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ससुर ने बहू को चोदा पूरी नंगी करके उसकी झांटें साफ़ करके! फिर ससुर ने अपनी बहू की गांड भी मारी. पूरी कहानी पढ़ कर मजा लें.
दोस्तो, मैं शरद सक्सेना एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी बहू के साथ शारीरिक सम्बन्ध में आपका स्वागत करता हूँ. इस कहानी के पिछले भाग बहू के तन की प्यास का इलाज में अब तक आपने पढ़ा कि ससुर ने बहू को चोदा. उसके बाद मैं फ्रेश होने गया था और मेरी बहू सायरा मुझसे मजाक कर रही थी.
अब आगे ससुर ने बहू को चोदा:
फ्रेश होकर आने के बाद मैंने उसके हाथ से रूई ली और उसकी चूत पर लगे अनचाहे बालों को साफ करने लगा. जैसे-जैसे चूत पर से बाल हट रहे थे, पाव रोटी की तरह फूली हुयी गुलाबी चूत मेरी नजरों के सामने आती जा रही थी.
जब पानी से चुत को अच्छे से साफ किया … तो बस मेरा मन कर रहा था कि उस पाव रोटी जैसी फूली हुयी गुलाबी चूत को पाव रोटी ही समझ कर खा जाऊं. मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और वही कर बैठा, जो मैं सोच रहा था.
मैंने उसकी कोमल चूत पर अपने दांत गड़ा दिए.
“आउच … क्या कर रहे हो पापा!” “कुछ नहीं, तेरी ये चूत मुझे खुद को खा जाने के लिए बुला रही थी, इसलिए मैं इसे खाने की कोशिश करने लगा.
“पापा अगर आप मेरी चूत को खा लेंगे … तो फिर अपने लंड के लिए आपको नयी चूत ढूंढनी पड़ेगी.” ये कहकर सायरा हंसने लगी. “बात तो तेरी सही है … तो चल तेरी चूत को खाता नहीं हूं, बस थोड़ा प्यार कर लेता हूँ.” कहते हुए मैंने उस नाजुक चूत पर चुम्बन की बौछार कर दी. “बस पापा … अब आप खड़े हो जाओ, जिससे मैं आपके लंड को भी चिकना कर दूं.”
मैं उसकी बात मानते हुए खड़ा हो गया. मेरा लंड तना हुआ था. जब वो मेरी झांट साफ करने लिए थोड़ा आगे आती, तो मेरा लंड कभी उसके गालों से तो कभी उसके होंठों से टच हो जाता.
जब वो इससे थोड़ा परेशान हो गयी, तो बोली- उफ पापा, आपका दोस्त मान ही नहीं रहा है. “तो तुम भी इसे अपना दोस्त बना लो न!”
मेरी तरफ देखते हुए बोली- मतलब! “बस ज्यादा कुछ नहीं … थोड़ी देर मुँह में ले लो, तो फिर ये कोई शरारत नहीं करेगा.” “आपकी बात सही है.” कहते हुए उसने सुपारे को चूमा और मुँह में लेकर चूस लिया.
फिर वो सुपारे को ही दांतों के बीच फंसा कर मेरी झांट को साफ करने लगी.
जब उसने अच्छे से झांटें साफ कर दीं … तो बोली- लो पापा हो गया. अब आपका लंड भी मुछ-मुंडा हो गया. मैं हंस दिया.
वो भी हंसते हुए खड़ी हुयी और मुझसे चिपकर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर चलाने लगी.
मैंने उसे गोदी में उठाया और कमरे में आकर बोला- चल लेट जा, तेरी मालिश कर दूं. इधर घर का काम-काज कुछ ज्यादा हो गया है. चल मैं तेरी मालिश कर देता हूं. आजकल मैं देख रहा हूं कि तुम अपना ध्यान नहीं रख रही हो. चलो पेट के बल लेट जाओ.
मेरी बात मानते हुए सायरा पेट के बल लेट गयी. मैंने तेल हाथ में लिया और उसकी पीठ से लेकर उसकी कमर तक मालिश की शुरूआत कर दी. अगल-बगल, पीठ में मालिश करने के बाद मैं सायरा का गांड की तरफ आया.
उसके गोल-गोल और उठे हुए कूल्हे को छूते हुए और थोड़ा चिढ़ाने के अंदाज में बोला- क्या बात है सायरा, तुम्हारी गांड तो काफी उठ गयी है.
थोड़ा नखरे करने के अंदाज में सायरा बोली- क्या पापाजी आप भी! “नहीं नहीं … मैं सही कह रहा हूं, कही … सोनू तो तुम्हारी गांड नहीं मारता है!”
“सही कहा पापा आपने, सोनू ही तो अब मेरे लिए बचा है … जो मेरी गांड मारेगा. पहले सही तरीके से अपना लंड मेरी चूत के अन्दर डाल ले. साला उसका लंड अन्दर जाने से पहले पिघल जाता है … भोसड़ी का नामर्द.”
इसी तरह बातों ही बातों में मैं सायरा की टांगों के बीच में आ गया और सायरा से बोला- बहू!
इस समय मैंने जानबूझकर बहू शब्द बोला. “हां ससुर जी.” कम्बखत, मेरी बहू भी बहुत हाजिर जवाब थी.
“जरा अपनी गांड को खोलो, देखूं तो सही.” सायरा ने अपने कूल्हों को पकड़ा और अपनी गांड खोल कर बोली- लीजिए देख लीजिए.
मैं लंड को पकड़ते हुए उसकी गांड में चलाने लगा.
“ये क्या कर रहे हो पापा जी!” “कुछ नहीं, मेरा लंड तुम्हारी गांड की महक सूंघना चाहता था, सो वही कर रहा हूं.”
ये कहते हुए सुपारे को सायरा की गांड के छेद से रगड़ने लगा.
सुपारे को इस तरह रगड़ते रहने पर सायरा बोली- लगता है आपके लंड को मेरी गांड की महक अच्छी लगी.
मैंने तुरन्त ही जवाब दिया- पता नहीं, उसने मुझे बताया नहीं … लाओ मैं ही सूंघ लेता हूं कि कैसी महक है तेरी गांड में.
तो मैंने सायरा के कूल्हों को कसकर पकड़ा और उसकी गांड के बीच अपनी नाक लगाकर सूंघने लगा.
सूंघने के बाद मैंने सायरा से कहा- महक तो अच्छी है … थूक लगा-लगा कर चाटने में बड़ा मजा आएगा और मुझे लगता है लंड को भी महक अच्छी लगी और वो अन्दर घुस कर आनन्द लेना चाहता है.
“पापा जी, आग मेरी चूत में लगी है और आप मेरी गांड की प्यास बुझाने में लगे हो.” “इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि लंड इस समय तुम्हारी गांड की डिमांड कर रहा है.”
मैंने उसके चूतड़ों पर हल्की सी चपत लगायी और एक कूल्हे को भींचने लगा और फिर दोनों कूल्हों को फैलाया, इससे उसकी गांड भी अच्छी खासी खुल गयी थी. उसके अन्दर मैंने थूक उड़ेल दिया और कुछ थूक अपने लंड के ऊपर उड़ेल कर लंड से गांड की छेद को सहलाने लगा.
मौका देखकर मैंने सुपारे को अन्दर घुसेड़ दिया.
“आह पापाजी दर्द हो रहा है.” “तो क्या हुआ … होने दे.”
“पापा, ये गलत बात है. आपने मालिश करने की बात कही थी, गांड मारने की नहीं.” दर्द से कहराती हुयी सायरा बोली. “हां बेटा तू ठीक कह रही है. लेकिन जब से लंड ने तेरी गांड की खुशबू सूंघी है, उसका मन अन्दर जाने को कर रहा था.”
यही सब बात करते-करते मैंने सायरा की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, इससे वो घुटने के बल आ गयी और मैं थोड़ा खड़े होकर उसकी गांड को चोदने लगा.
जिस तरह से मेरे धक्के की ताकत होती, उसी तरह से सायरा के मुँह से आवाज आती. फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. फच-फच की आवाज से कमरा गूंज रहा था और मैं मस्त होकर सायरा की गांड चोद रहा था.
कुछ देर बाद लंड ने हार मान ली और गांड के अन्दर ही मैंने अपना सारा माल छोड़ दिया. सायरा एक बार फिर पूरी तरह पेट के बल लेट गयी और मैंने उसके ऊपर हल्के से अपना वजन रख दिया.
कुछ देर बाद लंड महराज सिकुड़कर गांड से बाहर आ गए. लंड बाहर आते ही मैंने सायरा से कहा- तो तुम्हारे पीछे की मालिश हो गयी. अब पलट जाओ तुम्हारे आगे की मालिश कर दूं. “मान गयी पापा जी, आप में स्टेमिना बहुत है.”
“अरे बेटा. इतने दिन बाद तो तू मिली है. तो सारी बची हुयी एनर्जी अब यूज होगी. अभी 10 मिनट और रूक जा. देखना तेरी मालिश करते-करते यह फिर एक बार तेरी चूत की मालिश करने के लिए हुंकार भरेगा.” “पापाजी, मैं तो कब से बाट जोह रही थी मेरी चूत की मालिश हो.”
“तो तुम क्यों इतने दिन तक दबायी रही, बोल देती … तो इस तरह तुम्हें उंगली से अपनी चूत की क्षुधा शांत नहीं करनी पड़ती … और तुम्हारी चूत में झांटों का जंगल न हो जाता.”
ये कहते हुए मैंने तेल उसके जिस्म पर डाला और मालिश करने लगा.
कुछ देर चुप रहने के बाद सायरा बोली- पापा कुछ ऐसा करो कि मैं आपके लंड को प्यार कर सकूं. “ठीक है.” कहते हुए मैंने सायरा को क्रॉस किया और उसके सीने पर उकड़ूँ होकर बैठ गया. इससे मेरा लंड और मेरी गांड सायरा के मुँह के करीब हो गया था. अब जब तक मैं सीधा होकर मालिश करता, तो सायरा मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसती … और जब हल्का से आगे की तरफ झुकता, तो वो अपनी जीभ की टो मेरी गांड में चलाने लगती.
फिर मैं सीधा होकर उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसके पैरों को अपनी जांघ पर रखकर मालिश करने लगा.
इधर मैं उसके पैर की मालिश करता, तो कभी वो उंगली चूत के अन्दर करती … तो कभी अपनी पुत्तियों को मसलती.
फिर जब मेरे हाथ उसकी चूत के ऊपर होते, तो वो अपनी चूची से खेलती और अपने निप्पलों पर अपनी जीभ चलाती.
मैं भी बीच-बीच में उसके निप्पल को अपने मुँह में भरकर चूस लेता था.
खैर … मैं मालिश करते हुए उसकी हर हरकत को बड़े ध्यान से देख रहा था.
सायरा की सिसकारियां निकलने लगी थीं, उसकी आंखें बन्द होने लगी थीं. वो कामुकता से अपने होंठों को काट रही थी. मेरे हाथ रूक गए और रात वाला दृश्य इस समय मेरे सामने था.
उसने अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ लिया और भगांकुर को तेज-तेज मसलने लगी. उसकी उंगली चूत के अन्दर बाहर तेज-तेज होने लगी … और सिसकारी बढ़ती जा रही थी.
वो अपनी जवान चूचियों को भी बेहरमी से मसल रही थी. इस समय वो आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी. बीच-बीच में अपनी कमर उठाकर अपनी गांड को भी कुरेद लेती.
कुछ देर बाद सायरा ने पैरों की उंगलियों पर अपने पैर का वजन देकर कमर को उठा लिया और “हम्म-हम्म … आह-आह ..” की आवाज के साथ बहुत तेज-तेज चूत को अपनी उंगली से चोदने लगी थी.
वो शायद चर्मोत्कर्ष पर पहुंच रही थी.
मेरा लंड भी उसकी हरकतों को देखकर टनटना चुका था. मैंने उसके हाथों को पकड़ा और उसकी उंगलियों को बारी-बारी से मुँह में लेकर चूसने लगा. उसके पूरे जिस्म का स्वाद उसकी उंगलियों में इस समय था.
मैं उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसाकर उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूसने लगा. इधर लंड भी सायरा की चूत को पुच्ची कर रहा था, पर अन्दर नहीं जा पा रहा था.
इसका हल सायरा ने निकाला, उसने मुझसे अपना हाथ छुड़ाया और वो मेरे लंड को पकड़ कर अपनी कमर को उचकाते हुए लंड को चूत में लेने लगी.
थोड़े ही प्रयासों में मेरा लंड चूत के अन्दर जा चुका था. एक अजीब सा सुकून मेरे लंड को भी मिला. जिस छेद के अन्दर लंड जाने को मचल रहा था, इस समय वो उसी की गहराई में समाया हुआ था और हिलोरे मार रहा था.
लंड ही नहीं, सायरा की चूत भी इस अहसास से खुश हो रही थी कि उसका साथी उसके पास आ गया है. इसलिए वो कमर को उचकाकर मेरे लंड को अन्दर की तरफ और भी ज्यादा खींचना चाह रही थी.
शायद आग लगना इसी को कहते हैं. एक तरफ लंड अन्दर जाकर फड़फड़ा रहा था, तो चूत भी उछाल मार-मार कर लंड को अपने में समा लेने की भरपूर कोशिश कर रही थी.
मैंने दोनों को थोड़ा और खुशी देने के लिए अपने ऊपर कंट्रोल किया और सायरा की चूचियों को दबा-दबाकर और निप्पल को मुँह में भरकर उसके अन्दर से दूध निकालने की पूरी कोशिश कर रहा था. पर मेरे लंड की फड़कन और उसकी चूत की कुलाचें मुझे मतवाला बनने पर विवश कर रही थीं.
सायरा तो अपनी कमर को चला रही थी, मैंने भी अपने कमर को चलाना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे चुदाई की हवस हम दोनों पर हावी होती जा रही थी और धक्के लगाने की गति में भी बढ़ोत्तरी होने लगी थी.
चुदाई की गति बढ़ती जा रही थी और फच-फच की आवाज भी तेज हो रही थी. सायरा ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ रखा था और आंखें बन्द किए हुए अपने होंठों को चबा रही थी.
चुदाई को काफी देर हो चुकी थी. लग रहा था कि कभी भी मैं झड़ सकता हूं, लेकिन मेरा लंड झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.
सायरा ने यह महसूस कर लिया था, तभी तो उसने मुझे इशारे से रूकने का इशारा करके खुद मेरे ऊपर आने के लिए कह रही थी.
मैं थक भी रहा था तो मैं लेट गया और सायरा मेरे ऊपर आ गयी.
पहले तो वो मेरे सीने से चिपकी और मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ने लगी. मैंने भी उसकी जीभ को मुँह में भर लिया और उसके थूक को निगलने लगा. फिर मेरे निप्पल पर जीभ चलाने के साथ-साथ अपनी कमर चलाती जा रही थी.
फाइनली मेरा निकलने वाला था, मैंने सायरा से कहा- बेटा, अब लंड साथ नहीं दे रहा है … कभी भी पिचकारी छूट सकती है. आह-ओह की आवाज भी मेरे मुँह से आ ही रही थी.
मेर मुँह से इतना सुनते ही वो कुछ देर रूकी, मेरी तरफ देखा … और लंड को अपनी चूत से बाहर करके 69 की अवस्था में आ गयी.
उसकी चूत काफी गीली हो चुकी थी, सफेद तरल पदार्थ बाहर आ रहा था. मैंने जीभ को उसकी फांकों के आस-पास चलाना शुरू कर दिया. इधर मेरा लंड भी पिचकारी छोड़ने लगा था.
मुझे तो सायरा का चुतरस चाटने में मजा आ रहा था, लेकिन जब मैंने बोला- बहू लंड चूसना बन्द कर दे … नहीं तो तेरे मुँह के अन्दर आ जाएगा.
मगर सायरा ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और लंड को चूसती रही. मैं भी उसकी चूत को चाट-चाट कर साफ कर रहा था.
मैंने फिर भी सायरा को मुँह हटाने के लिए कई बार बोला, लेकिन सायरा ने मेरी बात नहीं मानी. नतीजन मेरा वीर्य उसके मुँह के अन्दर जाने लगा.
उसने भी मेरे लंड से निकले वीर्य के बूंद के एक-एक रस को अच्छे से चाट लिया. फिर वो पलट गई और अपनी जीभ को बाहर कर लिया.
एक बार फिर हम लोग जीभ लड़ाने लगे.
उसके बाद सायरा बोली- जब मेरा पति मेरी चूत का रस पी सकता है … तो मैं पत्नी हूं. मेरा भी अपने पति के वीर्य रस को पीने का अधिकार है. चुदाई के समय हम दोनों पति-पत्नी हैं … तो शर्म कैसी.
ये बात तो उसकी सही थी. फिर हम दोनों उठे और नहाने चल दिए.
नहाने के बाद सायरा ने डोरी नुमा ब्रा और पैंटी को पहन लिया. जबकि मैं अभी भी पूर्ण रूप से नंगा था.
मैंने सायरा को वो कपड़े पहनने को मना किया. लेकिन सायरा बोली- पापाजी, नंगी से ज्यादा मैं आपको इसमें ज्यादा उत्तेजित करूंगी, ताकि आपका लंड एक बार फिर खड़ा हो जाए और मेरी चूत और गांड का बाजा बजाए.
मैंने कहा- तुम अभी ही कहो तो अभी ही एक राउंड और हो जाए! “अरे नहीं पापा, घड़ी देखिए, राहुल कभी भी आ सकता है. मैंने अपना गाउन निकाल लिया है और आप भी कपड़े पहन लो. राहुल के आने से पहले तक मैं ऐसी रहकर आपको रिझाऊंगी. अब मैं किचन में चलती हूं. मुझे सबके लिए खाना बनाना है.”
सायरा रसोई की तरफ जाने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ा और बोला- रोज रात को दूध पिला दिया करो. “ठीक है मेरे पति देव. आज रात से यह सेवा शुरू कर दी जाएगी.”
रात को बहू ने अपना वादा निभाते हुए सोने से पहले दोनों निप्पलों को बारी बारी से मेरे मुँह से लगाती और मैं चूसता.
इस तरह से अब हम दोनों के चुदाई की गाड़ी एक बार फिर चल निकली. जब भी मौका मिलता तो मेरी प्यारी बहू मुझे अपनी चूत देकर मेरी प्यास बुझा देती. मैं अपने खड़े लंड से उसकी चूत की सेवा कर देता.
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