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मैं वासु.. आज तक मैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर प्रकाशित सारी सेक्स कहानियाँ पढ़ चुका हूँ। मैं भी अपनी एक कहानी आप सभी को बताना चाहता हूँ। बात तब की है.. जब मैं एक कम्पनी में जॉब करता था। मैं चाय पीने जिस दुकान पर जाता था.. उस चाय वाले की लड़की एक मस्त माल थी। उसकी उम्र यही कोई 18 साल की होगी एकदम पटाखा माल थी.. राधिका नाम था उसका.. मैं उसे पटा कर चोदने की सोच लिए ही उसके यहाँ जाया करता था।
जब वो झाड़ू लगाती थी.. तब उसकी चूचियों के दीदार हो जाते थे और इधर मेरी पैन्ट में मेरा लौड़ा तम्बू का बम्बू बन जाता था। मैं सोचता था कि कैसे इसे चोदा जाए.. इसी तरह एक महीने से ज्यादा वक्त निकल गया।
एक दिन मुझे पता चला कि उसके पूरे शरीर पर फुंसियाँ हो गई हैं.. उसको इलाज से भी कोई फर्क नहीं हुआ।
तब मैंने उसकी माँ से कहा- मुझे इस बीमारी का इलाज पता है.. हमारे गाँव में भी सभी होती थीं और मैं उसका इलाज जानता हूँ.. मेरे हाथों में ऐसा कोई मरीज होता है.. तो मैं उसे सही कर देता हूँ।
मैंने उदाहरण के लिए उस लड़की को बुलाया और उसके हाथ को पकड़ कर मसला.. उसको थोड़ी तकलीफ हुई। उसके बाद उसका हाथ एकदम सही हो गया।
उसकी माँ ने मुझसे बोला- इसका सारा इलाज कर दो.. मैं तुम्हें पैसे भी दूँगी। मैं बोला- पैसे की कोई बात नहीं है। मैं दुकान पर नहीं.. घर पर इलाज करूँगा क्योंकि इसके सारे शरीर पर फुंसियाँ हैं और इसमें इसको दर्द भी होगा। तब उसकी माँ ने कहा- रात को घर पर आ कर इसका इलाज का देना।
मैं वहाँ से वापस अपने कमरे पर आ गया और उसके नाम की मुठ्ठ मारी और रात का इंतजार करने लगा। खाना आदि खाकर आठ बजे मैं उनके घर गया, उसको देख कर मेरा लण्ड पैन्ट में उफान मारने लगा। उस लड़की की माँ ने मुझे खाने का पूछा.. तो मैं बोला- मैं खा कर आया हूँ।
उसके बाद एक कमरे में एकांत देख कर मैं बोला- इसका इलाज इसी कमरे में होगा। उसकी माँ मुझे कमरे में ले गई और मुझे भी उधर बुला लिया।
मैंने पूछा- कहाँ-कहाँ हैं फुंसियाँ? तब उसने बताया- इसके सारे शरीर में हैं। मैं बोला- तब तो कपड़े भी उतारने पड़ेगें। तब लड़की बोली- माँ मैं कपड़े नहीं उतारूँगी। तो उसकी माँ बोली- बेटा इलाज में शरम नहीं करते.. अगर मेरे सामने शरम आ रही हो.. तो मैं बाहर चली जाती हूँ। ऐसा बोल कर उसकी माँ बाहर चली गई।
अब मैंने बोला- चलो इलाज शुरू करते हैं.. तो वो बोली- मुझे शर्म आ रही है। मैं बोला- अब कैसा शर्माना? अब हम दोनों ही तो हैं.. इस कमरे में? तो उसने बोला- ठीक है.. किवाड़ बंद कर दीजिए।
मैं किवाड़ बंद करके आया और उसके कपड़े उतारने लगा, मेरा लण्ड एकदम तन गया था। मैंने उसकी सलवार-कुर्ती निकाल कर एक तरफ रख दी। वो अब ज्यादा शर्माने लगी। मैं तो बस उसकी गदराई हुई चूचियों ही देख रहा था।
मैंने उसको चित्त लिटाया और उसकी फुंसियों को मसलने लगा। मैंने उसके पूरे शरीर को अच्छे से मसला। अब मैं बोला- तुम्हारी ब्रा और पैन्टी उतारो.. इनके अन्दर की फुंसियों को भी साफ कर दूँ। तो वो बोली- आप ही उतार लीजिए।
मैंने पैन्टी और ब्रा उतारी.. तो देखा चूत एकदम चिकनी लग रही थी। फिर मैंने खूब चूचियां मसलीं और चूत भी खूब मसली।
मैं धीरे-धीरे उसकी चूत में ऊँगली करने लगा.. अब वो गर्म हो चुकी थी। मैंने अपनी पैन्ट निकाली और नंगा हो गया। वो बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैं बोला- चूत के अन्दर का इलाज करूँगा.. अब वो समझ गई कि उसकी चुदाई होगी। फिर मैंने एक बार उसको और चूत में ऊँगली डालकर गर्म किया, अब उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. उसने बोला- अब आगे भी कुछ करो, मुझे पता नहीं क्या हो रहा है! मैंने बोला- पहले कभी चुदाई करवाई है? तो उसने ‘न’ बोला.. मैं बोला- थोड़ा दर्द होगा.. तुम चिल्लाना मत.. बाहर सब हैं।
वो बोली- ठीक है.. मैंने अपना लण्ड जैसे ही उसकी चूत में डाला.. ‘फक’ से आधा अन्दर घुस गया। वो रोने लगी.. उसकी माँ ने बाहर से पूछा- क्या हुआ? तो मैं बोला- कुछ नहीं फुंसी जोर से मसल दी थी..
इधर मैं लगा उसको धकापेल चोदने.. कुछ देर में उसे भी मजा आने लगा और वो चूतड़ उठा-उठा कर चुदने लगी। कुछ देर बाद दोनों साथ में ही झड़ गए। मेरा मन कर रहा था कि इसको एक बार और चोदूँ.. लेकिन उसने मना कर दिया, बोली- बहुत दुःख रहा है। फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और बाहर आ गए।
सब बहुत खुश हुए कि एक भी फुंसी नहीं बची। मैंने उनसे विदा ली और अपनी कमरे पर आ गया।
आप सभी मेल करके बताएं कि मेरी ये छोटी सी मस्त कहानी कैसी लगी। [email protected]
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