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इस कहानी के पिछले भाग दिव्या की चूत और गाण्ड फाड़ चुदाई-1 में अब तक आपने पढ़ा..
अब उसने गाण्ड और मेरी तरफ को कर दी.. और अपनी कामुकता को कुछ हद तक खोल दिया। अब तक मेरा लंड भी पूरी तरह से खड़ा हो चुका था.. लौड़ा इतना अधिक कड़क हो चुका था कि फटने को हो रहा था। मैंने अपना लंड वैसे ही कपड़ों के ऊपर से ही उसकी गाण्ड की दरार में लगा दिया। उसने भी गाण्ड पीछे की ओर कर दी। अब मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर उसके हाथ में रख दिया.. जिसे देख कर शायद वो चौंक गई और उसने एकदम से आँखें खोल लीं.. जिससे मैं भी थोड़ा डर गया।
अब आगे..
वो कहने लगी- ये क्या कर रहे हो तुम.. ये ग़लत है? तो मैंने उससे कहा- दिव्या.. मैं तुम्हें बचपन से ही बहुत पसंद करता हूँ.. तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.. मैं तुम्हें आज जी भर के प्यार करना चाहता हूँ। यह कहते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। पहले तो उसने मना किया फिर वो भी मान गई और मेरा साथ देने लगी।
मैं उसके होंठ चूसने लगा.. और कमीज़ के ऊपर से ही उसके मम्मों पर हाथ डाल दिया। फिर अन्दर हाथ करके ब्रा के ऊपर से उसके गोल और ठोस चूचों को दबाने लगा। हम ऐसे ही 10 मिनट तक किस करते रहे।
फिर मैंने उसकी शर्ट उतार दी.. उसने कुछ भी नहीं कहा.. और फिर ब्रा भी एक ही झटके में उतार दी। ओह्ह.. फिर जो नज़ारा था.. वो तो कोई मुर्दा भी देख लेता तो वो भी जिंदा हो कर चोदने की तैयारी में लग जाता।
मैं भी एकदम से उसके मम्मों पर झपट पड़ा और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। उसे मजा आने लगा साथ ही उसे मीठा-मीठा दर्द भी हो रहा था। वो कहने लगी- आह्ह.. आराम से दबाओ न.. आज पहली बार कोई मेरे इन नरम-नरम दूधों को हाथ लगा रहा है.. और वो भी इतने बेरहमी से.. प्लीज़ जरा मजा लेकर सहलाओ न… मैं आराम से चूचों से खेल करने लगा। जब मैंने उसके मम्मों को एकदम से फूलते हुए ध्यान से देखे.. तो वो अब लाल हो चुके थे.. निप्पल कड़क हो चुके थे.. उन पर मेरी उंगलिओं के निशान पड़ गए थे।
फिर मैंने अपना मुँह निप्पल पर रख दिया.. और चूसने लगा, चूचे चूसते-चूसते मैंने दाँत से थोड़ा सा काट भी दिया जिससे उसकी चीख ही निकल गई- आउच.. प्लीज़ धीरे करो.. आअहह.. आअ.. ओऊऊहह.. मजा आ रहा है.. और करो ऊऊओ.. आहा..
फिर मैं अपना मुँह मम्मों से फिराते हुए उसके पेट पर ले आया और उसकी नाभि पर मुँह लगा दिया। वो अब मछली की तरह तड़पने लगी.. फिर मैंने उसकी पजामी नीचे कर दी और पैन्टी भी उतार दी, उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने खुली पड़ी थी.. कितनी शानदार चूत लग रही थी.. मैंने अपने होंठों को उसकी चूत के होंठों पर रख दिए। वो सिहर उठी.. जैसे उसके शरीर मे कोई करेंट दौड़ गया हो.. उसकी चूत से कुछ पानी जैसा बाहर आने लगा.. मैं 10 मिनट लिकिंग करता रहा और अब वो तड़प उठी थी।
वो कहने लगी- आह्ह.. अब अपना लंड डाल दो मेरी चूत में.. रहा नहीं जा रहा है.. तो मैंने कहा- इतनी जल्दी क्या है मेरी दिव्या.. मेरे सपने की एंजल.. अभी तो मेरा लंड चूसो। वो जल्दी से मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी और फिर पूरा अन्दर लेते हुए बड़ी अच्छी तरह से चूसने लगी। मेरे मुँह से ‘आआहा.. आआ… आआआहह..’ की आवाजें निकलने लगीं। मैं सातवें आसमान पर था.. और मेरा लंड सख़्त हो कर लोहे की रॉड की तरह हो गया था।
वो भी कहने लगी- अब तो चोद डालो मुझे.. मेरी चूत में लगी आग को बुझा दो.. मैंने उससे कहा- दिव्या पहले मैं तेरी गाण्ड मारना चाहता हूँ.. फिर तेरी चूत मारूँगा। पहले तो वो मना करने लगी.. पर फिर चुदास के चलते वो थोड़ी देर बाद मान गई। अब वो बिस्तर पर उल्टी लेट गई.. मैंने उसके पेट के नीचे तकिया रख दिया.. जिससे उसकी गाण्ड और ऊपर को हो गई।
मैंने उसकी टाँगें खोल दीं और अपने लंड को गाण्ड के छेद पर लगा दिया। मैंने जोर लगाया पर वो अन्दर घुसने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसने कहा- पहले थोड़ा तेल लगा लो..
मैंने पास में रखा नारियल का तेल लिया और अच्छी तरह से उसकी गाण्ड की मालिश की साथ ही उसकी पीठ व पैर पर भी मालिश की। अब वो भी रिलैक्स हो गई थी, उसकी गाण्ड भी तेल लगाने से चमकने लगी थी। मैंने अपने लौड़े को भी तेल से भिगो लिया और अब फिर से ट्राई किया। अबकी बार थोड़ा सा लंड का सुपारा ही अन्दर गया था कि वो उछल पड़ी..
फिर मैंने उसे पकड़ कर दबा लिया और थोड़ा और ज़ोर लगाया तो मेरा हलब्बी लौड़ा 3 इंच अन्दर घुस गया.. वो दर्द के मारे चिल्ला पड़ी।
उसकी आँखों से आँसू आने लगे थे। अब वो मना करने लगी.. तो मैं दर्द को कम करने के लिए उसके होंठों पर चूमा करने लगा और 5 मिनट बाद उसका दर्द जैसे ही कुछ कम हुआ तो वो डालने के लिए कहने लगी।
फिर मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाया और 6 इंच अन्दर गया। अब उसे और दर्द होने लगा.. मैं फिर रुक गया और थोड़े धक्के लगाने लगा। थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो भी गाण्ड हिला हिला कर मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने फाइनल शॉट मारा और पूरा लंड उसकी गाण्ड में जड़ तक उतार दिया।
अब तो वो बड़ी बुरी तरह से तड़पने लगी.. वो रोने लगी थी.. पर मैंने उसके होंठों को दबा लिया और किस करने लगा। उसकी आँखों से आँसू रुक ही नहीं रहे थे.. फिर 10 मिनट बाद जाकर वो शांत हुई और फिर मैंने थोड़ा लंड बाहर निकाला और धक्के लगाने लगा। फिर पूरा लंड बाहर निकाल के ज़ोरदार शॉट मारा.. और पूरा अन्दर तक घुसा दिया.. उसे फिर से दर्द होने लगा और वो चिल्लाने लगी- प्लीज़ थोड़ा धीरे करो.. मुझे दर्द हो रहा है..
उसकी ‘आआ.. आआ.. आआआ.. आअहह..’ की आवाजें शोर करने लगीं। फिर मैं ऐसे ही धक्के लगाने लगा और कुछ ही पलों बाद लौड़े ने उसकी सुरंग में जगह बना ली और उसे भी गाण्ड चुदाई का मज़ा आने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी.. पूरे कमरे में अब हमारी चुदाई की आवाजें गूँजने लगीं, मेरे लंड की गोटियाँ उसकी गाण्ड पर ज़ोर से बजतीं और ‘ठप.. ठप..’ की आवाज़ आती।
‘ऊऊहह.. ओह और ज़ोर से करो.. ओर ज़ोर से करो.. आआआ..’ वो मादक आवाजें कर रही थी.. मुझे भी उसकी गाण्ड चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था, मेरा आज सपना पूरा हो रहा था और फिर मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. मैंने पूरे ज़ोर से झटके देने शुरू कर दिए.. वो भी पूरे मजे से मेरा साथ दे रही थी।
मैं उसकी गाण्ड पर ज़ोर-ज़ोर से झटके मार रहा था.. और उसकी चूत से पानी निकल कर गाण्ड पर आ रहा था..
फिर मैंने एक जोर लगा कर और पूरा लंड उसकी गाण्ड में अन्दर तक घुसा दिया और अन्दर ही पानी छोड़ दिया। उसने भी मेरा लंड गाण्ड में दबा लिया और बाहर ही नहीं आने दे रही थी। फिर लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया।
कुछ देर बाद वो कहने लगी- अब मेरी चूत भी मारो.. मैंने उसे फिर से लंड चूसने को कहा तो वो चूसने लगी और 10 मिनट में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अब की बार मैंने उसकी टाँग अपने कंधे पर रख लीं.. और लंड उसकी चूत पर रख कर ज़ोर लगाया। मेरा लंड थोड़ा सा अन्दर गया और उसे थोड़ा दर्द होने लगा.. पर अब उसने दर्द सहना सीख लिया था।
वो मुझे पूरा लंड अन्दर डालने के लिए कहने लगी और मैंने भी जोरदार शॉट लगाया और पूरा लंड 3 ही शॉट्स में अन्दर घुसा दिया। बस फिर क्या था, मैंने ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा और उसे भी मजा आ रहा था।
फिर मैंने पोज़ चेंज किया और बिस्तर के किनारे पर उसे उल्टा लिटा दिया और डॉगी स्टाइल में कर के पीछे से लंड घुसा कर चोदने लगा। उसे फिर दर्द होने लगा और वो चिल्लाने लगी।
वो ‘आआ.. आआअहह.. ऊऊहह..’ की आवाजें करने लगी.. साथ ही उसे मजा भी आ रहा था। मैं उसे पूरे मजे लेते हुए चोदने लगा और इसी तरह मैंने करीब 30 मिनट तक उसको चोदा।
इस दौरान वो 3 बार झड़ गई और फिर मैं भी फारिग होने वाला था तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ? तो उसने कहा- अन्दर ही छोड़ दो.. मैंने सारा वीर्य एक पिचकारी मार कर अन्दर ही छोड़ दिया। वीर्य की गर्मी से वो एक बार फिर से झड़ गई।
इस तरह हम एक साथ झड़ गए थे और संतुष्ट हो गए थे। अब हम दोनों जन्नत में विचरण कर रहे थे और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। हम ऐसे ही नंगे ही लेटे रहे। उस रात मैंने उसको 3 बार चोदा.. वो भी इस घमासान चुदाई से बड़ी खुश हुई।
तो दोस्तो, यह थी मेरी वासना, सेक्स, गान्ड चुदाई और चूत चुदाई भरी कहानी जो एकदम सच्ची है.. आपको कैसी लगी.. अपने विचार ज़रूर दीजिएगा। [email protected]
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