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मेरा नाम संदीप है.. मैं बिहार का रहने वाला हूँ.. मेरी उम्र अभी 22 साल की है। अन्तर्वासना डॉट कॉम पर यह मेरी पहली कहानी है। मेरी कहानी एकदम सच्ची घटना को दर्शाएगी।
दोस्तो.. जब इंसान जवानी में प्रवेश करता है.. तो उसके अन्दर की यौन क्रीड़ा करने की इच्छाएँ भी प्रबल होती जाती हैं। मैं भी कोई अपवाद नहीं हूँ.. जब से मैंने 12 वीं की परीक्षा पास की.. पता नहीं क्यूँ चोदम-पट्टी मचाने का शौक परवान पर चढ़ने लगा।
मैं जब भी सड़क पर निकलता.. तो स्कर्ट पहने हुए खूबसूरत लड़कियों को देखकर मेरा चुदाई का रस अंडकोषों से स्रावित होने लगता और मेरे लण्ड में गुदगुदी होने लगती.. मैं सोचता था कि साली कोई मिल तो जाए.. फिर उसकी स्कर्ट के नीचे से हाथ घुसा कर पैंटी के ऊपर से ही चूत में ऊँगली कर ही दूँ.. उसकी चूत का पानी निकाल दूँ.. चूचियों को मरोड़ दूँ।
खैर.. यह तो इच्छा की बात हो गई.. मन जो चाहे.. सब कुछ हो थोड़े न हो जाता है।
बात यह हुई कि मेरी थोड़ी दूर की मौसी की शादी थी। मैं भी उस शादी में पहुँचा। शादी गाँव में ही थी.. जहाँ बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी। मेरी दूर की मौसी की दीदी के ससुराल से बहुत सारे लोग शादी में शिरकत करने आए थे। उनकी एक ननद भी थी.. जो कि शादीशुदा थी, उसकी शादी को 3 महीने भी नहीं हुए थे।
मेरी मौसी की शादी बहुत धूमधाम से गाँव के रीति-रिवाज़ से संपन्न हुई.. वो ब्याह के बाद ससुराल चली गई।
आप तो जानते ही हैं कि गाँव में शादी में बहुत सारे लोग आ जाते हैं.. इसीलिए सब को सोने के लिए जगह में काफी समस्या होती है। शादी में आने वाले मेहमान भी कई दिन तक डेरा जमाए रखते हैं.. जिसके कारण ये समस्या बनी रहती है।
खैर.. शाम ढलते ही मैंने खाना खा लिया। सब लोग छत पर बनी बरसाती में सो रहे थे। उधर लगभग 9 लोग सोये हुए थे उसमें से 2 औरतें और बाकी सब छोटे बच्चे थे। मेरी एक दूसरी मौसी ने मुझे कहा- जा तू भी बरसाती में ही सो जा। मैं सोने बरसाती में चला गया.. बरसाती में एक हल्की सी रोशनी देने वाली ढिबरी (दीपक) जल रही थी। मैंने देखा कि सारे लोग सो चुके हैं। मैं खुद के लेटने की जगह ढूंढ रहा था.. लेकिन मुझे जगह मिली भी तो उधर 2 औरतें सोई हुई थीं। उनके ही बगल में.. मैं भी जाकर सो गया।
मैं लेटा हुआ यही सोच रहा था कि काश आज किसी की बुर का दीदार हो जाए.. साली चोदने को न सही.. छूने को ही मिल जाए। जब मैंने गौर से देखा कि बगल में कौन सोई है.. तो पता चला कि वो मेरी मौसी की ननद ही है जिसकी 3 महीने पहले शादी हुई है। मुझे लगभग 1 घंटे तक नींद नहीं आ रही थी।
अचानक मैंने देखा कि मेरे बगल वाली ननद रानी अपने घुटने को थोड़ा उठा कर पांव ज़मीन पर ही रखी मुद्रा में सो रही है.. इससे हुआ यह कि उसकी साड़ी सरक गई.. और घुटने से थोड़ा नीचे आ गई। मैं उसके पांव और जांघ तक तक का गोरा दृश्य देख कर पागल हुआ जा रहा था। मुझे एक तरकीब सूझी.. मैंने थोड़ा तिरछा होकर.. उसके सिरहाने से दूर हट कर.. अपना सर कर लिया और अपना एक पैर उसके घुटने के उठने के कारण बनी हुई जगह में सरकाते हुए अन्दर को तान दिया।
अब मैं इन्तजार कर रहा था कि कब वो अपना पांव पूरी तरह पसारे और उसकी अन्दर तक की जांघ मेरे पांव के ऊपर आ जाए।
लगभग 15 मिनट के बाद उसने अपनी टांग सीधी की और मेरा पांव उसके जांघों के बीच फंस गया।
अय..हय.. कसम से क्या आनन्द आ रहा था.. वो कर भी क्या सकती थी। अब धीरे धीरे मैं अपने पैर की उंगलियों से उसकी जाँघों को सहलाने लगा था और चूंकि मेरा पैर भी दबा हुआ था.. सो उसे भी ऐसा लगता कि मैं अपने पैर को दबा हुआ महसूस कर रहा हूँ.. इसलिए उंगलियाँ चला रहा हूँ।
कुछ देर बाद उसने अपनी जांघों को थोड़ा फैला दिया और पैर को भी थोड़ा फैला दिया.. शायद यह मेरे लिए सुनहरा सा आमंत्रण था। अब मैं अपना पांव उसकी चूत की तरफ ले गया और पैर की उँगलियों से उसकी चूत को उसकाने लगा.. मेरा अंगूठा उसकी चूत के ऊपर से रगड़ मार रहा था। मैं अपने पैर की ऊँगली से मजा लेने लगा।
मैंने चूत का द्वार खोज कर.. उसमें अपने पैर की बड़ी ऊँगली अंगूठे को उसकी चूत के अन्दर डाल कर मज़े लेने लगा। पानी छूटने के कारण चिप-चिप कर रहा था और मुझे अत्यंत ही आनन्द आ रहा था।
अचानक वो अपनी दोनों जांघों को जकड़ने लगी और मानो वो भी तैयार हो उठी थी और जोश में आ गई थी।
मैं धीरे-धीरे सरक कर उसके पास गया.. थोड़ी देर बाद मैंने उसके मम्मों पर हाथ रख दिया, वो कोई विरोध नहीं कर रही थी। मैं धीरे-धीरे उसकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा। मैंने उसकी चूचियों को खूब दबाया, उसने बाद ब्लाउज का एक हुक ऊपर से खोल दिया और मैं ब्लाउज के अन्दर ही हाथ घुसेड़ कर उसकी चूचियों को भरपूर दबाने लगा। वो उत्तेजना में छटपटा रही थी..
इसके बाद मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ को उसकी साड़ी के ऊपर से गांड पर ले जाते हुए उसकी पिछाड़ी को सहलाने लगा। फिर मैं उसकी साड़ी ऊपर की तरफ सरकाने लगा लगा और अपना हाथ उसकी जाँघों तक लाकर सहलाने लगा।
फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाया और उसकी चूत में ऊँगली करने लगा। उसने भी चूत को फैला कर मेरा काम आसन कर दिया।
मुझे तो बस जन्नत का एहसास हो रहा था। बाद में मैंने उसकी चूत में 2 ऊँगलियाँ फिर 3 ऊँगलियाँ.. फिर 4 ऊँगलियाँ तक डाल कर ‘फच.. फच..’ की आवाज को अंजाम दिया।
मेरी सभी ऊँगलियां ‘लॉस.. लॉस.. चिप चिप..’ कर रही थीं। मैं जितना अधिक ऊँगली करता.. वो उतने ही अधिक जोश में आती जा रही थी। मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया था.. चूत में जाना चाहता था।
धीरे-धीरे मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाला और उससे फेस टू फेस चिपक गया। मैंने तीव्रता से उसकी साड़ी सरका कर उसकी गांड को पकड़ कर चूत को खींचते हुए अपने लंड के मुहाने के पास लाया और लौड़ा चूत में अन्दर घुसेड़ दिया। हल्की सी ‘आह्ह..’ की आवाज हुई और उसके बाद मैंने उसे चोदना शुरू किया। वो भी धीरे-धीरे अपनी गांड को आगे-पीछे मंद गति से करती जा रही थी।
जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर पूरी तरह से गई वो बावली हो गई, उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
लगभग 5 मिनट तक हम दोनों ने चुदाई की.. फिर वो और मैं दोनों झड़ गए। मैंने लौड़ा बाहर खींचा.. अपना वीर्य उसकी पेटीकोट में ही पोंछ दिया और पुनः उसकी जांघ को सहलाते हुए कुछ समय तक उसके सानिध्य का आनन्द लेता रहा।
दोस्तो, यह कहानी कैसी लगी.. यह मेरी पहली चुदाई थी। मुझे अपने मेल जरूर करें। [email protected]
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