This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मेरे कामुक दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा..
मैंने सिहरते हुए कहा- आह्ह.. ज़रा आराम से करो.. मेरी यह चूत आपको ही चोदने को मिलेगी। उसने मेरी साड़ी उतार दी और मैंने बस लाज से कांपते हुए अपना चेहरा हाथों से ढक लिया। वह मुझे गोदी में उठा कर बेड पर ले जाकर.. बिस्तर पर लिटा दिया। मेरा ब्लाउज और ब्रा निकाल दिए और मेरे चूचे चूसने लगे। मैं भी अब उनका पूरा साथ देने लगी थी।
दोस्तो, चुदास की आग लग चुकी थी। मेरे जिस्म में आज एक मस्त चुदाई की कामना घर कर चुकी थी.. बस मुझे यह देखना था कि अरुण मोदी का लवड़ा मुझे कितना संतुष्ट कर सकेगा। अब आगे..
मैंने भी हाथ बढ़ाया और उनके लण्ड को पैन्ट के ऊपर से सहलाते हुए, ज़ोर से दबा दिया। अरुण जी का लण्ड मेरे पति की ही तरह पूरा 7 इन्च लम्बा और 3 इन्च मोटा था।
अरूण ने मस्ती में बोला- जान रूको.. मैं भी कपड़े निकाल दूँ.. फिर तुम दिल खोल कर मेरे लण्ड से खेलना। अपने पूरे कपड़े उतार कर अरूण जी ने मुझे भी पूरी नंगी कर दिया और मेरे चूचों को चूसने लगे।
फिर उसने मेरी पैन्टी भी निकाल दी और मेरी पनियाई चूत में अपनी एक उंगली डाल अन्दर-बाहर करने लगे और मैं मस्ती से सीत्कारें कर उठी- ‘सीसीसीसीई.. उईसीई.. आहसी..’ करने लगी और मैं उठ कर उनके लण्ड को प्यार से सहलाते हुए लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी।
अरूण जी मेरी चूत में अपनी उंगली पेले जा रहे थे। इससे मैं और भी कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई। अरुण जी मेरे मुँह से लण्ड निकाल कर मुझे लिटाकर अपना मुँह मेरी चूत पर ले जाकर चाटने लगे, मेरी सिसकी ‘आह.. सीसी.. आह.. सीईईसी.. आहसी..’ निकल गई और मैंने अपनी टाँगें ऊपर उठा दीं.. जिससे वो मेरी चूत को अच्छी तरह से चाट कर मुझे जन्नत की सैर करा सके।
मैं जोर-जोर से मादक सिसकारियाँ ले रही थी, मैं बोली- राजा.. अब से यह चूत तुम्हारी है.. इसका जो भी और जैसे भी चोदकर कर मुझे मेरी जवानी को आज तृप्त कर दो.. अपने लण्ड का नशा मेरे रोम-रोम में भर दो.. आज इस दासी को अपने लण्ड का गुलाम बना लो.. आह्ह.. तुम मुझे जी भरकर चोदके.. मेरी मस्ती झाड़ दो। मेरी आज रात की आग को तुम ही बुझा सकते हो।
उसने अब अपनी जीभ को मेरी बुर के और अन्दर तक ढकेल दिया.. और जोर-जोर से चाटने लगे। अपनी जीभ मेरी चूत में और भी जल्दी-जल्दी और अन्दर-बाहर करते हुए मेरा पानी निकालने लगे और अब मैं जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी। मेरे मुँह से निकली सीत्कार पूरे कमरे में गूँज रही थी।
मैं बोली- अब मुझसे नहीं रहा जाता.. अब अपने लौड़े से मेरी खींच कर चुदाई करो.. मेरी चूत फाड़ दो.. लौड़ा मेरे अन्दर डाल कर मेरी प्यास बुझा दो.. आह.. मुझे शांत कर दो मेरे यार.. मेरी चूत के राजा..! आह्ह.. मुझे चोदो मेरे जिस्म.. मेरे शरीर के मालिक.. आज अपनी और मेरी प्यास बुझा दो.. आह्ह..!
अरुण मेरी चूत को चूमते हुए मेरी नाभि से होकर मेरे वक्षस्थल को मुँह में लेकर मेरे पनियाई हुई चूत के ठीक ऊपर अपने लौड़े को रख कर मेरी गरम चूत पर सुपारे को आगे-पीछे करने लगे। वो अपने लण्ड का सुपारा कभी चूत में और कभी मेरे रस से भीगी चूत पर रगड़ देते.. ऐसा करने से मेरी वासना और भड़क उठी।
तभी मैंने एकाएक अरुण जी की कमर पकड़ कर अपनी चूत के ऊपर से उठा कर.. उन्हें वापस अपनी तरफ खींचा.. एक ‘फक्क..’ की हल्की सी आवाज के साथ अरुण जी का हैवी लण्ड मेरी चूत में आधा घुस गया। मेरी तो जैसे चीख भरी ‘आह’ मुँह से निकल सी गई। मैं एक कामुक सिसकारी लेकर बोली- आहसीई.. मेरे जानू.. आआहह.. सीईईई सीआहह..
इतने में अरुण जी ने एकाएक पूरा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया और मेरी चूत उनका मस्त लण्ड खाने को उछल पड़ी। मैं चिल्लाई- आह्ह.. और जोर से पेलो.. मेरी बुर चोदो.. चूत फाड़ दो.. मेरी चूत के आशिक..! ज़ोर-ज़ोर से इसे अन्दर-बाहर करो.. बुझा दो प्यास मेरी.. आह्ह.. मजा आ गया.. ओह्ह..
उन्होंने अपना लण्ड तेज गति के साथ मेरी चूत में अन्दर-बाहर करते हुए एक ज़ोर से धक्का पेल दिया और उसका पूरा मोटा मस्ताना लण्ड.. मेरी चूत में जड़ तक घुसता चला गया।
मैं कराही- आह.. आह.. उउई.. ऊफफफ्फ़.. हमम्म्म.. आआ..! क्या मस्त मूसल लण्ड है आपका.. अब जब भी मैं चुदूँगी.. तब तब आपकी चुदाई याद आएगी.. आज ऐसा चोदो मुझे.. आह आह.. उउई.. ऊफफफ्फ़ सीईसीईई आह..
‘आह्ह.. मुझे भी रानी.. याद आएगी तेरी.. यह मस्त चूत.. आह्ह.. लगता है कि फाड़ डालूँ.. तेरी यह मस्त चूत..’ ‘आह्ह.. मेरे राजा.. यह चूत तुम्हारी ही है.. फाड़ दो इसे.. आअहह ऊऊऊऊओ आआहह.. ज़ोर से.. और ज़ोर से.. चोदो..’ उसने अपनी गति बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत की चुदाई करने लगा।
वो मेरे मम्मों को मुँह में लेकर चूसते हुए मेरी चुदाई कर रहे थे। मेरी मस्त चुदाई चालू थी.. वाकयी में अरुण मोदी एक मर्द थे। उनकी चुदाई से मुझे असीम आनन्द आ रहा था। काफी देर तक ताबड़तोड़ चुदाई करते हुए उसने मेरी चूत को अपने गाढ़े वीर्य से भर दिया।
मेरी भी चूत उनका गरम वीर्य पाकर मस्त हो गई और मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी.. ‘आह.. आह.. उउई.. ऊफफफ्फ़ सीई आह..’ मैं भी झड़ गई, मैंने झड़ते हुए कस कर अरुण जी को अपनी बाँहों में भींच लिया.. सिसक-सिसक कर हिचकोले लेते हुए जोरों से झड़ती रही.. जैसे नदी में कोई बाढ़ आ गई हो..
कुछ देर बाद मेरा जिस्म ढीला सा पड़ गया.. मेरा रोम-रोम दु:ख रहा था।
किसी तरह मैं उठी और बाथरूम में साफ होने के लिए चली गई। थोड़ी देर में अरूण मोदी जी भी बाथरूम गए और फ्रेश हो कर आकर मुझे वैसे ही बिना कपड़ों के अपनी गोद में लेकर मुझसे बातें करने लगे।
करीब आधे घण्टे बाद दोबारा से अरुण ने फिर से मुझे चूमना शुरू किया। एक बार फिर मस्ती में मेरी चूत फुदकने लगी। मैं अरूण जी के साथ चूत चुदाने का मजा ले चुकी थी। अब मेरा कुछ और ही इरादा था। मुझे ऐसा हो रहा था कि बस अरूण जी चोदें और मैं चुदूँ..। इस बार मैंने सीधे नीचे जाकर पहले उनका लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।
दस मिनट बाद में वो फिर से तैयार हो गए.. मेरी चुदाई करने के लिए। लेकिन इस बार मैं उल्टी लेट गई और उनके लण्ड पर गाण्ड के छेद को रगड़ने लगी।
मेरी इस क्रिया से अरुण जी को समझते देर नहीं लगी कि मैं क्या चाहती हूँ। शायद वो भी मेरी गाण्ड मारना चाह रहे थे। बस मेरी इजाजत की देर थी। उनका लौड़ा फिर से अपना कमाल दिखाने को आतुर हो उठा।
मेरी गाण्ड ने भी ‘फूल-पचक’ कर इजाजत दे दी। उनके लौड़े की रगड़ाई से मेरी चूत की आग गाण्ड में भी लग गई और मैं मस्ती के आलम में गाण्ड का दबाव लण्ड पर देने लगी। मेरे मुँह से ‘आह.. आह.. उउई.. ऊफफफ्फ़.. की आवाजें निकल रही थीं।
बस अरुण के लिए इतना इशारा काफी था। उसने अपना थूक निकाल कर गाण्ड पर और लौड़े पर लगा कर धीरे-धीरे लौड़ा गाण्ड में पेलने लगे। यह पहली बार था जब कोई थूक लगा कर मेरी गाण्ड मार रहा था। दोस्तों थूक लगा कर गाण्ड मरवाने का मजा ही कुछ और था। अरुण जी मेरी गाण्ड मारते जा रहे थे और मैं आँखें बन्द करके.. अपनी गाण्ड मरवाते हुए मजा ले रही थी।
वो मेरी गाण्ड से लौड़ा निकालते.. फिर एक ही झटके से पेल देते। उनकी इस क्रिया से मेरे मुँह से सिसकी निकलने लगी।
‘आआहह.. आहह.. आहहह.. उहस ससी.. ईईआ आहहह..’ की आवाज निकालते हुए मैं उचक-उचक कर अपनी गाण्ड मरवा रही थी। अरुण जी गाण्ड से लण्ड खींच कर बाहर करके दुबारा मेरी गाण्ड में डाल देते।
पूरी मस्ती में गाण्ड को मराते हुए सिसकारी लेकर मैं बोली- आहह राजा.. मारो मेरी गाण्ड.. हरी कर दो.. मार मार के.. मेरी गाण्ड को..
अरूण मेरे मुँह से ऐसे शब्द सुनते ही मेरी गाण्ड की रगड़ाई और अच्छी तरह करने लगे। तूफानी गति मेरी गाण्ड चोदते हुए मुझे गाली देने लगे- ले मादरचोदी चुद.. ले साली.. मेरे लौड़े की मार.. गाण्ड पर छिनाल.. साली बहनचोदी.. तेरी गाण्ड मार कर आज फाड़ ही दूँगा..। मैं भी गाली देती बोली- फाड़ दे बहनचोद.. मेरी गाण्ड मार.. मेरी गाण्ड मार भड़वे..
यह कहते हुए मैं कभी अन्त न होने वाली गाण्ड मराई के मजे लेते हुए मादक सिसकारी निकालने लगी ‘आआआह.. आहहह.. आहहह.. सससीईईई.. आआह सी.. मैं गई.. मेरी चूत गई..’
मैं यानि मेरी चूत झड़ने लगी.. झड़ते वक्त गाण्ड के फूलने-पचकने से अरुण भी खुद को रोक नहीं पाए और अपना वीर्य मेरी गाण्ड में छोड़ने लगे- ‘लो रानी.. मैं भी गया.. रानी.. वाह.. सीसीई.. आह्ह.. मजा आ गया.. आहह..सी।’ यह कहते हुए मुझे दबोच कर निढाल पड़ गए, कुछ देर बाद अपना लौड़ा मेरी गाण्ड से खींच कर उठ गए। मेरी गाण्ड से वीर्य की धार बह निकली।
यह कहानी काल्पनिक नहीं है। मैं अरूण जी के कहने पर उनकी और अपनी चुदाई की कहानी लिख रही हूँ। मुझे नई कहानी लिखने में देर हुई.. माफी चाहती हूँ। आगे भी अपने जीवन के ऊपर घटित घटनाओं की कहानी के अनछुए पहलुओं को अन्तर्वासना के माध्यम से प्रस्तुत करती रहूँगी। आज दिल खोल कर चुदूँगी के आगे जरूर लिखूँगी.. आपकी नेहा रानी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000