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अब तक आपने पढ़ा..
मैंने अपनी हथेलियों में ढेर सा पाउडर लिया और उसकी मांसल पीठ पर बड़े ही कामुक अंदाज़ मे हाथ फिराने लगा। लेकिन उसकी ब्रा की स्ट्रिप के कारण पाउडर लगाने में दिक्कत हो रही थी। तो उसने खुद ही हाथ पीछे कर उसे खोलने की कोशिश की.. लेकिन शर्ट टाइट होने के कारण उसे सफलता नहीं मिली। तभी मैं बोला- तुम शर्ट और उँचा करो मैं इसका हुक अभी खोल देता हूँ। तो उसने भी बिना किसी संकोच के ब्रा का हुक खुलवा लिया। अब मैं बड़ी मस्ती के साथ अपने हाथों से उसकी मांसल पीठ पर हाथ फेर रहा था।
अब आगे..
अब थोड़ा और ऊपर हाथ बढ़ने पर शर्ट के सीने पर टाइट होने के कारण हाथ नहीं बढ़ पा रहा था। तभी मेरी बहन बोली- रूको भैया.. उसने अपनी शर्ट के ऊपर से तीन बटन खोल दिए.. यह सब देख मैं दंग सा रह गया। इसी के साथ अब मैं और जोश से भर चुका था.. इसलिए अब मैंने अपनी हथेलियों को पीठ के साथ.. बाँहों के जोड़ों तक घुमाया.. जिससे मुझे उसके मोटे-मोटे मम्मों की नर्माहट का अहसास हुआ और मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया।
उधर शायद मेरी बहन भी मूड में आ गई थी.. इसी कारण उसने पैरों में हरकत की.. जिस कारण उसका स्कर्ट उसकी सफेद केले के तने के समान चिकनी जाँघों तक चढ़ गया। मेरे हाथों की हरकत जैसे-जैसे बढ़ रही थीं.. उसकी कसमसाहट भी बढ़ती जा रही थी।
अचानक वह उठी और अपने कपड़ों को ठीक करके काम में बिज़ी हो गई। पहले तो मुझे लगा कि शायद वह नाराज़ हो गई है.. लेकिन मैंने ऐसी कोई हरकत भी नहीं की थी कि उसे कोई आपत्ति हुई हो।
शाम होते ही जोरों की बारिश होने लगी.. तो वह भी मेरे साथ ही बाल्कनी में खड़े हो कर पहली बारिश का आनन्द उठाने लगी। तभी मैंने कहा- तुम बारिश के पहले पानी में नहा लो.. बदन की सभी घमोरियाँ मिट जाएंगी.. तो वह बोली- हाँ भैया.. यह ठीक रहेगा..
उसने मेरा हाथ पकड़कर छत पर दौड़ लगा दी। मेरी बहन ने अभी भी मेरा दिया हुआ सफ़ेद सूती पतला शर्ट पहन रखा था और अब तो उसने उसके अन्दर उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी। भीगने से उसके मोटे-मोटे पपीते के समान स्तन सफ़ेद शर्ट में से क़यामत ढा रहे थे। उसकी काले निपल्स भी साफ दिखाई दे रहे थे। हमारे घर के आसपास कोई बड़ी बिल्डिंग भी नहीं है.. केवल हमारा मकान ही दो मंज़िल उँचा है.. इस कारण छत पर हमें कोई देखने वाला भी नहीं था।
मैंने बहन से कहा- पहली बारिश में अपनी पीठ पर सीधे पानी लगने दो.. जल्दी आराम मिलेगा।
तो वह एक पल रुकी और मेरी और देखकर बोली- मैं ज़मीन पर लेट जाती हूँ.. तू मेरी पीठ को रगड़ दे।
ऐसा कह उसने अपनी शर्ट के बटनों को खोला और ज़मीन पर कोहनियों के बल उल्टी लेट गई।
मैंने तत्काल उसकी शर्ट को उँचा किया और उसकी पीठ को रगड़ना शुरू कर दिया। आगे से शर्ट के बटन खुले होने के कारण मुझे कोई परेशानी नहीं थी और जब मैंने शर्ट को पूरा सिर के बालों तक उँचा उठा दिया.. तो मुझे मेरी बहन के लटकते हुए मोटे ताजे स्तन साफ़ दिखाई पड़ रहे थे।
अभी मैं उन्हें छूने की हिम्मत जुटाता.. उसके पहले ही मेरी बहन ने करवट बदल दी। मतलब अचानक वह मेरी और मुँह करके ज़मीन पर चित्त लेट गई। अब मेरी ओर उसका खुला सीना था.. जहाँ दो बड़े-बड़े स्तन नोकदार चूचुकों के साथ तने खड़े थे।
उन्हें देख मेरी आँखें फटी की फटी ही रह गईं.. तो मेरी बहन ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने दोनों मम्मों के ऊपर रख दिया।
मैंने भी अब हिम्मत कर उन्हें ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया। तभी मेरी बहन ने अपनी गर्दन ऊपर उठाई और मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। उसके पैर भी हरकत में थे.. जिस कारण उसका स्कर्ट उसकी जाँघों तक चढ़ गया था।
मैंने जैसे ही अपना एक हाथ उसकी स्कर्ट में डाला और उसकी जाँघों के जोड़ों पर रखा.. मेरी उंगलियां सीधी उसकी मोटी फूली हुए रेशमी बालों से दबी हुए चूत में जा घुसीं। स्कर्ट के अन्दर उसने पैन्टी भी नहीं पहनी थी। उसने अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरा लंड टटोला और उसकी मोटाई का अंदाज़ लगा कर डरते हुए बोली- भैया जल्दी से इसे मेरी चूत में पेल दो।
मैंने बनने की कोशिश की.. मानो मैं कुछ समझा ही नहीं.. तो वो बोली- बनो मत.. मुझे सब मालूम है.. कि कैसे तुमने बुआ के साथ मज़े मारे हैं.. जल्दी से मेरी भी आग शांत कर दो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! बस फिर क्या था.. मैंने उसे वहीं बरसते पानी में दो बार ठंडा किया।
इसके बाद तो मेरी बहन बस मानो मौका ही देखती रहती थी। जब भी हमें एकांत मिलता.. मेरी बहन दिल खोल कर मुझसे चिपक जाती.. चाहे घर के अन्य सदस्य घर में ही हों। अब तो वह मेरे सामने ही कपड़े बदलती और कई बार टाँगें ऐसी फैला कर बैठती.. कि उसकी चूत की फांकें साफ़ दिखाई पड़तीं।
कुछ ही महीनों में उसका सिलेक्शन एमबीए की पढ़ाई के लिए कॉलेज में हो गया और वह आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई चली गई।
अब तो मेरी हालत और खराब रहने लगी। बिना चूत के मेरा मन किसी काम में नहीं लगता था। घर में अब मैं और मम्मी ही रहते थे.. क्योंकि पापा भी अपने जॉब के कारण टूर पर ज़्यादा ही रहते थे। पिछले एक महीने में वो बस दो या तीन दिन ही घर पर रुके होंगे। मेरी निगाहें लगातार मम्मी का पीछा करती रहती थीं कि कब मैं मम्मी को बिना कपड़ों के देख सकूँ।
वैसे तो मम्मी कई बार मेरे सामने ही पीठ करके कपड़े बदल लेती थीं.. या घर के कामों के दौरान उनके ब्लाउज के गले में से उनके उभारों का दीदार हो जाता था। पर यह सब नाकाफ़ी था.. बल्कि उल्टा इससे तो मेरी आग और भड़क उठती थी। घर के सभी कामों के साथ-साथ मुझे मम्मी के साथ बाज़ार भी जाना पड़ता था।
ऐसे ही एक दिन जब मैं और मम्मी बाज़ार में खरीददारी कर रहे थे.. तो मम्मी की एक सहेली मिल गई और हम तीनों उस बड़े से मॉल में साथ-साथ घूमने लगे।
तभी मम्मी की सहेली एक लेडीज काउन्टर पर रुकी.. और वहाँ बड़े ही खुले तौर से अंडरगार्मेंट्स देखने लगी।
वह मम्मी को भी बोली- तू भी यह इंपोर्टेड ब्रांड यूज किया कर, बड़ा मजा मिलता है।
तब मम्मी बड़ी ही मायूसी से धीरे से बोली- पहन तो लूँ.. लेकिन देखने वाला कौन है.. इसके पापा तो महीने में एक दो बार घर आ जाएं.. वही बहुत है।
तो आंटी एक आँख मार कर बोली- पगली है क्या.. जो इतनी भरी जवानी में इतने हुस्न वाले बदन की होकर फालतू बात करती है.. अरे क्या तेरा पति घर से बाहर साधु का जीवन जी रहा होगा.. अरे वह तो हर रात रंगीन कर रहा होगा और एक तू है कि यहाँ अपनी जवानी को जंग लगा रही है।
आंटी मेरी और इशारा करते हुए बोली- अरे मेरा ऐसा गबरू जवान बेटा हो.. तो मुझे यू बाहर मुँह ही नहीं मारना पड़े.. तब मम्मी ने उसे डांटकर चुप करवाया और मेरी ओर देखने लगीं।
लेकिन मैंने तेज़ी से अपनी गर्दन घुमा ली.. मानो मैंने कुछ सुना ही ना हो.. उसके बाद तो आंटी ने दो-तीन ब्रा को ट्रायल रूम में जाकर ट्राइ किया और मम्मी को अन्दर बुला कर दिखाती रही।
दरवाज़ा खुलने के दौरान एक बार तो मैंने भी आंटी के हुस्न का नज़ारा कर लिया। आंटी ने ज़िद की तो मम्मी ने भी खुद के लिए दो-तीन पेयर अंडरगार्मेंट्स बिना ट्रायल के पसंद कर लिए। तब आंटी मेरी भी पसंद पूछने लगीं.. तो मम्मी ने उनका हाथ दबा दिया। मुझे भी वहाँ पर एक पेयर पसंद आया.. लेकिन मम्मी ने उसे साइज़ में बराबर होने पर भी बड़े कट का होने के कारण नहीं खरीदा।
लेकिन बाद मैं मैंने उसे मम्मी की नज़रों से बच कर खरीद लिया और बाकी के सामान में छुपा दिया।
वहीं पास के जेंट्सस काउन्टर को देख कर मम्मी बोलीं- तुझे भी कुछ चाहिए.. तो खरीद ले..। फिर मेरे द्वारा लॉन्ग अंडरवियर पसंद करने पर आंटी ने उसे हाथ में लेकर पटक दिया और बड़ी ही सेक्सी मुस्कान दे कर बोलीं- तेरे को यह कट साइज़ वी-शेप जॉकी सूट करेगा।
मैंने पहली बार इस तरह का अंडरवियर देखा था.. लेकिन आंटी के दबाव डालने पर मम्मी ने भी लेने की हामी भर दी।
खैर.. घर आते समय मम्मी के दोनों मांसल बोबे.. बार-बार मेरी पीठ को छू रहे थे। इस कारण मैं जानबूझ कर ज़ोर-ज़ोर से बाइक के ब्रेक मार रहा था।
घर आने पर आंटी का फोन आया- मम्मी को कह देना कि जल्दी से अंडरगार्मेंट्स ट्रायल कर लें.. क्योंकि यदि साइज़ का लोचा रहा.. तो एक दिन के बाद रिप्लेस नहीं होंगे। तब मैंने मम्मी को वैसा ही बोल दिया.. तो मम्मी बोलीं- ठीक है.. पहन कर देख लूँगी।
रात मे सोने के पहले मम्मी नहाने गई थीं और मैं हाँल में बैठा टीवी देख रहा था। तभी मम्मी ने बेडरूम से गर्दन निकाल कर आवाज दी- यह तो चेंज करना पड़ेगी.. बहुत ही टाइट है।
दोस्तो, शायद मेरी कहानी आप सभी की अन्तर्वासना को जगाने में पूर्ण रूप से सफल होगी। आप सभी मुझे अपने विचारों से अवश्य अवगत कराएं मुझे ईमेल लिखियेगा.. इन्तजार रहेगा। [email protected]
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