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अब तक आपने पढ़ा.. सूर्या- अभी आ जा.. मिल लो.. लेकिन दिन में आओगे तो मम्मी-पापा नहीं रहते हैं। मैं- ओके कल ही आता हूँ। सोनाली- क्या हुआ.. क्या बोला? मैं- अपने घर बुलाया है कल दिन में। सोनाली- अरे वॉऊ.. तब तो वो जल्द ही तुम्हारी बाँहों में होगी। मैंने आँख मारते हुए कहा- कोशिश तो यही रहेगी.. अब तेरे लिए सूर्या के लौड़े का इंतजाम भी तो करना ही है न.. अब आगे..
सोनाली- हा हा हा.. अभी जाओ.. मिल आओ.. देख आओ.. कैसी है? मैं- रहने दो.. कल ही जाऊँगा।
फिर पता नहीं क्या मन हुआ कि मैं सूर्या के घर पहुँच गया। उसके मम्मी-पापा मुझे अच्छे से जानते थे.. सो उनको नमस्ते बोला और अन्दर गया.. तो सामने सोनिया बैठी हुई थी, वो सूर्या से 2 साल बड़ी थी, गजब की माल थी यार.. क्या बताऊँ.. उस समय उसने सफ़ेद सलवार कुरती पहन रखी थी।
मैंने उसको देखा तो पहले भी था लेकिन हवस की नज़र से आज पहली बार देख रहा था। उसकी पूरी बॉडी सन्नी लियोनि के जैसी थी। रेशमी बाल.. गुलाबी पतले होंठ.. भूरी आँखें.. उठी हुई नाक.. होंठ के ठीक नीचे एक काला तिल..
वो कयामत लग रही थी.. उसकी उभरी हुई चूचियों को देखा तो कम से कम 34बी साइज़ की तो ज़रूर होगीं। ऐसा लग रहा था… जैसे दो संतरों को बहुत कस कर बांधा गया हो। नीचे सपाट पेट..
मैं उसके रसीले हुस्न के आगोश में खोया हुआ ही था कि तभी सोनिया बोली- हैलो हीरो.. कब आए? मैं- आज ही.. सोनिया- आज ही आए और आज ही यहाँ.. बात क्या है? मैं- आपसे मिलने आ गया..
सोनिया- हाहहहाहा हा हा इतना घूर के क्या देख रहे थे? मैं- आपको देख कर मैं पहचान ही नहीं पाया। सोनिया- ऐसा क्यों? मैं- अरे आप बहुत खूबसूरत जो हो गई हैं। सोनिया- मेरे घर में मुझसे ही फ्लर्टिंग? मैं- क्या करूँ खूबसूरत लड़की को देख कर अन्दर से निकलने लगता है। सोनिया- सूर्या को बताऊँ क्या? मैं- बताना क्या है.. किसी अच्छी चीज़ को अच्छी कहना गुनाह तो नहीं है.. सोनिया- मैं कोई चीज़ नहीं हूँ। मैं- हाहहाहा हाहाहा..
सोनिया- और सब बताओ.. क्या चल रहा है तुम्हारा? मैं- बी.टेक और आपका? सोनिया- ग्रेजुयेशन ख़त्म हो गया है जॉब की तैयारी चल रही है। मैं- ओके.. गुड तो कैसी चल रही है तैयारी? सोनिया- अच्छी और तुम्हारी पढ़ाई? मैं- अच्छी।
कुछ देर यूँ ही फारमल बातचीत के बाद मैं वहाँ से चला गया और उसको पटाने का प्लान बनाता हुआ घर पहुँचा। सोनाली- कैसी लगी भाई? मैं- यार मैं तो घायल हो गया। सोनाली- क्या हँसते हुए बोली थी ना.. सही है तुम्हारे लिए? मैं- हाँ मजा आ जाएगा उसके साथ.. सोनाली- तो आगे क्या? मैं- कुछ सोचता हूँ.. कल से उसके घर जाता हूँ।
अगले दिन मैं सूर्या के घर पहुँचा तो सोनिया सूर्या को कहीं चलने को बोल रही थी। मैं अन्दर आया। मैं- कहाँ जाने की बात हो रही है? सूर्या- अच्छा हुआ भाई तू आ गया। मैं- क्यों क्या हुआ..? सूर्या- दीदी को आज कुछ काम है मार्केट मे कुछ खरीदना भी है.. तू ले कर चला जा ना.. मुझे अभी कुछ काम है.. मैं- ओके चला जाता हूँ सूर्या- दीदी तुम सुशान्त के साथ चली जाओ ना.. मुझे कुछ काम है..
सोनिया- सुशान्त को अगर कोई प्राब्लम नहीं है.. तो मैं जा सकती हूँ। मैं- मुझे भला क्या प्राब्लम होगी.. आप जाओ.. रेडी हो कर आ जाओ जल्दी। वो रेडी होने अपने कमरे में चली गई सूर्या मेरे कान में सट कर बोला। सूर्या- ले जा बेटा.. दिन भर साथ घुमा.. अगर आज मौका खोया तो रोते रहना अपना पकड़ कर.. मैं- नहीं खोऊँगा. तू टेन्शन मत ले.. सूर्या- ओके.. बेस्ट ऑफ लक..
सोनिया तब तक रेडी हो कर आ गई थी उसने एक सफ़ेद रंग का टॉप और ब्लू डेनिम पहनी थी.. इस ड्रेस में वो एकदम आइटम लग रही थी। सोनिया- चलें? मैं- हाँ ज़रूर..
हम लोग बाहर आ गए.. मेरी बाइक की सीट पीछे से उठी हुई थी.. जिसमें एक आदमी के बैठने के बाद दूसरा जो भी बैठेगा.. वो पहले के ऊपर भार देकर ही बैठेगा.. आप समझ ही गए होंगे कि मैं कहना क्या चाह रहा हूँ। जब वो मुझसे सट कर बैठी… तो मैं अपनी फीलिंग नहीं बता सकता.. कि कितना अच्छा लग रहा था। उसकी दोनों चूचियों को मैं महसूस कर रहा था और बीच-बीच में ब्रेक मार-मार कर उसके आमों के दबने का मजा ले रहा था।
लेकिन वो भी कुछ बोल नहीं रही थी। मैं समझ गया कि वो भी मज़े ले रही है। जब उसका कुछ काम था.. जो कि नहीं हुआ.. शायद उसे कोई फॉर्म भरना था जो वो नहीं भर पाई। मैं- क्या हुआ? सोनिया- नहीं भर पा रहा है। मैं- कोई बात नहीं.. मैं भर दूँगा रात में दिन में सरवर बिज़ी रहता है.. रात को भरने से हो जाएगा। सोनिया- ओके.. भर देना ना.. प्लीज़.. मैं- ओके और कुछ काम है या.. घर चलें..
सोनिया- हाँ यार थोड़ी शॉपिंग करनी है.. चलोगे..? मैं- चलो..
हम दोनों एक मॉल में गए और वो कपड़े पसंद करने लगी। मैं भी साथ था मैं हमेशा वैसे कपड़े उसको दिखा कर पूछ रहा था.. जो ज्यादा खुला हो या छोटा हो।
सोनिया- तुम्हें ऐसे बेकार कपड़े ही पसंद आ रहे हैं.. ये सब भी पहनने की ड्रेस है.. जिसको पहनने के बाद भी नंगे होने का अहसास होता रहे।
मैं- अरे नहीं.. मेरा मतलब ये नहीं था.. बहुत सी लड़कियाँ इस तरह के कपड़े पहनती हैं और वो खूबसूरत लगती हैं। वैसे भी लड़कियाँ इतनी खूबसूरत होती हैं उन्हें थोड़ा हम लड़के भी देख लेंगे.. तो कौन सा उसका कुछ कम हो जाएगा.. लेकिन हम बेचारे लड़कों को थोड़ा तो मजा आ ही जाएगा। सोनिया- हाहाहा हा हा हा हा.. तुम लड़कों को और काम ही क्या है लड़कियों को देखने के अलावा। मैं- और करना ही क्या है हम लोगों को?
कुछ देर बाद उसने कुछ कपड़े ले लिए तो मैंने भी एक कपड़ा जैसे सोनाली को लाकर दिए थे.. उससे बहुत छोटे-छोटे कपड़े थे.. जो थोड़े पारदर्शी भी थे.. उन्हें ले कर पैक करवा लिए और उसको देते हुए कहा- ये मेरी तरफ़ से.. एक खूबसूरत लड़की के लिए खूबसूरत सा ड्रेस!
सोनिया- मैं नहीं पहनती ऐसे कपड़े.. मैं- तो मैं कौन सा अभी इसे पहनने को बोल रहा हूँ.. इसको रख लो.. जब तुम अकेली होओ.. तब इसको पहन कर देखना… बहुत ही खूबसूरत लगोगी, अगर नहीं लगी तो फेंक देना। सोनिया- नहीं यार.. मैं नहीं ले सकती इसको। मैं- ओके नो प्राब्लम..
मैंने उसको पैकेट को डस्टबिन में फेंकने लगा। सोनिया- ओके बाबा.. लाओ.. रख लेती हूँ। मैं- ओके मुझे बहुत ज़ोर से भूख लगी है कुछ खाएं? सोनिया- हाँ मुझे भी भूख लग रही है.. चलो किसी होटल में चलते हैं। मैं- ओके..
हम दोनों एक होटल में गए और उसको ऑर्डर करने बोला। सोनिया- क्या खाओगे? मैं- तुम जो खिला दो। सोनिया- तुम्हारे लिए भी मैं ही ऑर्डर कर दूँ? मैं- हाँ..
तो उसने खाना ऑर्डर कर दिया। सोनिया- सो.. बताओ तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है? मैं- क्यों दिल आ गया है क्या मुझ पर? सोनिया- अरे नहीं.. वैसे ही पूछ रही हूँ.. मैं- नो.. अभी तो नहीं है.. शायद जल्दी ही बन जाए। सोनिया- बन जाए मतलब.. किसी पर ट्राई कर रहे हो क्या? मैं- हाँ तुम पर इतनी देर से..
वो हँसी.. हँसी मतलब फंसी। सोनिया- अरे नहीं.. मैं- तुम्हारा कोई ब्वॉय-फ्रेंड है क्या? सोनिया- नहीं.. मैं- तब तो मेरा लाइन क्लियर है। सोनिया- हा हा हा हा हा हा.. अच्छा बताओ.. तुमको कैसी लड़की पसंद है? मैं- तुम्हारे जैसी.. सोनिया- हा हा हाहहाहा सो फन्नी.. सच बताओ न..
मैं- खूबसूरत हो.. फेस और दिल दोनों से.. मुझसे प्यार करती हो और क्या..? और तुमको कैसा लड़का पसन्द है? सोनिया- तुम्हारे जैसा हाहहह हहाहा. मैं- सच.. ऐसा मत बोलो यार.. मेरा दिल बाहर निकल कर आ जाएगा। सोनिया- अरे नहीं..
मैं- मतलब मैं पसंद नहीं हूँ.. बदसूरत हूँ घटिया.. बोरिंग हूँ? सोनिया- अरे नहीं बाबा.. ऐसा मैंने कब कहा? मैं- तो क्या पसंद हूँ.. हाँ या नहीं में बोलो यार.. कन्फ्यूज़ मत करो.. सोनिया- हाहहाहा हा हहा तुम पागल हो.. बिल्कुल पागल..
मैं- हा हा हा हा… ठीक है पागलखाने चला जाता हूँ। सोनिया- हा हा हा हा यू आर सो फन्नी मैं- थैंक्स.. सोनिया- तुम्हें लड़कियों को छोटे कपड़ों में देखना पसंद है क्या?
मैं- अरे नहीं.. मुझे तो लड़की सब से ज्यादा सेक्सी साड़ी में लगती है.. बॅकलैस ब्लाउज हो.. तब तो सोने पर सुहागा लगता है। सोनिया- बैकलैस ब्लाउज क्यों? मैं- क्योंकि इसमें खूबसूरती और भी ज्यादा दिखती है। सोनिया- ओह्ह.. आई सी.. मैं- यॅप.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कुछ देर बात करने के बाद हम घर चल दिए और रास्ते भर मजा लेते रहे.. मैंने उसको घर ड्रॉप कर दिया।
दोस्तो.. मेरी यह कहानी आपको वासना के उस गहरे दरिया में डुबो देगी जो आपने हो सकता है कभी अपने हसीन सपनों में देखा हो.. इस लम्बी धारावाहिक कहानी में आप सभी का प्रोत्साहन चाहूँगा। आपको मेरी कहानी में मजा आ रहा या नहीं.. मुझे ईमेल करके मेरा उत्साहवर्धन अवश्य कीजिएगा। कहानी जारी है। मेरी फेसबुक आईडी के लिए मुझे एड करें https://www.facebook.com/profile.php?id=100010396984039&fref=ts
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