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अब तक आपने पढ़ा..
टोनी- हाँ बताओ भाई.. सब अपना आइडिया दो.. जिसका आइडिया सबसे अच्छा होगा.. वही हम करेंगे.. पुनीत- मैं तुम्हें एक लड़की का नाम बताऊँगा.. अगर तुम उसको ले आओ तो इस बार इनाम की रकम 5 लाख होगी और गेम के रूल भी चेंज करेंगे। टोनी- क्या बात है भाई.. 5 लाख.. अरे आप बोलो बस कौन है वो लड़की.. साली को चुटकियों में ले आऊँगा।
अब आगे..
टोनी के अलावा बाकी सब समझ गए कि पुनीत किसका नाम लेगा.. सबकी दिल की धड़कन तेज़ हो गईं कि अब क्या होगा? पुनीत- तेरी बहन कोमल को ला पाएगा तू? पुनीत के इतना बोलते ही टोनी गुस्से में आग-बबूला हो गया और झटके से खड़ा हो गया- पुनीत ज़बान को लगाम दे अपनी.. साले तू पैसे वाला होगा.. तेरे घर का.. तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन का नाम लेने की?
सन्नी- टोनी चुप रहो.. रूको एक मिनट मैं बात करता हूँ.. यार पुनीत ये क्या है.. तू कुछ भी बोल देता है। हम सब दोस्त हैं अगर ये मजाक था तो बहुत बुरा था.. चल सॉरी बोल.. पुनीत- सन्नी तुम होश में तो हो.. मैं पुनीत खन्ना हूँ.. मैं सॉरी बोलूँ? अरे इसकी बहन पर दिल आ गया मेरा.. इसको बोल 10 लाख दूँगा.. अब तो उसको अपना बना के ही रहूँगा..
इतना सुनते ही टोनी और ज़्यादा भड़क गया.. लड़ने की नौबत आ गई, बड़ी मुश्किल से विवेक और सुनील उसको बाहर लेकर गए।
इधर रॉनी ने पुनीत को काबू में किया- भाई आप को क्या हो गया है.. ऐसे लड़ना ठीक नहीं और उसके सामने बोलने की क्या जरूरत थी आपको.. वो लड़की चाहिए ना.. उसको तो कैसे भी आप पटा सकते हो..
पुनीत- नहीं रॉनी.. मैं इसका गुस्सा देखना चाहता था। अब तू देख ये खुद उसको यहाँ लाएगा.. खरीद लूँगा मैं इस कुत्ते को.. सन्नी जा उसको कीमत पूछ.. उसकी बहन की? मैं हर कीमत पर उसको यहाँ लाना चाहता हूँ। इसको किस बात पर इतना घमण्ड है.. बहुत बार ये मुझसे उलझ चुका है। मैं इसका घमण्ड तोड़ कर रहूँगा..
सन्नी- होश में आओ पुनीत.. ऐसा नहीं होता.. वो उसकी बहन है.. कोई रंडी नहीं.. जो तुम उसकी कीमत लगा रहे हो.. संभालो अपने आपको.. अब मैं उसको लेकर आता हूँ। ये बात दोबारा मुँह से मत निकालना.. वरना उनके साथ मैं भी चला जाऊँगा।
पुनीत कैसा भी हो.. सन्नी की बात मानता था, उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया और सन्नी बाहर गया और टोनी को समझाने लगा।
सन्नी- अरे क्या हो गया तुझे.. तू पुनीत को जानता नहीं क्या.. पीने के बाद ऐसे ही बकवास करता है और रही तुम्हारी बहन की बात.. उसके बोलने से वो आ गई क्या? ऐसे लड़ना ठीक नहीं है यार! टोनी- उसको अपने पैसों पर बहुत घमण्ड है ना.. साले को 2 मिनट में ठंडा कर सकता हूँ। सुनील- बॉस आप शान्त हो जाओ और चलो यहाँ से.. अब यहाँ रुकने का कोई फायदा नहीं। टोनी- नहीं अब उस कुत्ते को सबक़ सिखा कर ही जाऊँगा.. सन्नी- देख तू अन्दर चल.. पुनीत को मैं समझा दूँगा.. बस तू चुप रहना ओके..
टोनी भी गुस्से को काबू करके अन्दर आ गया। वैसे तो दोनों एक-दूसरे को देख कर आँखें दिखा रहे थे.. मगर कोई कुछ बोल नहीं रहा था। सन्नी- हाँ तो फ्रेश माल लाने का प्लान सबको मंजूर है या किसी के दिमाग़ में कुछ और है.. रॉनी- मुझे यही ठीक लगता है.. इससे ज़्यादा क्या होगा? टोनी- इससे भी ज़्यादा हो सकता है.. अब जब बात मुँह से निकल ही गई तो उसे पूरा भी कर ही लो। सन्नी- मैं कुछ समझा नहीं.. तुम क्या कहना चाहते हो.. टोनी- पुनीत ने मेरी बहन पर गंदी नज़र मारी है.. तो इस बार सब अपनी बहनों को ही क्यों ना लेकर आएं.. रॉनी- टोनी कुत्ते.. तेरी ये मजाल तूने ऐसी बात सोची भी कैसे?
टोनी- क्यों जब पुनीत मेरी बहन के बारे में सोच सकता है तो बहन इसकी भी है.. उसको लाने में क्या दिक्कत है.. बड़ा घमण्ड है ना इसको अपने खिलाड़ी होने पर.. तो डर किस बात का.. ये तो हारेगा भी नहीं.. सन्नी- ये क्या बकवास है टोनी.. तुम ऐसा कैसे बोल सकते हो.. एक खेल के लिए हम अपनी बहन को लाएं.. इतने गिरे हुए नहीं हैं।
पुनीत- ओके मैं कुछ ज़्यादा बोल गया था.. तू टोनी अपनी बहन को मेरी बहन से मिला कर बड़ी ग़लती कर दी तूने.. अब देख मैं क्या करता हूँ।
टोनी- हाँ जानता हूँ… तू पैसे के दम पर मुझे मरवा देगा या मेरी बहन को उठा लेगा.. मगर इसमें तेरी जीत नहीं हार होगी.. अगर दम है तो खेल में मुझे जीत कर दिखा.. मैं कसम ख़ाता हूँ कि मेरी बहन को तेरे सामने लाकर खड़ा कर दूँगा.. मगर अगर तू हार गया तो तेरी बहन मेरी होगी.. बोल है मर्द तो कर मुकाबला.. नहीं तो दोबारा ऐसी बात मुँह से मत निकालना..
पुनीत गुस्से में पूरी बोतल एक सांस में पी गया। रॉनी- भाई ये आपको फंसा रहा है आप कुछ मत बोलो.. मैं इस साले को अभी सीधा करता हूँ। पुनीत- नहीं रॉनी नहीं.. अगर ऐसा है तो ऐसा ही सही.. इसका गुरूर मैं तोड़ कर ही रहूँगा.. मुझे हराने की हिम्मत किसी में नहीं.. अब तो ये खेल सिर्फ़ हम दोनों के बीच में होगा। टोनी- हाँ ठीक है.. हम दोनों ही खेलेंगे अब तो फैसला हो ही जाए।
सन्नी- चुप रहो दोनों.. पुनीत मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है.. चलो मेरे साथ.. रॉनी तुम भी आओ मेरे साथ.. सन्नी ज़बरदस्ती दोनों को साथ ले गया इधर टोनी बियर का घूँट लेकर मुस्कुराने लगा।
विवेक- बॉस ये क्या हो गया.. हमने तो सोचा था कि हम पुनीत को इस बात के लिए रेडी करेंगे.. मगर साला वो तो खुद शुरू हो गया। सुनील- लेकिन ये सन्नी काम बिगाड़ देगा साला.. बॉस आपको ऐसे गुस्सा नहीं होना चाहिए था। टोनी- अबे चुप… साले फट्टू.. अगर मैं गुस्सा नहीं होता.. तो उनको शक हो जाता.. अब देख खेल का असली मज़ा।
उधर दूसरे कमरे में रॉनी गुस्सा हो रहा था। रॉनी- भाई आप पागल हो गए हो क्या..? उस दो कौड़ी की लड़की के लिए हमारी बहन को दांव पर लगा रहे हो?
पुनीत- नहीं रॉनी.. मैं इतना पागल नहीं हूँ.. जो बहन को यहाँ लाऊँगा.. मैं बस उसके साथ गेम खेलूँगा और जीत भी मेरी होगी.. उसके बाद उसकी बहन को उसके सामने चोदूँगा.. तब जाकर मेरा गुस्सा ठंडा होगा। सन्नी- पागल हो तुम.. अगर ग़लती से वो जीत गया.. तो क्या करोगे? पुनीत- ना मुमकिन है ये.. मुझे वो नहीं हरा सकता.. रॉनी- भाई पत्तों का गेम है.. सब लक पर चलता है.. पुनीत- ठीक है अगर मैं हार भी गया तो क्या.. साले का मुँह पैसों से बन्द कर दूँगा.. अपनी बहन थोड़े ही उस कुत्ते को दूँगा..
सन्नी- पुनीत, वो कोई बच्चा नहीं है.. जो मान जाएगा.. मैंने कल रॉनी को कहा था कि इस बार वो कोई गेम खेलेगा.. और देखो उसने गेम में तुम्हें फँसा लिया। अरे कोमल का यहाँ आना कोई इत्तफ़ाक़ नहीं है.. वो प्लान करके उसको यहाँ लाया है.. तुम मेरी बात सुनो.. सब समझ जाओगे.. रॉनी- क्या बात कर रहे हो.. ये बात रात को क्यों नहीं बताई?
सन्नी- रात को मुझे खुद नहीं पता था कि इसका ये प्लान है.. अब सुनो रात को मैं बुलबुल के पास था.. वहाँ इसको देख कर शक हुआ.. तो मैंने छुप कर इसका पीछा किया। इसने बुलबुल को बुक किया.. फिर फ़ोन पर किसी से बात की कि काम हो गया.. अब कल देखना असली तमाशा.. उसके बाद ये सलीम गंजा से मिला और हंसों को जमा करने और पार्टी में पाउडर लाने का काम उसको दिया.. तभी मुझे शक हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है और मैंने रॉनी को फ़ोन करके बता दिया।
पुनीत- नहीं नहीं.. उन सब बातों का इस बात से कोई लेना-देना नहीं.. वो क्यों अपनी बहन को यहाँ लाएगा.. ये सब इत्तफाक ही है और शुरूआत मैंने की.. उसने नहीं.. तो ये बात मानने वाली नहीं है।
रॉनी- चलो मान लिया.. कि ये बात अलग है.. मगर आप आगे उसकी ऐसी कोई बात ना मान लेना.. बस ये गेम किसी तरह क्लोज़ करो.. बहन यहाँ नहीं आएगी.. ओके.. अगर वो आपके रूल ना माने.. तो आप उसको मना कर देना। पुनीत- मानेगा कैसे नहीं.. साले को मानना पड़ेगा.. अब चलो..
कुछ देर बाद सब उसी जगह बैठे थे। अब टोनी कुछ शान्त हो गया था.. उसके हाथ में बोतल थी और बियर के एक घूँट के साथ उसने बात शुरू की। टोनी- क्यों पुनीत.. क्या सोचा.. गेम खेलना है.. या हार मान ली?
आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है। कहानी जारी है। [email protected]
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