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मुझमें हमेशा से एक दिली इच्छा थी कि गाँव की खूब लंबी चौड़ी और मजबूत बदन की औरत को गचगचा कर चोदा जाए लेकिन दिल की इच्छा कभी बाहर नहीं आ सकी क्योंकि मैं बचपन में दुबला पतला और कद में कम था। एक दो से इच्छा भी जाहिर की तो बोली कि तुम हमारी भूख नहीं मिटा पाओगे जबकि मैं कई को चोद चुका था। तब से, उम्र के 38 बसंत देखने तक मेरा यह सपना पूरा न हो सका।
अब कई साल बहुत अच्छी नौकरी और देश-विदेश की सैर करने के बाद दो सालों से मैंने अपना बिजनेस शुरू कर दिया है, और अब भाग-दौड़ भी कम हो गई है तो ऐश कर रहा हूँ ज़िंदगी की, जिम में जाना, व्यापार में ध्यान और ज़िंदगी के मजे… बस यही काम रह गया था मेरे पास। मेरा शरीर भी अब बहुत अच्छा बन गया था और 5’8″ की लंबाई भी थी।
एक बार बिजनेस के सिलसिले में मुझे आगरा जाना था, ट्रेन के बजाए मैंने कार से जाने का प्रोग्राम बनाया ताकि इधर-उधर जाने के लिए दूसरे शहर में किसी कि गाड़ी न माँगनी पड़े। रास्ते में एक जगह नाश्ते के लिए ढाबे पर रुक कर नाश्ता किया।
तभी मेरी नजर पड़ी कि एक महिला बस के पीछे भागने के चक्कर में मेरी टेबल के पास आकर, शायद कुर्सी से टकरा कर गिरने वाली थी कि अचानक मेरी नजर पड़ी और मैंने उसे सहारा देकर कुर्सी पर बैठाया और पीने के लिए पानी दिया। इस हड़बड़ी की वजह पूछने पर पता चला कि जिस बस के पीछे वह भाग रही थी उससे वह आगरा जा रही थी किसी मीटिंग में। एक जानने वाली महिला भी उसी बस में हैं और उन्हीं के सहारे उनका बैग भी बस में ही रखा है, अब उसे अगली बस या टैक्सी का इंतजार करना पड़ेगा।
अब मैंने जब उस महिला को ध्यान से देखा तो सचमुच वह न केवल बेहद खूबसूरत थी बल्कि करीब-करीब 6 फुट से भी निकलती हुई लंबी और उसी अनुपात में उसकी शारीरिक बनावट थी, वेश-भूषा और बातचीत से भी किसी अच्छे घर की ही महिला लग रही थी। उम्र यही कोई 45-47 के आसपास होगी पर 35 से ज्यादा की नहीं लग रही थी। उसकी आगरा जाने की बात सुन कर मेरा दिल मचलने लगा कि काश इसको चोदने का मौका मिल जाए। खैर मैंने उसको बताया कि मैं आगरा जा रहा हूँ और अगर उसको ठीक लगे तो वो मेरे साथ कार में चल सकती है। और कुछ तकल्लुफ दिखते हुए उसने हाँ कर दी। मैंने नाश्ते के बाद अपने और उसके लिए चाय मंगवाई और चाय पीकर हमने अपनी यात्रा शुरू करी।
अब तक उसने अपनी मित्र को मोबाइल से बता दिया था कि वह कोन्फ्रेंस अटेण्ड नहीं कर पाएगी क्योंकि बस उसको लिए बिना ही चली गई लेकिन वह अगली गाड़ी मिलने पर वहाँ पहुँच कर उससे मिलेगी।
इसी दौरान मैंने उससे पूछा कि अगर उसे एतराज न हो तो मैं सिगरेट सुलगा लूँ जिस पर उसने कहा कि वो खुद भी सिगरेट पीती है पर उसका पैकेट बस में ही रखा है। मैंने उसे अपना ब्राण्ड आफर किया और दोनों सिग्रेट के कश लेने लगे और धीरे-धीरे बेतकल्लुफ़ होने लगे।
शायद हम दोनों में कुछ ऐसा था कि अगले एक घंटे में ही हम लोग एक दूसरे के अत्यधिक इंटीमेट बन गए और एक दूसरे की सेक्स लाइफ, परिवार आदि हर बात से वाकिफ हो गए। उसका हसबैंड शेयर के बिजनेस में था, 2 लड़के विदेश में पढ़ते थे। वो एनजीओ में प्रोजेक्ट हेड की हैसियत से कम करती है।
अब तक हम दोनों ने 2 सिगरेट अलग-अलग और एक सिगरेट आपस में शेयर कर के पी और इसी बहाने, उसकी सिगरेट पर लगी, टेस्टी-खुशबूदार लिपस्टिक का भी स्वाद चख लिया और हंसी-हंसी में मैंने उसको बता भी दिया कि मैंने उसकी लिपस्टिक का स्वाद भी ले लिया है। इस बात पर वह खूब हंसी और मेरी जांघ पर लन्ड को लगभग टच करते हुए हाथ मार कर बोली कि अगर इस बात से मुझे खुशी मिलती है तो मुझे जो भी स्वाद लेना हो, मैं ले सकता हूँ उसे कोई परेशानी नहीं होगी।
और फिर हमने एक साथ रुकने का प्रोग्राम बना लिया और एक मित्र के 2 बेडरूम के अपार्टमेंट में रुकने/खाने-पीने की व्यवस्था करवा के वहीं चले गए रुकने के लिए। यह अपार्टमेंट, 19वीं फ्लोर पर, हम कुछ मित्रों का चुदाई का ही अड्डा था पूरी प्राइवेसी के साथ, तो कोई किसी तरह के संकोच या किसी के आने जाने का भी खतरा नहीं था।
मेरे मित्र ने 2 लोगों के खाने और पीने के सामान की व्यवस्था करवा कर भिजवा दिया। चाय-नाश्ते का सामान, पावडर का दूध आदि सब किचन में मौजूद था, किसी भी अन्य चीज की आवश्यकता नहीं थी। बेडरूम में 3-4 गाउन, तौलिये आदि, मतलब हर तरह से यह अपार्टमेंट एसम्पूर्ण था जो कि मैंने मेरी नई मित्र एमिली को दिखलाया। उसने भी अपार्टमेंट और उसके मालिक के शौकीन मिजाज की बहुत तारीफ की।
हमने मास्टर बेडरूम में सोने का प्लान करके वहाँ का एसी चला दिया और बाथटब में भी पानी खोल दिया ताकि वह भी भर जाए। जब तक वह सिगरेट के कश में मशगूल रही, मैं काफी बना कर ले आया और हमने फिर बातों का सिलसिला काफी के साथ शुरू कर दिया।
तभी उसकी महिला मित्र तुहिना, जो कि कोन्फ्रेंस में थी, का फोन आया और उसने एमिली की पहुँचने और रुकने की व्यवस्था तथा सामान के बारे में पूछा। एमिली ने उससे पूछा कि वह कहाँ रुक रही है और कान्फ्रेंस वालों की तरफ से क्या अरेंजमेंट हुआ है तो पता चला की उनकी तरफ से, लंच के अलावा, कुछ भी अरेंजमेंट नहीं है क्योंकि 4 बजे तक सब खत्म हो जाएगा।
तब तक एमिली ने फोन काट कर मुझसे पूछा कि तुहिना को वह यहाँ बुला सकती है क्या? मेरे यह कहने पर कि अगर उसके आने से हमारे प्यार-मुहब्बत में कोई फर्क न पड़ना हो तो वह बुला सकती है या हम उसको यहाँ ला सकते हैं, उसने तुहिना से कहा कि वह उसके साथ ही जहाँ एमिली रूकेगी, ठहर सकती है। पर अभी किसी को अपना प्रोग्राम न डिस्कलोज करे और हम कुछ देर में उसे लेने पहुँच रहे हैं।
कुछ ही देर में हमारे लिए भी लंच-ड्रिंक्स आदि आ गया और हम तुहिना को लेने के लिए पहुँच गए। रास्ते में एमिली ने बताया की वह और तुहिना एक अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ से जुड़े हुए हैं और उसी के सिलसिले में अक्सर यहाँ वहाँ आते जाते रहते हैं। वह 4 साल पहले तुहिना से, जोकि अपने पति से अलग रहती है, मिली थी और तुहिना करीब 6 साल उससे छोटी हैं पर बहुत ही सेक्सी लेडी है और दोनों में बहनों जैसा व्यवहार है, कोई जलन या दुर्भावना की उनके बीच कोई जगह नहीं है, इसीलिए उसे अपने साथ रुकने के लिए पूछा था।
मुझे लगा कि अब शायद 2 चूतों का आनन्द नसीब में है। वह भी मेरे चेहरे के भावों को पढ़/समझ रही थी इसीलिए मुस्कुरा रही थी।बहरहाल कुछ ही देर में हम उसको और दोनों के सामान को लेकर अपार्टमेंट में आ गए।
तुहिना एमिली के मुक़ाबले में गोरी तो बहुत नहीं थी पर उसमे अजीब सी कशिश थी और बहुत हिफाजत से रखे गए सेक्सी शरीर की मालिका तुहिना बहुत ही हंसमुख होशियार और हाजिर जवाब महिला थी और हम जल्द ही घुल-मिल गए।
तुहिना ने भी अपार्टमेंट का मुआइना किया और बोली- अगर हम तीनों ही मास्टर बेडरूम में रहें तो किसी को कोई आपत्ति या शिकायत है क्या? मैं तो यह चाह ही रहा था तो मैंने फौरन सभी को चेंज करने के लिए गाउन दिए ताकि इजी फ़ील कर सकें। तुहिना बोली- पहले दारू पिलाओ ताकि दारू ही हमको इजी कर सके, फिर चेंज करेंगे। और इतना कह कर उसने भी सिगरेट सुलगा ली और धुआँ मेरे मुख पर छोड़ते हुए मुझे बाहों में भर लिया और पूछा कि मैं क्यों झिझक रहा हूँ? और मुझे उसने किस कर लिया।
तब तक एमिली ने टेबल पर दारू और नाश्ता लगा दिया और हमको आवाज दी कि अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, बस जल्दी से आ जाओ। तो तुहिना ने पूछा कि कपड़े उतार कर आए या पहने पहने चली आए। इस पर एमिली ने आकर उसके सभी कपड़े उतार दिए और नंगी कर दिया तो उसने मेरे बारे में पूछा कि यह क्या गान्ड से पैदा हुआ है जो कपड़े पहने रहेगा? नंगा करो इस भोसड़ी वाले को !
और फिर एमिली ने मेरे और अपने भी कपड़े उतार दिए और हम सभी नंगे नंगे डाइनिंग टेबल के पास गए। मैंने अपना ग्लास उठा कर तुहिना की चूची उसमें डुबो कर चूची को चूसा और फिर उसको टेबल पर बैठा कर गिलास से शराब उसकी बुर पर डालते हुए शराब का सिप लिया। तुहिना को मिलने वाले मजे को देख कर एमिली ने कहा कि हम तीनों ही इस तरह से आज दारू पिएंगे और खूब गंदी गंदी बातें करेंगे। लेकिन पहले कुछ नाश्ता हो जाए।
अब हम दारू और सिगरेट लेकर पलंग पर पहुंचे और एक घेरे में लगभग 69 की पोजीशन में हम लेट गए यानि मेरे लंड़ पर एमिली का मुँह, तुहिना की चूत पर मेरा मुँह और तुहिना का मुँह एमिली की चूत पर और इस तरह से हम बुर और लंड दारू के स्वाद के साथ चूस-चूस कर मजे ले रहे थे और सेक्साइट हो रहे थे।
तुहिना एमिली की बुर को गिलास की दारू से भिगोती थी और जीभ से चाटती थी, एमिली गिलास में मेरे लन्ड को डाल कर चूस रही थी और मैं धीरे धीरे धार बना कर तुहिना की बुर पर इस तरह से डाल रहा था कि हर बूंद सीधे मेरी जीभ पर गिरे और फिर मैं उसकी बुर को चाटूँ। लगभग आधा पेग दारू इस तरह से बूंद बूंद मुंह में जाने और जीभ से चाटने के बाद मेरे लंड में और उनकी बुर में सुरसुराहट पता चल रही थी।
मेरे मुँह से तुहिना की चूत, ज़ोर ज़ोर से चाटने की वजह से, लप्प लप्प लप्प लप्प की आवाज निकलने लगी और एमिली, जिसकी चूत तुहिना हुमक हुमक कर चूसे जा रही थी उसके मुंह से भी हाय हाय हाय.. आआआह्ह्ह… की आवाज़ निकल रही थी। लगता था एमिली की चूत से बेतहाशा रस बहने लगा हो। उधर एमिली के, बहुत देर से, गप्प गप्प मेरा लंड चूसने की वजह, उत्तेजना से, लौड़ा उबल कर एक ज़ोर के धक्के से एमिली के मुँह में ही छलक पड़ा।
सभी का अपना अपना बहुत सारा पानी निकल चुका था और दारू का भी नशा हो रहा था तो सबने मिलकर बाथ-टब में एक दूसरे को अच्छी तरह से खूब मल-मल कर नहलाया और फिर नंगे-नंगे ही खाने पर टूट पड़े।
एमिली तो खाने के बाद सो गई लेकिन मैं और तुहिना एक-दूसरे की बाहों में लेटे हुए बहुत देर तक बातें करते रहे। तुहिना बंगाली थी, परिवार में माँ, 2 भाई, 3 बहनें, सभी शादीशुदा और अलग अलग शहरों में रहते थे, वो सबसे छोटी थी, घर वालों की पसंद से शादी हुई पर आदमी नामर्द था तो एक महीने के अंदर ही उसको छोड़ कर वो माँ के पास आ गई। मेकेनिकल इंजीनियर थी तो काम की कमी नहीं थी, शानदार नौकरी, सभी एशो-आराम थे कभी कभी माँ भी रहने आ जाती थी। एक मामा का लड़का, भाई था, जिससे वह बचपन से खुली हुई थी और वो उसको चोदता भी था।
कुछ साल पहले एक मीटिंग में एमिली से मुलाक़ात हुई और अब वो और एमिली मिल कर एंजॉय करते हैं। उसने एक अलसेशियन पाल रखा है, जोकि आदमी की तरह सिक्योरिटी और चुदाई दोनों ही काम करता है और ज़िंदगी मजे में चल रही है। कुछ अकेलापन जरूर है पर अभी तक ऐसा कोई मिला नहीं जिसको वह पसंद कर सके।
मैं इस बीच उसकी बहुत सुंदर सी आँखों को चूमता रहा और उसके होंठों का भी रस लेता रहा और वो भी बराबर मेरे लन्ड से खेलती रही और फिर अचानक बोली- अब तो चोद दे मादरचोद मेरे राजा, घंटे भर से चूत में सुरसुरी कर रहा है। और यह कह कर उसने गप्प से मेरा लंड़ अपने मुँह में ले लिया और मुझसे अपनी गान्ड चाटने के लिए कहा, बोली उसने गान्ड मरवाई तो नहीं है पर अपने अलसेशियन से खूब जीभ से चुसवाती है और उसे बहुत अच्छा भी लगता है।
मुझे तुहिना की झांटों से भरी चूत और गान्ड पर भी बाल बहुत अच्छे लगे। पता नहीं क्यों, पर मुझे, औरतों की झंटीली चूत बहुत अच्छी लगती है क्योंकि उनकी बुर से झांटों के बीच से बहता हुआ पानी पीना मुझे बहुत अच्छा लगता है।
तुहिना की बातों से पता चला कि वह घर में सबसे छोटी और लाड़ली होने की वजह से बचपन से ही बहुत शैतान पर पढ़ने में बहुत अच्छी लड़की थी। किसी को यह अंदाज ही नहीं हुआ कि उसने पहली बार कम उम्र में ही अपने मामा के लड़के का लन्ड चूसना शुरू कर दिया था और उसी ने पहली बार गान्ड में भी खूब उंगली की थी क्योंकि उसे मालूम नहीं था कि कहाँ क्या किया जाता है। बाद में तुहिना की किसी सहेली ने बताया की चूत क्या होती है और कैसे चुदा जाता है। तुहिना कुल मिला कर एक खुश मिजाज, शैतान बच्चे की तरह बिहेव कर रही थी और एंजॉय कर रही थी।
मैंने उसके मुंह से अपना लंड निकाल कर फ्रिज में से चाकलेट निकाला और उसकी चूत पर, चूचियों पर और गान्ड पर खूब मला और उसके बाद अपने लन्ड को और एमिली की भी चूत पर, चूचियों पर और गान्ड पर खूब चाकलेट चटा कर तुहिना को अपना लंड चूसने को कहा और मैंने उसकी गान्ड में अपनी जीभ लगाई। तुहिना तो जैसे सिहर सी गई मेरी जीभ की स्टाइल से, बोली ऐसा लग रहा है जैसे ये जीभ न होकर उसके अलसेशियन का पतला सा लंड हो। धीर धीरे मैंने बीच वाली उंगली उसकी गांड में डालनी शुरू करके अंदर-बाहर करने लगा। वह शायद दर्द से हाय हाय हाय.. आआह्ह्ह… हूँ… हूँ… हूँ.. आआह आआह… यार मज़ा आ रहा है… हाय हाय हाय… हाय हाय हाय… सी सी सी हाय हाय मम मम हाय… आआह्ह्ह आआह्ह्ह… बहनचोद कहते हुए अधमुंदी अँखियों से मुझे प्यार से देखते हुए तुहिना मुस्कराई, कहने लगी- मम्म मम्ह बहुत जलन हो रही है सीस्स… और दर्द भी हो रहा है पर आआह्ह्ह आआह्ह्ह …बड़ा मज़ा आ रहा है.. तेरी मंद मंद उँगलियों की चुदाई में… फटी जा रही है और यह कमीनी एमिली सो रही है… रुक तो जरा, मैं अपना मुंह इसकी चूचियों की तरफ करके इसकी चूचियों को खा जाऊँगी आज।
और ऐसा कह कर उसने अपनी पोजीशन चेंज कर ली अब उसका हाथ और मुंह एमिली की चूचियों की तरफ हो गया था, उसने एमिली के दोनों चूचे पकड़ कर मुझसे कहा- मार धक्का अपने लंड का और मेरी गान्ड फाड़ दे आज राजा!
मैंने थूक से उसकी गांड गीली करके लंड का टोपा उसकी गांड पर रख कर उसकी कमर को कस कर पकड़ कर बहुत ज़ोर से एक नहीं चार पांच ताक़तवर धक्के दिए और वह तड़प उठी, धक्का इतना तगड़ा था कि तुहिना का पूरा बदन झनझना गया, और वह ज़ोर से चिल्लाई हाआआं… हाआआं… हाआआं… कुत्ते… इसको अपनी अम्मा की गान्ड समझ हरामी… तकलीफ हो रही है… हाआआं… एक और धक्का दे ज़ोर का! कहते हुए उसने एमिली की चूचियों को कस के मसल दिया और उसे अपनी बाँहों में लपेट लिया, उछल उछल कर चुदाई करवाने लगी।
एमिली अचानक के इस हमले से तैयार नहीं थी और वो ज़ोर से चिल्लाई पर हमारा यह सीन देख कर और जब उसने देखा कि मैं तुहिना की गान्ड में घुसा हुआ हूँ तो बहुत आश्चर्य से उठ कर बैठ गई।
इधर मैं तुहिना की गांड में हल्के हल्के धक्के लगातार मारे जा रहा था- धक धका धक धक धक धक !!! उधर एमिली ने तुहिना के होंठों की ज़ोर से किस किया और अपनी चूत मेरी तरफ कर ली। मैं बदस्तूर धक धक धक धक धक धक उसकी गांड की चुदाई कर रहा था और एमिली ने अम्मा की तरह अपनी बिटिया, तुहिना को चिपका कर उसकी चूचियों को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और प्यार से थपकाने लगी।
मैंने अपने एक हाथ की उंगली गीली करके एमिली की गांण सहलाना शुरू कर दिया तो वो चिंहुक कर बोली- बस तुम तुहिना की ही गांड मारो, मुझे बख्शो !! मुझे चोद लेना पर गांड नहीं !
पर मैंने उंगली निकली नहीं, वहीं घुसी रहने दी और तुहिना के धक्के कभी तेज करते हुए तुहिना की गालियों और चीख़ों का मजा लेने लगा और कुछ देर में ही थक कर झड़ गया।
एमिली ने एक झटके में तुहिना को छोड़ कर, अपने मुंह में मेरा लंड ले लिया और मेरे झड़े हुए वीर्य के साथ ही उसको चूसने लगी और बोली कि मैं अपनी उँगली, जो उसकी गांड में थी, को धीरे धीरे अंदर-बाहर करूँ।
तुहिना झड़ी झड़ी थकी थकी बेहोश सी पड़ी थी और मेरा लंड एमिली चूस रही थी पर मुझमें अब ताकत नहीं थी तो मैंने एमिली से दारू लाने की रिक्वेस्ट की और 2-2 पेग दारू पीकर फिर एमिली की चुदाई के लिए तैयार हो गया। एमिली ने तो मेरे वीर्य से सने लंड को, दारू के गिलास में डाल-डाल कर, चूसा और तब तक तुहिना भी उठ गई और उसकी जिद और मदद से मैंने एमिली की भी गांड मार ही दी।
हम लोग अपने काम को, जिसकी वजह से आगरा आए थे, भूल कर सिर्फ प्यार करने, बढ़ाने में और एक दूसरे के अत्यधिक करीब आने में ही लगे रहे और 2 दिन और रुक कर फिर कार से ही साथ दिल्ली वापस आकर, फिर मिलने की प्यास लेकर अपने अपने घर चले।
दोस्तो, आपको मेरी यह प्रस्तुति कैसी लगी, जानने की मुझे उत्सुकता लगी रहेगी, अपने अच्छे या बुरे विचारों से मुझे अवश्य अवगत कराएं ताकि आपकी शिकायतों और सुझावों को मैं अपनी अगली प्रस्तुति में समाविष्ट कर के अपने को धन्य समझ सकूँ कि मुझे और अधिक पाठकों का प्यार मिल रहा है। [email protected]
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