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अब तक आपने पढ़ा..
पायल फुल स्पीड से लौड़े को मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी। अब पुनीत के लौड़े की नसें फूलने लगी थीं.. वो झड़ने के करीब था.. तो उसने पायल के सर को कसके पकड़ लिया और स्पीड से लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा। पायल का दम घुटने लगा.. उसकी आँखें लाल हो गईं.. आँखों में आँसू आ गए। तभी पुनीत के लौड़े से पिचकारी उसके मुँह में गिरी.. उसने पुनीत को ज़ोर से धक्का दिया और लौड़ा मुँह से निकल गया। मगर तब तक पुनीत का रस पूरा उसके मुँह में आ गया था।
अब आगे..
पायल तेज़ी से उठी और बाथरूम की ओर भागी.. जल्दी से सारा लंड रस थूका और पानी से मुँह साफ किया। पुनीत- अरे क्या हुआ पायल.. तुम ठीक तो हो ना?
पायल थोड़ी गुस्से में बाथरूम से बाहर निकली.. उसकी आँखें लाल थीं। पायल- उफ़.. क्या भाई.. मेरी जान लेने का इरादा था क्या.. सांस ही नहीं ले पा रही थी.. और आप दनादन मेरे मुँह को चोदे जा रहे थे। पुनीत- ओह्ह.. सॉरी यार.. जोश में पता ही नहीं लगा.. वैसे तुम्हारा मुँह ही किसी टाइट चूत से कम नहीं था। अब मुँह ऐसा है.. तो तेरी चूत क्या कमाल की होगी.. उफ़फ्फ़ आज तो मैं सारी रात तेरे साथ मज़ा करूँगा। पायल- मज़े के लिए ही तो मैं तड़प रही हूँ.. अब जल्दी से मेरी चूत की आग मिटा दो भाई।
पुनीत- तू बिस्तर पर लेट जा.. देख कैसे मैं तेरे जिस्म को चाट कर मज़ा देता हूँ। पहले दरवाजा बन्द तो कर दूँ कहीं कोई आ गया.. तो गड़बड़ हो जाएगी..
पायल- ओह्ह.. शिट.. हम कब से मस्ती कर रहे हैं अगर कोई आ जाता तो.. जल्दी बन्द करो भाई.. और प्लीज़ जल्दी कुछ करो.. मेरी आग बढ़ती ही जा रही है।
पायल बिस्तर पर सीधी लेट गई और पुनीत दरवाजा बन्द करके उसके ऊपर कुत्ते की तरह टूट पड़ा, उसकी मदमस्त चूचियां दबाने लगा.. निप्पलों को चूसने लगा। पायल- सस्स भाई.. आह.. अब मैं आपकी ही हूँ.. ये सब बाद में कर लेना.. आह.. पहले मेरी चूत को चाटो.. आह.. बहुत दर्द हो रहा है.. तड़प रही है ये.. आह.. उईईइ आह.. प्लीज़ भाई..
पायल की बेकरारी देख कर पुनीत उसकी टाँगों के दरमियान लेट गया और जब उसकी नज़रें पायल की बन्द चूत पर गई उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। अब तक उसके मन में शक था कि कहीं पायल पहले से चुदी हुई तो नहीं है.. मगर अब उसको यकीन हो गया कि इसकी तो फाँकें बहुत टाइट चिपकी हुई हैं। बस इसी ख़ुशी में वो चूत को होंठों में दबा कर चूसने लगा।
पायल तड़फती और सिसकती रही और पुनीत मज़े से उसकी चूत को चाट-चाट कर मज़ा लेता रहा। अपनी जीभ की नोक से वो पायल की चूत के छोटे से सुराख को चोदने लगा।
पायल- आह..कककक.. भाई.. आह.. मज़ा आ रहा है.. उफ़फ्फ़ नहीं आआई.. ज़ोर से चाटो.. आह.. भाई उफ़फ्फ़.. मैं गई.. आह.. न्न्न..नहीं आह.. भाई आईईईई..इ पायल का बाँध टूट गया, वो कमर हिला-हिला कर झड़ने लगी और पुनीत ऐसे चूत रस को चाटने लगा कि एक बूँद भी नीचे ना गिर जाए।
दो मिनट तक पुनीत अच्छे से चूत को चाट कर साफ करता रहा। अब पायल शान्त हो कर लेट गई थी। पुनीत अब उसके बगल में आकर लेट गया और दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे। पुनीत- मज़ा आ गया पायल, सच्ची तेरा रस तो बहुत टेस्टी था।
पायल- सच्ची.. मुझे तो आपके रस से उल्टी सी आई.. तभी तो भाग कर गई थी थूकने.. वैसे भाई आपने मज़ा बहुत दिया.. कैसे चूसते हो आप.. मज़ा आ गया मुझे तो.. उफ़.. मुझे तो अब जाकर सुकून मिला है।
पुनीत- तू इतनी सेक्सी होगी.. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.. तेरे ये मम्मे कैसे नुकीले हैं और कितने कड़क भी हैं.. आज तो इनको खा ही जाऊँगा मैं..
पायल- भाई सच बताऊँ.. कल रात को आपके लंड को टच किया.. तो बस एक करंट सा लगा था.. मैंने तभी सोच लिया था.. कि अब तो कुछ भी हो जाए.. इसको देखना ही है.. इसका मज़ा लेना ही है और देखो आज ये मेरी मुठ्ठी में है.. ओह्ह.. क्या लुत्फ़ आ रहा है..
पुनीत का हाथ पायल के मम्मों को सहलाने में बिज़ी था.. तो वहीं पायल उसके लंड को हाथ से दबा कर मज़ा ले रही थी। पुनीत- क्या कल रात को तुमने ‘मेरा’ पकड़ा था.. मगर मुझे तो पता भी नहीं चला।
पायल ने रात की सारी बात उसको बताई और सुबह उसका रस देख कर वो वहाँ से गई। यह जान कर पुनीत थोड़ा शरमिंदा हुआ.. मगर पायल की रात की हरकत के बाद वो तो होना ही था। यह सोच कर वो नॉर्मल हो गया।
पुनीत- चुसाई में तो मज़ा आ गया.. अब आगे भी करना है या बस? पायल- जब इतना सब हो ही गया.. तो चुदाई तक करते हैं ना.. और वैसे भी इस चुसाई से ना आप संतुष्ट हुए.. ना ही मैं.. तो क्यों ना आज आप मेरी सील तोड़ कर मुझे लड़की से औरत बना दो.. और चुदने का लाइसेन्स दे दो हा हा हा..
पुनीत- बहुत बदमाश हो गई है तू.. ऐसे मानेगी नहीं.. मगर क्या तुझे पता है.. सील ऐसे ही नहीं टूटेगी.. बहुत दर्द होगा तू सह पाएगी? पायल- आज नहीं तो कल.. मेरी चूत की चुदाई तो होगी ही.. तो अब इस खेल का पूरा मज़ा लेकर ही रहूँगी.. दर्द चाहे कितना भी हो जाए.. आप बस आज मेरी सील तोड़ ही दो।
पुनीत- यार एक बात तो बता.. तू पहले तो ऐसी नहीं थी.. अब ऐसा क्या हो गया.. जो इतनी बिंदास हो गई? पायल- पता नहीं भाई.. ये सब कल रात ही मेरे दिमाग़ में आया और मैंने आपके लंड को पकड़ा और बस आज आपके सामने हूँ… मगर जो भी हुआ अच्छा हुआ। किसी और से करने से अच्छा है कि आप ही मुझे मज़े दो ताकि घर की बात घर में रहे।
पुनीत- अच्छा ये बात है.. इसका मतलब तुम मुझे बहनचोद बना कर ही दम लोगी? तो ठीक है आज तुम्हें छोड़ कर ऐसा मज़ा दूँगा कि बस तुम रोज मेरे पास आ जाओगी.. पायल- अच्छा.. ये बात है.. तो ठीक है आ जाओ.. दिखा दो अपनी पॉवर.. पुनीत- बस थोड़ा सा वेट करो.. मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. उसके बाद अपना चुदाई का प्रोग्राम शुरू करेंगे ताकि बीच में कोई रुकावट ना आए.. पायल- ओके भाई.. जैसा आप चाहो जाओ और जल्दी आ जाना..
पुनीत बाथरूम चला गया और पायल वहीं लेटी हुई आने वाले पल को सोच कर मुस्कुराने लगी।
दोस्तो, यहाँ प्रोग्राम शुरू होने में थोड़ा टाइम लगेगा। तब तक हम लोग गाँव की सैर कर आते हैं।
अर्जुन को दोबारा मौका ही नहीं मिला कि वो मुनिया के साथ कुछ कर सके.. क्योंकि मुनिया को अचानक तेज बुखार हो गया था.. इसलिए अब अर्जुन अपनी प्यास मिटाने निधि के घर की तरफ़ चला गया। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था.. जब वो छुपते-छुपाते निधि के घर के पास गया.. तो अन्दर से रोने की आवाज़ सुनकर वो घबरा गया कि आख़िर अचानक यह क्या हो गया है।
अर्जुन जल्दी से दरवाजे के पास गया और आवाज़ लगाई- क्या हो गया.. ऐसे सब रो क्यों रहे हो? निधि ने जल्दी से दरवाजा खोला। अर्जुन- अरे क्या हुआ..? मैं यहाँ से जा रहा था.. तो रोने की आवाज़ सुनकर रुक गया। कोई बताएगा मुझे.. यहाँ हुआ क्या है? निधि- अर्जुन उउउ उउउहह.. मेरे भैया उउउ.. देखो ना उउ…
घर में सभी रो रहे थे.. मगर कोई ठीक से नहीं बता रहा था। अर्जुन समझ गया कि हो ना हो निधि के भाई ने कुछ किया है.. मगर ऐसा क्या किया जो सब ऐसे रो रहे हैं। अर्जुन- ओह्ह.. कोई ठीक से बताएगा?
अर्जुन के सवालों का जबाव निधि के बापू ने दिया कि ज़्यादा शराब पीने से उसके बेटे का लीवर ख़त्म हो गया है.. आज शाम से बहुत हालत खराब है.. गाँव के डॉक्टर ने जबाव दे दिया और ये भी कहा कि कल सुबह तक शहर ले जाओगे तो ये बच जाएगा.. नहीं तो ये मर जाएगा। अब जैसा भी है आख़िर है तो मेरा बेटा ही.. अब क्या करें.. कैसे इसको शहर लेकर जाएं.. घर में कौन रहेगा.. कुछ समझ नहीं आ रहा..
अर्जुन ने समझाया- अरे चाचा.. मैं किस दिन काम आऊँगा.. मैं लेकर जाऊँगा इसको..
बस फिर क्या था आनन-फानन में अर्जुन ने भाभी को साथ चलने का कह दिया कि वहाँ वो अकेला कैसे सब संभाल पाएगा और निधि ने भी ज़िद की.. कि वो भी साथ जाएगी.. तो बस फैसला हो गया। अर्जुन रातों-रात जाने का बंदोबस्त करने चला गया।
अब यहाँ का ट्विस्ट कल समझ आ जाएगा। इनको शहर आने दो.. सब खेल समझ जाओगे। चलो पुनीत को देख आते हैं वो अब तक आ गया होगा।
पुनीत जब बाहर आया तो पायल को देख कर हैरान हो गया। वो सब देख कर उसकी आँखें फट गईं.. बदन में अजीब सी हलचल शुरू हो गई और उसका लौड़ा धीरे-धीरे अकड़ना शुरू हो गया।
दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी ईमेल लिख कर मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है। कहानी जारी है। [email protected]
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