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जब मैं वापस आया तो अनिल की पत्नी उसके पति को मेरी सुन्दर पत्नी के साथ करीब से डांस करते देख रही थी। मुझे अनीता बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं अनिल की पत्नी अनीता की और बहुत आकर्षित था, पर अपने विचारों को मन में ही दबा कर रखता था।
अनीता का आकर्षण मुझे तीन कारणों से बहुत ज्यादा लगा। एक उसकी सेक्सी आँखें। मुझे हमेशा ऐसा लगता था जैसे वह मुझे अपने पास बुला रही है और चुनौती दे रही है की हिम्मत हो तो पास आओ। दूसरे उसके भरे और उफान मारते हुए स्तन (मम्मे ) जो उसके ब्लाउज और ब्रा का बंधन तोड़कर खुल जाने के लिए व्याकुल लग रहे थे।
जैसे ही वह चलती थी तो उसकी छाती के दोनों परिपक्व फल ऐसे हिलते थे जैसे बारिश के मौसम में हवा के तेज झांको पर डालियाँ हिलती हैं। और तीसरे उसके कूल्हे। उसके बदन के परिमाण में वह थोड़े बड़े थे। पर थे बड़े सुडौल और सुगठित। अक्सर औरतो के बड़े कूल्हे भद्दे लगते हैं। पर अनीता के कूल्हों को नंगा करके सहलाने का मेरा मन करता था।
मैंने आगे बढ़ कर उसको डांस करने के लिए आमंत्रित किया। वह मना कैसे करती? जिसकी पत्नी उसके पति के साथ डांस कर रही हो तो उसी के पति के साथ डांस करने से हिसाब बराबर हो जाता है न? अनिल की पत्नी तैयार हो गयी। वह बहुत सुन्दर थी। शायद नीना और अनीता में सुंदरता का मुकाबला हो तो यह कहना बड़ा मुश्किल होगा की कौन ज्यादा सुन्दर है। फर्क सिर्फ इतना ही था की अनीता थोड़ी सी ज्यादा भरे बदन की थी, जब की नीना थोड़ी सी पतली थी। ज्यादा फर्क नहींथा।
मैं डांस ख़त्म होने के बाद जब अपनी पत्नी से मिला तो मैंने उसको ये जताया की उनके डांस शुरू होने के तुरंत बाद मैं वाशरूम गया था और वहां कोई मिल गया था उससे बात कर रहा था। ये जाहिर होने नहीं दिया की मैंने उसको और अनिल को बदन रगड़ते हुए डांस करते देखा था।
जब हम वापस जा रहे थे तो मैंने नीना से कहा, “कहीं ऐसा न हो के बॉस नाराज हो जाए। तुमने तो आज उसे बड़ा झटका दे दिया।“
तब नीना ने मुझसे माफ़ी मांगी और कहा “यदि तुम्हारा बॉस मुझसे प्यार से धीरे से कहता तो शायद मैं उसके साथ डांस करने के लिए मना नहीं करती। परन्तु उसने जबरदस्ती करने की कोशिश की। अगर मेरे पति को कोई आपत्ति न हो तो भला मुझे किसीके साथ भी डांस करने में क्या आपत्ति हो सकती है? आखिरकार मैंने तुम्हारे दोस्त अनिल के साथ भी तो डांस किया ही था न? तुम बॉस से मेरी तरफ से मांफी मांग लेना।”
मैंने नीना से पूछा, “क्या अनिल के साथ डांस करने में तुम्हे मझा आया?”
नीना ने कहा, “इसमें मझे की क्या बात है? एक रस्म है डांस करने की तो मैंने निभाई, वर्ना डांस में क्या रखा है?”
तब मैंने अपनी भोली सी पत्नीसे कहा, “सारी कहानी डांस से ही तो शुरू होती है। पहले डांस, फिर एक दूसरे के बदन पर हाथ फेरना फिर और करीब से छूना, छेड़ खानी करना, बार बार मिलते रहना, मीठी मीठी बातें करके पटाते रहना और आखिर में सेक्स।”
नीना मेरी तरफ थोडासा घबराते हुए देखने लगी और बोली, “राज, क्या डांस इसी लिए करते है? फिर तो गड़बड़ हो गयी। मुझे क्या पता? अब अनिल क्या सोचेगा? वह सोचेगा नीना भाभी तो फिसल गयी। शायद इसी लिए वह मुझे दुबारा कब मिलेंगे ऐसे पूछने लगा। यह तो गलत हुआ। अब में क्या करूँ?”
मैंने हँसते हुए मेरी प्यारी पत्नी से कहा, “तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। ऐसे कोई नहीं समझता। डांस करना तो आम बात है। पर हाँ, मैंने देखा था की अनिल तुम्हारे साथ डांस करते करते काफी गरम हो गया था। उसकी पतलून में उसका लण्ड खड़ा हो गया था। क्या तुमने अनुभव नहीं किया?” अनिल और नीना ने चिपककर जो डांस किया था उसके बारेमें ना तो मैंने नीना से पूछा था ना नीना ने मुझे बताया था ।
नीना झेंप सी गयी। उसके गाल लाल से हो गए। तब मैं समझ गया की नीना ने भी अनिल के लण्ड को महसूस किया था। शायद वह इसे नजर अंदाज़ कर गयी। मैंने उसे ढाढस देते हुए कहा, “ऐसे तो होता ही है। अगर उसका लण्ड कड़क हो गया तो उसमे उसका क्या दोष? तुम चीज़ ही ऐसी हो। तुम इतनी सेक्सी हो की तुम्हे देखकर ही अच्छे अच्छों का पानी निकल जाये।”
नीना थोड़ी देर चुप रही फिर बोली, “तुम भी तो अनीता से बड़े चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे। क्या तुम्हारा खड़ा नहीं हुआ था?” अब चुप रहने की बारी मेरी थी।
मैंने धीरे से कहा, “चलो हिसाब बराबर हो गया।”
यह उस समय की बात है जब मैं जयपुर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव था। उस समय जयपुर बड़ी ही शांत जगह हुआ करती थी। हम एक शांत अच्छी कॉलोनी में रहते थे। अनिल हमसे करीब ३ किलो मीटर दूर दूसरी कॉलोनी में रहता था।
उस पार्टी के कुछ ही समय के बाद अनिल ने मेरी कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया। उसे करीब एक साल हो चला था। इस बिच हमारी घनिष्ठता बढ़ी और हम एक दूसरे के घर जाने लगे। अनिल की पत्नी अनीता और मेरी पत्नी नीना दोनों एक दूसरे की ख़ास सहेलियां बन गयीं।
हम एक दूसरे से चोरी छुपे एक दूसरे की पत्नियों को ललचा ने की कोशिश में लगे हुए थे। पर हमें बढ़िया मौका नहीं मिल रहा था। मैं अनीता करीब जाने के लिए लालायित था और अनिल नीना की और आकर्षित हुआ था। पर हमारी पत्नियां एक दूसरे के पति को कोई घास नहीं डाल रही थी। अनिल और मैं मिलते तो थे पर स्पष्ट बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।
अनिल मेरे घर कई बार आता था। कई बार मैं घर में नहीं भी होता था। मेरी पत्नी नीना उसे पानी चाय पिला देती थी, पर ज्यादा बात नहीं करती थी। अनिल जब भी मेरी अनुपस्थिति में घर आता था तो नीना मुझे अनिल के आने के बारे में बता देती थी।
एक बार नीना ने मुझे कहा की अनिल की नियत कुछ ठीक नहीं लगती। नीना को लगा की वह उसपर शायद लाइन मार रहा है। सुनकर मैं मनमें ही बड़ा उत्तेजित हो गया। यदि अनिल मेरी पत्नी के पीछे पड़ा है तो इससे मैंने दो फायदे देखे।
एक तो यह की अनिल का इतिहास और चरित्र देखते हुए तो यही लग रहा था नीना के साथ वह कुछ न कुछ तो करेगा ही।यह सोच कर मेरी धड़कन बढ़ गयी। मैं चाहता था की मेरी पत्नी और अनिल के बिच बात आगे बढे। तभी तो मैं भी उसकी बीबी के पास आसानी से जा सकता था। हालांकि मेरी पत्नी अनिल से काफी प्रभावित तो थी परन्तु वह अनिल को जराभी आगे बढ़ने मौका नहीं दे रही थी, ।
एक दिन मेरी अनुपस्थिति में अनिल ने मेरी पत्नी नीना को एक उपहार देना चाहा। नीना ने उसे लेने से सख्ती से इन्कार कर दिया। अनिल मायूस सा हो गया। जब हम अगली बार मिले तो मैंने उसे दुखी देख कर पूछा की आखिर बात क्या थी। अनिल ने बताया की वह जोधपुर गया था और वहां से एक अच्छे हेंडीक्राफ्ट के दो सैंपल लाया था जिसमे से एक वह हमें देना चाहता था, पर नीना ने उसे हड़का दिया।
अनिल ने बात बात में मुझसे कहा की उसका मेरे छोटे से बेटे से खेलने का बहुत मन करता है। मेरा बेटा अनिल से काफी घुलमिल गया था। अनिल चाहता था की वह उसके लिए कुछ खिलौना लाये, पर वह नीना से डरता था। तब मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा की उस रात को मैं नीना से बात करूँगा।
उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने नीना से उस बात को छेड़ा। मैंने कहा, “नीना डार्लिंग, आपने अनिल का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
यह सुन नीना खिसिया गयी और बोली, “मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।”
मैंने कहा, “नहीं, ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ कुछ आकर्षित तो है, पर उसमे उसका कोई दोष नहीं। भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा? तुम इतनी सेक्सी जो हो।” ऐसा कह कर मैंने बात बात में नीना को यह कह दिया की अनिल उसके प्रति आकर्षित है।
नीना ने थोड़ा शर्मा कर कहा, “ठीक है बाबा, गलती हो गयी। तुम कह रहे हो तो अबसे मैं ध्यान रखूंगी तुम्हारे दोस्तका। उसे दुखी नहीं करुँगी, बस? अब तो खुश?” मैंने नीना के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा था की क्यों उसने अनिल को डांट दिया।
नीना ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, “तुम बहुत ही भले इंसान और एक संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे अनिल का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?“
एक पल के लिए मुझे लगा जैसे मेरी पत्नी ने अपनी नाराजगी और असहायता प्रगट की। फिर उस ने आँख नचाते हुए कहा, “मेरी राय में तो ऐसे दोस्त को प्रोत्साहन देना ठीक नहीं , कहीं ऐसा न हो की वह तुम्हारी बीबी को वशमें कर ले और तुम हाथ मलते रह जाओ।“
मैं कहाँ चुप रहने वाला था। मैंने भी नीना से उसी लहजे में कहा, “डार्लिंग तुम अपने आप को जानती हो उससे मैं तुम्हे ज्यादा अच्छा जानता हूँ। मैं जानता हूँ की तुम पर कोई कितने ही डोरे डाले या ऐसा हो जाए की आवेश में तुम किसी के साथ कुछ कर भी लो फिर भी तुम मेरी ही रहोगी। हमारे तन मात्र की ही शादी नहीं हुयी, शादी हमारे मन की और परिवार की भी तो हुयी है , सही है या गलत?”
मेरी सीधी सादी बीबी कुछ सोचमें पड़ गयी और फिर अपना सर हिलाते हुए कहा, “हाँ तुम सही कह रहे हो।” फिर वह मुझसे लिपट गयी और बोली, “डार्लिंग क्या सच में तुम्हें तुम्हारी पत्नी पर इतना विश्वास है?
उस वक्त ही मैं समझ गया की मेरी घरेलु वफादार पत्नी असमंजस में तो है परंतु थोड़ी सी पिघली भी है।
मैंने नीना को बाँहों में और करीब दबाते उसके ब्लाउज में हाथ डाला। उसके रसीले स्तन युगल को बारी बारी दबाते और उसकी निप्पल को सहलाते और दबाते हुए और भी छेड़ा। मैंने कहा, “एक बात तो तुमने ठीक कही। अनिल तुम पर फ़िदा तो है। तुम्हारे लताड़ने पर बेचारा बहुत दुखी था। वह जब तुम को देखता है तो उसकी आँखे बार बार तुम्हारे स्तन पर ही टिक जाती है।”
नीना एकदम सहम सी गयी। थोड़ी पीछे हट कर उस ने मेरी बात को खारिज करते हुए कहा, “ऐसी कोई बात नहीं है। तुम मर्दों को तो सेक्स के अलावा और कुछ सूझता ही नहीं। परन्तु अनिल ऐसा नहीं लगता।”
मैंने उसे और उकसाते हुए कहा, “अच्छा? अनिल भी तो एक मर्द ही है। अगर फिर भी यदि तुम ऐसा समझती हो की अनिल ऐसा नहीं है तो चलो एक टेस्ट करते हैं। एक काम करो। तुम उसे थोड़ा उकसाओ। जब वह आये तो उसे अपने कुछ सेक्सी पोज़ दो, फिर देखो। अगर तुम्हे वह कसके बाँहों में जकड न ले तो कहना।” मेरी पत्नी यह सुनते ही एकदम गुस्सा कर बोली, “बस भी करो। शर्म नहीं आती अपनी बीबी से ऐसी बाते करते हुए?” नीना पलट कर सो गयी।
मैंने उसे बाँहों में जकड कर बोला, ‘अरे भाई माफ़ भी करो। मैं तो मजाक कर रहा था।”
तब नीना ने करवट ली और थोड़ा मुस्का कर बोली, “कोई बात नहीं। मैं भी तो खाली गुस्से का दिखावा कर रही थी। ”
मैंने उसे बाँहों में और कस कर दबाया और बोला, “पर नीना, एक बात बताऊँ? बेचारा अनिल, वास्तव में तुम्हारा आशिक हो गया है। वह कभी कबार गलती से या आवेश में तुम्हे थोड़ा छेड़ता या छू लेता है तो बेचारे पर गुस्सा कर उसका दिल मत तोडना।”
नीना तब एकदम उत्तेजित हो गयी। मेरी बात को टालते हुए मेरे कड़क लण्ड पर हाथ रख कर उस को सहलाते हुए बोली, “तुम भी कमाल के पति हो। अपने दोस्त पर इतने मेहरबान हो। चलो ठीक है, मैं ध्यान रखूंगी, पर देखो तो, यह बेचारा कितना उतावला हो रहा है अपनी सहेली से मिलने के लिए। उसका भी तो ध्यान रखो। अब अपना काम तो पूरा करो।”
मैं समझ गया की नीना गरम हो गयी थी । मैं तुरंत अपना पजामा उतार कर नंगा हो गया और फुर्ती से नीना के नाईट गाउन को भी उतार दिया। हमारे दो नंगे बदन एक दूसरे के साथ रगड़कर जैसे काम वासना की आग पैदा कर रहे थे। मेरा लंड एकदम फौलाद की तरह कड़क हो गया था। मैंने नीना की चूत पर हाथ रखा तो पाया की वह तो अपना रस ऐसे बहा रही थी जैसे झरना बह रहा हो।
मैंने अपनी पत्नी को कहा, “जानेमन तुम बड़ी गरम हो गयी हो। क्या बात है?”
नीना ने भी उसी लहजे में कहा, “तुम ऐसी बातें कर कर के मुझे गरम जो कर रहे हो।“
उसके बाद नीना ने बोलना बंद किया। बोल कैसे पाती? मेरा लण्ड बड़े प्यारसे उसने अपने मुंह में ले जो लिया था। वह उसे ऐसे चूसने लगी जैसे बच्चे बर्फ के गोले में से रस चूसते है। पहले उसे लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगता था। परन्तु उस दिन वह मुझे बहुत खुश करना चाहती थी।
उस रात को मैं भूल नहीं पाउँगा। उस ने खूब चुदवाया। वह तिन बार झड़ गयी और मैं दो बार। मुझे लगा जैसे मेरे दोस्त अनिल का तीर निशाने पर लग रहा था।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी.. और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
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