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प्यार एक छोटा सा शब्द है जिसके जितने भी मायने निकाले जाएँ कम होंगे। हम जब से जन्म लेते हैं और मर नहीं जाते तब तक कहीं न कहीं रिश्तों की डोर से बंधे ही रहते हैं। पर मेरा अनुभव यह कहता है कि सबसे अटूट रिश्ता या तो शराबियों का होता है या फिर चुदाई का – जिसमें हमेशा दूसरे को खुश करके खुशी चाहने की इच्छा सबसे प्रबल होती है। और ज़िंदगी में यही होना भी चाहिए क्योंकि यह ज़िंदगी / दुनिया बहुत छोटी जगह है। कब क्या हो जाए, कौन किससे किस मोड़ पर किस रूप में मिल जाए कोई नहीं जानता… इसलिए मेरा संदेश है की खुश रहो खुशी बाँटते रहो।
आज ऐसे ही एक बहुत पुराना और दिलचस्प वाकया याद आ गया जो आपकी नजर है।
मैं मेडिकल कालेज में तीसरे वर्ष का छात्र था और ट्रान्सफर करवा कर दूसरे शहर में अपने शहर के पास हॉस्टल में रह रहा था। मेरी क्लास की एनाटोमी की प्रोफेसर होशियार, ज़हीन, सुंदर और बहुत ही रिजर्व किस्म की 36-37 वर्ष की महिला थीं। हमारी क्लास में वह सिर्फ चार लोगों, तीन लड़के और एक लड़की मिशेल पर विशेष स्नेह रखती थीं क्योंकि हम 4 लोग ही कोर्स पढ़ कर आते थे और उनके सभी सवालों के जवाब दे देते थे।
मुझे यहाँ आए हुए छः महीने हो चुके थे, हम 4 लोगों के अलावा भी कुछ और मित्र बन चुके थे पर ज्यादातर पढ़ाई में ही मसरूफ़ीयत रहती थी, कभी-कभी मूवीज या दोस्तों के साथ ड्रिंक्स का भी प्रोग्राम बन आता था और ऐसे ही ज़िंदगी चल रही थी।
एक शाम मैं अकेला ही एडल्ट मूवी देखने जा रहा था कि रास्ते में प्रोफेसर साहिबा का फोन आया कि क्या मैं अस्पताल पहुँच सकता हूँ? उनका पहली बार फोन आया और अस्पताल के नाम से आया तो मुझे लगा कि शायद किसी मरीज की हालत गम्भीर होगी। बहरहाल मैं 10 मिनट में वहाँ पहुँच गया तो पता लगा कि उनकी मामी भर्ती हैं और कोई रिश्तेदार नहीं है इसलिए मुझे रुकने के लिए बुलाया है – अगर मुझे कोई एतराज न हो तो।
मैं तो अधिक से अधिक नंबरों के लिए वैसे भी प्रोफ़ेसरों कि नज़दीकियाँ चाहता था, यहाँ अपने आप मौका मिल रहा था तो मैंने ना नहीं किया। प्रोफेसर साहिबा को सभी मैडम कह कर बुलाते थे तो उनकी रिश्तेदार को सबसे अच्छा प्राइवेट रूम दिया गया था।
मैडम ने पूछा कि उन्होंने मुझे डिस्टर्ब तो नहीं किया, तो मैंने उन्हे बताया कि मैं पिक्चर देखने जा रहा था तभी आपका फोन आया, और हॉस्पिटल की बात थी इसलिए डिसटरबेन्स का कोई मतलब ही नहीं था। इस पर उन्होंने कहा- आई लाइक दिस स्पिरिट, एक डाक्टर में यही गुण होना चाहिए।
फिर उन्होंने मेरे डिनर के बारे में पूछा तो मैंने कहा- हॉस्टल में जाकर डिनर करूंगा, क्योंकि किसी को मालूम नहीं है कि मैं कहाँ गया हूँ। इस पर उन्होंने कहा कि डिनर मैं उनके साथ ही कर लूँ और अगर हॉस्टल जाना जरूरी न हो तो मैं वहीं रुक कर उनके साथ मरीज़ की देखभाल करूँ।
मैं वहीं रुक गया और हम लोग मरीज के बारे में उनके परिवार आदि के बारे में एवं मेरे परिवार के बारे में बातचीत करते हुए समय बिताने लगे। जब हम लोगों में कुछ और इंटीमेसी हो गई तब मैडम ने बताया कि मामी को मिनोपाज़ कोंप्लीकेशन्स की वजह से एड्मिट किया गया था, वो करीब 8 सालों से विधवा थीं और मैडम के साथ ही रहती थीं। मैडम भी शादी के कुछ दिनों बाद ही अपने पति से अलग हो गई थीं क्योंकि वह लड़कों में ही रूचि लेता था और एक महीने में एक बार भी उसने मैडम को छुआ नहीं किया तो वो दोनों ही अकेली साथ में रहती थी। और मैंने भी अब तक मैडम का विश्वास जीत लिया था। इस बीच मामी 2-3 बार कराहीं पर दवा देने पर वह फिर सो गईं।
इसके बाद हमने खाना खाया और मैं सिगरेट पीने के लिए बाहर आ गया। इस बीच 2-3 बार नर्सेज और डाक्टर ने राउंड लिए पर मैडम ने उन्हें मामी की कंडीशन देखते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह बुला लेंगी, नहीं तो वो लोग दूसरे मरीजों को अटेण्ड करते रहें।
हम जिस प्राइवेट कमरे में रुके थे वह एकदम अलग-थलग और सिर्फ सीनियर डाक्टर्स के घर के लोगों के लिए, पूरी तौर से प्राइवेट ही था। मरीज के बेड के अलावा एक एक्स्ट्रा बेड, 2 कुर्सियाँ और एक बड़ा सा सोफा, बड़ा सा वाशरूम, 2 खिड़कियाँ, भारी-भारी पर्दे, 2 बालकनी, चाय/काफी की व्यवस्था आदि सभी सुविधा थी।
मैं जब आया तो मैडम सोफ़े पर बैठी एक मेडिकल मैगजीन देख रही थी, मुझसे बोलीं कि मैं एक्स्ट्रा बेड पर लेट जाऊँ और वह सोफ़े पर सो जाएंगी। इसपर मैंने उन्हे बेड पर सोने की रिक्वेस्ट की और खुद के लिए सोफा चुन लिया क्योंकि मुझे तो वैसे भी रात भर पढ़ने के लिए जगना ही पड़ता था। मैडम ने मुझसे कहा कि मैं कमरे को अंदर से बंद कर लूँ क्योंकि अब यहाँ कोई नहीं आएगा क्योंकि उन्होंने ड्यूटी डाक्टर्स को कह दिया है कि अगर जरूरत हुई तो उन्हें फोन से बुला लिया जाएगा।
यह सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई कि शायद आज मैडम चुदवा भी लें क्योंकि मैं शुरू से ही उनको चोदने की कल्पना कर रहा था। मुझे लगा की शायद मैडम ने मेरी मुस्कुराहट देख ली है, खैर…
मैंने सभी दरवाजे-खिड़कियाँ ठीक से बंद करीं ताकि कहीं से भी सर्द हवा अंदर न आ सके, हीटर भी एक कोने में रख दिया ताकि कमरा सही ढंग से गर्म हो सके। मैडम ने कहा कि जाकर मामी का पैड चेंज कर के हाथ धोकर आकर बैठ जाओ ताकि रात में न उठना पड़े।इस पर मैंने पूछा कि नर्स को बुलाऊँ? तो उन्होने कहा कि मैं डाक्टर होकर पैड चेंज करने में घबरा रहा हूँ? मैं ध्यान रखूँ कि बिस्तर पर सिर्फ मरीज है और हर मरीज किसी न किसी का रिश्तेदार होता है।
मैंने ट्रे में से पैड, कॉटन, लोशन आदि उठाया और मामी के गाउन को कमर के ऊपर उठा कर उनका पैड निकाल कर सफाई करके नया पैड लगा दिया और फिर वाशरूम से हाथ धोकर रूम में आया तो देखा कि मैडम बहुत ध्यान से मेरी तरफ देख रही हैं, बल्कि मेरे लंड की तरफ देख रही थीं।
फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि अगर मैं गाइनेकलोजिस्ट बना तो किस तरह से फ़ीमेल पेशेंट को एग्ज़ामिन करूंगा/टच करूंगा? मैं बताया कि उनको मैं मामी की तरह ट्रीट कर रहा था न कि पेशेंट कि तरह, इसलिए आपके सामने झिझक रहा था। इस पर बोलीं कि अगर वो खुद पेशेंट हो तब भी क्या मैं ऐसे ही बिहेव करूंगा? तो मैं कुछ बोल तो नहीं सका पर न भी नहीं किया।
उन्होंने अपना एक कुर्ता और लुंगी मुझे दी चेंज करने के लिए और एक खुद के लिए लेकर वाशरूम में चली गईं। अब तक रूम टेम्परेचर भी इतना सही हो गया था कि कपड़े न भी पहनो तो ठंड न लगे।
मैं अपना पैंट, शर्ट, चड्डी उतार कर लुंगी पहन ही रहा था कि मैडम सिर्फ कुर्ता पहन हुए वाशरूम से बाहर आ गईं और उन्होंने मुझे नंगा देख लिया। वे मुस्कुराते हुए अंदर आईं और अपनी ब्रा-पैंटी, जींस और टॉप बेड पर रख कर फिर अंदर चली गईं। वहाँ की आवाजों से लगा कि शायद वह टोयलेट सीट पर बैठी हैं।
उन्होंने मुझे अंदर बुलाया और कहा कि मैं उनका वेजाइनल एरिया साबुन से साफ कर दूँ। मैं सोचने लगा कि अब ये चुदवाएगी तो जरूर… पर इसकी मामी न उठ जाए कहीं? मैडम ने पूछा कि मुझे डर लग रहा है तो मैंने कहा- डर नहीं पर हिचकिचाहट जरूर है। वैसे मैंने जब से आपको देखा था तभी से कुछ करने की इच्छा थी, पर इस तरह से मौका मिलेगा, ऐसी कल्पना नहीं की थी।
उन्होंने कहा- फिर आजा मेरी जान, मेरी भी इच्छा थी कि किस तरह से तुमसे चुदवाऊँ, आज मौका निकाला है, चोद दे मुझे अच्छी तरह से जालिम! मैं मैडम की बुर साफ करने की बजाय उसको गोद में उठा कर सोफ़े पर ले आया और बेतहाशा चाटना, चूसना शुरू कर दिया।मैंने सोचा कि जब मैडम को ही डर नहीं है तो मैं क्यूँ डरूँ और मैडम के होठों को भी खूब चूसा। मैडम की आह-ऊह की आवाजें मेरी कामुकता को और भी बढ़ा रही थीं।
हम दोनों ने एक-दूसरे को बिल्कुल नंगा कर दिया था और अब सोफ़े पर मजा नहीं आ रहा था तो हम दोनों बेड पर आ गए और मैंने उसको 69 की पोजीशन में लिटा कर जीभ उसकी बुर में डाल दी और उंगली उसकी गांड में। उन्होंने भी मुझे कस कर दोनों हाथों से पकड़ लिया था और दांत से काट रही थी।
थोड़ी ही देर में वो नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर आहहह… हहहहह, अम्माआह… बहुत मज़ा आ रहा है मेरे राजा तुम रोज हम दोनों को चोदा करो बेबी, U are soooo sweet Now fuck meee babyy noooww करने लगी। मैडम की सिसकारियों से मेरी उनको चोदने की भूख बढ़ती जा रही थी पर मुझे लगा कि इस अनचुदी कोमल सी बॉडी को अभी और चूमना चाटना चाहिए, मैं उनकी बुर के होठों को दांत से कुतरने लगा और जीभ अंदर डाल कर जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा। मेरी जीभ के हर धक्के से उसकी चूतड़ उछल उछल कर जैसे मुझे कह रही हो कि चोद मुझे।
तभी मुझे महसूस हुआ कि जैसे मेरे लंड को किसी ने मुँह में लिया हो, मैंने सोचा कि जब उसके दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पर हैं तो लंड पर किसका हाथ है, देखा तो मामी भी नंगी होकर पास में खड़ी देख रही थी और बर्दाश्त न होने की वजह से वासना के वशीभूत लंड पकड़ लिए थीं। अब मेरी समझ में आया कि क्यों मैडम कह रही थी कि हम दोनों को चोदा करो, उसका इशारा मामी की तरफ था। मैं अंजान बन कर मैडम को चूसने-कुतरने में लगा रहा ताकि मुझे पता चल सके कि मामी का क्या इरादा है।
मामी एक हाथ से मेरा लंड हिला रही थी और दूसरे हाथ से मैडम की चूचियों को मसल रही थी, जब उन्हें भी लगा कि मामी उठ गई हैं तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैं जरा मामी को भी अच्छी तरह से चूस लूँ ताकि मामी भी तर हो जाएँ। और उसके बाद मैंने मामी को भी जम कर चूसा और उनकी चूचियों को खूब मसला ताकि वो खूब ढीली हो जाएँ।
इधर मैडम ने उठ कर व्हिस्की की बोतल निकली और 3 डिस्पोज़ेबल ग्लास में ड्रिंक्स बना कर हम तीनों के लिए ले आई। तो मैंने पूछा- क्या सिगरेट लेंगी? तो मामी सिगरेट का पैकेट और लाइटर लेकर आ गई। चूंकि हम तीनों का ही पानी एक राउंड निकल चुका था अत: शुरुआती उत्तेजना में भी कुछ कमी आ गई थी और हमने सिगरेट, ड्रिंक्स चुम्बन लेना और एक दूसरे को अच्छी तरह से जानना शुरू कर दिया और बहुत देर तक बातें करते रहे।
पता चला कि मैडम, जिनका नाम यासमीन था, ने अपने आदमी को एक महीने के अंदर ही छोड़ कर अपनी नौकरी ज्वाइन कर ली और अपनी विधवा मामी को भी अपने साथ सहारे के लिए रख लिया और फिर मामी ने एक दिन यासमीन को रात में ब्लू-फिल्म देखते हुए देख लिया। तब से दोनों दोस्त हो गई और एक साथ ही नंगी सोती थी और एक दूसरे से मजे लिया करती थी।
आज का प्रोग्राम अचानक ही हो गया और हमने चुदाई के मजे लिए। अब तो हम दोस्त बन गए हैं, जब भी हमारी या तुम्हारी इच्छा हो प्रोग्राम सेट कर लिया करेंगे। बस कभी भी रुसवा मत करना ज़िंदगी में।
दोस्तो, कुछ ही दिन पहले यासमीन से करीब 17-18 साल के बाद हुई मुलाकात को याद करके आप से मुखातिब हूँ और यही इल्तिजा है की कभी अपने चूत के प्यार को बदनाम मत कीजिएगा। मुझे, सदैव की तरह आपके पत्रों, सुझाव और शिकायतों का, मेरी ईमेल ([email protected]) पर इंतजार रहेगा। आप मुझसे, प्लीज, मिलने की रिक्वेस्ट जिद न करिएगा। हाँ, आप चाहें तो मुझसे याहू पर चैट कर सकते/सकती हैं। धन्यवाद।
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