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मेरे कामुक दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा.. अरुण जी करीब 25 मिनट तक मुझे चोदते रहे.. अब मैं भी झड़ने के करीब आ गई थी। उन्होंने मेरे दोनों मम्मों को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्के पर धक्के लगाते जा रहे थे। मैं चूत उठाए सिसकारियां लेते हुए भलभला कर झड़ने लगी। मुझे झड़ते हुए देख कर अरुण जी ने धक्कों की रफ़्तार और तेज करते हुए मेरी चूत में अपने अंतिम झटके मारे और वीर्य से मेरी चूत को भर दिया। इसी के साथ उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और पूरा लण्ड चूत की जड़ तक डाल कर पड़े रहे।
अब आगे..
दस मिनट के आराम के बाद मैं बाथरूम में फ्रेश होकर जाने के लिए तैयार हो गई। अरुण अभी भी बिस्तर पर वैसे ही मेरी बुर चोदी लण्ड लिए लेटे थे। मैं पास गई और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर किस कर लिया और उनके कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में घुस गई। अभी मेरे पति नहीं आए थे, मैं थोड़ी रिलेक्स होने के लिए सोने लगी।
शाम के करीब मेरी नींद पति के जगाने से खुली। मेरे अस्त-व्यस्त कपड़ों को देखकर बोले- दरवाजा खुला छोड़ कर बेखबर सो रही हो.. कोई आकर चोद देता तो.. तुम्हारे कपड़े भी उठे हुए हैं और चूत भी खुली दिख रही है। मालूम भी है कि फूली हुई बिन बालों की चिकनी चूत को देख बड़े-बड़ों का ईमान डोल जाता है.. मेरी जान.. मैं कंटीली अदा से बोली- कौन आएगा आपके सिवा.. मैं थक गई थी और आपका इन्तजार करते हुए नींद आ गई।
तभी पति ने मेरी फूली हुई चूत पर हाथ रख जोर से भींच लिया, मेरे मुँह से दर्द भरी चीख निकल गई। मेरी गीली चूत में एक उंगली डाल कर बोले- तुम्हारी चूत बहुत गीली है.. मुझे चोदने का मन कर रहा है.. जल्दी से एक राउन्ड हो जाए।
पर मेरा मन तो था नहीं.. फिर भी ना चाहते हुए उन्हें रोक नहीं पाई। तभी पति का मुँह मेरी चूत पर आ गया और मेरी चूत की फांकों को फैला कर मेरी चूत चाटने लगे। बोले- डार्लिंग चूत से तो वीर्य की महक आ रही है.. किसने तुम्हारे छेद में अपना वीर्य डाल दिया है? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मेरा इतना सुनते काटो तो खून नहीं.. मैं सोचने लगी कि मैंने तो चूत को अच्छी तरह से साफ किया था.. पर कुछ घन्टों पहले ही तो अरुण जी ने चोदा था.. शायद वीर्य का कुछ अंश अन्दर रह गया हो। मैं बात बना कर बोली- कौन चोदेगा मेरी जान.. तुम्हारे सिवा कोई चोदता तो क्या मैं बताती नहीं.. यह बोलते हुए मैं कामुक अंदाज में सिसिया दी- चाटो ना मेरी चूत.. उनके सर पर हाथ रख कर पति का मुँह चूत पर दबा दिया।
वे मेरी चूत कुत्ते की तरह चाटने लगे और मैं गर्म होने लगी, मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं- आहह… आहईसी.. सीईईईई.. आह और चाटो जानू.. पति का एक हाथ मेरी चूचियों पर आ गया था, उन्होंने हल्के हाथ से सहलाते हुए चूत चाटने में मजा दुगना हो गया.. ‘उफ्फ्फ..’ मेरे मुँह से ‘सी..ई..ई.. ई.ई…’ की आवाज तेज होती जा रही थी।
तभी पति ने कहा- एक बात पूछूँ जानू? मैं बोली- इजाजत की क्या बात है.. पूछो न.. बोले- जानू.. ना तो तुम्हारी चूत पर पैन्टी थी.. और ना ही तुम्हारी चूचियों पर ब्रा.. क्या बात है मेरी जान? मैं बहाना कर बोली- पहनी ही नहीं थी जानू.. क्या तुम कुछ शक कर रहे हो? पति बोले- नहीं यार.. ऐसे ही मजाक कर रहा था।
इतना कहते हुए उन्होंने मेरी चूत को जीभ से चाटना शुरू कर दिया और फिर चूमते हुए ऊपर नाभि से होते हुए मेरे दोनों स्तनों को बारी-बारी से चूसते हुए मेरे स्तनों को इस तरह मसलना और चूसना शुरू किया कि मैं चुदने के लिए मचल उठी, मैं एक हाथ बढ़ा कर उनका लण्ड पकड़ कर आगे-पीछे करने लगी। तभी पति ने चूत के दाने को उंगली से दबाया- ओह्ह्ह्ह.. माँ.. सि..सि..सि.. हूऊ..
मेरे मुँह से यही आवाज़ निकल रही थी.. मेरी चूत से पानी निकल कर रिसने लगा.. मेरी कमर ऊपर-नीचे होने लगी, मेरी चूत के दाने को पति हल्के से रगड़ने लगे और मैं बेक़रार होने लगी.. फिर पति ने मेरी चूचियों को छोड़ कर मेरे पैरों को फैलाकर अपने लंड का सुपारा चूत के ऊपर रखा और मेरी चूत पर रगड़ने लगे.. मैं कमर उठाने लगी..- अब.. मत तड़पाओ.. मैं जल रही हूँ.. आह्ह्ह्ह.. मैं कमर ऊपर करने लगी.. चूत के छेद को लंड से लगाने लगी।
पति देव ने मेरी पनियाई हुई चूत के पानी से भीगा सुपारा और लंड को मेरी गुलाबी चूत पर लगाया और एक धक्का मार दिया। ‘आह्ह..’
और पूरा लंड एक ही धक्के में चूत में समा गया। मैं सिसियाते हुए बोली- आह.. सी.. चोदो मेरे राजा मेरे प्राणनाथ.. मजा आ गया अई.. माँ ओह..सीसीईई.. आहह..
मेरी मुँह से ऐसे शब्द सुन कर पति ने जोरदार तरीके से चुदाई शुरू कर दी। मेरी चूत से ‘फच.. फच… फच..’ की आवाज़ आने लगी। पति अपना पूरा लंड बाहर खींचते और एक जोरदार धक्का देकर अन्दर पेल देते। आज वे बहुत ही जबरदस्त तरीके से चोद रहे थे.. मुझे भी मज़ा आ रहा था.. इतनी जबरदस्त चुदाई हो रही थी.. जैसे पति बहुत प्यासे हों। वैसे भी रोज चूत मारने वाला आदमी आज चार दिनों बाद बुर पेल रहा था। पति की चुदाई का मुझे भी मज़ा आ रहा था.. इतने में पति ने मुझे कसके पकड़ा और कहा- नेहा.. मैं झड़ने वाला हूँ..
इतना कहते हुए उन्होंने दस-पंद्रह धक्के तेज-तेज लगा कर मेरी चूत में वीर्य की एक तेज धार छोड़ दी। झड़ने के साथ ही मेरे मम्मों पर अपना सर रख कर हाँफने लगे। मैंने भी पति के लौड़े के गरम-गरम वीर्य को अपनी चूत में महसूस किया और मैं भी पति साथ एक बार और झड़ गई।
आज दिन में मेरी तीन बार चुदाई हुई। अभी एक बार रात में फिर एक अंजान और गैर मर्द की बाँहों में जाना बाकी था।
कहानी जारी रहेगी। मेरे मित्रो, आप सबके ढेर सारे मेल मिल रहे हैं.. मैं बहुत खुश हूँ… पर हर मेल का जबाब नहीं दे पा रही हूँ.. इसके लिए क्षमा करना। आपकी नेहा.. [email protected]
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