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भाभी की चुदाई की इस कहानी के पिछले भाग भाभी की जमकर चूत और गाण्ड मारी-1 में आपने अब तक आपने पढ़ा.. मैंने भाभी से कहा- आप बहुत ही सुंदर और बहुत ही अच्छे जिस्म की मालकिन हो। भाभी बोलीं- पता है मुझे.. मैंने कहा- भाभी मैं आपसे एक बात बोलना चाहता हूँ.. गुस्सा तो नहीं करोगी? भाभी ने ‘ना’ में सर हिलाया। मैंने भाभी से बोला- जबसे आप इस घर में आई हो.. मैं आपकी इस खूबसूरती पर फ़िदा हो गया हूँ.. ख़ास कर जब आप अपनी कमर मटका कर चलती हो.. भाभी मुस्कुराते हुए बोलीं- क्या..? कमर की बात कर रहे हो या.. अब आगे..
मैंने खुल कर बोलते हुए कहा- हाँ.. भाभी.. आपकी गाण्ड बहुत ही मज़ेदार लगती है और मैंने इसके सामने देख-देख कर कम से कम 12 या 15 बार मुठ्ठ भी मार ली है। भाभी ने हँसते हुए बोला- ओह्ह.. तुम तो बहुत बड़े छुपे रुस्तम निकले। मुझे थोड़ी हँसी आ गई।
भाभी ने आशा भरी आवाज में पूछा- फिर तुम मेरे साथ क्या करना चाहते हो? मैंने कहा- सेक्स.. वो पहले तो नाटक कर रही थीं कि किसी को पता चल जाएगा.. तो क्या होगा.. वगैरह वगैरह.. मैंने कहा- भरोसा रखो भाभी.. कुछ नहीं होगा। भाभी मान गईं..
उस वक्त मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। मैं उसे छुपा रहा था। मैंने भाभी से कहा- कल घर पर कोई नहीं रहेगा.. तो कल आप रेडी रहना। वो मान गईं और बिना कुछ कहे वहाँ से चली गईं..
मैंने भाभी को आवाज़ दी- भाभी कल आप जरा कहर ढहाने वाली साड़ी पहनना और जरा टाइट बंधी होनी चाहिए.. वो पलट कर मुस्कुराईं और वहाँ से चली गईं।
मैं उस रात बस अगले दिन का ही इन्तजार करता रहा था। इसी इन्तजार में सोचते विचारते.. अपने लौड़े को सहलाते हुए मेरी आँख लग गई और मैं सो गया और ऐसा सोया कि फिर सुबह ही आँख खुली।
मेरे कुछ देर उठने के बाद ही भाभी चाय लेकर आईं और स्टूल पर चाय रख दी और बोलीं- रेडी रहना.. मैं साड़ी पहनने वाली हूँ। इतना कहकर भाभी वहाँ से चली गई।
मैं चाय पीने के बाद फ्रेश हो कर तैयार हो गया और सबके जाने का इन्तजार करने लगा।
करीबन 10 बजे सब लोग चले गए.. जैसे ही में सारे दरवाज़े खिड़कियाँ बंद करके वापस आया तो मेरी नज़र भाभी पर पड़ी.. तो देखा भाभी ने काले रंग की साड़ी पहन रखी थी.. वो भी नाभि के नीचे तक और आधी बाँह का ब्लाउज पहन रखा था और पीछे से पूरा गला खुला हुआ था। यारों क्या बताऊँ.. वो एकदम आइटम लग रही थीं.. भाभी ने मुझे देखा और पलट कर अपने कमरे में चली गईं।
जब वो जाने के लिए पलटीं तो मुझे उनकी उठी गाण्ड साफ-साफ दिख रही थी। मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ और मैं भाभी के कमरे में चला गया और कमरे के दरवाजे को अन्दर से बन्द कर दिया। भाभी मुझे देख कर हँसीं और कहा- आ जाओ..
मैं गया और उन्हें अपनी बाँहों में जकड़ लिया, फिर जोरों से होंठों पर चुम्बन करना चालू कर दिया, वो भी बड़ी गर्मजोशी से मेरा साथ दे रही थीं मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और कुत्ते की तरह हर जगह उनको चुम्बन करने लगा.. उनकी नाभि पर.. उनके पेट पर.. उनके हाथ पर.. मतलब हर जगह बेताबी से उन्हें चुम्बन करने लगा।
भाभी के मुँह से ‘आह्ह.. आह्ह.. अ आह्ह.. आह्ह.. उम्माह्ह.. म्म्म्म्मू… ऊऊऊऊ उफ्फ्फ..’ की आवाजें आने लगीं।
फिर मैंने भाभी को थोड़ा छोड़ा और अपने सारे कपड़े अंडरवियर को छोड़ कर उतार दी और वापस भाभी के ऊपर आ गया। मैंने फिर से उन्हें चुम्बन करना चालू कर दिए। फिर मैंने भाभी के कपड़े उतारना चालू किए और कुछ ही देर बाद मैंने उनके सारे कपड़े उतार दिए। अब वो मेरे सामने बिलकुल नंगी थीं।
मैंने भाभी से कहा- जब आप चलती हो.. तो गाण्ड बहुत ही मस्त लगती है.. तो वो बोलीं- अभी दिखाऊँ..? तो मैंने कहा- हाँ प्लीज़ आप चल कर दिखाओ न..
वो एकदम से मान गईं और उठ कर ठुमक ठुमक कर चलने लगीं.. हाय.. क्या लग रही थी उनकी गाण्ड.. यारों बिलकुल किसी रांड की तरह..!
उन्हें इस तरह नंगा होकर चूतड़ों को हिलाते देखा कर देखकर मेरी हालत बहुत ही ख़राब हो रही थी।
मैंने भाभी को पकड़ा और उन्हें पलंग पर पटक दिया और उनकी चूत को देखने लगा। भाभी की चूत खुली हुई थी मानो अब तक रोज़ ही बड़े लौड़ों से चुदती रही हो और एकदम गुलाबी कलर की चूत थी। भाभी की चूत भी उनकी गाण्ड जैसी ही फूली हुई थी। मैंने पहले उनकी चूत पर थूका और उसे सहलाया। फिर मैंने अपनी जीभ से भाभी कि चूत की चुदाई शुरू की। मैं अपनी जीभ को उनकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
पहले तो मैं जरा धीरे-धीरे कर रहा था.. लेकिन बाद में उन्होंने जैसे ही अपनी चूत और खोली.. मैं जीभ बहुत तेज़ अन्दर-बाहर करने लगा। भाभी जोरों से चीखने लगीं- आआह्ह.. ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह.. आह्ह.. आआअह्हह यस.. चोदो.. मुझे जोरों से चोदो वंश.. आह्ह.. मर गई.. आह्ह..
उनकी कामोत्तेजक सीत्कारें सुनकर मुझमें और जोश आ गया और मैं और तेज़ हो गया। भाभी तो मादकता से चीख ही रही थीं- ओह्ह.. वंश.. लगे रहो.. मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और भाभी के होंठों को चुम्बन करने लगा, उनकी चूत का रस उनके होंठों पर लगाने लगा।
कुछ देर बाद बाद भाभी एकदम से उठीं और मेरी जांघिया निकाल कर मेरा लण्ड जोरों से चूसने लगीं। आह्ह.. क्या मस्त चूस रही थीं दोस्तो.. मज़ा आ गया.. वो कहने लगीं- हाय इतना बड़ा लण्ड.. आज तो मजा आ जाएगा। मेरा लण्ड करीबन 8 इंच का है। वो फिर से जोरों से चूसने लगीं।
‘अह्ह्ह.. ओहहा.. आअह्ह..’
मैं भी भाभी के मुँह को चोदने लगा। करीबन 15 मिनटों तक भाभी ने मेरा लण्ड छोड़ा.. लण्ड छोड़ते ही मैंने भाभी को बिस्तर पर लेटा दिया।
अब मैंने थोड़ा सा थूक लेकर भाभी की चूत पर लगाया और फिर अपना लण्ड चूत पर टिका दिया। अब मैंने उनकी आँखों में.. वो एक अतिचुदासी मुद्रा में मेरा लौड़ा लीलने को तैयार सी दिखीं। मैंने एक ही झटके में आधा से ज्यादा लण्ड भाभी की चूत में घुसेड़ दिया।
मेरे यकायक हुए इस लण्ड-प्रहार से भाभी जोरों से चीखने लगीं ‘आह्ह.. आआ.. आह्ह..आआअ आह्ह.. आआआ.. मार डाला रे.. मादरचोद की औलाद.. कोई ऐसे कोई लण्ड डालता है क्या.. भैन के लौड़े फ्री का माल समझ कर चोद रहा है उह्ह.. फाड़ दी कुत्ते..’
मैंने भाभी की एक नहीं सुनी और दूसरे झटके में ही अपना पूरा लण्ड उनकी गरम चूत के अन्दर जड़ तक ठूँस दिया। भाभी बहुत जोरों से चिल्ला रही थीं- आह्ह.. आआअ.. ओह.. आह्ह.. आआआअ आह्ह.. आआआ.. आज किस से चुद गई मैं.. ओह्ह.. माँ.. मर गई आज तो.. मैं भी कहने लगा- भाभी आप तो पूरी रंडी हो.. वो बोली- तू सिर्फ चोद.. बकरचोदी न कर..
मुझे समझ में आ गया कि भाभी को मेरे लौड़े में मजा आ गया, मैं जोरों से चूत में झटके मारने लगा और भाभी की तो चीख ही नहीं रुक रही थी। वो ‘आह्ह.. आआ आह्ह..आआअ आह्ह.. आह्ह.. आह्ह्ह्ह..’ करे जा रही थीं.. फुल स्पीड से उनकी चूत मारने के बाद मैंने लण्ड को भाभी की चूत में से निकाल लिया और भाभी के मुँह में लगा दिया।
वो उसे पूरी रंडियों की तरह चूसने लगीं.. वे लौड़े को लॉलीपॉप समझ कर चूस चूस कर मेरा वीर्य पी गई। लगभग 20 मिनट बाद मैंने भाभी से कहा- अब मुझे आपकी गाण्ड चाहिए.. वो बोलीं- तो ले लो.. लेकिन पहले थोड़ा तेल लगा लेना.. तुम्हारा लण्ड बहुत ही बड़ा और मोटा है..
अब क्या था.. मैंने भाभी को कुतिया बनाया और उनकी गाण्ड चाटी। करीब 5 मिनट बाद मैंने भाभी की गाण्ड में तेल लगाया और अपने लण्ड पर भी लगाया, फिर लण्ड को गाण्ड के छेद पर रखा और आराम से पूरा लण्ड भाभी की गाण्ड में पेल दिया। वो बहुत ज़ोर से चिल्लाईं- ओह्ह.. मादरचोद.. आआह्ह.. ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह्ह.. मेरी गांड फाड़ दी.. कुत्ते… आह्ह.. ‘ले कुतिया.. पूरा ले..’ भाभी बोलीं- साले.. ये मेरी गाण्ड है.. कोई गिलास नहीं.. कि तूने इतनी जोरों से घुसेड़ डाला है।
मैंने कुछ नहीं सुना.. मैं तो सिर्फ अपनू भाभी की गान्ड मार रहा था.. बहुत जोरों से.. और वो सिर्फ चिल्ला रही थीं- आह्ह.. आआआ आह्ह.. आह्ह.. और जोर से चोद मुझे वंश.. आह्ह.. आआआ.. बना ले मुझे अपनी रंडी..आह्ह.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने भाभी की देर तक गाण्ड मारी और वो इस चुदाई में चूत से 5 बार झड़ गई थीं। मैं तो उन्हें चोदने में ही लगा रहा। गाण्ड मारने के बाद मैंने अपना सारा पानी भाभी की गाण्ड में ही छोड़ दिया और थक कर वहीं लेट गया।
भाभी भी वहीं लेट गईं। करीबन एक घंटे के आराम के बाद भाभी और मैंने एक साथ नहाया। भाभी तो चल भी नहीं पा रही थीं.. उनकी गाण्ड पूरी लाल हो गई थी। मैंने उन्हें उनके कपड़े पहनाए और कहा- भाभी सो जाओ अब। भाभी ने मुझे होंठों पर चूमा और कहा- तुम भी सो जाओ मेरे राजा।
फिर हम दोनों एक साथ सो गए। इसके बाद भाभी को कोई कष्ट नहीं रहा था भैया का प्यार और मेरे जैसा यार जो उनकी जिन्दगी में आ गया था।
दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी.. मुझे मेल ज़रूर कीजिएगा.. मेरा ईमेल पता है। [email protected]
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