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जैसा कि मैंने आपको अपनी पिछली कहानी अंजलि की चूत और गाँव के गबरू -1 में बताया था कि कैसे मैंने एक हाइवे पर गैरों को पकड़ा और कैसे चुदवाने जा रही थी। अब आगे की चुदाई मैं आपको इस भाग में बताने जा रही हूँ।
मैं नीचे बैठी थी, मेरे चारों ओर तन्नाए हुए लौड़े खड़े थे.. जिन्हें मैं बारी-बारी से चूस रही थी.. सारे लौड़े एक से बढ़ कर एक थे.. दो लंड थे जो सच में 8 या 8.5 इंच लंबे और भंयकर काले मोटे थे और उनमें मोटी-मोटी नसें बिल्कुल साफ़ दिख रही थीं। बाकी दो तो 7 इंच के ही रहे होंगे लेकिन वे भी मोटे इतने अधिक थे.. कि जैसे कोई लौकी हो। अब मेरी घबराहट बढ़ गई थी कि अंजलि आज तू कहाँ इतने लौड़ों में फंस गई..
खैर मैं भी हिम्मत हारने वाली नहीं थी.. मैं झट से खड़ी हुई और दारू की बोतल उठाकर नीट ही पी गई। सब देख कर बोले- साली छिनाल लंड देख कर गांड फट गई क्या? मैं बोली- इतने मोटे-लंबे कैसे घुसेंगे? तो एक बोला- आज तेरी चूत को भोसड़ा बना देंगे।
फिर एक सबसे तगड़े लंड वाला मेरे पास आया और मुझे उठा कर दीवान पर लिटा दिया और दारू की बोतल से दारू को मेरी चूत पर डालकर चूत चाटने लगा। अब मैं पागल हो चुकी थी और फिर तीनों भी मेरे नजदीक आ गए और लंड को मेरे मम्मों पर.. और मेरे मुँह पर घिसने लगे। चूत चाटने वाले आदमी ने अपने लंड पर थूक लगाया और चूत पर घिसते हुए अपने लौड़े को भीतर घुसेड़ने लगा।
कसम से.. उसने एक ही झटका मारा और पूरा लंड अन्दर घुसा दिया। मेरी इतनी तेज़ चीख निकली और मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरी चूत में गरम सरिया घुसा दिया हो।
मैं गाली देते हुए उसके पेट को पकड़ कर बोली- औउईई भैन के लौड़े.. आराम से नहीं आता… मादरचोद.. फाड़ दी साले.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उसका लंड निकालने की कोशिश की.. मगर उसने मेरी कमर को पकड़ते हुए मुझे जकड़ लिया और लौड़ा निकालने ही नहीं दिया। बल्कि वो तो मेरे ऊपर आकर बुरी तरह से मुझे काटने लगा, वो ऐसे काट रहा था.. जैसे कुत्ता हड्डी खाता है.. मेरे मम्मों को दबाते हुए बोला- अरे मेरी रांड.. डला रहने दे.. अभी मजा आएगा.. तुझे.. ले कुतिया साली छिनाल..
बस उसने मेरी चूत में ताबड़तोड़ धक्के मारने शुरू कर दिए, उसके हर धक्के में मेरी ‘आह्ह..’ निकल रही थी। अब एक मोटा लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दिया गया और बाकी दो मेरे जिस्म से खेलने लगे। अब मुझे मजा आ रहा था.. मैं बोली- और तेज़ करो ना.. आअहह.. मेरा आज चोद-चोद कर बुरा हाल कर दो। अब मैंने दोनों लंड पकड़े और एक मुँह में और एक चूत में धपाधप मेरा बाजा बजाने लगा।
मैं बहुत तेज़ मस्ती में उछल-उछल कर चुदवाने लगी और अब मैं बस झड़ने ही वाली थी कि कमीने ने लंड निकाल लिया.. मैं तड़प सी गई।
उसने अब मुझे खड़ा किया और एक दूसरा चोदू.. जिसका लंड मोटा बहुत था.. उसने मुझे उल्टा किया.. मेरे दोनों हाथ दीवान के साथ लगाए और गाण्ड में तेल लगाने लगा। तेल भी ठंडा वाला था.. मेरी गाण्ड उस तेल से और कस गई। फिर उसने लंड घुसाया और धक्का मारा.. मैं आगे को हो गई.. तो बोला- साली रांड.. तू कहीं से रंडी तो लगती नहीं है.. वरना अब तक तो तेरी चूत-गाण्ड ढीली पड़ चुकी होती।
फिर उसने मेरी कमर पकड़ कर गाण्ड में ऐसा झटका मारा कि मेरी बुरी तरह चीख निकल पड़ी, वो जानवरों की तरह बिना रुके मुझे चोदने लगा, मेरी तो हालत खराब हो गई।
बाकी के तीन भी मुझे कभी किस करते कभी मेरे चूचे दबाते.. फिर चोदते-चोदते मेरे चूतड़ों पर झापड़ मारते हुए.. मेरे बाल खींच कर मुझे पीछे करने लगा.. जिसमें मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझे मज़ा आने लगा। तीनों अपने भीमकाय लंड मेरे मुँह में बारी-बारी से घुसा कर.. एक-एक करके मुझे चोदने लगे।
अब मेरी गाण्ड.. चूत.. बिल्कुल फट चुकी थी.. और अब मैं फिर से झड़ने वाली थी। मगर भैन के लौड़ों ने लंड ही निकाल दिया.. तो मैं बोली- साले कुत्तों.. चोदना नहीं आता क्या.. जब मैं झड़ने वाली होती हूँ.. तो मादरचोद लौड़ा ही निकाल लेते हो.. तो एक बोला- साली रंडी.. तुझे तो तड़पा-तड़पा कर चोदेंगे..
अब एक आदमी दीवान पर आधा लेट गया और बोला- चल रांड.. आ जा तेरी गाण्ड मारूँ..
मैं भी नशे में धुत्त झट से खड़ी हुई और अपनी गाण्ड पर उसका लंड सैट करके धीरे-धीरे बैठ गई और फिर उछलने लगी। वो मेरे चूचों को दबाता रहा और नीचे से मुझे ठोकता रहा। अब मुझे बहुत मजा आ रहा था। फिर पता नहीं.. एक आदमी लंड हिलाता हुआ आया और मेरे ऊपर चढ़ गया। मैं बोली- अबे साले, क्या कर रहे हो? बोला- बहन की लवड़ी.. आज तुझे जन्नत दिखाएँगे..
उसने मेरे पैर फैलाए और लंड एक ही बार में पूरा घुसा कर.. धीरे-धीरे चोदने लगा। मेरी पहली बार दोनों छेदों में एक साथ ऐसी चुदाई हो रही थी, मैं तो पागलों की तरह चिल्ला कर बोली- आह्ह.. कुत्तों.. और तेज़-तेज़ चोदो.. भैन के लौड़ों.. बना दो रांड मुझे..
मैं एक आदमी से बोली- इधर ला कुत्ते.. अपने लौड़े को मेरे मुँह में चुसवा। बाकी के दोनों लण्ड हिलाते हुए मेरे करीब आ गए। मैं बारी-बारी से दोनों की लौकियाँ चूसने लगी।
अब मैं बहुत पागल हो रही थी.. और रगड़वाने का मन कर रहा था। एक लंड चूत में घुसा था.. दूसरा गाण्ड में पिलाई कर रहा था। दो हथियार मेरे मुँह में घुसे थे। एक साथ चार-चार लौड़े मुझे बजा रहे थे और अब मैं फिर झड़ने वाली थी.. तो बोली- अब की बार लंड निकाल मत देना सालों.. मैं बस झड़ने ही वाली हूँ।
दोनों लंड मेरी चूत व गाण्ड में बहुत तेज़ी से मुझे चोदने लगे.. इतनी तेज़ रफ़्तार से चुदाई हो रही थी कि कमरे में भी आवाज़ें आने लगी थीं। मैं मदहोश हो रही थी और ‘आअहह..’ करते हुए मैं झड़ गई।
वो दोनों भी मेरी चूत और गाण्ड में ही झड़ गए और उनका गरम-गरम लावा सा मुझे अन्दर महसूस होने लगा।
मैं एक साथ इतने लौड़े लेकर बेहद थक गई थी। मगर थकान कौन देख रहा था। इतने में जिनका लंड मैं चूस रही थी उन्होंने मुझे खड़ा किया और खड़े-खड़े ही एक ने मेरी गाण्ड में कब पेल दिया.. मुझे पता भी नहीं चला, वो धकापेल पेलने लगा और फिर दूसरे ने मुझे गोदी में उठाया और मेरी चूत में अपना हलब्बी डाल दिया।
अब मैं चीखने लगी.. मैं मस्ती में पागल हो रही थी। दोनों आदमी मेरी चूत में और गाण्ड में लौड़ा डालते हुए मुझे उछाल-उछाल कर चोदने लगे। कुछ देर में वे दोनों झड़ गए। फिर हम चारों लेट गए और मैं सो गई।
बीच रात में एक आदमी ने मुझे कब चोदा.. मुझे पता ही नहीं.. जब सुबह उठी तो वो आदमी मेरे ऊपर पड़ा हुआ था।
मैं उठी ही थी कि मैंने देखा एक आदमी का सोते हुए में भी लौड़ा खड़ा है। तो मुझे मस्ती सूझी और मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया। वो उठा और मुझे बाथरूम में ले गया.. शावर चलाया और नहाते हुए वहीं शुरू हो गया। इतने में तीनों अन्दर आ गए और सबने मुझे उठा-उठा कर फिर से चोदा।
मुझसे सच में अब ना तो चला ही जा रहा था.. ना ही पैर फोल्ड कर पा रही थी। मैं बिस्तर पर पड़ी रही।
फिर उन्होंने मेरी खूब खातिरदारी करी.. मेरे लिए कपड़े लाए.. खाना लाए.. मैंने आराम से खाया.. खूब सोई.. आराम लिया। वे लोग मुझे पैसा तो दे ही चुके थे.. जाते-जाते उन्होंने मेरा फोन नम्बर ले लिया, बोले- अगली बार फिर बुलाएँगे और आराम से कुछ दिन तक चोदेंगे।
फिर जाते वक्त सबने मुझे किस किया.. मुझे मेरी कार दी और दोपहर को मुझे जाने दिया। मुझे भी बहुत मजा आया। ये चुदाई भी मेरी बहुत मस्त रही। तो दोस्तो, बताओ मेरी कहानी कैसे लगी.. सबको मुझे आपके मेल्स का इंतज़ार रहेगा। [email protected]
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