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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनिल भारद्वाज है। मैं पानीपत का रहने वाला हूँ और मैं एक पशु चिकित्सक यानि veterinary Doctor हूँ। मैं अन्तर्वासना का काफी पुराना पाठक हूँ। कई मित्रों की कहानी पढ़ कर मुझे प्रेरणा मिली कि मुझे भी अपनी ज़िन्दगी का अनुभव आप सबसे साथ सांझा करना चाहिए।
दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है, अगर कहानी में कोई गलती हो तो अपने इस नादान दोस्त को क्षमा कर देना।
बात उन दिनों की है जब मैंने अपने 12वीं कक्षा के पेपर दिए थे और मेरा परिणाम आने में काफी समय था तो मैंने सोचा कि क्यों न खली समय में कोई छोटी मोटी नोकरी कर ली जाए। काफी जगह कोशिश करने के बाद मुझे एक मार्किटिंग कंपनी में नौकरी मिल गई।
वहाँ पर मेरी मुलाकात मेरी सीनियर निशु (बदला हुआ नाम) से हुई, वो एक सुडौल शारीर की मालकिन थी। उसका नाप शायद 32-26-34 का होगा।
शुरू से ही मेरी नज़र निशु पर थी, मैं निशु से बात करने का कोई मौका नहीं जाने देता था क्योंकि वो थी ही इतनी खूबसूरत कि हर कोई उसको चाहता था। मैंने उसके काम में भी हाथ बंटाना शुरू कर दिया जिससे मुझे निशु से बात करने का टाइम ज़्यादा मिलने लगा और फिर हमारी दोस्ती हो गई। अब हमारी फ़ोन पर बाते होने लगी।
एक दिन मैंने उसको परपोज़ कर दिया तो उसने मना कर दिया, उसके बाद मैं कई दिनों तक ऑफिस नहीं गया। निशु ने मुझे कई बार फ़ोन किये लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
फिर एक रविवार को वो मेरे घर आई, मेरी मम्मी ने उसे चाय नाशता कराया और मुझे नीचे बुलाया। मैं निशु को देखकर एकदम से चौंक गया कि कहीं इसने मम्मी को सारी बात न बता दी हो।
मैंने निशु से हाय की और दूसरे सोफे पर बैठ गया लेकिन मैं निशु से नज़रे नहीं मिला पा रहा था उस दिन वाली मेरी हरकत की वजह से। उसने मुझसे पूछा- तुम ऑफिस क्यों नहीं आ रहे? मैंने कहा- बस अब दिल नहीं लगता वहाँ! तो वह मुझे कल ऑफिस में आने की कह कर चली गई।
अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो निशु ने मुझे अपने केबिन में बुलाया। लेकिन मैं गया नहीं। उसने फिर बुलाया, फिर मैंने काम का बहाना बना दिया।
ऑफिस की छुट्टी होने के बाद वो मेरे पास आई और गुस्से से बोली- तुम मेरे साथ चलो। हम दोनों उसकी स्कूटी पर उसके रूम पर पहुँचे और जाते ही उसने मेरे गाल पर एक तमाचा रसीद कर दिया और कहा- तुम बड़े अनाड़ी हो, तुम्हें इतना तो पता होना चाहिए कि कोई भी लड़की इतनी जल्दी हाँ नहीं करती।
मैं शर्म से नीचे मुँह करके खड़ा था। फिर मैंने उसको सॉरी बोला और वहाँ से जाने लगा।
निशु ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया। मैं अभी भी डरा हुआ था पर निशु ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए, एक गहरा चुम्बन करके बोली- यह रहा तुम्हारा जवाब! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मेरी तो निकल पड़ी, आखिर निशु ने हाँ कर ही दी। मैंने उससे पूछा- तुमने मुझे थप्पड़ क्यों मारा? वो बोली- यह तुम्हारी सजा थी मुझे सताने और इग्नोर करने की!
मैंने निशु को अपनी बाहुपाश में कैद कर लिया और उसके गुलाबी होंठों पर अपने प्यार की मोहर लगा दी। लगभग 20 मिनट तक लम्बे चुम्बन से हम दोनों गरम हो चुके थे, मैं टॉप के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने लगा।
मैंने उसका टॉप उतार दिया, काली ब्रा में कैद उसके दूध मुझे पागल कर रहे थे, ब्रा के ऊपर ही उसके एक दूध को पीने लगा। कामातुर होने की वजह से कब हमारे कपड़े हमारे शरीर से अलग हो गए पता नहीं लगा।
गोरी जांघों के बीच उसकी क्लीनशेव चूत क्या कमाल थी। उसकी चूत से अजीब सा तरल बह रहा था और उसकी चूत की मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। मैंने उसकी चूत को करीब 10 मिनट तक चूसा। इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी।
अब हमसे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था, मैंने जल्दी से अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। 20 मिनट की मेहनत के बाद हम दोनों शांत हो गये। फिर हमें जब भी मौका मिलता हम यही खेल खेलते। दोस्तो, यह थी मेरी एकदम सच्ची कहानी। आपको कैसी लगी, अपने प्यारे कमेंट मुझे ईमेल करें। [email protected]
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