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अगले दिन कॉलेज गया तो सबसे पहले मैंने ऑफिस में पूनम की छुट्टी की अर्ज़ी दे दी और फिर अपने क्लास में आकर बैठ गया।
लंच के टाइम नेहा मुझ को कॉरिडोर में मिल गई और कहने लगी- वो उषा मैडम तुम को याद कर रही थी, उनसे मिल लेना लंच में! मैंने कहा- ठीक है, मिल लूंगा। फिर उसने इधर उधर देख कर कहा- सोमू यार फिर कब मिल रहे हो? मैं बोला- जब तुम कहो मिल लेंगे। अकेली मिलना चाहती हो कि कोई साथ और भी है? नेहा बोली- मैं और वो जेनी तुम्हारी खासम ख़ास! मैं बोला- जेनी मेरी ख़ासम ख़ास कैसे हो गई? मेरे लिए तो तुम ही ख़ास हो और हमेशा रहोगी।
नेहा खुश होते हुए बोली- सोमू तुम ना सिर्फ ‘उस’ में ही माहिर नहीं हो, तुम तो माहिर हो हर चीज़ में, हर फील्ड में! मैं भी मज़ा लेते हुए बोला-अच्छा बताना कौन कौन सी फील्ड में माहिर हूँ? नेहा बोली- तुम हर चीज़ में माहिर हो और कई चीज़ों में तो शातिर हो, जैसे अभी तुमने मेरी तारीफ की पर तुम भी जानते हो यह पूरी तरह से सही नहीं है, तुम्हारी तो ख़ास है जेनी और पूनम हम तो बस यूँ ही हैं! मैं हँसते हुए बोला- हर एक्शन का एक रीज़न होता है हो सकता है पूनम और जेनी के बारे में भी मेरा कोई रीज़न होगा। जब मिलोगी आराम से तो बताऊँगा। और सुनाओ सब ठीक है ना? नेहा बोली- हाँ सब ठीक है लेकिन तुम यह क्यों पूछ रहे हो? मैं बोला- मुझको बड़ा फ़िक्र रहती है कि तुम्हारी ऊपर और नीचे की चीज़ें ठीक हैं ना?
नेहा बड़े ज़ोर से हंस दी और कॉरिडोर में जा रहे कई छात्र मुड़ कर देखने लगे कि क्या माजरा है लेकिन मैं बड़ा ही गंभीर बना रहा और बोला- नेहा जी, इस मामले में कभी कभी ऊपर नीचे के शरीर के हिस्सों में प्रॉब्लम हो जाती है। वैसे आप रात को चेक कर लेना सब पार्ट्स ठीक तरह से फंक्शन कर रहे हैं न? नेहा अभी भी हंस रही थी और हँसते हुए ही बोली- ठीक है चेक कर लूंगी लेकिन आपको यह शक क्यों हो गया? मैं बहुत ही रोनी सूरत बना कर बोला- वो इस लिए कि यह मेरे साथ दुर्घटना हो चुकी है जब हम वापस लौट रहे थे। अब नेहा सीरियस हो गई और बोली- सच्ची कह रहे हो क्या? वैसे क्या हुआ था तुम्हारे साथ?
मैं बोला- जैसे ही मैं स्टेशन पर उतरा तो मुझको ख्याल आया कि शायद मैं कुछ गाड़ी में तो नहीं भूल आया? इसलिए मैंने जल्दी से अपनी जेब और सामान चेक किया लेकिन सब ठीक था फिर मैंने जेब में दुबारा हाथ डाल कर फील किया तो यह जान कर हैरान रह गया कि मेरा ‘वो’ तो गाड़ी में ही छूट गया है, मैं भाग कर गाड़ी में गया और ढूंढा तो ‘वो’ सीट के नीचे पड़ा था। मैंने जेब से रुमाल निकाला और अपनी आँखें, जिनमें कोई आँसू नहीं था, पौंछने लगा।
अब तो नेहा का हंसी के मारे बुरा हाल था वो कभी दीवार को पकड़ कर हंस रही थी और कभी मेरे कंधे को पकड़ कर हंस रही थी। मैंने रोनी सूरत बनाए रखी। मैंने कहा- खैर छोड़ो, उषा मैडम से कब मिलना है मुझको? नेहा अब संयत हो गई थी और शान्ति से बोली- उन्होंने तुमको लंच ब्रेक में बुलाया है स्टाफ रूम में! मैंने नेहा के कान में कहा- ‘वो’ खो जाने वाली बात किसी को बताना नहीं प्लीज! और चलते चलते मैं उसके चूतड़ों में चिकौटी काटते हुए आगे बढ़ गया।
वो चौंक कर भागती हुई आई और मुझको भी मेरे चूतड़ों पर चकौटी काट कर भाग गई। मैंने मुड़ कर देखा और हँसते हुए स्टाफ रूम की तरफ चल दिया।
उषा मैडम मुझको देख कर बाहर आ गई और मुझको लेकर कॉलेज के लॉन पर आ गई। उषा मैडम ने कहा- निर्मल मैडम ने बात की होगी तुमसे? मैं बोला- जी मैडम जी, उन्होंने बात की थी, अब आप जैसा कहें वैसा ही कर लेते हैं। उषा मैडम बोली- आज कॉलेज के बाद फ्री हो क्या? मैं बोला- जी मैडम, फ्री हूँ। उषा मैडम बोली- तो मेरे घर आज चल सकते हो क्या? मैं बोला- जैसा आप कहें। कितने बजे चलना होगा? उषा मैडम बोली- यही 2 बजे छुट्टी के बाद निकल पड़ते हैं. छुट्टी के बाद तुम मुझको मेन गेट पर मिल जाना, ठीक है? मैं बोला- ठीक है मैडम।
फिर मैं वहाँ से वापस आ गया क्लास में!
तभी जेनी, डॉली और जस्सी मेरे क्लासरूम में आ गई और सब बड़ी सीरियस बनी हुई थी और बोली- सुन कर बड़ा दुःख हुआ आप की बहुत ही प्यारी चीज़ खो गई थी। मैं सीरियस होते हुए बोला- हाँ, लेकिन मुझको तो आप सब का ख्याल आ रहा था कि मैं आप सबकी सेवा कैसे कर पाऊँगा? मैं यही सोच सोच कर परेशान था। तब तीनों ने मिल कर कहा- शुक्र है कि ‘वो’ मिल तो गया, ईश्वर की बहुत ही कृपा हुई सोमू जी। मैं मुस्कराते हुए बोला- किस पर कृपा हुई? आप पर या मुझ पर? तीनो चहकते हुए बोली- हम सब पर!
मैं बोला- अब कभी मिलना तो हाल ज़रूर पूछ लेना भैया लाल जी का? वैसे कब मिल रही हो तुम उनको? तीनों बोली- मिलना मिलाना तो तुम्हारे हाथ में है या फिर उनके हाथ में है। तीनो हंसती हुई क्लास से चली गई.
छुट्टी के बाद मैं मेन गेट पर इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर में उषा मैडम की कार गेट पर आकर रुकी और मैडम ने मुझको इशारा किया कि अंदर आ जाऊँ। आगे की सीट पर मैडम के साथ कॉलेज की एक लड़की बैठी हुई थी तो मैं पिछली सीट का दरवाज़ा खोल कर कार में बैठ गया। दस मिन्ट में हम मैडम के घर पहुँच गए और उसके साथ हम तीनों अंदर चले गए।
काफी अच्छा सा मकान था और एक नई बनी साफ सुथरी कॉलोनी में था। मैडम ने बैठक में हमें बिठा दिया और खुद ही रसोई से शर्बत ले आई।
फिर उषा मैडम ने कहा- इनसे मिलो, यह अपने ही कॉलेज में बी. ए. की छात्रा है, इनका नाम सुधा है और सुधा, ये सोमू हैं।इन्टर फर्स्ट ईयर के छात्र हैं। हम दोनों ने एक दूसरे को नमस्ते की। उषा मैडम बोली- सुधा भी शौक़ीन लड़की है और मेरे साथ ही रहती है इसी मकान में, जब तुम्हारे साथ प्रोग्राम बना तो सुधा ने इच्छा जताई कि यह भी सोमू से मिलना चाहती है और सारे कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहती है अगर सोमू को कोई ऐतराज़ ना हो तो! मैं बोला- मैडम, जब आपको कोई ऐतराज़ नहीं तो मुझको भला क्या ऐतराज़ हो सकता है। और फिर मैं तो इस कहावत में विश्वास करता हूँ… मोर एंड मेरिएर! उषा मैडम बोली- शाबाश सोमू, मुझे तुमसे यही उम्मीद थी, चलो पहले खाना खा लें।
तब हम सब खाने वाले टेबल पर बैठ गए और सुधा और मैडम ने मिल कर जल्दी ही खाना टेबल पर सजा दिया। खाना बहुत ही अच्छा बना था और जब मैंने खाने की तारीफ की तो मैडम बोली- यह सब सुधा ने बनाया है और मैंने इसकी थोड़ी बहुत हेल्प की है। मैं सच्चे मन से खाने की तारीफ करने लगा और मैंने देखा कि सुधा के चेहरे पर ख़ुशी की एक झलक आई थी और फिर वो नॉर्मल हो गई।
खाना समाप्त करके मैडम मुझको लेकर अपने बेडरूम में आ गई और फिर वो थोड़ी देर के लिए दूसरे कमरे में चली गई। कुछ समय बाद दोनों उसी कमरे में से अपनी नाइटी पहन कर आई और मेरे दोनों तरफ आकर खड़ी हो गई। मैडम बोली- सोमू, क्या हम दोनों तुम्हारे कपड़े उतारने में मदद करें? मैं बोला- कर दीजिये। वैसे मैं अपने कपड़े सिवाय बाथरूम में, अपने आप कभी नहीं उतारता। पर उससे पहले आप दोनों सुंदरियाँ भी अपने नाइटी उतारे दें तो मुझ को बहुत आनन्द आएगा।
मैं कुर्सी पर बैठ गया और यह सेक्सी नज़ारा देखने लगा। दोनों ने एक साथ ही अपनी नाइटी उतार दी और वो दोनों ही एक साथ हलफ नंगी हो गई।
दोनों ही शारीरिक रूप से काफी सुंदर थी, सुधा का शरीर छोटी उम्र के कारण ज़्यादा भरा हुआ नहीं था लेकिन उसकी चूत बालों से भरी थी, छोटे मुम्मे और छोटे ही गोल चूतड़ों से वो एकदम कमसिन लड़की लग रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! उधर उषा मैडम का जिस्म भरा हुआ और काफी गठा हुआ था जैसा कि मैं पहले भी देख चुका था और चूत एकदम सफाचट थी।
अब सुधा आगे बढ़ी और मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए, जब मेरे शरीर पर मेरा अंडरवियर ही रह गया तो मैंने तब उषा मैडम को घूर कर देखा और वो समझ गई और शर्माते हुए मुस्कराने लगी। जैसे ही सुधा ने नीचे बैठ कर मेरा अंडरवियर को उतारा तो मेरा खड़ा लंड एकदम आज़ाद होकर उछल कर उसके मुंह पर जाकर लगा और डर के मारे चिल्ला पड़ी और जमीन पर गिर गई।
उषा मैडम ज़ोर से हंस पड़ी लेकिन मैं संयत रहा और हाथ पकड़ कर मैंने सुधा को ऊपर उठाया और खींच कर उसको अपने सीने से लगा लिया और उसके लबों पर एक मधुर चुम्बन किया। फिर मैं बोला- सुधा जी, कहीं लगी तो नहीं आपको? मैंने इस साले को कई बार मना किया है कि ऐसे मत उछला कर लेकिन यह ससुर मानता ही नहीं। वैसे यह इसकी प्यार की थपकी है।
अब सुधा भी ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी- वाह सोमू राजा, मारा भी तो अपने लंड से, बहुत खूब!
मैंने भी एक भेद भरी नज़र उषा मैडम पर डाली और बोला- सुधा, तुम अकेली ही नहीं हो, इसके शिकार कई और भी बन चुके हैं इस के थप्पड़ों के और इकी प्यार की थपकी के। उषा मैडम ने अपनी नज़र नीचे झुका ली लेकिन उनके लबों पर भी एक हलकी सी मुस्कान थी।
मैंने उषा मैडम के सामने झुक कर कहा- ऐ बेगमाते ऐ हिन्द, इस नाचीज़ खादिम के लिए क्या हुक्म है? उषा मैडम भी उसी लहजे में बोली- ऐ ग़ुलाम, तुम आज मेरी और इस लौंडिया की हर तरह से मुराद पूरी करो! मैं भी झुक कर बोला- जो हुक्म मेरी आका!
तब मैडम ने मुझको अपने नज़दीक आने का इशारा किया और मैं सुधा को साथ लेकर मैडम के पास चला गया। मैंने जाते ही सबसे पहले मैडम के लाल होटों को अपने लबों में ले लिया और उनको चूसने लगा।
फिर मैडम को बिस्तर पर लिटा दिया और सुधा को इशारा किया कि वो मैडम के मुम्मों को चूसे और मैंने मैडम की सफाचट चूत पर अपना ध्यान केंद्रित किया और नीचे झुक कर अपने मुंह को उनकी चूत के अंदर डाल दिया और जीभ से चूत के अंदर गोल गोल घुमाने लगा और फिर जीभ से उनकी भग को छेड़ने लगा। ऐसा करते ही मैडम की चूत अपने आप ऊपर उठ कर मेरे मुंह से चिपक गई और सुधा भी मैडम के मुम्मों को चूसने में पूरी मुस्तैदी से लगी रही और जब मैडम का एक बार मुंह से छूट गया तो वो मेरे सर के बालों को पकड़ कर ऊपर आने के लिए प्रेरित करने लगी।
मैंने मैडम की चूत के रस से भीगे अपने मुंह को मैडम के मुंह पर रख दिया और जीभ को मैडम की जीभ से भिड़ाने लगा। सुधा अब मेरे चूतड़ों के साथ खेलने लगी लेकिन मैंने अपना लंड मैडम की चूत के मुंह पर रख दिया और सुधा ने मेरे चूतड़ों को एक धक्का ज़ोर का मारा और लंड लाल पूरा का पूरा अंदर चला गया।
अब मैं बहुत ही धीरे धीरे धक्के मारने लगा और बीच बीच में मैडम के लबों को भी चूसता रहा और सुधा भी जो मेरा अंग उसको खाली लगता वो उसको चूमने और चाटने में लग जाती और इस मदद से मैडम को अपनी चरम सीमा की ओर हम दोनों मिल कर ले जा रहे थे।
जब देखा कि मैडम को काफी आनन्द आ रहा है तो मैंने उसकी टांगों को उठा कर अपने कंधों के ऊपर रख दिया और उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख दिए और अब धक्कों की स्पीड एक दम तेज़ कर दी और इस स्पीड को जारी रखते हुए मैं अपनी पूरी ताकत से मैडम को चोदने लगा। सुधा की तरफ देखा तो वो हैरान हुई यह सारा तमाशा देख रही थी और यह भी देख रही थी कि कैसे मैडम तड़फते हुए इधर उधर अपना सर फैंक रही थी।
मैंने महसूस किया कि मैडम का शरीर अकड़ने की स्टेज पर आ गया है, मैंने अपने धक्कों को स्लो और फ़ास्ट में तब्दील कर दिया और ऐसा करते ही मैडम का शरीर ज़ोर से कांपा और उन्होंने अपनी टांगों को मेरे दोनों और फैला कर मुझको उनमें जकड़ लिया और बहुत ही अजीब आवाज़ करते हुए वो झड़ गई।
मैंने अपना लंड जो मैडम की चूत के रस से पूरी तरह गीला हो चुका था, उसको मैडम की चूत से फट की आवाज़ करते हुए निकाला और सुधा को अपने हाथों में उठा कर बेड की दूसरी तरफ ले जाकर उसको अपने खड़े लौड़े पर बिठा दिया और मेरा गीला लंड एकदम आराम से सुधा की टाइट चूत में चला गया।
सुधा की चूत बेहद गीली और कामातुर हो रही थी, वो मेरे लंड पर बैठते ही पूरा का पूरा लंड अंदर ले गई और मेरे को एक टाइट जफ्फी मार कर मेरे लबों पर अपने जलते हुए होटों को रख दिया। मैं नीचे से उसको धक्के मार रहा था और उसको इशारा किया कि वो ऊपर से शुरू हो जाए। जल्दी ही हम दोनों एक व्यवस्थित ढंग से एक दूसरे को धक्के मार रहे थे।
मैंने उसके छोटे लेकिन सॉलिड मुम्मों को चूसना शुरू किया और अपने धक्कों की स्पीड बहुत ही धीरे रखी ताकि सुधा को भी पूरा मज़ा आने लगे और वो मेरे गले में बाँहों डाले मेरी आँखों में आँखें डाल कर रोमांटिक ढंग से अपनी चूत चुदवा रही थी। क्यूंकि शायद उसको अभी तक कोई ढंग का साथी नहीं मिला था तो वो काफी सेक्स की प्यासी लगी, और मैं भी उसकी अन्तर्वासना को समझते हुए उसको वैसे ही चोदने लगा।
जब वो पूरी तरह से कामातुर हो गई तो उसकी अपनी स्पीड ही तेज़ होने लगी और मैं रुक गया और उसको अपनी मर्ज़ी करने दी। वो अब जल्दी जल्दी मेरे सामने से आगे पीछे होने लगी और उसकी बाहें मेरे गले में फैली थी और वो उनके सहारे वो मेरे लंड पर झूला झूल रही थी और मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर टिके थे जिनकी मदद से वो झूला झूल रही थी।
थोड़ी देर में उसका शरीर थोड़ा अकड़ा और वो एकदम से मुझको अपनी बाँहों में जकड़ कर छूट गई। मैडम अब तक आँखें बंद किये लेटी थी और जब सुधा का छूट गया तो उसकी चूत से बहुत ही पानी निकला और सुधा जल्दी से उठ कर एक छोटा तौलिया ले आई जिससे उसने अपनी चूत का पानी पौंछा जो काफी मात्रा में मेरी जांघों पर लगा था।
मैं भी मैडम की दाईं तरफ लेट गया और सुधा भी साफ़ सफाई करके आकर मेरे दूसरी तरफ लेट गई। वो दोनों तो ऐसी थक कर लेटी थी जैसे वो मीलों चल कर आई हों।
मैंने कोशिश की उषा मैडम को जगाने की, लेकिन ऐसा लगता था कि वो गहरी नींद सो गई थी, लेकिन सुधा अभी भी जाग रही थी और मेरे लौड़े से खेल रही थी। मैंने उससे पूछा- क्या और चुदना है तुमको? उसने भी इंकार में सर हिला दिया लेकिन मैंने कहा- सुधा, एक बार से क्या होगा तुम्हारा, चलो उठो मैं तुमको असली चुदाई का मज़ा देना चाहता हूँ एक गिफ्ट के तौर पर!
और मैंने उसको उठ कर पलंग के किनारे पकड़ कर खड़े होने के लिए कहा। जब उसने वो पोजीशन ले ली तो मैं भी उसके पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत में पीछे से अपने खड़े लंड को अंदर डाल दिया। शुरू में धीरे और हल्के धक्के मारने से जब वो चुदाई का ढंग समझ गई तो मैंने आहिस्ता से धक्कों की स्पीड बढ़ाने लगा और मेरे दोनों हाथ सुधा के मम्मों और उसके गोल छोटे चूतड़ों से खेल रहे थे और कभी कभी उसकी गांड में भी ऊँगली डाल कर उस को और उत्तेजित कर रहे थे।
सुधा अब चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी और उसका सर बार बार उधर घूम रहा था और वो अपने चूतड़ों को स्वयं आगे पीछे करने लगी थी। मैं उसकी चोटी अपने हाथ में लेकर उसके सर को हल्के झटके मारने लगा और वो और भी आनन्द से अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और फिर उसकी चूत में एक अजीब सा उबाल आया और वो हाय हाय करती हुई झड़ गई और उसने अपना सारा शरीर पहले जरा अकड़ा और फिर वो एकदम ढीली पड़ कर पलंग पर लुढ़क गई।
तब तक मैडम भी जाग गई थी, वो भी मेरे पीछे खड़े होकर मुझको जफ्फी डाल रही थी। मैंने उनको सीधा किया और उनके मुंह पर ताबड़तोड़ चुम्मियाँ दे डाली और फिर उनको लेकर मैं बेड पर आ गया और घोड़ी बनने के लिए कहा, उनके गोल और उभरे हुए चूतड़ों को सहलाते हुए उसकी उभरी चूत के पीछे बैठ कर मैंने अपने अभी भी गीले लंड को उषा मैडम की चूत में घुसेड़ दिया।
मैडम ‘उई…’ कह कर अपनी गांड को इधर उधर करने लगी और जब उनको यकीन हो गया कि मैंने चूत में लौड़े को डाला है तो वो रुक कर उसका आनन्द लेने लगी। घोड़ी की पोजीशन में मर्द का लंड पूरा चूत की आखिरी हिस्से तक जाता है और इस पोजीशन में वीर्य के छूटने से गर्भ की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है। मैडम की चूत पुनः गीली हो चुकी थी, मैं भी जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा और पूरा अंदर बाहर करते हुए मैडम की भग को भी मसलने लगा।
मैडम भी हाय हाय करती रही और बार बार यही कह रही थी- मार डालो मुझको, फाड़ दो मेरी चूत को… साली हरामज़ादी है। मैंने सुधा की तरफ देखा, वो भी हंस रही थी और हाथ से अपनी चूत में अपने दाने को मसल रही थी। मैंने अब बड़े तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिए ताकि मैडम जल्दी ही किनारे लग जाए और फिर मैंने उसकी गांड में अपनी मध्य ऊँगली भी डाल दी। ऐसा करते ही वो एकदम से चिल्लाई और उनका सारा जिस्म अकड़ा और वो फिर ढीली पड़ गई। मैडम की चूत काफी ज़ोर से मेरे लौड़े को पकड़ और छोड़ रही थी जो दूध दोहने की क्रिया के समान होता है जिससे मुझको बड़ा आनन्द आया। अब मैं मैडम के ऊपर से उतरा और सुधा ने मेरे लौड़े को तौलिये से साफ़ किया और मैं उठ कर कपडे पहनने लगा और सुधा ने भी कपड़े पहन लिए और वो मुझको मैडम के कहने पर बाहर तक छोड़ने आई। मैंने नंगी लेटी मैडम को बाय बाय कहा।
मैंने जाने से पहले उसके मुम्मों को हल्के से दबा दिया और चूतड़ों पर चिकोटी भी काट ली। और बाहर निकल गया। सुधा ख़ुशी से हंस पड़ी और बोली- कल मिलना कॉलेज में ज़रूर सोमू यार, मैं तुम्हारा ढंग से शुक्रिया भी नहीं कर सकी। मैं बोला- ज़रूर मिलेंगे। यह कह कर मैं उन के घर से बाहर आ गया और रिक्शा पकड़ कर अपने घर वापस आ गया।
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