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अब तक आपने पढ़ा..
मुनिया ने लाइट ब्लू सलवार सूट पहना हुआ था.. उसके बाल खुले थे.. जिसमें वो अप्सरा जैसी लग रही थी। जैसे ही मुनिया और सन्नी की नजरें मिलीं.. दोनों ही एक-दूसरे में खो गए.. मुनिया धीरे-धीरे सन्नी के पास आकर खड़ी हो गई। मुनिया- नमस्ते बाबूजी.. सन्नी कुछ नहीं बोला.. बस मुनिया को घूरता रहा। पुनीत- अरे कहाँ खो गया सन्नी.. ये है मुनिया.. देख लो.. सन्नी- अह.. ह.. हाँ अच्छी है.. मुझे ऐसा क्यों लगता है.. कि मैंने तुम्हें पहले भी कहीं देखा है?
अब आगे..
मुनिया- क्या बाबूजी.. आप भी कैसा मजाक करते हो.. मैं अपने गाँव से कभी बाहर ही नहीं निकली.. आपने कहाँ देख लिया मुझे? सन्नी- ना ना शहर में नहीं.. मैंने गाँव में ही देखा है तुझे.. यार कहाँ देखा है ये समझ नहीं आ रहा.. लेकिन देखा है मैंने! रॉनी- अरे क्या सन्नी भाई.. ये गाँव की गोरी है.. आप शहर के नुस्खे ना आजमाओ.. हा हा हा.. ये नहीं पटने वाली..
पुनीत भी हँसने लगा और मुनिया भी हँसती हुई वापस अन्दर चली गई, मगर सन्नी वैसे ही खड़ा बस सोचता रहा।
लो दोस्तो, अब ये क्या हो रहा है.. ये गुड्डी कौन है.. इसकी एंट्री भी जल्दी होगी और ये सन्नी को मुनिया के बारे में क्या याद आ गया। अब ये सब तो पता लग ही जाएगा.. सोचते रहो और आगे कहानी का आनन्द लेते रहो।
रॉनी और पुनीत अब भी हंस रहे थे मगर सन्नी चुपचाप खड़ा हुआ बस उस कमरे की ओर देख रहा था.. जिसमें मुनिया गई थी.. रॉनी- अरे सन्नी क्या हुआ.. बहुत पसन्द आ गई क्या.. बोलो.. तब तो आज रात यहीं रुक जाओ.. तुमको भी इसका रस पिलवा देंगे.. हा हा हा हा.. पुनीत- अरे नहीं रे.. वो नहीं मानेगी साली.. आज के लिए तो मेरे को ही मना कर रही है। रॉनी- उस अनपढ़ गंवार को मनाना कौन सा मुश्किल है भाई? सन्नी- चुप रहो यार.. दोनों मेरी बात को मजाक में मत लो.. ये मुनिया को मैं जानता हूँ.. कुछ तो है साला.. याद नहीं आ रहा.. मगर देख लेना मैं बता दूँगा.. इसको मैं जानता हूँ। अब तुम ही चोदो इसको.. मुझे एक काम है.. अभी मेरा जाना जरूरी है। पुनीत- ठीक है जाओ.. और याद आ जाए तो मुझे भी बता देना.. कि मुनिया कौन है.. हा हा हा..
सन्नी के जाने के बाद रॉनी अपने कमरे में चला गया और पुनीत नौकरों को कुछ खाना बनाने को बोल कर मुनिया के पास चला गया। मुनिया- पुनीत बाबू.. ये आपके दोस्त क्या बोल रहे थे.. इन्होंने मुझे कहाँ देखा है? पुनीत- अरे तेरी जवानी देख कर उसका मन बहक गया था.. बस ऐसे ही बोल रहा था.. वैसे तू है बड़ी क़यामत.. यार आज पूरी रात मेरे साथ बिता ले.. मैं तेरी लाइफ बना दूँगा..
मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. सच्ची आज मेरी ‘वो’ बहुत दर्द कर रही है.. कल कर लेना.. आज नहीं.. पुनीत- अरे ‘वो’ क्या दर्द कर रही है.. साफ-साफ बोल ना.. उसको चूत कहते हैं और मेरे हथियार को लौड़ा बोला कर.. मुनिया- छी: बाबूजी.. आप बड़े बेशर्म हो.. मुझसे नहीं बोला जाएगा.. पुनीत- अरे मेरी जान.. नाम लेगी तो ज़्यादा मज़ा आएगा.. चल यहाँ मेरे पास बैठ और बता..
पुनीत ने मुनिया को अपने से चिपका कर बैठा लिया और उसके मम्मों को हल्के से दबा कर उसको पूछा। पुनीत- तेरे इन चूचों में भी दर्द है क्या.. मेरी जान? मुनिया- हाँ बाबूजी.. थोड़ा इनमें भी है.. आह्ह.. दबाओ मत.. दुःखता है।
पुनीत ने ज़ोर से दबाते हुआ कहा- इनका नाम बोल.. नहीं ऐसे ही दबाता रहूँगा और दर्द करता रहूँगा। मुनिया- आह्ह.. बाबूजी.. उफ़फ्फ़.. मेरे चूचे मत दबाओ ना.. आहह.. पुनीत- यह हुई ना बात.. अब तू अपने हर अंग का नाम बताएगी.. तभी मुझे सुकून मिलेगा.. ठीक है..
मुनिया- आह्ह.. बाबूजी.. आप तो ससस्स बेशर्म हो.. मुझे भी ऐसा ही बना दोगे.. आह्ह.. अब आप मानोगे नहीं.. ओह.. मेरे चूचों पर रहम करो.. और आह्ह.. मेरी चूत को सहलाओ.. आह्ह.. आपके मोटे लौड़े ने मेरी चूत को सुजा कर रख दिया है आह.. पुनीत- ओह.. मार डाला रे.. मेरी मुनिया.. ये हुई ना बात.. अब लगा कि तू मेरी रानी है। चल मुझे दिखा तेरी चूत.. मैं उसको अपनी जीभ से चाट कर आराम दिए देता हूँ। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मुनिया- अभी नहीं.. रात को दिखाऊँगी.. अभी मुझे जोरों की भूख लगी है.. कुछ खाने के बाद आप देख लेना.. ठीक है.. पुनीत- अरे मेरी जान.. मैं हूँ ना.. मुझे खाले.. इससे ज़्यादा अच्छा खाना तुझे कहाँ मिलेगा.. हा हा हा.. मुनिया- नहीं बाबूजी.. मुझे माँस खाना पसन्द नहीं.. मैं तो सब्जी ही खाऊँगी.. अब आप जाओ.. रात को आ जाना.. मुझे भी रसोई में जाने दो..
पुनीत मस्ती के मूड में था.. मगर मुनिया जल्दी से वहाँ से निकल कर रसोई में चली गई और पुनीत कुछ ना कर सका।
दोस्तो, उम्मीद है.. आपको कहानी में मज़ा आ रहा है। अब मुनिया तो गई चलो टोनी के पास चलते हैं। वहाँ क्या हो रहा है.. अभी ये भी जान लो।
सुनील- बॉस अपने तो कमाल कर दिया.. एक बार तो मैं डर ही गया था कि सारा प्लान चौपट हो गया। विवेक- अरे ऐसे-कैसे चौपट हो जाता.. बॉस पर मुझे पूरा भरोसा था.. मगर एक बात अभी भी समझ के बाहर है बॉस? टोनी- कौन सी बात.. तेरी समझ के बाहर है रे.. चल बता? विवेक- बॉस हमने तो उसकी बहन को देखा भी नहीं है.. कहीं वो भी हमारी तरह नकली बहन ले आया तो?
टोनी- हा हा हा तुम दोनों मुझे क्या समझते हो.. मैंने कच्ची गोली नहीं खेली हैं। तुम दोनों ने क्या मैंने भी अब तक उसकी बहन को नहीं देखा है.. मगर ये खेल का असली विलेन तो उसकी बहन को जानता है ना..
विवेक और सुनील दोनों एक साथ चौंक उठे और एक ही सुर में बोले- ये असली विलेन कौन है बॉस? टोनी- अरे चौंको मत.. मेरे दोस्तो.. ये काम में उसके लिए ही कर रहा हूँ। अब वो क्या चाहता है.. ये तो पता नहीं मगर गेम कुछ बड़ा है.. इतना मैं समझ गया हूँ।
सुनील- बॉस हम तो समझ रहे थे.. कि ये आपकी दुश्मनी का खेल है.. मगर ये तो पहेली उलझती ही जा रही है.. एक चूत के लिए इतना पंगा?
टोनी- अरे दोस्तो, तुम नहीं समझोगे दुनिया में छोटी सी चूत बड़ी-बड़ी तबाही मचा देती है.. भाई को भाई से लड़वा देती है.. ये चूत सिर्फ़ चूत नहीं.. बल्कि ये चूत एक पहेली होती है.. समझे.. जिसने इसको सुलझा दिया.. वो दुनिया का सबसे अकलमंद आदमी होता है।
विवेक- बॉस जो भी हो.. हमें तो पैसे से मतलब है.. अब देखो ना हम जैसे कंगलों को आपने इतनी बड़ी पार्टी में घुसाया.. गेम खेला और जीत कर चूत के गेम के दावेदार बने। अब तो बस मज़ा ही मज़ा है। आज तक रण्डियों को ही चोदा है.. अब किसी शरीफजादी को चोदने का मौका मिलेगा। सुनील- बॉस आपने बताया नहीं कि कोमल को कहाँ छोड़ा आपने?
टोनी- इसमें क्या बड़ी बात है.. टैक्सी को दूर खड़ा करके आया था। बस पुनीत को उसकी क़ातिल जवानी दिखा कर वापस टैक्सी में छोड़ आया और खुद गाड़ी को इधर-उधर घुमा कर समय पास किया और वापस आ गया समझे.. सुनील- आपका दिमाग़ बहुत चलता है.. इसलिए आप हमारे बॉस हो.. अब आगे क्या करना है?
टोनी कुछ बोलता उसके पहले उसका फ़ोन बजने लगा। टोनी- हैलो भाई कैसे याद किया.. काम हो गया.. मैंने उसको बातों में फँसा लिया। अब उसकी बहन गेम में आएगी और हम उसको नंगा कर देंगे। आप बस नजारा देखो अब.. भाई- ओह्ह.. रियली.. ये हुई ना बात.. अब आगे क्या करना है.. पता है ना? टोनी- नहीं भाई.. आपने कहा था.. पहले पुनीत और रॉनी को जाल में फँसाओ.. उसके बाद आगे का प्लान बताऊँगा। भाई- हाँ याद है.. तू पहले ये बता वहाँ क्या हुआ था? टोनी ने सारी बात भाई को बताई.. जिसे सुनकर वो खुश हो गया।
भाई- अब सुन तेरे फ़ोन में मैसेज भेज रहा हूँ.. ये एक जगह का पता है.. तू कल वहाँ चला जा.. काफ़ी देर तक भाई बोलता रहा और टोनी बस चुपचाप सुनता रहा।
टोनी- वाह भाई मान गया.. आप तो मेरे दिमाग़ को पढ़ लेते हो.. मुझे भी यही शक था कि साला कोई नकली बहन ना ले आए.. अब देखता हूँ साला कैसे बचाता है.. अपनी बहन को.. मैं ठीक समय पर वहाँ पहुँच जाऊँगा।
आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है। कहानी जारी है। [email protected]
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