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हलो मित्रो आपका अपना दीप पंजाबी एक बार फेर आपके मनोरंजन के लिए एक नई कहानी लेकर हाज़िर है। सो ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए सीधा कहानी पे आता हूँ।
ये बात तब की है जब मैं पढ़ाई पूरी करके घर से कुछ कामकाज के लिए सपनों की महानगरी मुम्बई में आया था। उस वक़्त मैं बहुत खुश था के जिस शहर को देखने के लिए बचपन से टीवी या अखबार में ही देखकर दिल बेहला लेता था और सपना देखता था शायद सच में भी इस महानगरी को देख पाउगा या नही। आज वो सपना पूरा हो रहा था।
मुझे यहां एक खास दोस्त मनमीत ने बुलाया था। जो यहां एक पेट्रोल पम्प पे काम करता था। शुरू के दो दिन उसके पास ही रहा और तीसरे दिन हम काम वाली जगह पे बात करने चले गए।
जो के घर पे उपयोग होने वाली चीज़े जैसे टीवीे, वाशिंग मशीन, स्त्री, डिश, कूलर, फ्रिज़, पंखे आदि एलेक्ट्रॉनिक चीज़ों का शोरूम था। उसका मालिक अमन, मनमीत का पुराना दोस्त था।
मनमीत ने उनसे मेरी जान पहचान करवाई और काम काज के लिए मेरी सिफारिश की।
अमन ने बताया के उसको शोरूम पे एक वर्कर की जरूरत तो है, पर कोई विश्ववास पात्र इंसान मिल नही रहा।
मनमीत ने कहा,” इसकी गारन्टी मैं देता हूँ, इसे काम पे रखलो सो उसकी गारन्टी पे मुझे काम पे रख लिया गया। मेरी मासिक तनख्वाह तैय कर दी गयी और रहने के लिए के एक कमरा भी दे दिया गया। अब सुबह तैयार होकर काम पे जाता, शाम जो अपने कमरे पे वापिस आ जाता।
अभी मुझे काम पे आऐ हुए को एक हफ्ता ही हुआ था के एक दिन एक औरत शीतल जिसकी उम्र यही कोई 30 साल, पंजाबी सूट, खुले बाल, काला चश्मा, कन्धे पे पर्स टांगे अपनी स्कूटी पे हमारे शोरूम में आई।
उसके शादीशुदा होने का पता उसके घर जाकर चला। उस वक़्त मैं काउंटर पे अकेला था और बिक़े माल का थोड़ा हिसाब किताब लगा रहा था।
उसने आते ही मुझे नमस्ते बोला और मेने भी उसका जवाब नमस्ते में दिया। वो शयद इस शोरूम की पुरानी ग्राहक थी, उसने मुझे हमारे मालिक के बारे में पूछा तो मैंने बताया के वो किसी काम से अभी घर गए है, बस रस्ते में आते ही होंगे।
उसने मुझे बढ़िया क्वाल्टी की एक फ्रिज़ लेने की डिमांड बताई। मेने उसे बिठाकर चाय पानी पिलाया और सैंपल की तरह रखे फ्रिज़ को उन्हें दिखाया। उसने और कलर में दिखाने को बोला। मैंने बोला मैडम यह सिर्फ एक सैम्पल पीस है। अगर और पीस देखना चाहते हो तो आपको मेरे साथ गौदाम में चलना पड़ेगा।
वो बोली ठीक है, चलो देख लेते है वहाँ जाकर भी, शायद कोई पीस मन को भा जाये। हम दोनों उठकर बाहर आ गए। हमने शोरूम का शीशे वाला गेट बाहर से ही लॉक किया और साथ वाली दुकान (जो के हमारा गौदाम था) का शटर उठाकर हम दोनों अंदर चले गए।
वो मेरे आगे आगे चली आ रही थी। तो अंदर आकर मेने शटर निचे कर दिया। जिस से अंदर घना अँधेरा छा गया। अंदर आकर जैसे ही लाईट जलाने के लिए मेने स्विच की तरफ अंधेरे में हाथ बढ़ाया, मेरा हाथ उसके मम्मे पे लग गया और उसका दायना मम्मा मेरी मुठी में आ गया। क्या नरम नरम बडा मम्मा था।
मुझे तो मज़ा आ गया। मेने लाइट जलाकर उनको सॉरी बोला के जानबूझकर मेने कुछ नही किया। बस अँधेरे की वजह से ऐसा हो गया। उसने भी समय की नज़ाकत को समझते हुए इट्स ओके कह दिया।
वहां जाकर उसको मेने उसका मनचाहा रंग का फ्रिज़ दिखाया और उसकी खूबियां भी बताई। उसको वो पीस पसंद भी आ गया और वो उसे सेलेक्ट करके मेरे साथ दुबारा शो रूम में वापिस चली गयी। वहां उसने आधे पैसे जमा कराये और आधे डिलेवरी होने के बाद का बोलकर अपने घर का एड्रेस देकर चली गयी।
अगले दिन मैं अपने शोरूम के व्हीकल में फ्रिज़ लादकर अकेला ही उसके घर पहुँच गया। चलने से पहले मैंने उसको कॉल कर दी के आप कही पे भी हो घर पे आ जाओ।
वो — अभी मैं बाज़ार हूँ अभी 10 मिनट मे घर पहुंच रही हूँ।
मेरे उसके घर पहुंचने के पहले वो घर पहुँच चुकी थी। मुझे देखकर उसने हल्की सी स्माइल पास की और पास आकर बोली अकेले क्यों चले आऐ आप, साथ कोई लेबर वाला लड़का भी ले आते। अब हम दोनो इसे कैसे उतारेंगे ?
मै — दरअसल मैडम आज लेबर वाले लड़के छुट्टी पे गए है। अपने आस पड़ोस से किसी को बुला लो।
वो — नही रहने दो, यहाँ हम नए है। किसी से अच्छी जान पहचान भी नही है। सो बेहतर यही है के हम दोनों ही उतार लेते है। हमने बड़ी हिफाज़त से फ्रिज़ को व्हीकल उतार लिया और रसोई के अंदर रखकर उसे चालूकर दिया और उसने मेरे साथ गेस्ट रूम में जाकर वहाँ पड़ी कुर्सी पे बैठने का इशारा किया..
इतने में उसने एक जग पानी का भरकर उसकी ठंडक जांचने के लिए रख दिया और मेरे लिए वाटरकूलर से पहले से ठंडा किया पानी ले आई। मेने पानी पिया और वो गैस पे दो कप चाय चढ़ाकर मेरे साथ बैठ कर बाते करने लग गई। करीब 5 मिनट बाद दो कप चाय के भी ले आई। हम दोनों बैठकर चाय पीने लगे।
उसने मुझसे मेरे बारे में पुछा तो
मेने अपना परिचय दिया फेर मेने उससे उसका परिचय माँगा तो वो बोली के वो अपने पति और 3 साल के बेटे के साथ रहती है। उसका पति एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता है, जो सुबह 8 बजे काम पे जाता है और रात को 9 बजे के बाद ही घर आता है। कई बार तो दो तीन दिन आते ही नही है। अभी भी एक हफ्ते से घर नही आऐ है।
मैं — मैडम आपका बेटा कही दिख नही रहा ?
वो (इशारा करते हुए) — उधर पालने में सो रहा है।
मैं — एक बात पूछु मैडम ?
वो (खाली कप टेबल पे रखते हुए ) — हांजी पूछिए ?
मैं — मैडम अकेले घर पे आपका दिल कैसे लगता है ?
वो (ठंडी आह भरते हुए) — अंदर आकर मेने शटर है दीप जी,
कभी मोबाइल तो कभी टीवी से दिल बेहला लेती हूँ।
मैं — टीवी में तो फिल्में, सीरीयल आते है, पर मोबाइल से कैसे ??
वो — नेट से कई साइट्स पे जाती हूँ और….
मैं — और मतलब ?
वो — ह्म्म्म… कुछ नही और हंसने लगी।
मैं– बताओ भी और क्या ?
वो — आप तो पीछे ही पड गए। मुझे नही बताना मुझे शर्म आती है।
मैं — क्यों शर्म क्यों ?
वो — पहले आप बताओ आप नेट पे क्या करते हो?
मैं — मैं तो फेसबुक वटसप्प या फेर सेक्सी कहानिया पढ़ता हूँ।
मेरी बात सुनकर उसकी हंसी निकल गयी और बोली.. सेम टू मी।
मैं — मतलब आप भी उसकी तरफ ऊँगली करके पूछा
वो — क्यों क्या सिर्फ मर्द लोगो को ही पढ़ने में मजा आता है।
हम औरते इंसान नही है क्या, हमारी कोई फीलिनग्स नही है। बोलो..
मैं — नही मेने तो ऐसी कोई बात नही बोली।
वो — आप सोचो जिसका पति दो तीन दिन पास न हो, वह अपना मन बहलाऐे तो कैसे?
मेने शरारत से कमेंट किया.. आगे से जब भी दिल न लगे, मुझे बुला लेना ।।
वो — वो क्यों ???
मैं — आपका दिल बेहला देंगे थोड़ा हंसी मज़ाक करके ।
वो — देखलो अपनी बात से मुकर न जाना ।
मैं — नही मुकरेँगे आप एक बार मौका तो दो ।
वो एक तो पहले से ही सेक्स की आग में जल रही थी ऊपर से मेरी बाते आग पे पेट्रोल डालने का काम कर रही थी।
वो बोली, चलो आज ही तुम्हारी परीक्षा ले लेते है। जिस से पता चल जायेगा । वाकया में ही चैंलेज के लायक हो भी या नही।
मेने कहा, आज़माकर देखलो।
वो बोली, मेरे पीछे आओ !!
मैं उसके पीछे चला गया !
अपने बेडरूम में ले जाकर बोली, बैठो यहाँ और खुद बाहर आकर मेन गली वाला दरवाजा बन्द करने आ गयी। वापिस कमरे जाकर बोली हाँ तो आप मन बहलाने का कुछ बोल रहे थे।
तो बहलाइये न मैं आपके सामने खड़ी हूँ। मैं तो ऐसा मौका ढून्ढ ही रहा था के कब वो पहल करे।
मेने जल्दी से उसको पकड़ा और दीवार से लगाकर उसके होंठों पे अपने होंठ रखकर उन्हें चूसने लगा। एक दम हमले से वो सम्भल न स्की और निचे फर्श पे ही गिर पड़ी।।
मेने उसे उठाकर बैड पे लिटाया और सोरी बोला और पूछा कही लगी तो नही। वो बोली हाँ लगी है बहुत ज़ोर की ।
मेने पूछा कहाँ ?
वो चूत पे हाथ रखकर बोली यहा.. और हम हस पड़े।
मेने उसे किस करना शुरू किया। वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं कपड़े के ऊपर से ही उसके सुडोल मम्मो को मुठियो में भींचने लगा।
वो बोली रुको कमीज़ निकालने दो पहले।
मेने सोचा उस दिन गलती से हाथ ममे पे लगा था इतना अच्छा महसूस हुआ था आज जान बूझकर लगाउँगा तो कैसा लगेगा?
उसने कमीज़ और सलवार दोनों उतार दिए। उसने निचे कुछ भी नही पहना था न ब्रा और न पैन्टी ।
मेने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए।
अब मैं झुककर उसके गोरे मम्मो को चूमने लगा और निप्प्ल्स को मुह में लेकर उनका मीठा दूध पीने लगा। वो मस्त होकर अपना दूध पिला रही थी। मेने बार बार दोनों मम्मो को सहलाकर दूध पिया।
वो शरारत भरे अंदाज़ में बोली, दीप सारा न पियो नही तो मेरा लल्ला भूख रह जायेगा और हाहाहाहाहा करके हंस पड़ी।
मेने उसके मम्मे छोड़कर निचे की तरफ सरकना शुरू किया।
एक दम स्पॉट पेट छोटी सी अंदर धँसी नाभि बड़ी सेक्सी लग रही थी।
मेने जैसे ही उसके पेट पे होंट लगाकर किस किया, वो मज़े में आकर मौन करने लगी और बोली..
आआआह्ह्ह्ह्ह.. हट जाओ दीप प्लीज़ बदन में कुछ कुछ होता है। अब उसकी शेव की हुई चूत पे आकर उसको सुंघा। एक अजीब सी खुशबु नस नस में काम जगा रही थी। मेने बांये हाथ का अंगूठा अंदर घुसाना चाहा। जिस से उसकी सीसकिया में बढ़ोतरी हो गयी। कसी हुई चूत के बिलकुल बीच में चमड़े का एक टुकड़ा लटक रहा था। जिसको सहलाने से शीतल रोमांच से गदगद हो गयी और बोली दीप चाटो न आप मेरी चूत।
मैं उसकी आज्ञा का पालन करते हुए उसके चमड़े के टुकड़े को जीभ से चाटने लगा।
वो आःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् !!! सीईईईईईईईई !! उई माँ !!!!!!!! ह्म्म्म्म्म्म !! सीईईईईईई की कामुक आवाज़ निकालकर मौन करने लगी और अपने हाथ से बेडशीट को नोचने लगी। काम का वेग इतना के उसकी आवाज़ लड़खड़ा रही थी।
वो अपने कूल्हे उठा उठाकर चूत चटवा रही थी। करीब 5 मिनट बाद मुझे लगा उसकी चूत से सफेद नमकीन द्रव निकलने लगा है और उसके कूल्हों हिलने की स्पीड भी बढ़ गयी है और एक ज़ोरदार आअह्हह्हह की आवाज़ से उसके पानी से मेरा चेहरा भीग गया करीब 2 मिनट तक वो झड़ती रही।
फेर उसने आँखे खोली और मेरी तरह देखकर सॉरी बोली, अपने दुपट्टे से उसने मेरा भीगा चेहरा साफ किया और मुझे बेड पे लेट जाने का बोला, मैं उनके बेड पे लेट गया और उसने मेरा लण्ड पकड़ कर चूसना शुरु किया ही था के उसका पालने में सोया बेटा उठकर रोने लगा।
वह सॉरी बोलकर मुझे छोड़कर उसे उठाने चली गयी। इधर मुझे गुस्सा भी आ रहा था पर उसकी मजबूरी को समझते हुए कुछ न बोला। वह 10 मिनट बाद बच्चे को दुबारा सुलाकर मेरे पास आ गयी और बोली माफ़ करना आपका मूड बिगाड़ दिया आओ दुबारा आपका मूड बना देती हूँ।
मैं बेड पे लेटा तो पहले से ही था। वह मेरे ऊपर आकर मेरे होंठ चूसने लगी। उसके शरीर का स्पर्श पाकर पूरे तन बदन में करन्ट सा दौड़ गया और रोम रोम काम के वेग में खड़ा हो गया।
उसने अपनी मुठी में खड़े हुये लण्ड को पकड़ा और उसकी चमड़ी पीछे को हटाकर उसका सुपाडा निकाल कर मुह में लेकर चाटने लग गई। मुझे लगा मैं उपरी हवा में तैर रहा हू और मेरा लण्ड किसी गहरे और तंग कुए में घुसता ही जा रहा है।
उसकी आँखे मेरे चेहरे के हाव भाव ही देख रही थी। उसकी तेज़ तेज़ चलती गर्म जीभ अंग अंग में मसती का अहसास जगा रही थी। करीब 10 मिनट लण्ड से खेलने के बाद वो उठी और बेड पे आकर उसने डॉगी स्टाइल में पोज़ बनाकर मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया।
उसकी गांड का क्या कहना था यारो, एकदम दूध से भी सफेद, और इतनी नाज़ुक चमडी के जरा सा जोर के पकड़ लो तो उंगलियो के निशान बन जाये। मेने उसको कूल्हों को हाथ में लेकर सहलाया और होंठो से चूमना स्टार्ट किया। वो हर चुम्बन में मधहोश होकर मौन कर रही थी।
मेने उसकी टाँगे थोडा चौड़ी करके नीचे हाथ से चूत का जायजा लेकर अपने खड़े और उसके थूक से सने लण्ड को जेसे ही उसकी चूत के मुह पे रखकर हल्का सा झटका दिया। तो पहली बार सही जगह से लण्ड फिसल गया।
मेने दोबारा से सेट होकर जब झटका दिया मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया और उसकी हल्की सी आह निकल गयी। उसकी चूत में बहुत गर्मी थी।
जो के मुझे लण्ड से पता चल रहा था। थोडा रुककर एक झटका और मारा तो जड़ तक लण्ड उसकी चूत में घुस गया और और वो दर्द से चेहरा बनाने लगी।
मेने उसकी कमर को पकड़ कर हिलना चालू किया। अब लण्ड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था। वह मस्ती से गांड पीछे कर कर के चूत चुदवा रही ही। तकरीबन 10 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
वो बोली इस पोज़ में मेरे पति ने मुझे कभी नही चोदा। अभी थोडा आराम करो, एक और मज़ा अभी बाकी है। मैं साइड पे होकर लेट गया । शरीर पसीने से भीगा हुआ था। उसने अपने दुपट्टे से मेरा शरीर पोंछा और दूबारा चूमा चाटी शुरू करदी।
एक बार फेर लण्ड खड़ा हो गया । वो उठी और बैड की दराज़ से वैसलीन निकाल क्र ले आई और उसको मेरे लण्ड पे लगा कर मालिश करने लगी। मैं उसके कोमल हाथो के स्पर्श से गदगद हुआ जा रहा था। इतने में वह बोली आओ अब मेरी गांड भी मारलो।
मैंने कभी पहले किसी स्त्री की गांड नही मारी थी। तो मुझे थोडा मुश्किल सा काम लगा पर उसको नही महसूस होने दिया । मेने वैसलीन की डिब्बी ली और उसे डौगी स्टाइल में ही रहने को बोला, वो मेरी आज्ञा का पालन करती गयी।
अब मेने उसकी गांड के छेद पे वैसलीन लगाई और ऊँगली से अंदर तक चिकना करने लगा। उसकी गांड का छेड़ बहुत तंग लग रहा था। मैने उसे पूछा क्या पहले कभी गांड मरवाई है या नही।
वो बोली हाँ पतिदेव ने 2 महीने पहले मारी थी। यह आज दूसरी बार है। तो मुझे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ के ज्यादा तकलीफ नही उठानी पड़ेगी। मेने उसकी गांड के दो ऊँचे पहाड़ों को हाथ से चौड़ा करके ऊँगली से हल्के हल्के गांड पे वैसलीन लगाने लगा।
वो भी अंदर से छेद को खोल कर मेरा काम आसान करने लग गई। जब मुझे लगा के वो गर्म हो चुकी है तो मेने अपने लण्ड के सुपाड़े पे ढेर सारी वैसलीन लगाकर उसकी गांड में हल्का सा धक दिया।
उसकी एक ज़ोरदार चीख निकल गयी और घुटनो के बल खड़ी बेड पे गिर पड़ी। मेने उसे सॉरी बोला और दुबारा उसी प्रकीर्या को दुहराया इस बार लण्ड का सुपाड़ा उसकी गांड में धंस गया और उसकी आँखों में आंसू आ गए उसने इशारे से रुकने को बोला और अपना सिर तकिये पे रखकर अपने दोनों हाथो से अपनी गांड को खोल कर मुझे झटका देने को बोला । अब गांड खुल जाने की वजह से लण्ड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।
करीब 10 मिनट बाद उसकी गांड में ही झड़ गया आधा घण्टा आराम करने के बाद हम साथ में नहाये खाना खाया और आते वक़्त हमने अपना अपना नम्बर शेयर किया।
उसने बकाये के पैसों के इलावा एक हज़ार मुझे अलग से इस काम के लिए दिए और कहा आगे से भी जब आपका दिल करे आ सकते हो। मैं अपने रहते पैसे लेकर अपने शो रूम में आ गया। फेर 6 महीने तक मुम्बई में रहा और 10-12 बसर उसको उसके घर में ही चोदा
सो दोस्तों यह थी एक और कहानी अपने विचार मेल पते पे भेजना न भूले मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
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