसल कर गिर गई.. उसके पाँव में चोट आई है। सन्नी- अरे बाप रे, तो तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो.. किसी डॉक्टर के पास लेके जाओ उसको यार.. रॉनी- अरे पूरी बात सुने बिना बोले जा रहे हो.. उसे कुछ नहीं हुआ.. बस मामूली सी चोट है.. डॉक्टर को घर बुलाया था कुछ दवा लिखी है.. वही लेने आए हैं हम। सन्नी- ओह.. ऐसा क्या.. मैं कुछ और ही समझ बैठा.. चलो थैंक गॉड.. पायल को कुछ नहीं हुआ।
पुनीत- हाँ यार.. वैसे तुम इतनी सुबह कहाँ जा रहे हो? सन्नी- अरे कहीं नहीं.. एक प्लॉट के लिए पापा ने मैसेज किया था.. वही देखने जा रहा हूँ। अब तुम मिल गए तो चलो ना यार साथ चलते हैं.. मैं अकेला बोर हो जाता। रॉनी- अरे क्या साथ चलूँ.. वहाँ पायल बेचारी दवाई के लिए वेट कर रही है और हम तेरे साथ चलें.. पुनीत- अरे रॉनी ऐसा कर.. तू चला जा सन्नी के साथ.. मैं दवा ले जाता हूँ। सन्नी- हाँ ये सही रहेगा, दोनों काम साथ हो जाएँगे, उसके बाद आते वक्त मैं भी पायल से मिल लूँगा।
रॉनी को बात समझ आ गई.. तो वो सन्नी के साथ चला गया और पुनीत अकेला आगे बढ़ गया।
पायल ने नाश्ता ख़त्म किया और अपने बिस्तर पर टेक लगा कर बैठ गई। वो कुछ सोच रही थी कि तभी पुनीत वहाँ आ गया। पुनीत- अरे क्या बात है मेरी बहना.. किस सोच में डूबी हुई हो? पायल- कुछ नहीं भाई.. पता नहीं आजकल मुझे क्या हो रहा है। कुछ अजीब सी बेचैनी मन में रहती है। दिमाग़ कहाँ से कहाँ चला जाता है। देखो ना.. हमने क्या कर दिया? ये पाप हमसे कैसे हो गया.. मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा.. मैं इतनी गंदी हरकतें कैसे करने लगी हूँ.. छी:.. और आपने भी मेरा साथ दिया।
पुनीत- हैलो.. ये क्या बोल रही हो.. जो हुआ वो तुम चाहती थीं.. मैंने तो बहुत मना किया.. मगर तुम कहाँ मानी.. अब जो हो गया.. उसको भूल जाओ और ये अचानक तुम कैसी बातें करने लगी हो। मैं गया.. तब तक तो बिल्कुल ठीक थी। पायल- पता नहीं भाई.. मैं बहुत बड़ी उलझन में हूँ.. कभी तो ऐसा लगता है कि बस आप ही मेरे सब कुछ हो.. आपसे लिपट कर खूब प्यार करूँ.. कभी लगता है.. कि यह गलत है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! पुनीत- अरे मेरी जान.. ऐसा कुछ नहीं है.. तुम वासना की आग में जल रही थीं.. तो मैंने तुम्हारी प्यास मिटाने की कोशिश की है.. मगर लगता है रात की चुदाई काफ़ी नहीं है.. तुमको दोबारा ठंडी करना होगा.. तभी तुम्हारा दिमाग़ ठिकाने पर आएगा। पायल- चुप रहो भाई.. ऐसी बातें मत करो.. मुझे अजीब सा महसूस हो रहा है।
दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है। कहानी जारी है। [email protected]
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