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देसी सेक्सी गर्ल हॉट स्टोरी में पढ़ें कि मैं किराये के कमरे में रहता था. उस घर में दो कमसिन लड़कियाँ थी. मैंने उनमें एक को कैसे गर्म करके चुदाई के लिए मनाया?
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अर्जुन है और ये मेरी अन्तर्वासना पर पहली कहानी है. मेरा घर उत्तराखंड (अल्मोड़ा) में है. आजकल मैं हैदराबाद में जॉब करता हूँ. मेरे परिवार में पिताजी, मां और मेरे से बड़ा एक भाई है.
उस समय मेरे पिताजी और बड़ा भाई दोनों दुबई में काम करते थे, तो पैसों की कोई कमी नहीं थी.
ये देसी सेक्सी गर्ल हॉट स्टोरी 2008 की है, जब मैं पॉलिटेक्निक करने के लिए काशीपुर गया था. इंजीनियरिंग में मेरी ब्रांच कंप्यूटर साइंस थी.
मैं पहाड़ से पहली बार शहर आया था और स्वभाव से थोड़ा शर्मीला था. उस वक़्त पॉलिटेक्निक में रैगिंग का बहुत प्रचलन था. सभी लोग डराते भी थे, तो डर से गांड तो फटी ही थी कि कहीं सीनियर लोगों के हाथ लग गया … तो क्या होगा. पिताजी को यह बात बताई, तो उन्होंने अपने किसी परिचित को बोलकर एक अलग कमरा दिलवा दिया.
ये कमरा कॉलेज से करीब दो किलोमीटर दूर था. ये एक नयी कॉलोनी बनी थी, उसमें था. जिनके घर में कमरा मिला था, उनका घर कॉलोनी के सबसे आखिर में था. उनके घर से अगला घर करीब ढाई सौ मीटर पहले था और घर के बाद दूर तक सिर्फ खेत ही खेत थे. इस कालोनी में ज्यादातर पहाड़ी लोगों के ही घर थे, जो बेहतर भविष्य और बच्चों की पढ़ाई के लिए पहाड़ से यहां आकर बस गए थे.
मेरे मकान मालिक फ़ौज में थे. मकान मालिक अंकल दारू बहुत पीते थे और घर पर ज्यादा पैसा भी नहीं भेजते थे. जब भी वो घर आते, तो घर में पैसे को लेकर अक्सर लड़ाई होती रहती थी.
घर पर उनकी पत्नी नीमा और एक लड़की पूजा और सबसे छोटा लड़का रोहित रहते थे.
पहाड़ से उनके गांव से उनके बड़े भाई की लड़की रंगोली भी वहीं रहकर पढ़ाई करती थी. क्योंकि गांव में स्कूल काफी दूर था और रंगोली के पापा खेती करते थे, तो उनकी ज्यादा कमाई नहीं थी. पूजा और रंगोली दोनों की उम्र 19 साल के करीब थी और दोनों साथ ही एक ही स्कूल में 12 वीं क्लास में पढ़ने जाती थीं.
सबसे छोटा भाई रोहित छोटी क्लास में पढ़ता था.
दोनों ही बहनें दिखने में एकदम कड़क माल थीं. इतनी मस्त कि एक नजर देखते ही किसी का भी लंड खड़ा हो जाए. पूजा का फिगर 28-26-32 का था और रंगोली का फिगर 30-26-32 का था.
पूजा सीधी-साधी थी, पर रंगोली जरा ज्यादा शोख और चंचल सी थी.
शुरूआत में मैं ज्यादातर अपने कमरे में ही घुसा रहता था. घर में किसी से ज्यादा बात नहीं करता था.
पढ़ाई के बाद जो वक्त बचता था, उसमें भी ज्यादातर वक़्त मैं कमरे में अपने कंप्यूटर पर गेम्स खेलता रहता था या फिर मूवीज देखता रहता था.
कभी-कभी दोस्तों से मस्त चुदाई वाली मूवीज मिल जातीं, तो बस उसे देखकर बाथरूम में जाकर लंड को मुठ मार कर माल निकाल देता था.
एक बार मैं कमरे का किराया देने गया तो आंटी ने बोला- अर्जुन, तू घर में किसी से बात ही नहीं करता, कोई परेशानी तो नहीं है न तुझे! ये बात उन्होंने मुझसे कुमाउनी भाषा में कही.
उनके मुँह से ये सुनकर मुझे बड़ी ख़ुशी मिली कि काफी दिनों बाद कोई अपनी भाषा में बात करने वाला मिला.
मैंने उस दिन आंटी से काफी बातचीत की और उनके व्यवहार से मुझे लगने लगा कि मुझे अपना बाकी के समय में से कुछ समय इन लोगों के साथ भी बिताना चाहिए.
उस दिन के बाद से मैं उनसे काफी घुल-मिल गया.
एक दिन आंटी शाम को कमरे में आईं, तो उन्होंने देखा कि मैं किचन में रोटी बना रहा था. मुझे रोटी बनानी तो आती नहीं थी, तो रोटियां अलग-अलग आकार की बन रही थीं.
ये देखकर आंटी बोलीं- अर्जुन, आज से तेरा खाना भी हमारे ही साथ होगा. मैंने हामी भर दी.
तो आंटी मेरे लिए खाना ले आईं. अब तो मेरी मौज हो गयी थी.
खाना के बदले में मैं अपने खर्चे से घर का सारा सामान ले आता. पढ़ाई के लिए पिताजी और भाई से मुझे अच्छा-खासा पैसा मिलता था.
इससे आंटी भी खुश रहने लगीं और उनके घर के सब लोग मेरा कुछ ज्यादा ही ध्यान रखने लगे. मुझे भी सारी सुविधाएं मिलने लगीं.
एक दिन मेरा एक दोस्त कमरे में चुदाई वाली डीवीडी लेकर आया और देखने के बाद हम दोनों ने खूब लंड हिला कर मुठ मारी.
मुठ मारने के बाद जब हम दोनों ठंडे हो गए, तो वो मुझसे बोला- यार तेरी मौज है. इस घर में तो तीन मस्त-मस्त चूत हैं और तू झांटू आदमी लंड की मुठ मार रहा है. साले चोद क्यों नहीं देता एकाध को पकड़ कर. जब इस घर में एक से बढ़ कर एक माल हैं और वो सब तुझे पसंद भी करती हैं.
यही सब बातें करते हुए कुछ देर बाद वो बाथरूम में चला गया. आज वो मुझे चुत चुदाई का ज्ञान दे रहा था. हालांकि इस ज्ञान से क्या होने वाला था.
मैं डरता था, तो मैंने उससे अपनी बात कही- अबे, कुछ पंगा हो गया हो … तो मेरी तो कहानी लिख जाएगी.
उसने समझाया कि तुम चूतिया हो, इतना समझ लो कि सांप और चूत जहां मिले, वहीं मार देना चाहिए.
उसकी बात से दिल में हिम्मत तो आई, पर मैं अभी भी घबरा रहा था.
तब उसने मुझे पहली बार अन्तर्वासना के बारे में बताया और कहा कि कुछ पढ़ कर ज्ञान प्राप्त कर ले कि केवल लड़कों के लंड में ही चुनचुनी नहीं होती है. लौंडियां भी चुत की खुजली से लंड की तलाश में रहती हैं और वो सबसे ज्यादा आसानी से सुलभ लंड की तरफ खुद ब खुद झुक जाती हैं. इस घर में इन तीनों के लिए तू ही सबसे ज्यादा आसानी से मिलने वाला लंडधारी है. तू कोशिश कर, तुझे पक्के में सफलता मिल जाएगी.
उसकी बात सुनकर मैंने उससे हामी में सर हिलाया और उसके साथ बाहर जाकर एक एक सिगरेट का मजा लेकर वापस कमरे में आ गया. वो भी अपने कमरे को चला गया.
कमरे में आने के बाद मैंने अन्तर्वासना पर काफी सारी सेक्स कहानियां पढ़ डालीं. इतनी कामुक और रसीली सेक्स कहानी पढ़ कर मुझे तो मजा ही आ गया था.
उसी में एक साईट फ्री सेक्स कहानी की भी थी, तो मैं उसको खोल कर पढ़ने लगा था.
उन सेक्स कहानी को पढ़ कर अब मेरी समझ में पूरी बात आ गयी थी और मैंने चुदाई के प्लान पर काम शुरू कर दिया था.
सबसे पहले तो मैं रोहित को अपने साथ बाज़ार ले कर जाने लगा और हर रोज़ उसको उसकी पसंद की चॉकलेट दिला देता. वो मुझसे बड़ा खुश रहने लगा.
आंटी तो पहले ही मुझसे खुश थीं.
अब मेरे लिए उन दोनों लौंडियों के छेदों को सैट करना बाकी था.
मैंने कमरे से कॉलेज जाने के लिए साइकिल ली हुई थी, पर अब मैंने अपने पिताजी से एक बाइक की डिमांड कर डाली. थोड़ी बहुत ना-नुकर के बाद मुझे हीरो-होंडा पैशन बाइक मिल गयी और मेरी साइकिल पर रोहित ने कब्ज़ा कर लिया.
ये देखकर एक दिन पूजा और रंगोली मेरे कमरे में आईं और बोलने लगीं- भैया, आप तो बस रोहित को ही सब कुछ दिलाते हो, हमें तो कभी कुछ नहीं दिलाया. मैं समझ गया कि बात बन रही है.
मैंने कहा- अरे ऐसी क्या बात है, मैं तुम दोनों को भी खुश कर दूंगा. खुश कर देने की बात सुनकर रंगोली तो मेरे साथ लगभग चिपक ही गई थी.
अगले दिन मैं दोनों को एक अच्छे से शोरूम में ले गया और दोनों को उनकी पसंद की जींस और टॉप दिला दिया. वो दोनों बड़ी खुश थीं. तो मैंने भी उन दोनों अच्छा सा खाना खिलाया.
आज मेरा निशाना सही जगह लगा और वो दोनों बहनें बहुत खुश हो गईं. दोनों बहनें घर आते ही नई ड्रेस पहनकर आंटी और मुझे दिखाने लगीं.
मुझे भी बहुत अच्छा लगा और मैं कमरे में आकर आगे के प्लान के बारे में सोचने लगा.
थोड़ी देर बाद रंगोली मेरे कमरे में आयी, आज वो बहुत खुश थी क्योंकि उसने पहली बार इतना फैंसी जींस-टॉप पहना था.
वो शर्माते हुई बोली- भैया मैं, कैसी लग रही हूँ. मैंने भी नीचे से ऊपर तक उसके खिले हुए जोबन पर नज़र डाली और बोला- बहुत मस्त लग रही हो, ऐसे अगर बाहर जाओगी, तो सारे लड़के तुझे देख कर सीटी मारेंगे. ये सुनकर वो शर्मा गयी और ‘थैंक्यू भैया ..’ बोलकर बड़ी कातिल स्माइल देकर चली गयी.
उसकी इस कातिल स्माइल से मेरा तो साला लंड खड़ा हो गया.
मैंने भी अगला तीर चलाने की तय कर दिया.
एक दिन मौका देखकर जब रोहित बाहर साइकिल चला रहा था और आंटी और पूजा पड़ोस में गयी थीं. घर में सिर्फ रंगोली थी.
मैंने कंप्यूटर में चुदाई वाली वीडियो लगा दी और कमरे के दरवाजे को थोड़ा खुला छोड़ दिया. सामने एक आइना इस तरह से रख दिया कि दरवाजे पर मेरी नजर रहे और मॉनिटर दरवाजे से दिखे.
मैं हैडफोन लगाकर वीडियो देखने लगा, पर हेडफोन में आवाज जीरो थी. मैं लोअर में हाथ डालकर लंड को सहलाने लगा.
थोड़ी देर में ही प्लान ने काम कर दिया.
जब रंगोली अचानक कमरे में आयी और रंगोली ये देखकर हैरान सी हो गयी. फिर वो अचानक से चली गयी और मैं सोचने लगा कि मामला शायद बिगड़ गया है.
मगर मैंने सीन को इसी तरह चलने दिया.
रंगोली बाहर का जायजा लेकर आयी और चुपके से अन्दर का नज़ारा देखने लगी.
अब वो अन्दर का नज़ारा एकटक देख रही थी.
जब उसकी नजर कंप्यूटर के मॉनीटर पर पड़ी, तो वो ध्यान से चुदाई की फिल्म देखने लगी. उस समय वीडियो में लड़का, लड़की को मस्त मोटे लंड से चोद रहा था.
मैं रंगोली को आईने में देख रहा था कि चुदाई देखते देखते उसका चेहरा लाल होने लगा था. उसी समय मैंने अपना लोअर उतार दिया और उसे अपना लंड दिखाते हुए मुठ मारने लगा.
उधर वो फिल्म और मेरे लंड दोनों को देख कर गर्मा रही थी और इधर मैं भी जोर जोर से लंड हिलाते हुए झड़ने लगा.
तभी मेरे लंड से रस की पिचकारी मेरे पीछे की दीवार पर जा गिरी.
फिर मैंने अनजान बनते हुए वीडियो बंद कर दिया और बाथरूम में चला गया. अन्दर से डर भी लग रहा था कि कहीं साली आंटी को कुछ बोल न दे. और यदि ऐसा हो गया, तो सारा प्लान बिगड़ जाएगा.
अगले दो दिन तो मेरे डर में ही गुजरे, पर जब कोई बात नहीं हुई, तो मुझे समझ में आ गया कि सब कुछ ठीक है.
शायद मैं कुछ ज्यादा ही डर रहा था, इस वजह से कि कहीं कुछ गड़बड़ हो गयी तो चूत तो हाथ आएगी नहीं, उल्टा घर वालों को पता चल गया तो अच्छे से गांड टूटेगी और बदनामी अलग से होगी.
खैर … मुझे लगने लगा था कि रंगोली की चुत तो मिलने की उम्मीद हो गई है.
अगले हफ्ते से कॉलेज में सेमेस्टर एग्जाम स्टार्ट हो गए थे और मैं ग्रुप स्टडी के लिए कुछ दिन तक कमरे में आना-जाना कम कर दिया था.
ज्यादातर समय मैं अपने दोस्त के साथ हॉस्टल में ही उसके कमरे में रहता था. आंटी के घर वाले अपने कमरे में मैं कभी जरूरत पड़ने पर ही आता था.
फिर जैसे ही एग्जाम खत्म हुए, तो मुझे रंगोली की चूत की याद आने लगी.
अब मैंने सोचा कि आज आर या पार कर ही दूंगा. मैं एक बार में गया और 3 पैग लगा कर कमरे में आ गया.
खाना खाने का मन तो था नहीं … मैं तो बस रंगोली से बात करने का मौका देख रहा था. जब कुछ जुगाड़ नहीं होता दिखा, तो मैं छत पर चला गया.
थोड़ी देर बाद रंगोली और रोहित दोनों ऊपर आए, तो मैंने रोहित को किसी बहाने से कमरे में भेज दिया.
जैसे ही वो नीचे गया, तो मैंने झट से रंगोली का हाथ पकड़ा और उससे बोला- रंगोली तू मुझे बहुत पसंद है, मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी? वो भी फटाक से बोली- भैया पर किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- किसी को पता नहीं चलेगा, मैं सब संभाल लूंगा. वो सोचने लगी. मैंने उसको सोचने का मौका भी नहीं दिया और बोला- जैसा भी हो, तुम मुझे बता देना वरना मेरे एग्जाम हो गए हैं. मैं घर चला जाऊंगा.
ये बोलकर मैं अपने कमरे में चल दिया.
अगले दिन सुबह जब रंगोली चाय देने आयी. तो मैंने फिर से उसको पकड़ लिया और बोला- तूने बताया नहीं … तेरी हां है या ना!
जब उसने कोई जवाब नहीं दिया. तो मैंने कहा- ठीक है तेरी मर्ज़ी … अब मैं कुछ नहीं कहूंगा.
इतना कह कर मैं सामान पैक करने लगा.
तभी वो बोली- भैया प्लीज रुक जाओ ना … मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते! मैंने बोला- तेरे लिए तो जान भी हाजिर है … तू बस एक बार हां तो बोल. वो बोली- मुझे शर्म आती है भैया … कैसे कहूँ.
उसका इतना कहना था कि मेरी लाइन क्लियर हो गयी.
मैं बोला- अगर तू भी मुझसे प्यार करती है … तो मैं रात को तेरा वेट करूंगा, अगर तू नहीं आयी तो मैं कल ही अपने घर चला जाऊंगा.
वो कुछ नहीं बोली, बस मुझे देखते हुए चली गई.
मैंने जैसे-तैसे दिन काटा और शाम होते ही मेडिकल से एक कंडोम का पैकेट ले आया.
कमरे मैं जाते ही पहले बाथरूम जाकर अपनी झांटें साफ़ की और रगड़ कर मुठ मारी.
अब मैं तो बस रात का इंतजार कर रहा था. जैसे तैसे खाना खा कर 10 बजे कमरे में आ गया और रंगोली के आने का इंतजार करने लगा.
कभी मैं छत पर जाकर टहलने लगता, तो कभी मोबाइल पर मूवी देखने लगता, पर मेरा ध्यान बस रंगोली की तरफ ही था.
जब वो नहीं आयी, तो मैं कमरे में अपने बिस्तर पर लेट गया और थोड़ी देर में ही मुझे नींद आ गयी.
रात में लगभग दो बजे कोई मुझे जगा रहा था. वो रंगोली ही थी और मुझे हल्के से हिला रही थी. वो मद्धिम आवाज में बोली- भैया उठो ना!
मैं उसकी आवाज सुन कर झट से उठा और कुछ कहने को हुआ ही था कि तभी उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया. वो हल्के से बोली- भैया सब सो रहे हैं … आवाज मत करो.
मैं समझ गया और मैंने उसका हाथ हटा कर चुपके से जाकर बिना आवाज किए रूम लॉक करके लाइट जला दी.
आज रंगोली को कमरे में आया देख कर मेरी चुदाई की मुराद पूरी होते दिखने लगी थी.
रंगोली की सीलपैक चुत की चुदाई की कहानी को अगले भाग में लिखूंगा, आप मुझे मेल करना न भूलें.
आपको इस देसी सेक्सी गर्ल हॉट स्टोरी में मजा आ रहा है ना? [email protected]
देसी सेक्सी गर्ल हॉट स्टोरी का अगला भाग: कमसिन पहाड़ी लड़की की बुर चुदाई- 2
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